*◆ कनक मंजरी छंद ◆*
शिल्प~
[4 लघु+ 6भगण (211)+1गुरु] = 23 वर्ण
चार चरण समतुकांत]
या
{1111+211+211+211
211+211+211+2}
अनहक ही मनमोहन छेड़त
नीति भरे कछु ढंग नहीं।
चल हट मैं इकली सुन केशव
हैं सखियाँ सब संग नहीं।।
नटखट रे मधुसूदन माधव
मोहि करो अब तंग नहीं।
छलबल मैं नहि जान सकूँ कछु
भावत श्यामल रंग नहीं।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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