2122 1212 22
ख्वाब ख़ुशियों के दिल सज़ा मत यूँ।
जानकर के फ़रेब खा मत यूँ।
बाँध कर तू किसी से उम्मीदें
दर्द को हमसफ़र बना मत यूँ।
कुछ तो उम्मीद दिल में रहने दे
आस का दीप हर बुझा मत यूँ।
और कुछ भी सज़ा तू दे लेकिन
दिल से दिलबर मुझे भुला मत यूँ।
साथ हँस बोलकर रकीबों के
दिल पे बिजली मेरे गिरा मत यूँ।
ज़िन्दगी चार दिन की है *हीरा*
नफ़रतों में इसे गँवा मत यूँ।
हीरालाल
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