◆ नील छंद ◆
विधान~[(भगण×5)+गुरु ]
211 211 211 211 211 2
16वर्ण,यति ,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत।
हे प्रभु साधक साधन साधत हार गये।
केवट से चरणोदक पाकर पार भये।।
गौतम नार सुहावन हो पिय पास चली।
नित्य निहारत सो शबरी उर आस पली।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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