Sunday, March 17, 2019

Gazal By Neetendra singh parmar

*ग़ज़ल*

बहर:- 212 212 212 212
काफ़िया:-ई।
रदीफ़- रही रात भर।

मातु नींदे लुटाती रही रात भर।
रोज सुख से सुलाती रही रात भर।।

आंख नम जो हुई मात घबरा गई।
मात लोरी सुनाती रही रात भर।।

सर्द मौसम भला क्या बिगाड़े यहा।
मात आँचल ओढ़ाती रही रात भर।।

हम हुये दूर जो माँ तो रोने लगी।
पास अपने बुलाती रही रात भर।।

जिंदगी की हकीकत बताये मुझे।
मार्गदर्शन कराती रही रात भर।।

शौर्यता की कहानी सुनाती मुझे।
दीप जगमग जलाती रही रात भर।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725

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