Monday, April 27, 2020

ऑनलाइन कवि सम्मेलन 26 अप्रैल 2020*

*विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत के तत्वावधान में अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन 26 अप्रैल 2020*

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   _सायंकाल 7: 00 बजे से समाप्ति तक_

*कार्यक्रम संचालक~*

*आ० नीतेन्द्र सिंह परमार _"भारत"_ जी*

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 *अनुशासन प्रमुख ~ आ०  कौशल कुमार पांडेय "आस" जी* 

 *कार्यक्रम संरक्षक ~ आ० शैलेंद्र खरे "सोम"  जी* 

 *कार्यक्रम अध्यक्ष ~ आ० डॉ० राहुल शुक्ल "साहिल" जी* 

 *कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ~ आ० संतोष कुमार "प्रीत" जी* 

 *कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि ~ आ० सुशीला धस्माना "मुस्कान" जी*
*आ० हरीश बिष्ट जी* 

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*6:50 पर ~ संचालक एवं अन्य प्रतिभागियों की उपस्थिति*
*7:00 बजे से 7:10 तक ~* सरस्वती चित्र पटलार्पित प्रेषण ~ 

*सरस्वती वंदना ~ आ० इन्दु शर्मा 'शचि' जी  जी*  
*स्वागत गीत ~ आ० ज्योति अग्निहोत्री 'नित्या' जी* 

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*_🌟अक्षय तृतीया पर्व पर आयोजित कवि सम्मेलन_🌟*

_प्रतिभागियों का समयानुसार कार्यक्रम~_

*विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत*

_प्रतिभागियों के नाम ~_

7:12 पर~
अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन- 

1. आ. मीना भट्ट जी
2. आ. राशि श्रीवास्तव जी
3. आ. गौरव सिंह घाणेराव जी
4. आ. डॉ. प्रभा जैन "श्री" जी
5. आ. वीरेंद्र दसौंधी "वीर" जी
6. आ. बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी" जी
7. आ. इन्दु शर्मा "शचि" जी
8. आ. मंशा शुक्ला जी
9. आ. डॉ अनिल शर्मा "अनिल" जी
10. आ. सुशीला जोशी जी
11. आ. गीतांजली वार्ष्णेय जी
12. आ. मुनीशा यादव जी
13. आ. हितेन प्रताप सिंह जी
14. आ. लाडो कटारिया जी
15. आ. संदीप वैष्णव जी
16. आ. राजेश मिश्र "प्रयास" जी
17. आ. सुरेश वी देसाई जी
18. आ. रुपेंद्र गौर जी
19. आ. दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" जी
20. आ. रूपेश कुमार जी
21. आ. आरीनिता पांचाल जी
22. आ. सुषमा दीक्षित शुक्ला जी
23. आ. बाबा वैद्यनाथ झा जी
24. आ. रामस्वरूप मयूरेश जी
25. आ. डॉ. नसीमा निशा जी
26. आ. ज्योति अग्निहोत्री "नित्या" जी
27. आ. मदन मोहन शर्मा "सजल" जी
28. आ. अभिज्ञान शाकुन्तलम जी
29. आ. मनोज तिवारी "मनसिज" जी
30. आ. साधना कृष्ण जी
31. आ. मनोज कुमार खोलिया जी
32. आ. अमित राजपूत जी
33. आ. नारायण पोद्दार जी
34. आ. एस.के. कपूर "श्रीहंस" जी
35. आ. संजय बहिदार जी
36. आ. निक्की शर्मा जी
37. आ. लाल देवेन्द्र श्रीवास्तव जी
38. आ. डोमन निषाद "डेविल" जी
39. आ. कृष्ण कुमार कश्यप "सारथी" जी
40. आ. राजेश कुमार तिवारी "रामू" जी
41. आ. कुमार जितेंद्र "जीत" जी
42. आ. ब्रजेश त्रिवेदी जी
43. आ. सुंदर लाल डडसेना "मधुर" जी
44. आ. राघवेंद्र नारायण सिंह राघव जी
45. आ. विनोद हँसोडा जी
46. आ. रश्मि वर्मा "रश" जी
47. आ. रवि रश्मि "अनुभूति" जी
48. आ.रामचंद्र प्रधान "लोइंग" जी
49. आ. दिलीप कुमार पाठक "सरस" जी
50. आ. सुशीला धस्माना "मुस्कान" जी
51. आ. नीतेन्द्र सिंह परमार "भारत" जी
52. आ. राज पेन्टर "बुंदेलखंडी" जी
53. आ. अनिता मंदिलवार  "सपना" जी
54. आ. संतोष तिवारी "सागर" जी
55. आ. दिनेश श्रीवास्तव जी
56. आ. विश्वेश्वर शास्त्री विशेष जी
57. आ. शकुंतला शेंडे "शकुन" जी
58. आ. लियाकत अली "जलज" जी
59. आ. कमल किशोर ताम्रकार जी
60. आ. राहुल शुक्ल "साहिल" जी
61. आ. कौशल कुमार पाण्डेय "आस" जी
62. आ. हरीश बिष्ट जी
63. आ. शैलेन्द्र खरे "सोम" जी
64. आ. आकाश स्वरूप खरे "आकाश" जी

*कार्यक्रम समीक्षक ~  आ० बाबा वैद्यनाथ झा जी* *आ० दिनेश श्रीवास्तव जी*
[समीक्षक अपना उद्बोधन कार्यक्रमोपरान्त (लिखित अथवा ऑडियो में) अवश्य प्रस्तुत करें।]


_आयोजक ~ विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत_

निवेदक :- विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं बिहार इकाई।

नोट :- समयानुसार उपस्थिति एवं शुभकामनाएँ सुनिश्चित करें।
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Sunday, April 26, 2020

मुख्य प्रवक्ता - नीतेंद्र भारत

दिनांक 26 अप्रैल 2020 को सबकी सहमति से विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत संस्था का मुझें  *मुख्य प्रवक्ता* नियुक्ति किया गया। मैं संस्था का आभारी हूँ जो मुझें यह दायित्व प्रदान किया तथा मैं यह प्रण लेता हूँ कि संस्था को उचाईयों तक ले जाने का हर सम्भव प्रयास करूँगा और अपने दायित्व का निर्वहन *ईमानदारी तथा पूरी निष्ठा* के साथ करूंगा। 
संस्था के संस्थापक आ० दिलीप कुमार पाठक "सरस" जी राष्ट्रीय अध्यक्ष आ० सुशीला धस्माना "मुस्कान", राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ० राहुल शुक्ल "साहिल",संरक्षक आ० कौशल कुमार पाण्डेय "आस",शैलेन्द्र खरे "सोम",सचिव आ० राजेश मिश्र प्रयास,अलंकरण प्रमुख/बिहार इकाई के अध्यक्ष आ० सुमित शर्मा "पीयूष", उत्तराखंड इकाई अध्यक्ष आ० ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल",सचिव आ० हरीश बिष्ट तथा वनारस जिला  इकाई के अध्यक्ष आ० लियाकत अली "जलज",सचिव आ० संतोष कुमार "प्रीत" तथा समस्त पदाधिकारियों का आभार व्यक्त करता हूँ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
साभार
नीतेंद्र सिंह परमार "भारत"
प्रदेश अध्यक्ष एवं मुख्य प्रवक्ता
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत

Thursday, April 23, 2020

◆ मणिमाल छंद




◆ मणिमाल छंद ◆

विधान~
[सगण जगण जगण भगण रगण सगण+लघु]
(112   121  121   211  212 112  1)
19 वर्ण ,10,9 वर्णों पर यति ,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत।

गुरुदेव  आज  अनाथ  को,  बस चाहिए पदधूल।
सब दूर दोष-विकार हों, प्रभु  आप जो अनुकूल।।
कुछ और इच्छित हैं नहीं,लख लीजिये बस आप।
उर "सोम" है यह कामना,  सब नष्ट हों भव-ताप।।

                                        ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

Wednesday, April 22, 2020

रूपमाला/मदन छंद [सम मात्रिक]

*◆रूपमाला/मदन छंद [सम मात्रिक]◆*

विधान–[24 मात्रा,/14,10 पर यति,
आदि-अंत में वाचिक भार 21,चरण 4,
क्रमागत दो-दो चरण तुकान्त]

रामदूत हे पवनतनय ,
                       मतिधीर बजरंग।
बास करत हैं हिरदे में,
                       प्रभु जानकी संग।।
अंजनेय जू बल सागर,
                       चतुर   विद्यावान।
"सोम" मनावत सिर नावत,
                       कपीश्वर  हनुमान।।

                    *~शैलेन्द्र खरे"सोम"*

Saturday, April 18, 2020

कार्यक्रम का नाम ~साहित्यिक नामकरण अलंकरण समारोह

🏆💓🙏जय-जय🙏💓🏆

*🙏निवेदन विशेष सूचना सह आमन्त्रण पत्र*🙏
सहर्ष सूचित किया जाता है कि कार्यक्रम विशेष में आपका हार्दिक स्वागत है |

कार्यक्रम का नाम ~*साहित्यिक नामकरण अलंकरण समारोह*

दिनांक ~19/04/2020
उपस्थिति समय~प्रातः ~ 10:00 बजे से समापन तक 
स्थान ~जय जय काव्य चित्रशाला
 
सरस्वती वंदना ~आ. दिलीप कुमार पाठक सरस जी 
स्वागत गीत~आ.हरीश विष्ट जी 

संचालक~आ. नीतेन्द्र सिंह परमार भारत जी 

कार्यक्रम अध्यक्ष ~ आ. डॉ. राहुल शुक्ल साहिल जी 

नामकरण समारोह में सम्मिलित सम्मानित साहित्यकार ~

1- आ. ज्योति अग्निहोत्री जी 
2- आ. ओमप्रकाश फुलारा जी
3- आ. कृष्ण कुमार कश्यप जी
4- आ. संजय सिंह राजपूत जी
5- आ. पंकज कुमार शुक्ला जी 

नामकरण पत्र प्रदाता~
1- आ. शैलेन्द्र खरे "सोम" जी
2- पं. सुमित शर्मा "पीयूष" जी 
3- आ. सुशीला धस्माना "मुस्कान" जी 
4- आ. कौशल कुमार पाण्डेय "आस" जी 
5- आ. राजेश मिश्र "प्रयास" जी 

कार्यक्रम विशेष में आपकी उपस्थिति सादर अनिवार्य है, उपस्थित होकर इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनकर कार्यक्रम को गौरवान्वित कीजिए |

कार्यक्रम आयोजक 
प्रशासक मंडल 
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत 


Friday, April 17, 2020

घनाक्षरी छंद

घनाक्षरी छंद का नामकरण 'घन' शब्द पर है जिसके हिन्दी में चार अर्थ होते हैं
1- मेघ/बादल,
2- सघन/गहन,
3-बड़ा हथौड़ा,
4-किसी संख्या का उसी में 3 बार गुणा भी होता है।
इस छंद में चारों अर्थ प्रासंगिक हैं घनाक्षरी में शब्द प्रवाह इस तरह होता है मेघ गर्जन की तरह निरंतरता की प्रतीति हो। घनाक्षरी में शब्दों की बुनावट सघन होती है जैसे एक को ठेलकर दूसरा शब्द आने की जल्दी में हो घनाक्षरी पाठक या श्रोता के मन पर प्रहर सा कर पूर्व के मनोभावों को हटाकर अपना प्रभाव स्थापित कर अपने अनुकूल बना लेनेवाला छंद है।

मनहरण घनाक्षरी में 8 वर्णों की 3 बार आवृत्ति है।8,8,8,7 की बंदिश कई बार शब्द संयोजन को कठिन बना देती है। किसी भाव विशेष को अभिव्यक्त करने में कठिनाई होने पर कवि 16,15 की बंदिश अपनाये तो अपना सकता है।चरण चार या चार के अनुपात में रखे जाते हैं।

1. मनहरण घनाक्षरी (31वर्ण) -8, 8, 8, 7 या 16,15 या 17,14 पर यति अंत में लघु,गुरु वर्ण होता है।

2. रूप घनाक्षरी (32 वर्ण) -8, 8, 8, 8 अंत में गुरु-लघु होता है।

3. जलहरण घनाक्षरी (32 वर्ण) -8, 8, 8, 8 अंत में लघु-लघु होता है।

4. जनहरण घनाक्षरी (31 वर्ण) - पहले 30 वर्ण लघु और अंत में गुरु होता है।

5.  डमरू घनाक्षरी (32 वर्ण) - सभी 32 वर्ण बिना मात्रा के लघु वर्ण होते है।

6. विजया घनाक्षरी (32 वर्ण) -8, 8, 8, 8 अंत में लघु-गुरु होता है।

7. कृपाण घनाक्षरी (32 वर्ण) -8, 8, 8, 8 अंत में गुरु-लघु होता है।

8. हरिहरण घनाक्षरी (32 वर्ण) -8, 8, 8, 8 अंत में लघु-लघु होता है। अंत के ये दोनों लघु वर्ण, प्रत्येक चरण में नियत रहते हैं।

9.  सूर घनाक्षरी (30 वर्ण) -8, 8, 8, 6 अंत में गुरु या लघु कुछ भी ही सकता है।
*****

Thursday, April 16, 2020

kavi ramkishor sharma

*कवि:- रामकिशोर शर्मा "गुरुजी"*
          कलारा,भोपाल मध्यप्रदेश

लिंक:-https://youtu.be/tUk-VV-ZuEc
     
*_रचना क्रमांक:- 40_*

*_विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत_*

*विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत* के तत्वावधान में आप सभी के लिए लेकर आये है। एक *सुनहरा अवसर* जो आपको साहित्य के क्षेत्र में एक नयी पहचान देगा।
               *BHARAT  & BHARAT* चैनल पर हम आपके द्वारा रचित सभी विधाओ को जैसे:- गीत,ग़ज़ल,मुक्तक,छंद,कविताऐ और कहानियों को  प्रसारित करेंगे। आप अपनी रचनाओं का आनंद ले सकते है। अपने You Tube चैनल BHARAT & BHARAT पर।

BHARAT & BHARAT  चैनल को *सब्सक्राइब* करना न भूलें।

नोट:- 
● संक्षेप परिचय।
● एक फोटो।
● रचना:- ऑडियो/विडियो।

धन्यवाद 

निवेदक/एडिटर:- 
नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
प्रदेश अध्यक्ष 
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत 
छतरपुर मध्यप्रदेश इकाई 
व्हाट्स ऐप नं.8109643725
Email:- neetendrasinghparmar15@gmail.com

Monday, April 13, 2020

लॉक डाउन में मदद - नीतेंद्र भारत

लॉकडाउन

हम बात कर रहें आज के परिवेश की,समाज में रहें लोगों की। स्वार्थी जीवन हम हमेशा जीते रहेंगे। इसे कोई नहीं मिटा सकता है। दरअसल बात यह हैं कि पूरा देश जहाँ महामारी से जूझ रहा है। और लॉकडाउन लगा हुआ है। कोरोना बीमारी जिससे सभी लोग परेशान है।वही दूसरी और पुलिसकर्मी,बैंककर्मी,मीडियाकर्मी व सफाईकर्मी तथा अपने प्राणों की परवाह ना करते हुए डॉक्टर व नर्स अपनी हिम्मत से कोरोना को हराने के लिए अद्भुत क्षमता से कार्य कर रही है।
             आपको बताना चाहता हूँ। मेरी मामा जी की बहू का ऑपरेशन हुआ है वो अस्पताल में भर्ती थी। मुझे कहना देने जाना था।परंतु चारो तरफ पुलिस लगी हुई थी।और गाड़ी वाहन से जाना साफ मना है। अस्पताल बहुत दूर था पैदल जा नहीं सकता था। मैं मोटरसाइकिल ली और कोई रास्ता नहीं था।मैं आधे दूर तक मोटरसाइकिल से गया। आपने मित्र के घर के बाहर रख दी। फिर पैदल गया। अस्पताल तक खाना देकर आया।
       जब मैं वहाँ घर के लौट रहा था। तो एक औरत छोटी सी बच्ची को लिए साथ में उसकी सास थी। दोनों सरकारी अस्पताल से आ रही थी। लॉकडाउन की वज़ह से ऑटो रिक्शा आदि सभी बंद थे। काफ़ी लोगों को रोका कोई नहीं रुका,मुझे भी रोका मैं आगे तक निकल गया था। वापिस आया मैं पूछने ही वाला था । कि उसकी सास बोल पड़ी बेटा मेरी ये नातिन हुईं थी।और अस्पताल आज छुट्टी हो गयी गई है। कोई वाहन नहीं मिला। हम दोनों यहाँ तक तो पैदल आ गए लेकिन घर दूर है। अब और नहीं चल सकते है। यदि आप मुझे घर तक छोड़ दे तो मेहरवानी होगी। मैंने कहा ऐसी बात नहीं है। चलो लेकिन आगे पुलिस हैं। क्या करें मैं बहुत असमंजस में था।आगे पुलिस है। यदि छोड़ने नहीं जाता तो ये लोग कैसे जायेंगे। मैंने कहा दोनों नियम का पालन करना मुश्किल है।मैंने कहा दादी सीधे मैन रोड से ना जाकर कॉलोनी के अंदर से चलता हूँ। बोली ठीक है मुझे आप छोड़ दे घर तक। वहाँ से चला और घर के पास तक आया बोली यही छोड़ दो मैंने कहा चलो घर तक ही कर देते है। छोटी बच्ची भी है धूप भी ज़्यादा हो गयी है। घर तक गया। उनको वहां तक  छोड़ा हम जाने ही वाले थे। दादी ने आवाज़ लगाई बेटा पानी पी लो फिर चले जाना। पानी पिया खाना खाने को कहा मैंने कहा नहीं अभी खा कर आया था। मैं चलता हूँ वो पेसे देने लगी मैंने कहा कैसे पैसे,बोली मुझे यहां तक लाने के हमने कहा दादी में आप पैसे रखो। मुझे नहीं चाहिए है। यदि कुछ काम हो तो बताना मेरे लायक कभी भी।
इसके बाद मैंने उस बच्ची के कुछ पैसे देकर पैर छुए।फिर वहां से वापिस अपने घर आ गया। यही कहना है करते रहो सभी की सेवा,ईस्वर देंगा सबको मेवा।

नीतेंद्र सिंह परमार "भारत"
छतरपुर मध्यप्रदेश

Sunday, April 12, 2020

गीत-कोरोना पर - नीतेंद्र भारत

गीत

कोरोना से सारी दुनिया हारी है।
कोरोना से जंग हमारी जारी है।।

मुखिया का संदेश सभी ने,जाना और पहचाना है।
रहो सुरक्षित घर के अंदर,हिन्द देश ने ठाना है।।
जान प्यारी है गर तुमको,छोड़ो दुनियादारी है।
कोरोना से जंग हमारी जारी है,कोरोना से.......1

साफ स्वच्छ हमको तो रखना,घर का कोना कोना है।
मास्क लगाना,दूरी बनाना, हाथ सभी को धोना है।।
यह उपचार बचाये सबको,करना यह तैयारी है।
कोरोना से जंग हमारी जारी है,कोरोना से.........2


पुलिस,सफाईकर्मी संग में डॉक्टर नर्स महान है।
भारत देश इन्ही से जिंदा,श्रम के देव किसान हैं।।
इकोनॉमी की चिंता छोड़ो,कहता भगवा धारी है।।
कोरोना से जंग हमारी जारी है,कोरोना से..........3


नीतेंद्र सिंह परमार "भारत"
छतरपुर मध्यप्रदेश
दिनांक:- 11/04/2020
समय:- रात्रि 10:20 पर।

छतरपुर मे शुरू हुआ "ऑपरेशन पहचान"

छतरपुर मे शुरू हुआ "ऑपरेशन पहचान"
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छतरपुर जिले की राजस्व सीमाओं के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र मे जितने भी खांसी, सर्दी/ जुकाम एवं बुखार के मरीज़ हैं उनकी पहचान करने और उनकी कोरोना संबंधी जाँच हेतु जिला छतरपुर में "ऑपरेशन पहचान" शुरू किया जा रहा है। कोरोना वायरस महामारी नियम-2020 में प्रदत्त अधिकारों के तहत छतरपुर कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह द्वारा आदेशित किया गया है कि "ऑपरेशन पहचान" को सफल बनाने एवं छतरपुर जिले को कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण से रोकने हेतु छतरपुर जिले की राजस्व सीमा के अन्तर्गत आने वाले/ कार्य करने वाले/ व्यवसाय करने वाले व्यक्ति/ दुकानदार एवं सभी डॉक्टर्स (प्रायवेट एवं प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे शासकीय डॉक्टर) जैसे ही कोई खांसी, सर्दी/जुकाम या बुखार की दवा लेने आये या इनका इलाज कराने आये ऐसे व्यक्तियों की सूची नाम, पता, मोबाइल नम्बर सहित बनाकर प्रतिदिन अपने सम्बंधित क्षेत्र के एस डी.एम. 
 या बी.एम.ओ. या सिविल सर्जन छतरपुर को जानकारी भेजेंगे। कलेक्टर द्वारा आम नागरिकों को भी आदेशित किया गया है कि यदि उनमें से किसी भी व्यक्ति को सर्दी, जुकाम या बुखार के लक्षण है तो वे इसकी जानकारी तत्काल अपने क्षेत्र के सी.एम.ओ नगर पालिका या सचिव ग्राम पंचायत को दें। सी.एम.ओ.नगर पालिका/सचिव ग्राम पंचायत नागरिकों द्वारा मिली बीमार व्यक्ति की सूचना देने पर बीमार व्यक्ति का इलाज कराने हेतु अस्पताल तक भेजने हेतु जिम्मेदार रहेंगे।

कलेक्टर श्री सिंह द्वारा निर्देशित किया गया है की अगर कोई मेडीकल स्टोर संचालक, डॉक्टर (प्रायवेट या प्रायवेट प्रेक्टिस करने वाले अन्य डॉक्टर) या क्लीनिक संचालक उक्तानुसार जानकारी प्रतिदिन उपलब्ध नहीं करायेगा तो उसके विरुद्ध मप्र कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी नियम 2020 के प्रावधानों के तहत वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।इसी के साथ सभी एस.डी.एम., सिविल सर्जन एवं बी.एम.ओ.उक्तानुसार प्राप्त सूचियों को संकलित कर बीमार व्यक्तियों की कोरोना संबंधी गहन जाँच प्रतिदिन करायेंगे/करेंगे एवं जानकारी अपर कलेक्टर छतरपुर को भेजेंगे।

"ऑपरेशन पहचान" का उद्देश्य छतरपुर जिले को कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण से बचाना एवं यदि कोई कोरोना वायरस (कोविड-19) वाहक (कैरियर) है तो उसकी समय पर पहचान कर उसका इलाज करना है।

एक कदम और- श्री हरीश विष्ट जी

🌹जय-जय माँ शारदे 🌹
🌹🙏🌹🙏🌹🙏
         विश्व जनचेतना ट्रस्ट " भारत" के सभी विद्वत जनों को मेरा सादर नमन 🌹🙏🌹
      विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" व इससे जुड़े सभी सुधिजनों को शानदार ईपत्रिका के भव्य विमोचन हेतु मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बहुत-२ बधाई 🌹🌹🌹🌹
🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
       आज एक बार फिर विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत"  ने हिन्दी साहित्य के इतिहास में  "एक कदम और" ईपत्रिका के तृतीय संस्करण का भव्य एंव शानदार विमोचन कर हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए हिन्दी साहित्य को एक शानदार उत्कृष्ट उपहार स्वरूप में सभी के लिए एक सुन्दर अतुलनीय , कनुकरणीय , तथा प्रशंसनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है , जो भविष्य में हिंदी साहित्य के इतिहास में विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के ओर से एक  मील के पत्थर साबित 
होगी । 
             प्रकृति एवं वसंत का द्योतक आकर्षक एवं मंत्रमुग्ध करने वाले मुख्य पृष्ट के साथ इस ई पत्रिका की लाजबाब तथा उम्दा शुरूवात की गयी है । इस ई पत्रिका को मूर्तरूप प्रदान कर हम सभी के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए संस्था के मुख्य संस्थापक तथा इस ई पत्रिका के मुख्य संपादक आदरणीय दिलीप कुमार पाठक "सरस" जी , आदरणीय ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल" जी जो वर्तमान में जन चेतना मंच पर बहुत सक्रिय भूमिका निभाकर मंच को ऊर्जा प्रदान करने का कार्य कर सभी को जागरुक करने वाले साथ ही इस ई पत्रिका के साथ-२ कई अन्य महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अत्यन्त कर्मठ और साहित्य के प्रति समर्पित और इस पत्रिका का संपादन कर संपादक के रूप भी आदरणीय भाई ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल" जी ने भी एक भी बहुत महत्वपूर्ण अतुलनीय तथा प्रशंसनीय भूमिका का निर्वाहन किया है , साथ ही इस पत्रिका को उसके स्वच्छ एंव सार्थक रूप प्रदान करने में मुख्य समीक्षक की मुख्य भूमिका निभाकर आदरणीय दादाश्री डॉ. राहुल शुक्ल "साहिल" तथा तथा मुख्य संरक्षक के रूप में आदरणीय कौशल कुमार पाण्डेय "आस" दादा जी का भी एक अहम , बहुत महत्वपूर्ण योगदान है , यह ई पत्रिका किसी एक की मेहनत का नही अपितु इससे जुड़े मुख्य संपादक से लेकर , इसमें सम्मिलित रचनाकार और इस ई पत्रिका का भव्य विमोचन करने में मंच संचालक की मुख्य भूमिका निभाने तथा इसको पढ़कर आपस में एक-दूसरे का उत्साह बढ़ाने में अपना-२ योगदान प्रदान करने वाले सभी सुधिजनों की रुचि , मेहनत एंव समर्पण का परिणाम है । 
     ई पत्रिका की शुरुवात शानदार अनुक्रमणिका के द्वारा सभी सम्मिलित रचनकारों को उनकी रचनाओं के साथ क्रमानुसार सुन्दर तरीके से सूचिबद्ध किया गया है ।
        इसके साथ ही पत्रिका की शुरुवात विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के संस्थापक एंव इस ई पत्रिका के प्रधान संपादक आदरणीय "दिलीप कुमार पाठक "सरस" जी , ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्षा आदरणीया "सुशीला धस्माना" जी, छंद सम्राट आदरणीय दादाश्री शैलेन्द्र खरे "सोम" जी, वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय दादाश्री मुकेश शर्मा "ओम" जी , इस संस्था के संरक्षक एवं वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय दादाश्री  कौशल कुमार पाण्डेय "आस" जी , मध्य प्रदेश इकाई के प्रदेशाध्यक्ष सबके चहेते मंच संचालन के कुशल महारथी प्रिय अनुज नितेन्द्र सिंह परमार "भारत" , पीलीभीत उत्तर प्रदेश से विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बहुमुखी प्रतिभा एंव कुशल व्यक्तित्व के धनी आदरणीय दादाश्री डॉ. राहुल शुक्ल "साहिल" तथा हिंदी साहित्य एंव विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के उभरते हुए बहुमुखी प्रतिभा के धनी तथा उत्तराखण्ड ईकाई के प्रदेशाध्यक्ष आदरणीय भाई ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल" जी आप सभी के द्वारा  सुन्दर , सार्थक , प्रेरणादायी शिक्षाप्रद सन्देश के साथ की गयी है , जो की अपने आप में बहुत उत्साहवर्धक एवं प्रशंसनीय है जो इस ई पत्रिका को एक संबल प्रदान करती है , वैसे भी वरिष्ठ साहित्यकार के रूप में ये सभी विभिन्न भूमिकाओं के तहत विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के आधार स्तम्भ हैं , जो कई प्रकार से विभिन्न रूपों में इस "साहित्य रूपी परिवार" को अपना-२ सहयोगरूपी महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर विश्व हिन्दी साहित्य के मंच अर्थात शिखर पर स्थापित करने हेतु पूर्ण रूप से समर्पित हैं , आप सभी हमारे ही नहीं अपितु सम्पूर्ण हिंदी साहित्य परिवार के भी मार्गदर्शक है एवं आदर्श के रूप में हैं , आप सभी की कर्मठता , साहित्य के प्रति समर्पण भावना , नि:स्वार्थ सेवा कर हिंदी के विकास में अभूतपूर्व योगदान हेतु मैं आप सभी का सादर आभार प्रकट करते हुए आप सभी के श्रीचरणों में शीश नवाते हुए कोटि-कोटि सादर नमन करता हुँ । 
       इसके पश्चात एक से बढ़कर एक सार्थक , प्रेरक , शिक्षाप्रद रचनाओं की शुरुवात विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" की राष्ट्रीय अध्यक्षा आदरणीया सुशीला धस्माना "मुस्कान" जी की "माँ शारदे" की स्तुति करती हुई बहुत खूबसूरत वंदना के साथ हुई है , मानव मन की आँखे खोलती हुई , शानदार रचना , जय-जय माँ शारदे 🌹🙏🌹 
आदरणीया "मुस्कान" जी के बाद उत्तराखण्ड ईकाई के प्रदेशाध्यक्ष आदरणीय ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल" जी की ईश्वर की अनुनय-विनय करती हुई शानदार रचना में ईश्वर की महिमा का शानदार बखान किया गया है , बहुत खूब आदरणीय 🌹🙏🌹
  आदरणीय प्रफुल्ल जी के पश्चात राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत अगली रचना विश्व जनचेतना ट्रस्ट " भारत" के संस्थापक आदरणीय दादाश्री दिलीप कुमार पाठक " सरस" जी की रचना ई पत्रिका में सम्मिलित की गयी है , जो की देश के प्रति देश-प्रेम जागृत करती हुई , राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्यों का  कर्तव्य कराती हुई शानदार रचना , बहुत सुन्दर आदरणीय 🌹🙏🌹
              सभी रचनाकारों की एक से बढ़कर एक रचनाएं इस ई पत्रिका में सम्मिलित होकर इस ई पत्रिका की शोभा मानो ऐसे बढ़ा रही हैं जैसे किसी राजा के सिर पर ताज और ताज पर जड़ा हुआ हीरा जो अपने साथ-२ उस राजमुकुट की शोभा अर्थात शान में चार चाँद लगा देता है जिससे उसकी आभा सारे संसार में देखने योग्य हो जाती है और दूर-२ के लोग भी उसकी एक झलक पाने को लालायित रहते हैं , आशा करता हुँ और ईश्वर तथा माँ शारदे से कर बद्ध होकर प्रार्थना करता हुँ की ठीक उसी प्रकार यह ई पत्रिका भी विश्व हिंदी साहित्य पटल पर उसी ताज की तरह अपनी छटा बिखेरने में कामयाब हो तथा नयी-२ बुलंदियों का स्पर्श कर आप सभी का मान बढ़ाये ।
         इस ई पत्रिका में एक से बढ़कर एक सिद्धहस्त विद्वान साहित्यकारों की रचनाएं सम्मिलित हैं , और इस ई पत्रिका की भव्यता का अनुमान इसमें सम्मिलित पचासे अधिक रचनाओं से लगाया जा सकता है , और उन सभी रचनाओं की एक साथ समीक्षा नामुमकिन तो नहीं मगर हम जैसे नवांकुरों के लिए असंभव अवश्य है , इस हेतु मैं आप सभी करबद्ध होकर प्रार्थना अर्थात क्षमा याचना करता हुँ कि मैं आप सब की सभी सुन्दर से सुन्दर रचनाओं की पूर्ण रूप से समीक्षा नहीं कर पाया हुँ , परंतु आप सभी को इस शानदार , अभूतपूर्व पत्रिका का हिस्सा बनकर इसकी शोभा बढ़ाने हेतु विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" तथा अपनी और से तहेदिल से हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बहुत-२ बधाई प्रदान करता हुँ , और आप सबकी कुशलता की मंगल कामना करते हुए ईश्वर तथा माँ शारदे से प्रार्थना की वो आपको सकुशल रखते हुए आपकी लेखनी को सदैव ऐसे ही बल प्रदान कर एक नयी धार प्रदान करते रहें जिससे आप सभी साहित्य की सेवा कर रोज रचनारूपी पुष्प माँ शारदे के चरणों में अर्पित करते हुए साहित्य के साथ-२ अपनी अनुपम छटा पूरे साहित्य जगत में बिखेरते रहें , इसी शुभ कामना के साथ एक बार पुन: आप सभी को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बहुत-२ बधाई प्रदान करता हुँ । धन्यवाद .🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🌹 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹जय माँ शारदे🌹🌹🌹🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏


       हरीश बिष्ट
रानीखेत ।। उत्तराखण्ड ।।

Wednesday, April 8, 2020

दोहा विजेता 8/04/2020/समीक्षा

🏆🙏🏆जय-जय हिन्दी ~🏆🙏🏆

🏆लेखनी-पुंज सम्मान हेतु🏆

🏆दिनांक-८ अप्रैल,२०२०

🏆दिन-बुधवार

🏆विषय~दोहा-छन्द

🏆दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार का नाम~श्री रामस्वरूप *मयूरेश*


श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में लेखनी पुंज सम्मान से आपको को अलंकृत करते हुए संस्था परिवार के साथ समीक्षक रूप में मैं गौरवान्वित हूँ, मुझे विश्वास है कि निरन्तर जय जय हिन्दी परिवार को सानुशासन सक्रिय सहयोग,रचनाधर्मिता के साथ प्राप्त होता रहेगा |आपके यशस्वी जीवन की मंगल कामना करता हूँ |

लेखनी पुंज सम्मान की आ. रामस्वरूप मयूरेश जी को हार्दिक ब?धाई एवं शुभकामनाएँ |
🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆


बाबा वैद्यनाथ झा 
दिवस समीक्षक 
जय जय हिन्दी 
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत

दोहा लेखन विधान

*दोहा लेखन विधान*

१. दोहा द्विपदिक छंद है। दोहा में दो पंक्तियाँ (पद) होती हैं। हर पद में दो चरण होते हैं। 
२. दोहा मुक्तक छंद है। कथ्य (जो बात कहना चाहें वह) एक दोहे में पूर्ण हो जाना चाहिए। सामान्यत: प्रथम चरण में उद्भव, द्वितीय-तृतीय चरण में विस्तार तथा चतुर्थ चरण में चरम या समाहार होता है
३. विषम (पहला, तीसरा) चरण में १३-१३ तथा सम (दूसरा, चौथा) चरण में ११-११ मात्राएँ होती हैं।
४. तेरह मात्रिक पहले तथा तीसरे चरण के आरंभ में एक शब्द में जगण (लघु गुरु लघु) वर्जित होता है।
५. विषम चरणान्त में 'सरन' तथा सम चरणान्त में 'जात' का विधान है।
६. विषम कला से आरंभ दोहे के विषम चरण में में कल-बाँट ३ ३ २ ३ २ तथा सम कला से आरम्भ दोहे के विषम चरण में में कल बाँट ४ ४ ३ २ हो। सम चरणों की कल-बाँट  ४ ४३ या ३३ २ ३ हो।
७. हिंदी दोहाकार हिंदी के व्याकरण तथा मात्रा गणना नियमों का पालन करें। दोहा में वर्णिक छंद की तरह लघु को गुरु या गुरु को लघु पढ़ने की छूट नहीं होती।
८. हिंदी में खाय, मुस्काय, आत, भात, आब, जाब, डारि, मुस्कानि, हओ, भओ जैसे देशज / आंचलिक शब्द-रूपों का उपयोग न करें। बोलियों में दोहा रचना करते समय उस बोली का यथासंभव शुद्ध रूप व्यवहार में लाएँ।
९. श्रेष्ठ दोहे में लाक्षणिकता, संक्षिप्तता, मार्मिकता (मर्मबेधकता), आलंकारिकता, स्पष्टता, पूर्णता, सरलता तथा सरसता होना चाहिए।
१०. दोहे में संयोजक शब्दों और, तथा, एवं आदि का प्रयोग यथासंभव न करें। औ' वर्जित 'अरु' स्वीकार्य। 'न' सही, 'ना' गलत। 'इक' गलत।
११. दोहे में कोई भी शब्द अनावश्यक न हो। शब्द-चयन ऐसा हो जिसके निकालने या बदलने पर दोहा अधूरा सा लगे।
१२. दोहा में विराम चिन्हों का प्रयोग यथास्थान अवश्य करें।
१३. दोहे में कारक (ने, को, से, के लिए, का, के, की, में, पर आदि) का प्रयोग कम से कम हो।
१४. दोहा सम तुकांती छंद है। सम चरण के अंत में समान तुक आवश्यक है।
१५. दोहा में लय का महत्वपूर्ण स्थान है। लय के बिना दोहा नहीं कहा जा सकता।
*
मात्रा गणना नियम
१. किसी ध्वनि-खंड को बोलने में लगनेवाले समय के आधार पर मात्रा गिनी जाती है।
२. कम समय में बोले जानेवाले वर्ण या अक्षर की एक तथा अधिक समय में बोले जानेवाले वर्ण या अक्षर की दो मात्राएँ गिनी जाती हैंं। तीन मात्रा के शब्द ॐ, ग्वं आदि संस्कृत में हैं, हिंदी में नहीं।
३. अ, इ, उ, ऋ तथा इन मात्राओं से युक्त वर्ण की एक मात्रा गिनें। उदाहरण- अब = ११ = २, इस = ११ = २, उधर = १११ = ३, ऋषि = ११= २, उऋण १११ = ३ आदि।
४. शेष वर्णों की दो-दो मात्रा गिनें। जैसे- आम = २१ = ३, काकी = २२ = ४, फूले २२ = ४, कैकेई = २२२ = ६, कोकिला २१२ = ५, और २१ = ३आदि।
५. शब्द के आरंभ में आधा या संयुक्त अक्षर हो तो उसका कोई प्रभाव नहीं होगा। जैसे गृह = ११ = २, प्रिया = १२ =३ आदि।
६. शब्द के मध्य में आधा अक्षर हो तो उसे पहले के अक्षर के साथ गिनें। जैसे- क्षमा १+२, वक्ष २+१, विप्र २+१, उक्त २+१, प्रयुक्त = १२१ = ४ आदि।
७. रेफ को आधे अक्षर की तरह गिनें। बर्रैया २+२+२आदि।
८. अपवाद स्वरूप कुछ शब्दों के मध्य में आनेवाला आधा अक्षर बादवाले अक्षर के साथ गिना जाता है। जैसे- कन्हैया = क+न्है+या = १२२ = ५आदि।
९. अनुस्वर (आधे म या आधे न के उच्चारण वाले शब्द) के पहले लघु वर्ण हो तो गुरु हो जाता है, पहले गुरु होता तो कोई अंतर नहीं होता। यथा- अंश = अन्श = अं+श = २१ = ३. कुंभ = कुम्भ = २१ = ३, झंडा = झन्डा = झण्डा = २२ = ४आदि।
१०. अनुनासिक (चंद्र बिंदी) से मात्रा में कोई अंतर नहीं होता। धँस = ११ = २आदि। हँस = ११ =२, हंस = २१ = ३ आदि।
मात्रा गणना करते समय शब्द का उच्चारण करने से लघु-गुरु निर्धारण में सुविधा होती है। (साभार) 
                     उदाहरण
*श्री गुरुचरण सरोज रज,निज मन मुकुरसुधारि।*
*बरनउँ रघुबर विमल यश, जो दायक फल घारि।।*
(तुलसीदास) 
--(साभार)

Tuesday, April 7, 2020

पुस्तक विमोचन कोरोना बचाव एक अभियान

🌹विशेष सूचना🌹

जय जय हिंदी के सभी सम्मानित रचनाकारों को अवगत कराते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत ने कोरोना से बचाव के लिए जन जागरूकता अभियान के तहत कोरोना- बचाव एक अभियान ई विशेषांक प्रकाशित करने का निर्णय लिया है।जो बनकर तैयार हो गयी है |

विमोचन कार्यक्रम ~
ई विशेषांक ~कोरोना बचाव एक अभियान 
सम्पादक~आ. ओमप्रकाश प्रफुल्ल जी 
विमोचनकर्ता~आ. दिलीप  कुमार पाठक "सरस" जी
दिनांक~7/4/2020
समय~सायं~ 8:00 बजे
आप सभी से  इस ई विशेषांक के विमोचन पर आप अपनी प्रतिक्रिया भागीदारी सुनिश्चित करने की कृपा कीजिए।आप सादर आमन्त्रित हैं |

ओम प्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल"
सम्पादक 
ई विशेषांक
अध्यक्ष
प्रदेश इकाई उत्तराखंड
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत

Saturday, April 4, 2020

राम

🏹रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य🏹

1:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे।
2:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं।
3:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है।
4:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है।
5:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है।
6:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है।
7:~मानस में छन्द संख्या = 86 है।

8:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का।
9:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में।
10:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी।
11:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी।
12:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला।
13:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला।
14:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ।

15:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं।
16:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं।

17:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए।
18:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में।
19:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।

श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?
नहीं तो जानिये-
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने..।

यह जानकारी  महीनों के परिश्रम केबाद आपके सम्मुख प्रस्तुत है । 
तीन को भेज कर धर्म लाभ कमाये ।।

हकीक़त

वास्तव में वह सत्य जो मैंने लॉकडाऊन के दौरान सीखा।

1. आज अमेरिका अग्रणी देश नहीं है।
2. चीन कभी विश्व कल्याण की नही सोच सकता।
3. यूरोपीय उतने शिक्षित नहीं जितना उन्हें समझा जाता था।
4. हम अपनी छुट्टियॉ बिना यूरोप या अमेरिका गये भी आनन्द के साथ बिता सकते हैं।
5. भारतीयों की  रोग प्रतिरोधक क्षमता विश्व के लोगों से बहुत ज्याद है।
6. कोई पादरी, पुजारी, ग्रन्थी,मौलवी या ज्योतिषी एक भी रोगी को नहीं बचा सका।
7. स्वास्थ्य कर्मी,पुलिस कर्मी, प्रशासन कर्मी ही असली हीरो हैं ना कि क्रिकेटर ,फिल्मी सितारे व फुटबाल प्लेयर ।
8. बिना उपभोग के विश्व में सोना चॉदी व तेल का कोई महत्व नहीं।
9. पहली बार पशु व परिन्दों को लगा कि यह संसार उनका भी है।
10. तारे वास्तव में टिमटिमाते हैं यह विश्वास महानगरों  के बच्चों को पहली बार हुआ।
11. विश्व के अधिकतर लोग अपना कार्य घर से भी कर सकते हैं।
12. हम और हमारी सन्तान बिना 'जंक फूड' के भी जिन्दा रह सकते है।
13. एक साफ सुथरा व सवचछ जीवन जीना कोई कठिन कार्य नहीं है। 
14. भोजन पकाना केवल स्त्रियां ही नहीं जानती।
15. मीडिया वास्तविकता से हट कर टीआरपी  बढ़ाने में ज्यादा विश्वास रखता है।
16. अभिनेता केवल मनोरंजनकर्ता हैं जीवन में वास्तविक नायक नहीं।
17.भारतीय नारी कि वजह से ही घर मंदिर बनता है।
18. पैसे की कोई वैल्यू नही है क्योंकि आज दाल रोटी के अलावा क्या कर सकते हैं।
19. भारतीय अमीरों मे मानवता कुट-कुट कर भरीं हुईं है एक दो को छोड़कर। 
20. विकट समय को सही तरीक़े से भारतीय ही संभाल सकता है।

Friday, April 3, 2020

रवि रश्मि अनुभूति जी

9920796787**** रवि रश्मि 'अनुभूति '

🙏🙏

लेख ---
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 *जागरुकता* 
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*कोरोना  :   बचाव ही सुरक्षा* 
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*आप सभी से गुज़ारिश है*
*************************
*कोरोना वायरस के बारे में*
**************************
 *जानना आवश्यक* -----
*********************** 
       शीर्षक कोरोना : बचाव और सुरक्षा ,  एक बहुत बड़ा और गंभीर और विचारणीय मुद्दा है । जब हम कोरोना के बारे में जानेंगे तो उसके बचाव के बारे में जान पायेंगे , तभी हम कह सकेंगे कि इससे बचाव में ही सुरक्षा छिपी है । मैं  इसे जागरुकता का नाम दे सकती हूँ । 
          कोरोना महामारी के वायरस का माहौल अब तक दुनिया भर में  बन चुका है और हज़ारों की संख्या में मरीज़ों की मौत हो चुकी है व हो रही है । भारत में भी इस महामारी का प्रकोप अपने पाँव जमा चुका है , और 271 मरीज़ काल का ग्रास बन चुके हैं , और यह सब विदेशों से लौटे यात्रियों के कारण ही फैला है । कर्नाटक में दुबई से महामारीग्रस्त लौटे एक 76 वर्षीय बुज़ुर्ग व दिल्ली में भी विदेश से संक्रमित बीमारी लेकर लौटे बेटे के संक्रमण के कारण उसकी 68 वर्षीय माँ की मृत्यु हो गयी व दिल्ली में लगभग दस तथा महाराष्ट्र में लगभग बीस से अधिक संकमण के मामले सामने आये हैं । दुनिया भर में एक लाख पचास हज़ार से अधिक लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है ।
चीन व इटली में  भी मरने वाले मरीज़ों में बढ़ोतरी हुई है ।  महाराष्ट्र में मरने वालों की संख्या 271 हो चुकी है । लोग ख़ौफ़ के साये में जी रहे हैं । माॅल , स्कूल व काॅलेज तक 22 मार्च तक बंद कर दिये गये हैं , ताकि लोग इस महामारी की चपेट में न आ सकें । कहा गया है कि कोरोना वायरस हमारे बाल से नौ सौ गुना छोटा है , जो महामारी का रूप ले चुका है । कोरोना पर क़ाबू पाना एक चुनौती बन चुकी है । डब्ल्यू एच ओ की ओर से एक एडवाइज़री भी जारी की गयी है , जिसमें रोग को पहचानने व उसके रोकथाम की जानकारी दी गयी है ।
*लक्षण*
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        कोरोना महामारी के लक्षण सामान्य सर्दी , जुकाम व साँस लेने में  तकलीफ़ जैसे ही हैं , पर यह जानलेवा ही है । यह संक्रमित रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेज़ी से फैलता है । 
*कोरोना से बचने के उपाय*
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         कोरोना से बचने के ऐसे कई उपाय बताये जा रहे हैं , जिनको अपना कर हम कोरोना ही नहीं , किसी भी प्रकार के संक्रमण से बच सकते हैं । सर्वप्रथम तो हमें तुलसी के काढ़े व तुलसी की पत्तियों का सेवन करना चाहिए व चाय बनाकर पीनी चाहिए । तुलसी हर प्रकार के रोग की कारगर औषधि है । 
           वास्तव में इस जानलेवा महारोग कोरोना को पास न आने देने का पहला सबसे शानदार तरीका यह भी है कि यूँ ही बिना काम बाहर और भीड़ में न जायें । कभी बाहर जाने की ज़रूरत पड़ती भी है तो बड़ी सावधानी रखें । किसी को छुएँ नहीं  , दूर से ही बात करें , किसी के गले न मिलें व हाथ न मिलायें । चेहरे पर मास्क लगायें । बाहर से आने के पश्चात् हाथों को अच्छी तरह मलकर कम से कम बीस सेकेंड तक धोना अति आवश्यक है । 
       हाथों को नाक , कान व चेहरे पर लगाने से पहले सैनीटाइज़र व डिटाॅल से अच्छी तरह रगड़ कर धोयें । घर में भी डिटाॅल से पोछा लगायें । ज़रूरत का सामान पहले ही इकट्ठा करके घर में रखें । न जाने कौन कोरोना से ग्रस्त हो । कोई बतायेगा थोड़ी ही । किसी के मन में महारोग फैलाने की दुर्भावना भी तो आ सकती है । बीमारी मोल क्यों लेनी ? सावधानी बहुत अच्छी व आवश्यक है । अपने साथ सेनीटाइज़र रखें । दरवाज़े ,  खिड़कियों , अलमारी व ड्राॅअर खोलने के बाद हाथों को सेनीटाइज़ कर लें । 
      दफ़्तर में पहुँचने के बाद हमें अपनी सीट , जगह , कंप्यूटर , लैपटाॅप , फोन , मेज़ आदि तथा दरवाज़ों के नाॅब , चिटकनियों आदि की सफ़ाई डिटाॅल से कर व करवा लेनी चाहिए ।  एक बार की सफ़ाई के बाद बार - बार हाथ धोने नहीं पड़ेंगे । घर व दफ़तर में पूर्ण स्वच्छता बनाये रखने के लिए डिटाॅल , सैनेटाइज़र व कपूर का प्रयोग करें , जिससे पवित्रता व शुद्धता बनी रहे । अपने शरीर की शुद्धता का भी हमें पूरा ध्यान रखना चाहिए । स्वस्थ शरीर ही इस सृष्टि का निर्माण व अवलोकन कर पायेगा व संसार को आगे ले जायेगा । 
        किसी को भी खाँसी व जुकाम के समय उसे जाँच करवाने को कहें व उनसे बचें , क्योंकि यह मानव से मानव तक एक - दूसरे की वस्तुओं के आदान - प्रदान करने से होता है । यह एक - दूसरे के स्पर्श से महामारी के वायरस के फैलने से होता है । अपने शरीर की साफ- सफ़ाई का पूरा ध्यान रखें । बाहर का फ़ास्ट फूड खाना बंद कर दें । मास्क खरीदते समय ध्यान रखें कि वह बिल्कुल नया हो , किसी का प्रयोग करके दोबारा बेचा न जा रहा हो ।
      कोरोना से बचने के लिए मटन व सी - फ़ूड पर भी प्रतिबंध लगाना ज़रूरी है । मटन- बाज़ार में भी नहीं जाना चाहिए । घर का ही बना खाना , वह भी संतुलित व शाकाहारी खाना ही खायें । ठंडा पानी व पेय पदार्थ न पियें । यात्रा पर हों तो भी मटन आदि खाने से बचना चाहिए व कच्चा या अधपका मीट तो खाना ही नहीं चाहिए । 
      इसके अलावा जनता को टीवी , मोबाइल पर बताये गये नियमों का पालन सख़्ती से भी करना चाहिए । नित योगा करें । भारतीय पद्धति नमस्ते की प्रक्रिया अपनायें । भीड़ में  न जायें । भ्रामक प्रचार में फँस कर किसी भी तरह की गलतफ़हमियों का शिकार न बनें । स्वयं पर भी भरोसा रखें । आत्मबल व आत्मविश्वास भी बहुत बड़ी बात होती है । यदि रोग के लक्षण दिखायी पड़ें तो तुरंत जाँच करवा लेनी चाहिए । अभी तक कोरोना वायरस को मारने के लिए कोई दवा व इंजेक्शन की खोज नहीं हुई है । यह मलेरिया , हैजा , मोतीझरा , टीबी ( यक्ष्मा या तपेदिक ) , पोलियो , कैंसर आदि जैसी बीमारी नहीं है , जिनका इलाज जल्दी संभव व सुलभ हो गया था । सबसे महत्वपूर्ण तो इससे बचाव में  ही सुरक्षा निहित है । 
        कोरोना वायरस के लक्षण जितने सहज सरल लग रहे हैं , उतने सहज न समझे जायें , ये ही तो जानलेवा हैं । कहा गया है कि मधुमेह व दिल के मरीज़ों को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए । अत: सभी बुज़ुर्गों व किसी भी उम्र के मधुमेहग्रस्त लोगों को ख़ास ध्यान रखना है । ' किसी भी उम्र के ' इसलिए लिखा है कि कुछ समय पहले से व आजकल भी यह बीमारी बच्चों में भी पायी जाने लगी है । बुज़ुर्गो व बच्चों को विशेष रूप से बचकर रहने की हिदायत है , क्योंकि इनकी अवरोधक शक्ति कम हो जाती है और ये किसी भी बीमारी का जल्दी सामना नहीं कर पाते हैं । 
         प्रधानमंत्री मोदी ने बचाव में ही सुरक्षा के लिए जनता कर्फ़्यू - सुबह सात बजे से रात नौ बजे तक का बहुत बढ़िया व शानदार तरीका जनता को बताया है । जनता जब एक - दूसरे के संपर्क में आयेगी ही नहीं तो इस महामारी के वायरस को कहीं स्पर्श व छुपने की जगह नहीं मिलेगी तो इन चौदह घंटों में वायरस अपने आप ही मर जाएँगे । देश में जागरुकता लाने की अत्यंत आवश्यकता है । इन बचावों को जनता जब जान जायेगी तो जागरूक हो जायेगी । सभी को एकता से पालन करने में सहयोग देकर इस जागरुकता को सफल बनाना चाहिए । 
        इस महामारी कोरोना से बचने के लिए ---
*कपाल - भाती , प्राणायाम व उज्जायी प्राणायाम करो न ,*
*अनुलोम - विलोम व भ्रामरी प्राणायाम भी तो करो न ,*
*कुंजल क्रिया , जल नेति , सूत्र नेति* *आदि भी लाभदायक है* ,  
*किसी को कठिन लगें , पर सरल उपाय हैं ,* 
*आज़मा कर देखो तो , पास फटके न कोरोना ।*
*जय योग , भगाये रोग*।
*सावधान !* 
*संसार से उठ जाना नहीं ।*
*सब कुछ सबके भले के लिए ही ।* कुछ और भी लाभदायक व कारगर उपाय बताये गये हैं , जिनका पालन हमें करना चाहिए । सर्दी , जुकाम , पक्षाघात , सिर दर्द , साइनस रोग व अनिद्रा से बचने के लिए सोते समय देशी गाय के घी या बादाम रोगन की 3 - 4 बूँदें नाक में डाल लेनी चाहिए । लहसुन की चार - पाँच कलियों को उबाल कर उसका पानी गरम - गरम चाय की तरह पीकर चुस्त - दुरुस्त रहें  । 
          रोग के बारे में पता लगने पर गायिका कुनिका कपूर की तरह ज़रा - सी भी असावधानी न बरतें और न ही पार्टियों में जायें । एकदम अलग- थलग रहें । किसी के संपर्क में बिल्कुल न आयें ।
         अब आप समझ गये होंगे कि कोरोना से बचाव में ही सबकी सुरक्षा निहित है । 🙏🙏
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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
13.3.2020 , 1:43 पीएम पर लिखित ।
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●●
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21.3.2020.
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Wednesday, April 1, 2020

आ◆ शैलेन्द्र खरे "सोम'

सुप्रभात प्रिय मित्रो,पावन पर्व रामनवमी की अनंत शुभकामनाएँ हार्दिक बधाईयाँ~ जय सियाराम💐🍀🌺🌸👏👏👏👏👏👏


*∆∆∆इक्कीस छंदीय श्री राम-स्तवन∆∆∆*


*1-◆शुभमाल छंद◆*
शिल्प:-
[जगण जगण(121 121),
दो-दो चरण तुकांत,
6वर्ण प्रति चरण]

सिया    भरतार।
करें  भव   पार।।
अनेक    प्रकार।
करो     मनुहार।।

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*2-◆कुसुम छंद◆*
विधान~
[ नगण  नगण लघु गुरु]
( 111   111  1    2)
8 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]

सिय  रघुपति भजो।
सकल कुमति तजो।।
जरत   जगत  सभी।
कछुक  समय अभी।।

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*3-◆बुद्बुद छंद◆*
विधान~
[ नगण जगण रगण]
 (111  121  212)
9 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]

रघुपति  जू  निहारिये।
गति अब तो सुधारिये।।
नमन  करूँ  अधीन हूँ।
सकल  प्रकार  दीन हूँ।।

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*4-◆मानस छंद◆*
विधान~
[नगण यगण भगण सगण]
(111  122  211 112)
12 वर्ण,यति 6,6 वर्णों पर
4 चरण,दो-दो चरण समतुकांत।

चरण पखारूँ,श्री रघुपति के।
पटल उघारो,मो जड़मति के।।
भव-भय टारो, संकट हर लो।
चरनन  मोहे, चाकर कर लो।।

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*5-◆मनोरम छंद◆*
विधान-प्रति चरण 14 मात्राएँ
2122 2122

राम  जू   अब   तो  निहारौ।
नाथ   गति   मोरी   सुधारौ।।
दास     शरणागत    बचाये।
प्रभु सुजस अस लोक गाये।।

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*6-◆द्रुतपद छंद◆*
विधान~
[ नगण भगण नगण यगण ]
(111   211  111  122)
12वर्ण,4 चरण,यति 4,8 वर्णों पर
दो-दो चरण समतुकांत]

अवधनाथ   दशरथ    दुलारे।
सब   प्रकार  समरथ  सहारे।।
पद पखार विनय नित कीजे।
प्रभु उदार  शरण  गह लीजे।।

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*7-◆ रुचिरा(२) छंद◆*
विधान~
[ भगण तगण नगण गुरु गुरु]
( 211   221  111  2  2)
11वर्ण,4 चरण,यति 5-6वर्णों
पर,दो-दो चरण समतुकांत]

कौशलराजा,रघुपति प्यारे।
साधक तारे, असुर  विदारे।।
नित्य मनाऊँ,नमन करूँ मैं।
सुंदर  झाँकी, हृदय धरूँ मैं।।

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*8-◆सुमति छंद◆*
विधान-
नगण रगण नगण यगण 
(111 212 111 122)
2-2चरण समतुकांत,4चरण।

द्रवहुँ  राम  जू  नमन करूँ मैं।
छवि अनंत  ये  हृदय धरूँ मैं।।
सब प्रकार चाकर तव स्वामी।
चरण चापता  नित अनुगामी।।

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*9-◆पवन छंद◆*
विधान~ 
[भगण तगण नगण सगण]
(211   221  111  112)
12 वर्ण प्रति चरण,यति{5,7}
4 चरण,2-2 चरण समतुकांत।

सोचत काहे, रघुपति  भज ले।
जापत जा रे,भव भय तज ले।।
सुंदर   कैसे, कमल   नयन जू।
राघव  कीजे,  हृदय  सयन जू।।

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*10-◆चन्द्रिका छंद◆*
विधान-
नगण नगण तगण तगण गुरु
(111 111 221 221  2)
2-2चरण समतुकांत,7,6यति।

सुखमय लगता, नाम भी आपका।
हिय महुँ रुचता,काम भी आपका।।
उरपुर   बसिये, है  यही   कामना।
भव-भय मुझको, रामजी  थामना।।

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*11-◆इन्दिरा छंद◆*
विधान-
[नगण रगण रगण+ लघु गुरु]
111 212  212    12,
चार चरण,दो-दो चरण समतुकांत।

सुजन आज क्यों देर कीजिये।
चरण  राम  के  पूज  लीजिये।।
अधम  दीन   तारे  कृपालु  हैं।
जगत   के   सहारे   दयालु हैं।।

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*12-◆तोटक छंद◆*
विधान~ 
4 सगण/चरण, चार
चरण,दो-दो चरण स्मतुकांत।

भव  भेषज  श्री  रघुनाथ  लला।
सिय  सोहत  संग  अनूप कला।।
लख या छवि को मन होत मुदा।
रहिये  उर  राजत   नाथ   सदा।।

बरनै गुन  ते  कवि  कोबिद को।
उर  के  पुर  में  सिय संग बसो।।
जस तीनहुँ  लोकन  में जिनको।
पद चाकर "सोम" सदा तिनको।।

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*13-◆चौपई/जयकारी/जयकरी छंद◆*
विधान~
चार चरण,प्रत्येक चरण में 15 मात्राएँ,
अंत में गुरु लघु।दो-दो चरण समतुकांत।

जय  हो   श्री  राघव सरकार।
त्रिभुवन   महिमा  अपरम्पार।।
मर्यादा      पुरुषोत्तम   आप।
करते   समन  सकल  संताप।।

पुनि पुनि नावहुँ चरणन शीश।
करिये    कृपा   कौसलाधीश।।
"सोम"झुकाये निश दिन माथ।
मोरे   हृदय   बसहुँ   रघुनाथ।।

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*14-◆चंचला छंद◆*
विधान~
[रगण जगण रगण जगण रगण + लघु]
(212  121  212 121   212    1)

राम जू  दयानिधान  मोहिं  दीजिये  उबार।
शारदा  जपें  अनंत  संत  भी  करें पुकार।।
प्रार्थना  यही करूँ  झुकाय शीश बार-बार।
"सोम" एक बार  दीन बंधु लीजिये निहार।।

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*15-◆घनमयूर छंद◆*
विधान~
[ नगण नगण भगण सगण रगण लघु गुरु]
(111   111  211  112  212   1   2)
17वर्ण,4 चरण, {7,6,4 वर्णों पर यति}
दो-दो चरण समतुकांत।

दशरथ सुत जू, अवध  दुलारे, सभी भजो।
भरम जगत के, उलझत जाते,अभी तजो।।
हर सुख मिलता, पद रज ऐसी, विचार लो।
अनुपम लगती,छवि प्रभुजी की,निहार लो।।

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*16-◆असंबधा छंद◆*
विधान~
[ मगण तगण नगण सगण+गुरु गुरु]
(222  221  111  112   22)
14 वर्ण,4 चरण,
दो-दो चरण समतुकांत]

कैसी ये  माया  सब जगत नचाती है।
देती है क्या साथ विलग रह जाती है।।
भूला क्यों है झंझट तज जग के सारे।
संसारी  झूठी  गुण  रघुपति  के गा रे।।

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*17-◆चंडी छंद◆*
विधान-
नगण नगण सगण सगण गुरु
(111 111 112  112 2)
दो-दो चरण समतुकांत,4 चरण।

चित धर भज  रघुनाथ लला को।
विष सम गिन हर झूठ कला को।।
नर तन धर  शुभ कार्य किये जा।
अमिय सरस रस"सोम" पिये जा।।

भज रघुपति  हर  काम बिहाई।
सब विधि सुलभ  सबै सुखदाई।।
कुछ  परहित  कर  ले उर लाई।
सच  यह  जगत  बड़ा दुखदाई।।

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*18-◆चंचरी छंद◆*
विधान-
(12,12,12,10 मात्राओं पर यति,
4 चरण,दो-दो चरण समतुकांत,चरणान्त गुरु)

अजा गजा गिद्ध सिद्ध,
   राम  जू   उबार  दये,
       द्रवहुँ  सो  दीनानाथ,भव से उबारिये।
राखौ जू शरण मोहिं,
    आन आसरौ न कोय,
       चरणों में पड़ा दीन,अब तो निहारिये।।
जानौं दीन हीन गति,
   राम जू   सुधार  दई,
       सियानाथ  मोरी गति,तैसइ सुधारिये।
सुनिये  पुकारे "सोम",
   कौशलकिशोर  जू सो,
       नेह को  निमंत्रण है,हिय में पधारिये।।

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*19-◆चौपइया छंद [सम मात्रिक] ◆*
विधान~
{4 चरण समतुकांत,प्रति चरण 30 मात्राएँ, 
प्रत्येक में 10,8,12मात्राओं पर यति 
प्रथम व द्वितीय यति समतुकांत,  
जगण वर्जित,प्रत्येक चरणान्त में गुरु(2),
चरणान्त में दो गुरु होने पर यह छंद  
मनोहारी हो जाता है।}
           
कलु कलुष निकंदन,दशरथनंदन,
                         कौशिल्या  के  लाला।
सन्तन हितकारी , अवधबिहारी,
                         मानस   मंजु मराला।।
वंदहुँ तव चरणा,भवभय हरणा,
                        सेवत सकल भुआला।
गावहुँ  गुन  ग्रामा ,पूरण-कामा,
                        सुंदर "सोम" कृपाला।।

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*20-◆रसाल छंद◆*
विधान~
[भगण नगण जगण भगण जगण जगण+लघु]
(211  111  121  211  121 121  1)
19 वर्ण , 9 ,10 वर्णों पर यति ,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत।

राघव   रघुपति  राम,  आप  सबके  दुख टारन।
हे जगपति  सुखधाम, नाथ  सब काज सँवारन।।
जापत सियहि समेत, दास   पद  पंकज चाकर।
गावत गुन गन नित्य,"सोम"निज शीश नवाकर।।

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*21-◆मकरन्द छंद◆*
विधान~
[ नगण यगण नगण यगण नगण नगण नगण नगण गुरु गुरु]
(111122,111122,11111111,111122)
26 वर्ण,4 चरण,यति 6,6,8,6,वर्णों पर
दो-दो चरण समतुकांत]


अवध दुलारे, जगत  सहारे,
             पुनि पुनि  प्रनवउँ,तव गुण गाऊँ।
सब विधि सेवा,करहहुँ देवा,
             सकल जगत तज,पद रज पाऊँ।।
द्रवहुँ दयाला, परम कृपाला,
              सुमिरिहुँ मन महुँ ,अति हरषाऊँ।
रहहुँ  ससंकू,बड़  मति रंकू,
           कहहुँ विमल जस,अनुदिन ध्याऊँ।।

                                ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

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