Friday, March 8, 2019

आ० हीरालाल यादव जी

2122 1212 22/112

खो  गया  वक्त  वो दुलारों का।
रास्ता   देख   मत  सहारों का।

आस अच्छे दिनों की थी जिनको
हाल  तो  देख  उन बिचारों का।

झूँठी  उम्मीद  दे   के   जायेंगी।
क्या  भरोसा  है इन बहारों का।

क्या सबब है हमारे  जीवन का
दिल में मेला है इन विचारों का।

दिल  है  वीरान  हर  घड़ी तो फिर
क्या करूँ इन हसीं नज़ारों का।

दिल  डराती  नहीं  चुभन कोई
साथ पाया है जब से खारों का।

होंगे  हासिल  न ये कभी *हीरा*
ख्वाब मत देख चाँद-तारों का।

                हीरालाल

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