Thursday, December 21, 2023

हमारा मान, हमारी पाग (साफा) - कुँवर अजय सिंह परिहार

हमारा मान, हमारी पाग (साफा)

    ऐसी मान्यता है कि कपड़े व्यक्ति की शान बढ़ाते हैं, व्यक्ति कपड़ों की। साफा य पाग भी एक ऐसा पहनावा है जो व्यक्ति को मान प्रदान करता है। साफा कई तरीक़े से बांधा जाता है, सब जगह अलग-अलग नामों से संबोधन होता है। जैसे :-
मारवाड़ - साफा
मेवाड़ - पाग
जैसलमेर - फेंटा
गुजरात - पागड़ी/पागड़ा
अपने यहां - मुड़इंठा (मूड़ + ऐंठा)
सब के अपने बांधने (कसने) के तरीके। एक कहावत है :-

" गान, रसोई, पाग।
  कभी-कभी बन जात।।"

साफा बंधन से चेहरे की भव्यता बढ़ जाती है. मान बढ़ जाता है, सर बड़ा लगने लगता है।

सिर बड़ा सरदार का
पैर  बड़ा  गमार  का।

  साफा के विभिन्न प्रकार बाजार में उपलब्ध हैं - चुनरी, लहरिया, मूठड़ा, इकरंगा, तिरंगा, पंचरंगी, गोटेदार आदि आदि.....।

साफा बांधने के कई फायदे हैं/थे।
1- सोलह हाथ लंबा होने के कारण ओढ़ना-बिछाना भी हो जाता।
2 - घुड़सवारी मे हेलमेट का काम।
3 - कुंएं आदि से पानी खींचने का काम
4 - चेहरे की भव्यता और पहचान प्रदान करना।

  नियमतः अपना साफा किसी को नहीं देना चाहिए, ना ही दूसरे का साफा अपने कसना चाहिए। पिता का साफा पुत्र को कदापि नहीं बांधना चाहिए। फटे साफा से परहेज किया जाता था। साफा हमारी शान है, इज्जत बचाने के लिए (समर्पण भाव) अपनी पगड़ी, साफा दूसरे के चरणों में रख दिया जाता था। किसी के बेइज्जती के लिए मुहावरा बना है 'पगड़ी उछालना'। अयोध्या के आसपास के क्षत्रियों ने राममंदिर न बनने तक नंगा सर रहने का संकल्प लिया था जो अब पूरा होने जा रहा है। पुराने जमाने में तो साफा पगड़ी गिरवी रखने तक के उदाहरण मिलते हैं। 

   वर्तमान में सारे निषेध ध्वस्त हैं, अब साफा व्यवसाय से जुड़ गया है। हर सुअवसर पर किराए से उपलब्ध हैं, कौन/ किसका/ कैसा/ नया/पुराने/फटा साफा से कोई मतलब नहीं। भरे सुअवसर पर व्यवसायी आपका साफा उतरवा लेते हैं। अब तो महिलाएं भी साफा पहनने लगीं हैं जो उचित नहीं, महिलाएं घूंघट मे मर्यादित-सम्मानित लगती हैं। कोई प्रहसन अभिनय हो तो बात अलग। वर्तमान में साफा बांधकर सड़कों मे महिला-पुरुष भौंड़े नृत्य करते हैं। जबकि साफा की अपनी गरिमा है।

उपरोक्त बातें अपनी समझ के अनुसार वर्णित किया है मेरा उद्देश्य किसी को दुखी करने का ना है। क्षमा के साथ



अजय सिंह परिहार

Monday, December 18, 2023

मत्ता छंद - शैलेंद्र खरे 'सोम'


◆मत्ता छंद◆

विधान   ~  मगण भगण सगण)+गुरु
गण सूत्र ~  222    211    112  2
प्रतिचरण 10 वर्ण, यति प्रायः 4, 6 वर्ण पर।
चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत।

उदाहरण

चापौं भोले, चरण  तिहारे।
दीजे  मोहे , शरण  सहारे।।
गंगा   धारी, सुमिरत  जाऊँ।
दाता   संभू, निशदिन गाऊँ।।    

    शैलेन्द्र खरे "सोम"


Saturday, December 2, 2023

छतरपुर नगर के युवा कवि नीतेंद्र सिंह परमार "भारत" को जनचेतना साहित्य प्रेरणा सम्मान से सम्मानित किया गया।

छतरपुर नगर के युवा कवि नीतेंद्र सिंह परमार "भारत" को जनचेतना साहित्य प्रेरणा सम्मान से सम्मानित किया गया।

लखनऊ, विश्व विद्यालय द्वितीय परिसर के ज्यूरियस हॉल, प्रशासनिक भवन में  विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत का पाँचवाँ वार्षिकोत्सव एवं सम्मान समारोह विगत 30 नवम्बर को प्रातः 11:00 बजे से आ. सुशीला धस्माना 'मुस्कान की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। जिसमें विभिन्न प्रांतों से आए 28 कवियों, कवियित्री को शाल , शील्ड, आमंत्रण-पत्र, सम्मान-पत्र, देकर 
 सम्मानित किया गया। समारोह में आ. राहुल शुक्ल साहिल', राजेश मिश्र 'प्रयास' डॉ. शरद श्रीवास्तव 'शरद', आ. गीतांजलि वार्ष्णेय 'सूर्यांजलि' इंजी.हेमन्त कुमार 'सिंघई', आ. शैलबाला कुमारी के प्रतिनिधि जे. आर. सैनी को स्मृति सम्मान-2023 से सम्मानित किया गया। वहीं आ. नीतेन्द्र कुमार सिंह परमार 'भारत', पं. सुमित शर्मा ' पीयूष' आ. ओम प्रकाश फुलारा 'प्रफुल्ल' को साहित्य प्रेरणा सम्मान- 2023 से गौरवान्वित किया गया। आ. शरद कुमार श्रीवास्तव 'शरद' जी को राष्ट्रीय प्रवक्ता, आ. सुशीला धस्माना 'मुस्कान' राष्ट्रीय अध्यक्ष संरक्षक मण्डल, आ. संतोष कुमार 'प्रीत' को राष्ट्रीय अध्यक्ष, आ. नीतेंद्र सिंह परमार 'भारत' को राष्ट्रीय कार्यक्रम संचालक नियुक्त करते हुए सभी को नियुक्ति-पत्र प्रदान किए गए। आ. दिनेश अवस्थी जी को शब्द रत्न पुरस्कार -2023 से सम्मानित किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि आ. बंशीधर सिंह विभागाध्यक्ष विधि संकाय लखनऊ विश्व विद्यालय , विशिष्ट अतिथि आ. अमृत बिसारिया(दुबई), संचालन डॉ. शरद कुमार श्रीवास्तव जी ने किया।
द्वितीय सत्र भोजनावकाश के बाद में प्रारम्भ हुआ जिसमें पं. सुमित शर्मा 'पीयूष'ने "सच बात मेरे मन की सुनाता हूँ लाड़ली, बताता हूँ लाड़ली ", संतोष कुमार 'प्रीत' ने "अक्षरों का ले सहारा, हृदय का उदगार लिखना ", गीता गंगवार ने "हार हो सामने वीर हटते नहीं, दूर हो लक्ष्य कर्मठ थकते नहीं ", सुशीला धस्माना 'मुस्कान' ने "धरा राम की है उन्ही की रहेगी, ध्वजा राम की देखो छूती शिखर है ", नीतेंद्र परमार भारत ने द्वितीय सत्र का संचालन करते हुए "बढ़ रहीं कुछ खास नस्लें, अब हमारे देश में ", राजेश मिश्र प्रयास ने "अटल विश्वास सा सहचर कोई अभिराम आ जाता ", तीर्थ देव शर्मा 'सरल'ने "श्रीराम प्रभु की महिमा, सब जानते हैं जानेगें, सीता माँ की त्याग लीला, को कैसे पहचानेंगे ",
ओम प्रकाश फुलारा 'प्रफुल्ल' ने "मुर्दो को पदवी मिलती है", ब्रजमोहन श्रीवास्तव 'साक्षी' ने " प्रेम ही प्यार का एक सन्देश है, प्रेम ही धर्म ग्रंथो का उपदेश है ", अमृत बिसारिया जी ने"स्वाद को स्वाद आए थोड़ा नजाकत से ", डॉ. शरद कुमार श्रीवास्तव ने "जिंदगी तो मुस्कराना चाहती है ", प्रसन्नबदन चतुर्वेदी ने "पत्थर हुआ इंसान, अब इंसानियत दिखती नहीं "अरविन्द कुमार मिश्रा ने निर्वस्त्र बनाकर नारी को, खुले गीधजन घुमा रहे हैं " राहुल शुक्ल 'साहिल' ने "दिल भी खुशनुमा रात रंगीन है "डॉ. आलोक कुमार यादव ने "चलो फिर गैर से रिश्ता निभाकर देख लेते हैं ", कंचन सिंह परिहार ने "हरि बिनु कौन यहाँ प्रभु तेरा "निशा श्रीवास्तव ने "प्रेम नहीं आसां होता है, पूछे कोई मीरा से "रोहित मिश्रा ने "हिन्दोस्ता हमारा, हिन्दोस्ता हमारा "अभिलेखा श्रीवास्तव ने "दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है ",आयोजक मण्डल के डॉ. आलोक कुमार यादव, गीता गंगवार, एडवोकेट संजय सिन्हा, बशीधर सिंह विभागध्यक्ष विधि संकाय को नीतेन्द्र सिंह परमार 'भारत' ने मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर के प्रतीक देकर सम्मानित करने का काम किया।
इस अवसर पर लखनऊ व बाहर से आए काफ़ी संख्या में काव्यानुरागिओं ने सम्मिलित होकर काव्य रस का आनंद लिया।


प्रदेश अध्यक्ष
नीतेंद्र सिंह परमार 'भारत'
छतरपुर, मध्यप्रदेश
मो.नं. 8109643725

'कात्यायनी' काव्य संग्रह का हुआ विमोचन। - छतरपुर, मध्यप्रदेश

'कात्यायनी' काव्य संग्रह का हुआ विमोचन।  छतरपुर, मध्यप्रदेश, दिनांक 14-4-2024 को दिन रविवार  कान्हा रेस्टोरेंट में श्रीम...