Monday, March 18, 2019

Neetendra singh parmar

[16/02, 10:11 a.m.] Neetendra singh parmar: 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
🔫🔫🔫🔫🔫🔫🔫🔫🔫🔫

*आतंकवाद*

कलम उठा कर करना भेदन,
उत्तर दे रचनाओं से।
ख़ून हमारा खोल रहा है,
आतंकी घटनाओं से।.

हुये शहीद हमारे सैनिक,
रक्षा खातिर अड़े हुये।
क्या मालूम वहा था हमको,
दुश्मन छिपकर खड़े हुये।।

काश्मीर की रक्षा करना,
फर्ज हमारा जायज़ है।
छिपकर बार नही करता हूँ,
करते जो नाजायज़ है।।

बदला लेने निकलेंगे हम,
अपने हिन्दुस्तान का।
मानचित्र से चित्र मिटेगा,
पापी पाकिस्तान का।।

शेर छलांग लगाता पहले,
कदम चार वो पिछलेगा।
क्रूर कुकर्मी पाक के ऊपर,
बनकर काल वो उछलेगा।।

कायरता दिखलाते हरदम,
पाक तुम्हारी फटती है।
सर्जिकल स्ट्राइक को सुनकर,
जान तुम्हारी घुटती है।।

भाड़े वाले टट्टू लाते,
खोज खोज कर नालों से।
आतंकी अलगाव संगठन,
वाले उन दलालों से।।

भारत माँ का लाल खड़ा है,
हिम्मत है सन्मुख आना।
या चुल्लू भर पानी लेकर,
नींद मौत की सो जाना।।

खाते नमन हमारा रहकर,
गीत पाक के गाते हो।
खाना मेरा हरदम खाते,
गोली क्यों बरसाते हो।।

तुमको शर्म नही आती है,
केवल अब अपवाद हो तुम।
बाप तुम्हे खुद पता नही है,
नाजायज़ा औलाद हो तुम।।

भारत माँ के लाल सदा से,
भारत के रखवालो हैं।
इंकलाब,वंदेमातरम् के,
गीत को गाने वाले है।।

नाम मिटेगा एक दिन तेरा,
कहना गर न मानोंगे।
भारत क्या है भारत की,
पहचान सदा तुम जानोंगे।।

वीर प्रतापी योद्धा वाली,
ये सारी परिपाटी है।
मस्तक पर चंदन से बढ़कर,
हिंद देश की माटी है।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )

🔫🔫🔫🔫🔫🔫🔫🔫🔫🔫
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
[16/02, 10:14 a.m.] Neetendra singh parmar: 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
🔫🔫🔫🔫🔫🔫🔫🔫🔫🔫

*आतंकवाद*

कलम उठा कर करना भेदन,
उत्तर दे रचनाओं से।
ख़ून हमारा खोल रहा है,
आतंकी घटनाओं से।।1।।

हुये शहीद हमारे सैनिक,
रक्षा खातिर अड़े हुये।
क्या मालूम वहा था हमको,
दुश्मन छिपकर खड़े हुये।।2।।

काश्मीर की रक्षा करना,
फर्ज हमारा जायज़ है।
छिपकर बार नही करता हूँ,
करते जो नाजायज़ है।।3।।

बदला लेने निकलेंगे हम,
अपने हिन्दुस्तान का।
मानचित्र से चित्र मिटेगा,
पापी पाकिस्तान का।।4।।

शेर छलांग लगाता पहले,
कदम चार वो पिछलेगा।
क्रूर कुकर्मी पाक के ऊपर,
बनकर काल वो उछलेगा।।5।।

कायरता दिखलाते हरदम,
पाक तुम्हारी फटती है।
सर्जिकल स्ट्राइक को सुनकर,
जान तुम्हारी घुटती है।।6।।

भाड़े वाले टट्टू लाते,
खोज खोज कर नालों से।
आतंकी अलगाव संगठन,
वाले उन दलालों से।।7।।

भारत माँ का लाल खड़ा है,
हिम्मत है सन्मुख आना।
या चुल्लू भर पानी लेकर,
नींद मौत की सो जाना।।8।।

खाते नमन हमारा रहकर,
गीत पाक के गाते हो।
खाना मेरा हरदम खाते,
गोली क्यों बरसाते हो।।9।।

तुमको शर्म नही आती है,
केवल अब अपवाद हो तुम।
बाप तुम्हे खुद पता नही है,
नाजायज़ा औलाद हो तुम।।10।।

भारत माँ के लाल सदा से,
भारत के रखवालो हैं।
इंकलाब,वंदेमातरम् के,
गीत को गाने वाले है।।11।।

नाम मिटेगा एक दिन तेरा,
कहना गर न मानोंगे।
भारत क्या है भारत की,
पहचान सदा तुम जानोंगे।।12।।

वीर प्रतापी योद्धा वाली,
ये सारी परिपाटी है।
मस्तक पर चंदन से बढ़कर,
हिंद देश की माटी है।।13।।

..................................................................................................................................................................।।14।।

आग्रह/नोट :- जिसको अंतिम पंक्ति सुनना हो वो कमेंट करें।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )

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[16/02, 10:15 a.m.] Neetendra singh parmar: 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
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*आतंकवाद*

कलम उठा कर करना भेदन,
उत्तर दे रचनाओं से।
ख़ून हमारा खोल रहा है,
आतंकी घटनाओं से।।1।।

हुये शहीद हमारे सैनिक,
रक्षा खातिर अड़े हुये।
क्या मालूम वहा था हमको,
दुश्मन छिपकर खड़े हुये।।2।।

काश्मीर की रक्षा करना,
फर्ज हमारा जायज़ है।
छिपकर बार नही करता हूँ,
करते जो नाजायज़ है।।3।।

बदला लेने निकलेंगे हम,
अपने हिन्दुस्तान का।
मानचित्र से चित्र मिटेगा,
पापी पाकिस्तान का।।4।।

शेर छलांग लगाता पहले,
कदम चार वो पिछलेगा।
क्रूर कुकर्मी पाक के ऊपर,
बनकर काल वो उछलेगा।।5।।

कायरता दिखलाते हरदम,
पाक तुम्हारी फटती है।
सर्जिकल स्ट्राइक को सुनकर,
जान तुम्हारी घुटती है।।6।।

भाड़े वाले टट्टू लाते,
खोज खोज कर नालों से।
आतंकी अलगाव संगठन,
वाले उन दलालों से।।7।।

भारत माँ का लाल खड़ा है,
हिम्मत है सन्मुख आना।
या चुल्लू भर पानी लेकर,
नींद मौत की सो जाना।।8।।

खाते नमन हमारा रहकर,
गीत पाक के गाते हो।
खाना मेरा हरदम खाते,
गोली क्यों बरसाते हो।।9।।

तुमको शर्म नही आती है,
केवल अब अपवाद हो तुम।
बाप तुम्हे खुद पता नही है,
नाजायज़ा औलाद हो तुम।।10।।

भारत माँ के लाल सदा से,
भारत के रखवालो हैं।
इंकलाब,वंदेमातरम् के,
गीत को गाने वाले है।।11।।

नाम मिटेगा एक दिन तेरा,
कहना गर न मानोंगे।
भारत क्या है भारत की,
पहचान सदा तुम जानोंगे।।12।।

वीर प्रतापी योद्धा वाली,
ये सारी परिपाटी है।
मस्तक पर चंदन से बढ़कर,
हिंद देश की माटी है।।13।।

......................................
.......................................
.......................................
.............................।।14।।

आग्रह/नोट :- जिसको अंतिम पंक्ति सुनना हो वो कमेंट करें।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )

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[17/02, 10:56 a.m.] Neetendra singh parmar: मरहम बन जाऊं माँ तेरा हम शीश कटाने निकले हैं।
जिन्ना की औलाद नही हम भारत  माँ के बेटे हैं।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
[20/02, 9:40 p.m.] Neetendra singh parmar: साहित्य एक्सप्रेस मासिक पत्रिका संपादक आ० भानू शर्मा जी के स्नेह से मुझे छतरपुर जिले का प्रतिनिधि बनाया तथा मेरी रचना हमारी शान है हिंदी को पत्रिका में स्थान  दिया।
                   हम प्रकाशक एवं संपादक मंडल का हृदय से आभार प्रकट करते हैं। इसी तरह स्नेह बनाये रखे।

  नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
  छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
  सम्पर्क:- 8109643725
[20/02, 9:42 p.m.] Neetendra singh parmar: *साहित्य एक्सप्रेस*

साहित्य एक्सप्रेस मासिक पत्रिका के संपादक *आ० भानू शर्मा जी* के स्नेह से मुझे *छतरपुर जिला* का प्रतिनिधि बनाया तथा हमारी  रचना *" हमारी शान है हिंदी"* को पत्रिका में स्थान  दिया।
                   हम प्रकाशक एवं संपादक मंडल का हृदय से आभार प्रकट करते हैं। इसी तरह स्नेह बनाये रखे।

  नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
  छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
  सम्पर्क:- 8109643725
[21/02, 5:50 p.m.] Neetendra singh parmar: विषय:- *देश के गद्दार*

खाते नमक हमारे घर का,
गीत पाक का गाते है।
इंकलाब के स्वर गूंजे जो,
उनको कभी न भाते है।।

झूठी कसमें दूषित वाणी,
झूठे सभी इरादे है।
सच्चाई को झूठा कहते,
झूठे उनके वादे है।।

एक  बार फटकार लगा दो,
भारत माँ के लाल हो तुम।
महाकाल को रटने वाले,
बैरी दल को काल हो तुम।।

छिपकर बैठे घर में  अपने,
उनको बाहर लाना है।
क्रूर कुकर्मी पाखंडी को,
नर्क लोक पहुंचाना है।।

जिसको दूध पिलाया हमने,
उसी नाग ने काटा है।
हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई को,
आपस में बांटा है।।

मक्कारी दिखलाई  तुमने बहुत,
बड़े मक्कार हो तुम।
भारत देश में रहने वाले,
लायक गद्दार हो तुम।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र :- 8109643725
[21/02, 6:12 p.m.] Neetendra singh parmar: विषय:- *देश के गद्दार*

खाते नमक हमारे घर का,
गीत पाक के गाते है।
इंकलाब के स्वर गूंजे जो,
उनको कभी न भाते है।।

झूठी कसमें दूषित वाणी,
झूठे सभी इरादे है।
सच्चाई को झूठा कहते,
झूठे उनके वादे है।।

एक  बार फटकार लगा दो,
भारत माँ के लाल हो तुम।
महाकाल को रटने वाले,
बैरी दल को काल हो तुम।।

छिपकर बैठे घर में  अपने,
उनको बाहर लाना है।
क्रूर कुकर्मी पाखंडी को,
नर्क लोक पहुंचाना है।।

जिसको दूध पिलाया हमने,
उसी नाग ने काटा है।
हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई को,
आपस में बांटा है।।

मक्कारी दिखलाई  तुमने बहुत,
बड़े मक्कार हो तुम।
भारत देश में रहने वाले,
लायक गद्दार हो तुम।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र :- 8109643725
[25/02, 3:51 p.m.] Neetendra singh parmar: विधा:- गीत
विषय:- देश के गद्दार

हैं अनीति बहुत,नीति दिखती नही।
सत्य बाते मुझे आज,दिखती नही।।

विषय:- *देश के गद्दार*

खाते नमक हमारे घर का,गीत पाक का गाते है।
इंकलाब के स्वर गूंजे जो,उनको कभी न भाते है।।

झूठी कसमें दूषित वाणी,झूठे सभी इरादे है।
सच्चाई को झूठा कहते,झूठे उनके वादे है।।

एक  बार फटकार लगा दो,भारत माँ के लाल हो तुम।
महाकाल को रटने वाले,बैरी दल को काल हो तुम।।

छिपकर बैठे घर में  अपने,उनको बाहर लाना है।
क्रूर कुकर्मी पाखंडी को,नर्क लोक पहुंचाना है।।

जिसको दूध पिलाया हमने,उसी नाग ने काटा है।
हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई को,आपस में बांटा है।।

मक्कारी दिखलाई  तुमने बहुत,बड़े मक्कार हो तुम।
भारत देश में रहने वाले,लायक गद्दार हो तुम।।
[25/02, 9:35 p.m.] Neetendra singh parmar: *मुक्तक*

सियासत बंद हो तो,कोई बात बने।
खिलाफत बंद हो तो,कोई बात बने।।
हम उलझे रहे घर बचाने में।
अदावत बंद हो तो,कोई बात बने।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725
[25/02, 9:36 p.m.] Neetendra singh parmar: *मुक्तक*

सियासत बंद हो तो बात बने।
खिलाफत बंद हो तो बात बने।।
हम उलझे रहे दिखावे में।
अदावत बंद हो तो बात बने।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725
[02/03, 9:48 p.m.] Neetendra singh parmar: *मनहरण घनाक्षरी छंद*

रचना हो रचना तो,रचना में रस न तो।
रचना भी रचना है,बोलो किस काम की।।

रचना भी बिना विधा,वाली आप लिखते हो।
रचना से बचना न,नही मेरे नाम का।।

देकर के आप नोट,रचना में सब खोट।
हृदय की चोट भला,नही मेरे दाम की।।

रस दस रहे बस,शब्द जोड़ी टस मस।
रचना में जस न हो,नही चार धाम का।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर मध्यप्रदेश
[02/03, 9:57 p.m.] Neetendra singh parmar: *मनहरण घनाक्षरी छंद*

छत्रसाल नाम एक गूँज रहा चहुंओर।
छत्रसाल नाम जग जाहिर कमाल हैं।।

रेल्वे स्टेशन का भी नाम हुआ है छत्रसाल।
छत्रसाल प्रतिमा को,देखो ऊंचा भाल है।।

मुगलों को धूल में मिलाने वाले छत्रसाल।
पिता जी नाम सुन भागते सवाल हैं।।

जाहिर जगत में कहानी जिस वीर की है।
चंपत के लाल छत्रसाल जी को नाम हैं।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
[02/03, 10:14 p.m.] Neetendra singh parmar: *मनहरण घनाक्षरी छंद*

आगे पीछे डोल रही,बंद आँख खोल रही।
घोल रही प्रेम रस,छोटी सी दुल्हनिया।

हमें कुछ चाह नहीं,दिखे अब राह नहीं।
आह वाह वाह नहीं,घुन में मगनिया।।

दूर दूर तक हमें,घूरती से नजरों से।
पास में जहा पे रखी बनिया की दुकनिया।।

खेत ओर रखे पग,घुँघरू भी बाजते हैं।
झनक झनक पग,धरती अगनिया ।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( निजी )
[03/03, 12:20 p.m.] Neetendra singh parmar: गीत
( 16-14 )

भारत माँ का लाल सलोना,
           हनुमत बनकर आया है।
भारत माता की गोदी में,
           उसने जीवन पाया है।।

हिंद देश से चले पवन सुत,
          मार्ग वायु से लंका में।
भारत माँ के नारे गूंजे,
          रहा नही वह शंका में।।
आर्यावर्त का रहने वाला,
           गीत यही दोहराया है।।
भारत माता की गोदी में,
         उसने जीवन पाया है।।1।।

चारो ओर खड़े थे दुश्मन,
               खुद्दारी से जीना है।।
बिन समझाये पाक भी समझा,
              छप्पन इंची सीना है।।
पाक हिंद से पूछ रहा पर,
             भारत ने गुण गाया है।।
भारत माता की गोदी में,
         उसने जीवन पाया है।।2।।

बैरी घर से आया वापिस,
         सब जन करते है वंदन।
अभिनंदन माथे का चंदन,
        अभिनंदन है अभिनंदन।।
स्वागत करने को मन आतुर,
         *भारत* ने फरमाया है।।
भारत माता की गोदी में,
         उसने जीवन पाया है।।3।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार *" भारत "*
   छतरपुर मध्यप्रदेश
[03/03, 7:51 p.m.] Neetendra singh parmar: पश्चिमी सभ्यता अपनाते अपनाते लोग पूजा पाठ सिखाने के लिए कोचिंग सेंटर चलायेंगे।
[05/03, 8:48 a.m.] Neetendra singh parmar: *मुक्तक*

क़लम बेचकर खाते वो क्या जीना हैं।
क़लम हमारी आशाओं का नगीना हैं।।
क़लम भी बोले राष्ट्र एकता की भाषा।
पाकिस्तां को धूल चटाई भारत ने।
पहचान गया  छप्पन इंची सीना है।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
[05/03, 8:53 a.m.] Neetendra singh parmar: *मुक्तक*

क़लम बेचकर खाते वो क्या,जीना हैं।
क़लम हमारी आशाओं का,नगीना हैं।।
क़लम भी बोले राष्ट्र एकता की भाषा।
पाकिस्तां को धूल चटाई,भारत ने।
क़लम भी लिखती छप्पन इंची सीना है।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
[05/03, 6:10 p.m.] Neetendra singh parmar: *_***************_*

*हद* में रहना,सीख लो प्यारे।
जीवन के वो,अजब नजारे।।
देखा है संसार साँवरिया।
जग- मग जग- मग चाँद सितारे।

नीतेन्द्र " भारत "
[07/03, 10:21 p.m.] Neetendra singh parmar: रचा इतिहास है जग में,सदा दिन रात पढ़ करके।
बचाया दीप को तुमने,सदा तूफा से लड़ करके।।
सफलता मिलती उसको है,जो हारे हार न माने।
दिखाया झूठ को शीशा,सदा आगे ही बढ़ करके।।
[09/03, 9:07 p.m.] Neetendra singh parmar: पैले बेटी खा समझाने,साँचो कथन बताने।
सास ससुर की सेवा करियो,बेटी सुख से राने।
चिंता कभऊ न करियो घर की,करियो नही बहाने।
रूखो सूखो जैसो मिलवे,बाट बाट के खाने।।
[09/03, 9:10 p.m.] Neetendra singh parmar: साची साची कहवे वाले,मिलत हमें अब नइया।
रामायण गीता ग्रन्थन के,कोल खा हर दइया।
कोट कचहरी से डर लगवे,सुनलो मोरे भइया।
एक बेर जो फसे केस में,खेलो चइया मइया।।
[09/03, 9:14 p.m.] Neetendra singh parmar: भुनसारे से उठे प्यारे,पहुँचे पैदल हारे।
बैला गैया साथ में लेके,संग में लरका वारे।।
नदिया सामू परत गैल मे,चल तई चलो किनारे।
जुर मिलके त्योहार मनावे,रहियो नही न्यारे।।
[09/03, 9:29 p.m.] Neetendra singh parmar: *बुन्देली चौकड़िया*

बिटिया घर में क्वाँरी बैठी,रातन नींद सतावे।
रूपया पैसा खूब मगांवे,टूटे घर में रावे।।
बिन पैसा की बात बढ़े न,पैसा उन्हे दिखावे।
ऐसे घर में ब्याह करो न,भारत नेक बतावे।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
[09/03, 11:15 p.m.] Neetendra singh parmar: *कुण्डलिया*

राम लाल के ब्याह को,जमो अनोखो रंग।
लाल की बोतल हाथ में,और बराती संग।
और बराती संग,गली में शोर मचावे।
खुशी बराती आज,दल दल घोड़ी नचावे।।
सुनिओ मोरी बात सबई,पी के बदले ढंग।
घोड़ा ने भगदड़ करी,बिटिया वाले दंग।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
[09/03, 11:18 p.m.] Neetendra singh parmar: *बुन्देली चौकड़िया*

सांसी बात कहे जग मइंया,मिलत हमें कोउ नइंया
रामायण गीता ग्रन्थन के,कोल खाये हर दइंया।
कोट कचहरी से डर लगवे,सुनलो विनय कइंया।
एक बेर जो फसे केस में,खेलो चइंया मइंया।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
[10/03, 8:14 a.m.] Neetendra singh parmar: असली भारतीय वह होता है कि जहा राष्ट्रीय राजमार्ग स्टेट राजमार्ग के किनारे वॉर्ड लगा रहा है।
20
40
वह बंद
20 जगह 40
40 की जगह 80 की स्पीड में बाईक चलाता है।।
[10/03, 8:15 a.m.] Neetendra singh parmar: इन्टरव्यू में वजन कम होने के कारण नही लिया मुझे
[10/03, 8:22 a.m.] Neetendra singh parmar: जिस गांव में क्षत्रिय न हो वहा रहन सहन अलग होता है।
[10/03, 8:23 a.m.] Neetendra singh parmar: जाति के अनुसार काम करें।
[12/03, 6:17 p.m.] Neetendra singh parmar: मरते देखा है हाँ मैंने जीते देखा है।
नेक गवाहों को मुख मैंने सीते देखा है।।
मजदूरी करते दिनभर घरबार चलाने को।
दे के पैसा दारू मैंने पीते देखा है।।
[12/03, 6:22 p.m.] Neetendra singh parmar: गर्मी सर्दी बारिश वाले मौसम में मैंने।
खुद्दारी से अन्न दाता को जीते देखा है।।
[12/03, 6:31 p.m.] Neetendra singh parmar: उलझन जितनी सुलझाएं ये उतनी उलझती है।
[12/03, 6:44 p.m.] Neetendra singh parmar: वक़्त की मार ने हमको सिखला दिया।
क्या भला क्या बुरा हमको दिखला दिया।।
उम्र बढ़ते हुये हमको आयी समझ।
घर के हालत ने घर से निकला दिया।।
[12/03, 8:14 p.m.] Neetendra singh parmar: *मुक्तक*

मुख उसने हमसे अपना यूं मोड़ा नही होता।
कसमों के बाद उसने दिल तोड़ा नही होता।।
रहने को सात जन्मों की जो बात कही थी।
यूं तन्हा मुझे प्यार में छोड़ा नही होता।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725
[13/03, 7:02 p.m.] Neetendra singh parmar: *पैसे दे तो पत्नी नाराज़ नही दे तो पति नाराज़*

चलो आज लिए चलते हैं। अपने साथ आपके छतरपुर के महल रोड से आगे जिसको बजरिया कहते हैं। चारो तरफ चहल-पहल,गाड़ियों का शोर तथा दुकानों में आते-जाते सभी खरीदारी करने वाले आदमी,औरत,बूढ़े आदमी तथा बच्चे आदि। दरअसल बात ये है कि मुझे अपनी एक पुरानी डिक्शनरी जो की बहुत बड़ी होने के कारण तथा पुरानी होने के कारण उसके पेज अलग-अलग होने लगे थे। तो बाइडिंग कराने के लिए दुकान की तलाश कर रहा था। तभी हमने एक स्टेशनरी वाले से पूछा तो उन्होंने बताया कि थोड़ी दूर आप जायेगे तो हमारी दुकान से आगे आप चार-पाँच दुकान छोड़कर वही पहुंच जाओगे जहां  पर बाइडिंग की दुकान है। साहब हम देखते पूछते हुआ। दुकान पर पहुंच गये। दुकान पर बैठे दुकानदार एवं उनकी पत्नी जी को नमस्ते किया। अपने बैग से हमने डिक्शनरी को निकाल कर दिखाये तो बोलो कोई बात नही हम पेज क्रम से लगाकर बाइडिंग कर देगे। हमने दुकानदार से पैसा पूछा तो फिर से अनेक प्रकार की बाइडिंग दिखाने लगे। सादा वाली अस्सी रूपये गत्ते वाली एक सौ बीस रूपये, और कपड़े वाली एक सौ अस्सी रूपये। हमने कहा की आप इसमें एक सौ बीस रुपये वाली कर दीजिए। तो जैसे ही कहा तो दुकानदार जी ने कहा अपना मोबाइल नंबर बताये और नाम बताये। हमने दोनो चीज डिक्शनरी में अंकित करवा दी। इसके बाद बोले तो पैसा अभी जमा कर दीजिए। बाकी जब लेने आओगे तब ले जाना। जैसे ही दुकानदार ने पैसा का नाम लिया तो पीछे बैठी उनकी पत्नी ने मुझे इशारा करते हुये कहा ? आप पैसे मत देना! में वहा पर बहुत असमंजस में फस गया क्या किया जाये। बात तो मुझे पहले ही समझ में आ गई थी जब उनसे हमने नमस्ते की थी उनके मुंह से शराब की गंध आ रही थी। लेकिन वहा से भाग नही सकता था। क्योंकि मुझे बाइडिंग करवानी थी। उनकी पत्नी का इशारा समझ गया। कि एक छोटी सी दुकानदार है। साथ में उनके तीन बच्चे भी वही खेलते दिख रहे थे। तो पत्नी सोच रही थी कही यह पैसे पति देव के हाथ में पहुंचे तो फिर घर का खर्च बच्चों की पढ़ाई के लिए तथा जीवन यापन के लिए कहा से पैसे आयेगे। ऐसे ही पूरे पैसे शराब में उड़ाते जायेगे। यह सब नज़ारा देखकर सुनकर समझकर मेरा मन बहुत कुण्ठित हुआ। लेकिन कर भी क्या सकता था  *पैसे नही देता तो दुकानदार नाराज़ दे देता तो पत्नी नाराज़*। हे ईश्वर मुझे किस संकट में डाल दिया है। दुकानदार बोले आप अभी पचास रूपये जमा कर दीजिए लेकिन उनकी मुंह  से शराब की गंध आ  रही थी। तो हमने पत्नी को ओर देखा और मुझे अनेक बहाने बनाने के बाद तीस रूपये देने ही पड़े।
      कैसे सुधार होगा कि नशा करना बंद हो जाये।

रचनाकार:-
नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725
[15/03, 5:10 p.m.] Neetendra singh parmar: 1222x4

लगाओ रंग हमजोली,
मनायें आज हम होली।
[15/03, 5:45 p.m.] Neetendra singh parmar: *चौकड़िया होली*

राधा सांवरिया से बोली,मिलजुल खेले होली।
लाल गुलाल लगा गालन पे,सूरत लगवे भोली।।
मुरलीधर के संग में निकली,ग्वाल बाल की टोली।।
भारत ने घनश्याम लला पे,डाली रंग की झोली।।


नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र :- 8109643725
[15/03, 6:31 p.m.] Neetendra singh parmar: *चौकड़िया*

करो न हा हा दइया,जो तन अब न मिल है भइया।
धन दौलत और सोना चांदी,साथ न जाय रुपइया।
बिगड़ी दशा हमारे घर की,रोड पे फिरती गइया।।
प्रभु से नेह लगा लो प्यारे,भव से पार लगइया।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
[15/03, 10:47 p.m.] Neetendra singh parmar: बहर:- 212 212 212 212
काफ़िया:-ई।
रदीफ़- रही रात भर।

ख़त पुराने जलाती रही रात भर।
अश्क अपने बहाती रही रात भर।।
[16/03, 8:54 a.m.] Neetendra singh parmar: *मनहरण घनाक्षरी छंद*

भूमिका:-
लड़का/लड़की के गुण देखे नई तकनीक के साथ:-

हो रहे हैरान आप,ढूंढने को वर वधु।
कुंडली को छोड़ अब,थोड़ा सा पसिजिए।
देखना चरित्रवान कैसे होगे वर वधु।
फेसबुक पोस्ट पे ही जरा ध्यान दीजिए।।
कुंडली से ज्यादा गुण पता करना हो यदि।
व्हाट्स ऐप वाला एक नम्बर आप लीजिए।
छत्तीस से गुण ज्यादा देखने मिलेंगे तुम्हे।
तकनीकी विधि आप उपयोग कीजिए।।

*___ नीतेन्द्र भारत*
[16/03, 8:58 a.m.] Neetendra singh parmar: देखना चरित्रवान गुणवान ज्ञानवान।
फेसबुक पोस्ट व्हाट्स चैक कीजिए।।
[16/03, 10:49 a.m.] Neetendra singh parmar: *कहरवा*

ब्रज में होली खेले रे,मोरे प्यारे कन्हैया।
आय हाय रे,मोरे प्यारे कन्हैया।।
1:- नंदगांव संग बरसाने में,नच रये ता ता थैया रे। मोरे प्यारे कन्हैया।
ब्रज में होली खेले रे,मोरे प्यारे....

2:- राधा के संग खेले होली,और बलदाऊ भैया रे।
मोरे प्यारे कन्हैया।ब्रज में होली खेले रे,मोरे....

3:-  सखियाँ मिलजुल रंग लगावे,करवे हा हा दइया रे।
मोरे प्यारे कन्हैया।
ब्रज में होली खेले रे,मोरे.....

4:- भूली सुध बुध सबरी सखियाँ,भारत नेक गवैया रे।
मोरे प्यारे कन्हैया।
ब्रज में होली खेले रे,मोरे........

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725
[16/03, 11:11 a.m.] Neetendra singh parmar: धरो सबई धन राने,जो तन माटी में मिल जाने।।
धन दौलत को का करहो प्यारे,पेट में रोटी खाने।।
जो तन माटी में ......
[16/03, 12:38 p.m.] Neetendra singh parmar: *होली बुन्देली गीत*

राधा के संग खेले रे होली,
राधा के संग होली लाल।
मीठी मीठी बोले बोली,
राधा के संग होली लाल।।

ग्वाल बाल सखियाँ जुर आयी।
लाल गुलाल की होली भायी।।
बृज ग्वालन की संग में टोली।
राधा के संग होली लाल।।1।।

भांग धतूरा पीलो प्यारे।
शिव शंकर जी हमे निहारे।।
सूरत दिखवे भोला की भोली।
राधा के संग होली लाल।
राधा के संग खेले रे होली,
राधा के संग होली लाल।।2।।

जमुना को गंगाजल नीको।
सानी नइया कोऊ ईको।।
मनमोहन *भारत* हमजोली।
राधा के संग होली लाल।
राधा के संग खेले रे होली,
राधा के संग होली लाल।।3।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725
[17/03, 10:23 a.m.] Neetendra singh parmar: *ग़ज़ल*

बहर:- 212 212 212 212
काफ़िया:-ई।
रदीफ़- रही रात भर।

मातु नींदे लुटाती रही रात भर।
रोज सुख से सुलाती रही रात भर।।

आंख नम जो हुई मात घबरा गई।
मात लोरी सुनाती रही रात भर।।

सर्द मौसम भला क्या बिगाड़े यहा।
मात आँचल उड़ाती रही रात भर।।

हम हुये दूर जो माँ तो रोने लगी।
पास अपने बुलाती रही रात भर।।

जिंदगी की हकीकत बताये मुझे।
मार्गदर्शन कराती रही रात भर।।

शौर्यता की कहानी सुनाती मुझे।
दीप जगमग जलाती रही रात भर।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725
[18/03, 7:54 a.m.] Neetendra singh parmar: *ग़ज़ल बुन्देली*

रंग लगाये यार आज हम होली में।
गाये फाग मल्हार आज हम होली में।।

जीजा जी जू पे डालती सारी जू अब रंग।
मुख देखे मुस्काय आज हम होली में।।

गोबर,कीचड़ में धरे जबरन हमरे वस्त्र।
खड़े खड़े बतयाय आज आज हम होली में।।

भाभी जू के मूड पे डालो रंग अबीर।
काले गोरे दिखाय आज हम होली में।।


दौड़े भागे गिर परे पकड़ के ले गये राम।
राधे श्यामा गाये आज हम होली में।।

नीतेन्द्र सिंह परमार "भारत"
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )

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