सबके अन्दर बसे हैं , अमर पुरी सुरलोक ।
स्वर्ग इसीका नाम है , यहाँ नहीं भय,शोक ।।
यहाँ नहीं भय,शोक,यहाँ सुख का बजार है ।
बाहर कोई वस्तु , नहीं सुख का प्रकार है ।।
कह"अनंग"करजोरि,विषय वासना समुन्दर ।
मत डूबो, उतराउ , स्वर्ग है सबके अन्दर ।।
अनंग पाल सिंह भदौरिया"अनंग"
आप सभी के लिए एक नये रूप में। साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक जानकारी। प्रदेश अध्यक्ष नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत " विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
Friday, May 17, 2019
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