Wednesday, May 22, 2019

एकावली छंद - सोम जी


◆ एकावली छंद ◆

शिल्प~ प्रति चरण 10 मात्राएँ
            [5-5 पर यति]

राम का,नाम ले।
              अक्ल से,काम ले।।
मान जा, तू कही।
              बात  है , ये  सही।।
छलकपट, यूं न कर।
               तू जरा ,सोच नर।।
रख रहा, जोड़कर।
              पर नही ,ये खबर।।
तेरा न ,कुछ यहाँ।
               जा रहा, तू कहाँ।।
तुझे कुछ, भी नहीं।
             सब यहीं ,का यहीं।।
इसलिए"सोम"रे।
             जपो हरि ,ओम रे।।

           ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

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