होली की शुभकामनाएं,
नई सी तरंग लगे, अंग अंग रंग लगे
आया आया आज देखो, होली का त्योहार है।
प्रेम की बयार बहे, हवा में गुलाल उड़े
आज तो फ़िज़ाओं में भी, रंगों की फुहार है।।
आओ मुनहार करें, रंगों की बौछार करें
प्रीत का ये पर्व गोरी, असली श्रंगार है।
तू भी मुझे रंग डाले, मैं भी तुझे रंग डालूं
तेरी मेरी प्रीत का तो, रंग ही आधार है।।
होलिका दहन पर खास छंद,
भारती के भाल पर, जब जब भी किसी ने
आतंक के नाम पर, आँख जो उठाई है।
रणबाकुरों ने फिर, जान की है दी आहूति
लाज भारती की निज, खून से बचाई है।
पाक ने तो छिप कर, चालीस को मार डाला
पर अपनी ही खुद, शामत बुलाई है।
रंग खेलें भारत में, हम तो जरूर यारों
पर बालाकोट में तो, होलिका जलाई है।।
क़ासिद देहलवी
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