Sunday, May 19, 2019

शिखीरिणी छंद "सोम" जी

*◆ शिखरिणी छंद ◆*
विधान~
[यगण मगण नगण सगण भगण+लघु गुरु]
(122  222 111  112  211 12)
17 वर्ण, यति 6,11वर्णों पर, 4 चरण
[दो-दो चरण समतुकांत।]

चला  लेके सीता, सठ रुक अभी युद्ध कर रे।
अनाचारी  पापी,  ठहर  मन  में   दुष्ट   डर रे।।
अरे लोभी कामी, अधम  छल से सीय हरके।
अभी  तेरा  होगा, मरण खल ये काम करके।।
                             *~शैलेन्द्र खरे"सोम"*

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