*गज़ल*
काफिया:- *आ*
रदीफ़:- *दे मुझे*
*बहर:-(२१२-२१२-२१२-२१२)*
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प्यार करना वतन से,सिखा दे मुझे।।
जान करदूं निछावर,वता दे मुझे।।
*(१)*
साख से टूट कर , मै बिखर जाऊंगा।।
राह में सैनिकों की,बिछा दे मुझे।।
*(२)*
ये जमाना भुला दे न,मुझको कभी ।।
कागजों में कहीं ,तो छुपा दे मुझे।।
*(३)*
जोश मेरी जवानी का,दुगना हुआ।।
आँख कोई दरिंदा दिखा दे मुझे।।
*(४)*
खास अरदास मेरी है,तुझसे खुदा ।।
तीन रंग का तिरंगा,उढ़ा दे मुझे।।
*(५)*
भाग्यशाली हुये *शिव*, वतन ये मिला।।
राम की धूल माथे लगा दे मुझे।।
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🌹 *शिव गोविन्द सिंह*🌹
आप सभी के लिए एक नये रूप में। साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक जानकारी। प्रदेश अध्यक्ष नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत " विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
Friday, May 3, 2019
ग़ज़ल शिव गोविंद सिंह
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