जो है हम वा आपसे , उत्तम , श्रेष्ठ जहान ।
वही कल्पना , भावना , आत्मरूप है जान ।।
आत्मरूप है जान, उसे ही अब थिर करिए ।
अकथनीय,सुविचित्र,परस्थिति यह अनुसरिए।।
कह"अनंग"करजोरि, बिना अपने जग को है ।
यही शुद्ध वेदांत , भावना ऐसी जो है ।।
अनंग पाल सिंह भदौरिया"अनंग"
आप सभी के लिए एक नये रूप में। साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक जानकारी। प्रदेश अध्यक्ष नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत " विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
Saturday, May 18, 2019
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