प्रस्तुत तांका...... ॐ जय माँ शारदा......!
तांका विधा की जानकारी --- तांका का शाब्दिक अर्थ हैं - *लघु गीत* या *छोटी कविता* जो मात्र 31 वर्ण में सम्पूर्ण हो जाती है। यह जापानी विधा 05, 07, 05, 07, 07 के वर्णानुशासन से बँधी हुई पंचपदी कविता हैं जिसका भाव पहली से पांचवी पंक्ति तक बना रहता हैं। अंतिम दो पंक्ति में तुकांत मिल जाये तो सोने पे सुहागा। लयविहीन काव्यगुण से शून्य रचना, छंद का शरीर धारण करने मात्र से तांका नहीं बन सकती।
"तांका"
गाँव के गाँव
वीरान खलिहान
सूखते वृक्ष
संध्या संग प्रदीप
टिमटिमाते दीप।।
अधूरे ख्वाब
लुढ़कती जिंदगी
जीने की आशा
संध्या सरोज सगी
उम्र ढलने लगी।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
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