Monday, December 31, 2018

Important Nursing

*ESIC Recruitment for Staff Nurse Post*
*Vacancies:* _1320 Posts_
*Category: * _Central Govt Jobs_
*Qualification: * _Diploma, Degree_
*Salary: * _Rs.70,000+/-_
*Selection: * _Written, Interview_
*Last Date: * _21.01.2019_
*_Online Application Link Open You Can Apply Now Click link below*_
 https://cdn.tcsion.com/EForms/html/form58861/Instruction.html
 https://www.esic.nic.in/recruitments
*Download the Android app and prepare offline*
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.iroid.android.gk4success_staffnurse
*Anatomy and Physiology*
_Questions :1920_
*Fundamentals of Nursing*
_Questions:1796_
*Medical Surgical Nursing*
_Questions:4367_
*Obstetrics and Gynaecology*
_Questions: 3109_
*Community Health Nursing*
_Questions: 1502_
*Biochemistry & Nutrition*
_Questions : 766_
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.iroid.android.gk4success_staffnurse
*Child Health Nursing*
_Questions: 1801_
*Mental Health/Psychiatric Nursing*
_Questions :1454_
*Pharmacology*
_Questions: 830_
*Microbiology*
_Questions 851_
*Psychology*
_Questions : 132_
 *Nursing Research, Education & Administration*
_Questions: 552_
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.iroid.android.gk4success_staffnurse
*_Solved Previous Question Papers_*
*AlIMS Bhopal Senior Nursıng Officer 2018*
*AlIMS Bhubaneswar Nursing Officer 2018*
*AIMS Bhopal Nursing Officer (Shift I) 2018*
*Banaras Hindu University 2018*
*RAK MSc Nursing Entrance  2018*
*RUHS MSc Nursing Entrance Examination 2018*
*AllMS New Delhi Nursing Officer 2018 (Memory Based)*
*AlIMS Bhopal Nursing Officer (Shift l) 2018 (Memory Based)*
*AlIMS Jodhpur Senior Nursing Officer (Grade I) 2018*
*And 76 more solved papers*
*100* Model papers
*Latest current affairs*
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.iroid.android.gk4success_staffnurse
 
*_Features of the app_*
Completely OFFLINE
Night mode available
Study whereever you are
Unlimited quality questions
MCQ & Objective mode
https://play.google.com/store/apps/details?id=com.iroid.android.gk4success_staffnurse

नया बर्ष 2019

सभी मित्रों को नूतन वर्ष की सपरिवार हार्दिक बधाई🌷🍁🌺🌸🍂🍁🍃🌹💐💐👏👏👏👏

◆गीत◆

सबको सहर्ष शुभ नया वर्ष
             उत्कर्ष मयी अति पावन हो
यश बेशुमार लह सार-सार
               वैभव अपार मनभावन हो....

जन-जन विभोर,शुभ सुखद भोर,
       हो क्षितिज छोर तक खुशहाली।
खुशियाँ अशेष, हों देश-देश
           जग में विशेष आभा आली।।
हों सदा साथ,जानकीनाथ,
            जीवन सबका ज्यों चन्दन हो....

कमियाँ सुधार,हम बार-बार,
             मत मानें हार है जो सपना।
हिय में हुलास,रख मन मे आस,
           फिर से प्रयास होगा अपना।।
ये जन्म धन्य, सब हों प्रसन्न,
             किंचित न दुखी कोई मन हो....

कैसी शिकस्त,सब रहें मस्त,
           प्रभु वरद हस्त की छांव तले।
नित-नित निखार,पग-पग बहार,
             सन दो हजार उन्नीस फले।।
सब हों निरोग,दुनिया के लोग,
           सुखमय सबका ही जीवन हो....

                          ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

सद्भावना बार्षिक उत्सव वनारस उत्तरसदभावना्- नीतेन्द्र सिंह परमार भारत














तारीख 30/12/2018 को
सद्द्भावना साहित्यिक समिति के मासिक गोष्ठी की  वार्षिकोत्सव बड़े ही धूमधाम से साक्षी लान न्यूकॉलोनी शिवपुर में मनाया गया। जिसमें शहर के जाने माने कवि, साहित्यकार, पत्रकार, समाजसेवक व चिकित्सक भी शामिल रहे। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए लोगो को सम्मानित भी किया गया। सभा की अध्यक्षता हर्ष बर्धन ममगाई जी ने किया। मुख्य अतिथि पदमपति शर्मा, विशिष्ट अतिथि मुर्तजा आलम, दीनानाथ रंग जी, सुकुमार जी(पूर्व जज) पवन रघुवंसी जी, पूजा यादव जी रहे। कार्यक्रम की शुरुवात संस्था के अध्यक्ष डॉ0 लियाकत अली ने अतिथि परिचय के साथ किया। तथा माँ सरस्वती की वंदना आ० शिब्बी ममगाई जी ने की तथा कवि गोष्ठी का *संचालन छतरपुर मध्यप्रदेश से आये कवि नीतेन्द्र सिहं परमार 'भारत' जी ने किया।*
इन सभी साहित्यकारों ने अपनी इस महायज्ञ में अपनी आहूति दी:-
आ० सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध जी,राजेंद्र गुप्त बाबरा जी,शब्द आकाश जी,संतोष कुमार प्रीत जी,छतीश द्विवेदी कुण्ठित जी,योगेन्द्र नारायण वियोगी जी,मुनेन्द्र पाण्डेय मुन्ना जी,मनोज मिश्र मनु जी, राधेश्याम तिवारी सजल जी,जयप्रकाश मिश्र घानापुरी जी,शिब्बी ममगाई जी,ममता बार्ष्णेय जी,डॉ.नसीमा निशा जी,सन्ध्या श्रीवास्तव जी, शबाना जी,डॉ. रफीक आलम जी,चन्द्रभाल सुकुमार जी,डॉ. जयनाथमणि त्रिपाठी जी,गिरिधार करूण जी,डॉ.सुधाकर मणि त्रिपाठी जी,दीनानाथ द्विवेदी रंग जी,राजन जी,रामेश्वर सिंह जी,नीलिमा श्रीवास्तव जी,भुलक्कड़ वनारसी जी,आशिक वनारसी जी,राही वनारसी जी,डॉ.बैजनाथ जी एवं बिष्णु जी आदि कवि कवियित्री ने अपनी सुन्दर और सकारात्मक रचनाओं से सभी श्रोताओ का मन मोह लिया।

         प्रदेश अध्यक्ष
नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725

Thursday, December 27, 2018

डिग्री के अनुसार तकनीक का उपयोग :- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "




मुक्तक के माध्यम से आधुनिक तकनीक से जुड़े पर मेरी ओर नसीहत हैं।

*मुक्तक*

व्हाट्स ऐप वही चलाये हो,हाथ जिसके डिग्री।
फेसबुक वही चलाये,हो मास्टर की डिग्री।।
बच्चो से दूर रखना,मोबाइल नेक भारत।
ट्यूटर वही चलाये,हो पी.एच.डी की डिग्री।।


        प्रदेश अध्यक्ष
नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725

गज़ल़ :- शैलेन्द्र खरे "सोम " जी

-◆ग़ज़ल◆

निग़ाहों से  तुमने पिला  क्या दिया है
उतरता   नहीं   जाने   कैसा   नशा है

चले आओ होगी न तकलीफ़ तुमको
नहीं घर बड़ा  पर ये  दिल तो बड़ा है

किसी की दवाई  किसी को पिलाकर
बताते  हो  यूं   कुछ  नहीं  फ़ायदा है

जुदाई,   तड़पना,  तन्हाई   में   रोना
यही तो  मुहब्बत  का  यारों सिला है

नहीं    मानता   जो   बहू-बेटियों  को
वही  मुझसे   कहता  जमाना  बुरा है

हँसूँ  या  कि  रोऊँ  मैं  नाचूँ या' गाऊँ
तुम्हें  क्या ये   मेरा  निजी  मामला है

करूँ "सोम" उम्मीद किससे खुशी की
जिसे   मैंने   देखा   वही   गमज़दा है

                       ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

आ0:- शैलेन्द्र खरे "सोम" जी

-* ग़ज़ल * 

बहर-221 2122 221 2122
काफ़िया- आन
रदीफ़- लेकर

तेरे  बिना  करूँ  क्या  सारा  जहान  लेकर
जाऊँ कहाँ पे दिल का खाली मकान लेकर

माना  बड़ा  यकीं है चाहत पे फिर न जाने
रोने  लगे  लिपटकर   मेरा   बयान   लेकर

दे  दीजिये  मुझे  बस   यादें  वही  सुनहरीं
मैं  क्या  करूँ बताओ ये  आसमान लेकर

बस्ती  ये  बेईमानों   की  हर  गली अँधेरी
बैठूँ   कहाँ  शराफ़त  की  मैं दुकान लेकर

ये सोचकर  हमेशा  सोता हूँ  अश्क भरके
शायद कभी खुशी भी आये विहान लेकर

शैलेंद्र"सोम" मुझको  करने वो कत्ल आये
जिनके लिये खड़ा था हाथों में जान लेकर
               
                             ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

गज़ल़ आ० शैलेन्द्र खरे "सोम" जी

-◆ग़ज़ल◆

बहर-2122 1212 22
काफ़िया- आर
रदीफ़-मत करना

हद से ज्यादा भी प्यार मत करना
दिल  को  यूं  बेक़रार  मत करना

वक्त   हूँ   मैं   भला   रुकूँ   कैसे
देर   तक    इंतज़ार   मत  करना

एक मालिक  है  जो सुने सबकी
हर  किसी  से  गुहार  मत करना

इश्क  मीठी  तो   है  खता  यारो
फिर भी ये बार-बार  मत  करना

तैरना   ठीक   से   न  जानो  तो
गहरे दरिया  को  पार मत करना

तेरे  माँ-बाप   जो   कहें   तुझसे
बात  वो   दरकिनार  मत करना

मनचला  मैं  हवा   का  झोंका हूँ
तू   मेरा   ऐतवार    मत   करना

इश्क   की    इस   दुकानदारी में
कोई  कुछ भी  उधार मत करना

जी  न  पाऊँ  तेरे   बिना  साकी
"सोम" अब  बेखुमार मत करना

                ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

गज़ल़ :- शैलेन्द्र खरे सोम जी

-◆ग़ज़ल◆

काफ़िया- आ
रदीफ़- रहा हूँ
बह्र-12122×4

चले भी आओ कहाँ हो हमदम
                  मैं कब से तुमको बुला रहा हूँ
वफ़ा कभी जो की मैंने तुमसे
                   उसी को अब आज़मा रहा हूँ

भुला दिया मैंने दिल से तुमको
              कभी न तुम मुझको याद करना
तुम्हारी यादों का आख़िरी ख़त
                   भी आज लो मैं जला रहा हूँ

नहीं समझता जो दर्द मेरा
                    चला उसे हाले दिल सुनाने
मैं भी तो पागल हूँ एक अंधे
                  को आइना जो दिखा रहा हूँ

सहे हजारों सितम जहां के
                  शिकन न चहरे पे एक आई
जो जान लेकर भी तुम चले तो
                    अभी भी मैं मुस्कुरा रहा हूँ

गुजार दी सारी रात मैंने
                    तुम्हारे आने की आरजू में
हुई है सुब्हा जो तुम न आये
                    चराग़ दिल के बुझा रहा हूँ

निकल गए हैं करीब से वो
                  उड़ी जो खुशबू पता चला है
दिखे जहाँ तक मैं"सोम"उनको
                    बस एकटक देखता रहा हूँ

                             ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

गज़ल़ :- श्री शैलेन्द्र खरे "सोम" जी

-◆ग़ज़ल◆

काफ़िया-अर
रदीफ़- जा रहा है
बह्र-1222 1222 122

मेरे   दिल  को  दुखाकर  जा रहा है
कोई  मुझको   सताकर   जा रहा है

बिखरती  जा  रही   है  रोशनी  सी
वो जो  यूं मुस्कुराकर    जा  रहा है

हुई  अब  इसलिए नासाज़ तबियत
कोई  बिजली  गिराकर  जा रहा है

निकल आये जो आँसू क्या करूँ मैं
कोई   सपनें   चुराकर   जा  रहा है

हुई कुछ आज हरक़त संग-दिल में
मुझे  कोई     रुलाकर   जा  रहा है

फ़कत अब"सोम"क्यों रोकें उसे जो
सभी  वादे   भुलाकर   जा   रहा है

                    ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

मुक्तक _ नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "





?
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             *मुक्तक*
*[२२१~२१२२-२२१~२१२२]*

मेरा कसूर क्या है,बस प्यार ही किया है।
करता सदा जमाना,इजहार ही किया है।।
मुस्कान देख उसकी,घायल करें जिगर को।
उसने अभी अभी तो,इकरार ही किया है।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क सूत्र:- 8109643725

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मिर्जा गालिब साहब






आज मिर्जा गालिब का जन्मदिन है।मिर्ज़ा ग़ालिब ऐसे शायर हैं जो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।आज यानी २७ दिसंबर महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की 221वीं जयंती है। मिर्ज़ा ग़ालिब  का असली नाम मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग खान था।मिर्ज़ा ग़ालिब का जन्म उस दौर में हुआ, जब मुगल सत्ता कमजोर पड़ रही थी और मिर्ज़ा ग़ालिब का जीवन बहुत ही मुश्किल हालात में गुजरा।
बॉलीवुड  और टेलीविजन पर उनके ऊपर ज्यादा काम नहीं हुआ है। बॉलीवुड में सोहराब मोदी की फिल्म ‘मिर्ज़ा ग़ालिब (1954)' यादगार थी।टेलीविजन पर गुलजार  का टीवी सीरियल ‘मिर्ज़ा ग़ालिब (1988)' भी मील का पत्थर है। मिर्ज़ा हमारे साहित्य की शान हैं।उनकी शायरी का एक उदाहरण देखिए-
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
वो चीज़ जिस के लिए हम को हो बहिश्त अज़ीज़
सिवाए बादा-ए-गुलफ़ाम-ए-मुश्क-बू क्या है
पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो-चार
ये शीशा ओ क़दह ओ कूज़ा ओ सुबू क्या है
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी
तो किस उमीद पे कहिए कि आरज़ू क्या है
हुआ है शाह का मुसाहिब फिरे है इतराता
वर्ना शहर में 'ग़ालिब' की आबरू क्या है ....

Wednesday, December 26, 2018

गरीब के साथ सेल्फी लेने का अभियान :- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "

लोग अपना कद बढाने के लिए हमेशा बड़ो के साथ सेल्फी लेते है।तो सुनो उनके साथ सेल्फी लेने से आपका कद बड़ा नही हो सकता हैं। सेल्फी उनके साथ लेकर देखो:-

                  शीषर्क:-
*गरीब के साथ सेल्फी लेने हेतु अभियान*

तन पर वस्त्र नही मिलता हैं,
छोटा सा तन ढकने को।
छप्पन भोग लगाने वाले,
नही पेट को भरने को।।
कैसा देश हमारा होगा,
चिंता बहुत सताती है।
छोटी कन्या की इज्जत जब,
घर बाहर लुट जाती है।।
कुछ तो ध्यान करों तुम उनका,
रोड किनारे लेटे है।
भीख मांगकर पेट को भरते,
आस लगाये बैठे है।।
संस्कार संस्कृति भूले,
भूले सत्य कहानी को।
लगता हमको भूल गये,
बुन्देलखण्ड के पानी को।।
जब थी रियायत तो अच्छा था,
कर्म के बदले था भोजन।
बड़ी सियासत राजनीति की,
तड़प रहा है मेरा मन।।
सच्चाई कैसे लिख दूं मैं,
क्रूर कुकर्मी अंधों पर।
राजनीति की ओढ़ दौसाला,
उनके ही छलछंदों पर।।
सेल्फी लेना है गर तुमको,
शौक चढ़ा परवान तेरा।
चिथे नुचे कपड़े जो पहने,
होगा न अपमान तेरा।।
नही गिलानी मन में रखना,
वो भी हम सम प्राणी है।
कटुता वाले वाक्य न कहते,
बोले मीठी वाणी है।।
तन उजला मन मैला मिलता,
सत्ता के रखवालो का।
बिलख रहा तन मेरा देखो,
हृदय विदारक लालो का।।
भारत देश हमारा गौरव,
गरिमा की परिपाटी जी।
भारत माँ का हृदय *भारत*,
भारत  की यह माटी जी।।

           प्रदेश अध्यक्ष
- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
  विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत
  छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
  सम्पर्क सूत्र:- 8109643725

छंद जानकारी

             ~ कुछ छन्दों की सूची ~ 
मुख्य तो सभी छंद हैं जिनकी संख्या बताना मुश्किल है,हाँ प्रचलित कुछ छंद अवश्य रख रहा हूँ,ये सूची बहुत लम्बी होगी कहाँ तक बनाई जाय पर कुछ छंद ये हैं|

1-मरहटा
2-इंदिरा
3-भृमर विलासिता
4-प्रमिताक्षरा
5-मंदाकांता
6-पृथ्वी
7-दीप
8-नील
9-शिखरिणी
10-कुसुमविचित्रा
11-भालचन्द
12-मणिमाल
13-चंचरी
14-गीतिका(वर्णिक)
15-शार्दूलविक्रीडित
16-भृन्ग 
17-मनविश्राम
18-स्रग्धरा 
19-मालिनी
20-भुजंगी
21-चम्पकमाला
22-स्वागता
23-अमृतगति
24-शालिनी
25-दोधक
26-रथोद्धता
27-कली
28-मनहरण
29-वंशस्थ
30-हरिणी
31-मंजुभाषिणी
32-भुजंगप्रयात
33-हीर
34-इंद्रवशा
35-हरिणप्लुत
36-पुष्पिताग्रा
37-आख्यानिकी
38-विपरीताख्यानिकी
39-द्रुतमध्या
40-मुरली
41-वेगवती
42-पंकजवटिका
43-प्रहरणकलिका
44-अनन्द
45-हरिलीला/मुकुन्द
46-राधिका
47-चौपइया
48-विष्णुपद
49-त्रिभंगी
50-वीर/आल्हा
51-तांडवरौद्र
52-रास
53-शंकर
54-मलयज
55-अनुकूला
56-रूपमाला/मदन
57-अहीर
58-वसन्ततिलका
59-रसाल
60-कर्ण
61-माहिया
62-ताटंक
63-वामा
64-मत्ता
65-एकावली
66-विमोहा
67-तिलका
68-शुभमाल
69-चौपई/जयकरी
70-विद्धुलेखा/शेषराज
71-सोमराजी/शंखनादी
72-उडियाना
73-नित
74-सुजान
75-मधुसार
76-बरवै
77-दिग्पाल
78-लीला द्वादस
79-सार
80-सरसी/कबीर/समुंदर
81-मुक्तामणि
82-मधुशाला/रुबाई
83-रूपमाला/मदन
84-तोटक
85-कनकमंजरी
86-कलाधर
87-चंचला
88-शोकहर/सुभंगी
89-चौपाई
90-कुंडलिनी
91-कुण्डलिया
92-रोला
93-सोरठा
94-दोहा
95-हरिगीतिका
96-सवैया(14 प्रकार)
97-घनाक्षरी(9प्रकार)
98-राधा
99-मनहरण
100-इन्द्रवज्रा
101-मौक्तिक दाम छंद
102-कुलटा
103-कुसुम
104-कुसुमवती
105-गजपति
106-गाथ
107- घनमयूर
108-चकिता
109- गिरिधारी
110-सुदर्शना
111- कुसुसमुदिता
112-सुधानिधि दण्डक
113-घनश्याम
114-सुगीतिका
115-धाम
116-संयुत
117-धुनी
118-ललना
119-हलमुखी
120-सिंहनाद
121-कुबलयमाला
122-असंबधा
123-वितानवृत
124-द्रुता
125-धारी
126-द्रुतविलम्बित
127-द्रुतपट्टा
128-द्रुतपद
129-द्रुतगति
130-सुचन्द्रप्रभा
131-सुखेलक
132-शालिनी
133-चित्रपदा
134-विजोहा
135-वसुमति
136-विमला
137-विमलजला
138-वीरवर
139-वर्ष
140-शील
141-सुगीतिका
142-मंगली
143-मञ्जरी
144-मत्तमयूर
145-मंजारी
146-दीपिकाशिखा
147-वापी
148-धार
149मनोज्ञा
150-संयुत
151-उल्लाला
152-पदम
153-पावक
154-पीनश्रोणी
155-पुट
156-पदममाला
157-शुद्ध गीता
158-अनुष्टुप
159-पंकजमुक्ता
160-पंक्ति
161-पंक्तिका
162-पंचमगति
163-पंडव
164-पवन
165-पवित्रा
166-पुण्डरीक
167-पुटभेद
168-बृहत्य
169-ब्रह्म
170-बुद्बुद
171-बिंदु
172-प्रतिभा
173-ब्रह्मरूपक
174-भूमिसुता
175-यादवी
176-यशोदा
177-शुद्ध विराट
178शारदी
179-मकरन्द
180-मनोरमा
181-भाम
182-रक्ता
183-रुगी
184-रचना
185-रञ्जन
186-रंजिता
187-रति१
188-रति२
189-रति३
190-रतिपद
191-रत्नकरा
192-रथपद
193-रतिलीला
194-रतिलेखा
195-रसना
196-रम्या
197-रमा१
198-रमा२
199-रमेश
200-रमणीयक
201-पवन
202-रति१
203-रसाल२
204-राग
205-मदकलनी
206-सुनंदनी
207-महामोदकारी
208-चंडरसा
209-रुचिरा१
210-रुचिरा२
211-रुचिरमुखी
212-पावन
213-रुक्मवती
214-रुचि
215-रामा
216-राधा
217-राधारमण
218-राजहंसी
219-माणवक्रीड़ा
220-लघुगति
221-वरूथिनी
222-लालसा

Tuesday, December 25, 2018

कुंवर विक्रम सिंह नाती राजा साहब को जन्मदिन की हार्दिक बधाई। नीतेन्द्र सिंह परमार








श्री महाराज कुंवर विक्रम सिंह नाती राजा जी को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें।

चमकती रोशनी नभ से वो तेवर आज जिंदा हैं।
नमन करता हूँ राजा को दिलो में प्यार जिंदा है।।
यही है कामना प्रभु से सदा शुभ शौर्य जीवन हो।
कभी हारे नही जग में वतन में सार जिंदा है।।




- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
  छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
  सम्पर्क सूत्र:- 8109643725

latest digital Questions in 2019










नया प्रश्न 2019 में आ सकता हैं।
जब किसी को फोन करते हैं। तो रिंग कितनी बार सुनाई देती हैं।

https://youtu.be/GxqIfsHkFyM

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
  छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )

गीत :- कवि आ० सुरेन्द्र शर्मा सुमन जी






🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁

*एक गीत आपके नाम*

यह मत पूंछो मेरे मन में कितने घाव हुए हैं।
कहाँ कहाँ से कब कैसे यारो बदलाव हुए हैं।।

जानूं परिवर्तन जीवन का,
सत्य सार होता है।
सबको स्थिरता से फिर भी,
बहुत प्यार होता है।।
जगह जगह पर अदल बदल,
इस तन के भाव हुए हैं।
कहाँ कहाँ से कब कैसे यारो बदलाव हुए हैं।।1।।



चाल अनूठी है दुनियां की,
अब तक समझ न आई।
कभी मिलन हो जाता है तो,
होती कभी जुदाई।।
कभी फसाया गया जाल में,
कभी बचाव हुए हैं।
कहाँ कहाँ से कब कैसे यारो बदलाव हुए हैं।।2।।


पड़े छोड़ना पिंजड़ा जब,
पिंजड़े से प्यार होता है।
पंछी जब निश्चिंत हुआ तब,
उस पै बार होता है।।
बढ़ा किसी से नेह *"सुमन"*,
तब ही बिलगाव हुए हैं।
कहाँ कहाँ से कब कैसे यारो बदलाव हुए हैं।।3।।

_गीतकार-सुरेन्द्र शर्मा *"सुमन"*_
   *छतरपुर मध्यप्रदेश*

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Monday, December 24, 2018

Happy Christmas day in 2018






NEETENDRA SINGH PARMAR FROM CHHATARPUR M.P 

माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी :- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "




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माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को जन्मदिन दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।



भू पर सदा चमकता था वो,
आसमान में पहुंचा हैं।
अटल बिहारी जी ने अपने,
मन से भारत सींचा हैं।।


सभी गुणों से ओत-प्रोत थे,
भारत रत्न को प्राप्त किया।
बैर द्वेष भावो को जिसने,
मन हृदय से समस्त किया।।


चार पत्रिका के संपादक,राष्ट्रधर्म,
दैनिक स्वदेश।
वीर अर्जुन व पाञ्चजन्य थी,
अटल बिहारी जी का देश।।

देश विदेशों मे जाकर करके,
परचम भी लहराया था।
राष्ट्र समर्पण भक्ति भाव को,
हृदय मध्य समाया था।।

सदा-ए-सरहद नामक वाली,
नीति भी अपनाई थी।
दिल्ली से लाहौर पाक तक,
बस सुविधा पहुंचाई थी।।

अपने घर को छोड़ चले क्यों,
स्वर्ग लोक को पाया हैं।
बिलख बिलख कर मन कुण्ठित हैं,
अवसर कैसा आया हैं।।


सबको हरदम साथ रखा हैं,
एकत्रित कर शाला में।
जाने क्यों तुम चले गये हो,
लिपट रंगीली माला में।।



अश्रु भी ना रोक सकूंगा,
बहते हैं वह जाने दो।
भूकंप आये आज जगत में,
हम सबको ढह जाने दो।।



कर्तव्य परायण महापुरुष था,
मत जनता का सुनता था।
सत्य झूठ का निर्णय करके,
फिर बातो को गुनता था।।



जीवन अपना न्योछावर कर,
संस्कार की शिक्षा में।
तन मन सब अर्पित कर डाला,
भारत माँ की रक्षा में।।


      प्रदेश अध्यक्ष
नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत
 छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )

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Friday, December 21, 2018

गजल :- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "

*---     ग़ज़ल  ____*

बहर:- 1222 1222 122
काफ़िया:- अन।
रद़ीफ:- की कर रहे हैं।

कहाँ चिंता वतन की कर रहे हैं।
सियासत बस जलन की कर रहे हैं।

मसलते फूल ख़ुद बागों के वो ही
हिफाजत जो चमन की कर रहे हैं।।1।।

मिलाते हाथ दुश्मन से यहाँ पर।
इबादत कब अमन की कर रहे हैं ।।2।।

हमारे साथ बैठे जो घरो में।
सियासत वो दमन की कर रहे हैं।।3।।

सदा लूटे खजाने हैं हमारे।
सुरक्षा आज धन की कर रहे हैं।।4।।

जहां में नाम पर फैशन की देखो
नुमाइश सब बदन की कर रहे हैं।।5।।

--- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
    छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
    सम्पर्क सूत्र:- 8109643725

आ० जयराम जय जी

नवगीत
परिवर्तन चुपचाप हो गया
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कानो-कान खबर ना आई
ऐसा क्रिया-कलाप हो गया
अनायास ही मौसम बदला
परिवर्तन चुपचाप हो गया

केवल बातें रहे बनाते
समझ रहे थे मूर्ख सभी को
खुद को धुला दूध का बोलें
और बतायें धूर्त सभी को
जाति -धर्म का भेद बताना
ही जैसे अभिशाप हो गया

वादे किये,किये ना पूरे
रहे उडा़ते सिर्फ बबूले
प्रजातन्त्र को घायल करके
सारी मर्यादायें भूले
देख हाल ऐसा ईश्वर के
मन में भी संताप हो गया

उड़ते रहे हवा में हरदम
धरी रह गयीं मन की बातें
काम न आईं जो समझायीं
चालें,शकुनी वाली घाते
नाज़ायज,ज़ायज बतलाया
शायद यह भी पाप हो गया

बडे़-बडे़ सपने देखे थे
लेकिन पल में चूर हो गये
ऐसी चली विरोधी आँधी
जनमत से मज़बूर हो गये
जिसे इन्होंने व्यर्थ बताया
वो ही इनका बाप हो गया

कानो-कान खबर ना आई
ऐसा क्रिया-कलाप हो गया
अनायास ही मौसम बदला
परिवर्तन चुपचाप हो गया
                **
~जयराम 'जय'
'पर्णिका' बी,11/1 कृष्ण विहार,आ.वि.
कल्यापुर,कानपुर-208017(उ.प्र.)
मो.नं.9415429104 ;08795811399
E-mail-jairam jay2011gmail.com

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