*◆मत्ता छंद◆*
शिल्प~ [(मगण भगण सगण)+गुरु]
प्रतिचरण 10 वर्ण, चार चरण,
दो-दो चरण समतुकांत।
यति प्रायः 4, 6 वर्ण पर।
222 211 112 2
चापौं भोले,चरण तिहारे।
दीजे मोहे , शरण सहारे।।
गंगा धारी, सुमिरत जाऊँ।
दाता संभू,निशदिन गाऊँ।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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