Monday, December 23, 2019

सीता छंद विधान

वर्णिक छंदों का वाचिक प्रयोग ===============
      कुछ छंदों में वर्णों की संख्या निश्चित होती है, इन्हें वर्णिक छंद कहते हैं। इनमें से कुछ वर्णिक छंदों में वर्णों का मात्राभार भी सुनिश्चित होता है, इन्हें वर्णवृत्त कहते हैं। वर्ण वृत्तों की एक निश्चित वर्णिक मापनी भी होती है जिसमें गुरु के स्थान पर दो लघु प्रयोग करने की छूट नहीं होती है, इसलिए इन्हें मापनीयुक्त वर्णिक छंद भी कह सकते हैं। मापनीयुक्त वर्णिक छंदों अर्थात वर्णवृत्तों में यदि गुरु के स्थान पर दो लघु प्रयोग करने की छूट ले ली जाये तो छंद को रचना बहुत सरल हो जाता है और वह नये रूप में वर्णिक छंद का वाचिक रूप होता है। इस रूप में इन छंदों का प्रयोग गीत, गीतिका, ग़ज़ल, मुक्तक, भजन, कीर्तन और फिल्मी गानों में बहुलता से हो रहा है और यह प्रयोग बहुत ही लोकप्रिय सिद्ध हुआ है। मापनी युक्त वर्णिक छंदों या वर्णवृत्तों को वाचिक रूप में प्रयोग करना शास्त्र सम्मत है भी या नहीं? इस प्रश्न पर विचार करें तो हम पाते हैं कि हमारे पारंपरिक छंद शास्त्र में स्वयं इस प्रकार के प्रयोग किए गये हैं।  अनेक मात्रिक छंद वस्तुतः मापनीयुक्त वर्णिक छंदों या वर्णवृत्तों के वाचिक रूप ही है। इससे स्पष्ट है कि ऐसा प्रयोग करने की अनुमति हमारा छंद शास्त्र देता है। तथापि किसी वर्णिक छंद का वाचिक रूप में प्रयोग करते समय यह अवश्य परख लेना आवश्यक है कि इस परिवर्तन से छंद का मूल स्वरूप विकृत न होने पाये। हम केवल उन्हीं वर्णिक छंदों को वाचित रूप में प्रयोग कर सकते हैं जिनकी मूल प्रकृति ऐसा करने से अक्षुण्ण बनी रहती है। आइए अब कुछ उदाहरणों के माध्यम से ऐसे प्रयोगों पर दृष्टिपात किया जाये-

सोदाहरण व्याख्या-

(1) सीता
यह एक 'मापनीयुक्त वर्णिक छंद' है, जिसमें वर्णों की संख्या निश्चित होती है अर्थात किसी गुरु 2 के स्थान पर दो लघु 11 प्रयोग करने की छूट नहीं होती है। ऐसे छंद को 'वर्ण वृत्त' भी कहा जाता है। इसका विधान निम्नप्रकार है -
वर्णिक मापनी - 2122 2122 2122 212
वर्णिक लगावली- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा
पारंपरिक सूत्र - राजभा ताराज मातारा यमाता राजभा (अर्थात र त म य र) 
जबकि य म त र ज भ न स ल ग क्रमशः यगण, मगण, तगण, रगण, जगण, भगण, नगण, सगण, लघु और गुरु को व्यक्त करते हैं।

सीता छंद का उदाहरण -
शीत ने कैसा उबाया, क्या बताएं साथियों!
माह दो कैसे बिताया, क्या बताएं साथियों!
रक्त में गर्मी नहीं, गर्मी न देखी नोट में,
सूर्य भी देखा छुपा-सा कोहरे की ओट में।
- ओम नीरव

      अब यदि इस छंद में गुरु के स्थान पर दो लघु का प्रयोग किया जाये तो हम इसे वाचिक सीता छंद कहेंगे जो मात्रिक छंद गीतिका के नाम से हमारे छंद शस्त्र में पहले से उपस्थित है। इसका विधान निम्नप्रकार है-
गीतिका (26 मात्रा, 14,12 या 12,14 पर यति उत्तम)
वाचिक मापनी – 2122 2122 2122 212
वाचिक लगावली- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा

गीतिका छंद का उदाहरण -
शब्द के संग्राम में तलवार है यह गीतिका,
कायरों पर सिहनी का वार है यह गीतिका।
विश्व में हिन्दी हमारे राष्ट्र की पहचान है,
गीतिका में हिन्द-हिन्दी का अमित सम्मान है।
- राहुल द्विवेदी स्मित

उर्दू ग़ज़लों में इस छंद की मापनी को इसप्रकार लिखा जाता है-
उर्दू मापनी- फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
उर्दू बहर- बहरे रमल मुसम्मन महज़ूफ़
और इसप्रकार छंद वाचिक सीता अथवा मात्रिक गीतिका पर आधारित ग़ज़लों का बहुलता से सृजन किया जाता है।
वाचिक सीता या गीतिका छंद पर रचित दुष्यंत कुमार की एक ग़ज़ल का मुखड़ा दृष्टव्य है-
गीतिका छंद पर आधारित एक शेर -
एक गुड़िया की कई कठपुतलियों में जान है,
आज शायर यह तमाशा देखकर हैरान है ।
- दुष्यंत कुमार

      इसी वाचिक सीता या गीतिका पर अनेक फिल्मी गानों का सृजन भी किया गया है, जैसे -
गीतिका छंद पर आधारित फिल्मी गीत -
1. चुपके' चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है
2. आपकी नज़रों ने’ समझा प्यार के काबिल मुझे

इसी क्रम में हम कुछ और उदाहरण संक्षेप में प्रस्तुत करते हैं जिनमें वणिक छंदों को वाचिक रूप में प्रयोग किया गया है-

प्रिय मित्रों, सीता छंद लिखें  तो उसमें लघु के स्थान पर लघु और गुरु के स्थान पर गुरु ही रखें यानि

2122 2122 2122 212 निश्चित शब्द ।

इसी छंद में अगर  गुरु के स्थान पर दो लघु का प्रयोग करने की अनुमति लें तो वह गीतिका छंद बन जाता है।

दोनों तरह से चार चार चरण लिखने का प्रयास करें। दो दो चरण समतुकांत। सधे हुए हिंदी शब्द युक्त।

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