*◆ नील छंद ◆*
विधान~[(भगण×5)+गुरु ]
211 211 211 211 211 2
16 वर्ण,यति, 4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत।
पावन हैं गुणगावन हैं सुखसावन हैं।
श्रीगुरुदेव लगें मुझको मनभावन हैं।।
दर्शन पाकर शिष्य कहें सुखसागर हैं।
बूँद भरें अब ज्ञान भरी हम गागर हैं।।
©मुकेश शर्मा "ओम"
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