Monday, May 27, 2019

ग़ज़ल दशरथ सिंह ठाकुर जी

,,,,गजल,,,

उनको मलाल दिल का सुनाएं तो किस तरह।
आँखों में अपनी अश्क छुपाएं तो किस तरह।।

उन नरगिसीआँखोंके सागर को चुम कर,।
हम लड़खड़ाए इतने कि संभलें तो किस तरह।।
उनको मलाल......

छुपे हमसफर मेरे जमाने कीभीड़ में।
महरुम होके जश्न मनाएं तो किस तरह।।
उनको मलाल.......

चाहा जिसे नजर ने तमाम उम्र से।
दिल से ख्याल उनका भुलाएं  तो किस तरह।।

      ,,दशरथ सिह ठाकुर ,,हाँसल पुर..महू

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