जय माँ शारदे
*◆रमेश छंद◆*
विधान~ [नगण यगण नगण जगण]
( 111 122 111 121 )
12 वर्ण, 4 चरण
[दो-दो चरण समतुकांत]
तरसत नैना अब प्रिय श्याम।
रुचत न मोहे घर कुछ काम।।
चितवत बांका अनुपम रूप।
नमन करूँ सेवहुँ सुरभूप।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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