Friday, December 25, 2020

छप्पय-मुकेश शर्मा "ओम"



छप्पय – छप्पय मात्रिक विषम छन्द है।
इसके पहले चार चरण रोला के तथा बाद के दो चरण उल्लाला के होते हैं। उस तरह रोला और उल्लाला छंदों के मिलने से छप्पय छन्द बनता है। छप्पय के प्रथम चार चरणों में 24-24 मात्राएँ होती हैं तथा 11, 13 पर यति होती है। अन्तिम दो 28-28 अथवा 26-26 मात्राएँ भी होती हैं।

जन्में     सारे     जीव, नहीं  है   इसमें  शंका।
देखें  जिस  भी   ओर, बजे  नारी  का  डंका।
तृप्त    करे    परिवार, अन्नपूर्णा  तब  खाती।
मन्दिर  की   हैं   मूर्ति, आरती   दीया - बाती।
स्त्रोत सभी का है यही, सब  नारी के अंश हैं।
इनका आभारी "ओम", जिनसे सबके वंश हैं।
                            *©मुकेश शर्मा "ओम"*

Sunday, November 8, 2020

Sunday, October 11, 2020

जनक छंद - सोम,साहिल

*त्रिपदिक जनक छंद*

संस्कृत के प्राचीन त्रिपदिक छंदों (गायत्री, ककुप आदि) की तरह जनक छंद में भी ३ पद (पंक्तियाँ) होती हैं. दोहा के विषम (प्रथम, तृतीय) पद की तीन आवृत्तियों से जनक छंद बनता है. प्रत्येक पद में १३ मात्राएँ तथा पदांत में लघु गुरु या लघु लघु लघु होना आवश्यक है. पदांत में सम तुकांतता से इसकी सरसता तथा गेयता में वृद्धि होती है. प्रत्येक पद दोहा या शे'र की तरह आपने आप में स्वतंत्र होता है .

जनक छंद की बात की जाए तो इसके पाँच भेद हैं🌺💐💐👌

1- शुद्ध जनक छंद - जहाँ पहले और अंतिम पद की तुक मिले।
2- पूर्व  जनक  छंद- पहले दो पद तुकांत
3- उत्तर जनक छंद- अंत के दो पद तुकांत
4- घन  जनक छंद - तीनों पद तुकांत
5- सरल जनक छंद- तीनों पद अतुकांत।

राम नाम  ही सार है
राम राम  कहते रहो
समझो नौका पार है
      ~शैलेन्द्र खरे "सोम"

🌷💐🌷💐🌷💐🌷🌷


1- शुद्ध जनक छंद - जहाँ पहले और अंतिम पद की तुक मिले।
तारा नयन कमाल है|
सुन्दर सूरत देखकर|
बिगड़ा  मेरा हाल है|

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2- पूर्व   जनक  छंद - पहले दो पद तुकांत

मनभावन सा साथ है|
संग  मीत का  हाथ है|
जीवन सुखमय प्रेम से|

3- उत्तर जनक  छंद - अंत के दो पद तुकांत

सत्य सार यह जान लो।
मधुर  प्रीति  ही सार है।
जग  झंझट  बेकार  है।

4. घन जनक छंद - सारे चरण समतुकान्त 

प्रेम दान भी  दीजिए|
स्नेह सभी से कीजिए|
सेवा भाव भर लीजिए|

5- सरल जनक  छंद - तीनों पद अतुकांत।

प्रेम  हृदय  का भोज है|
सब जन में सहकार हो|
यही  सत्य सब जान लें|

    © डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

Wednesday, September 16, 2020

कोविड-19 स्वास्थ्य संगठन ने सौंपा मुख्यमंत्री जी को ज्ञापन - दीपक तिवारी

Covid-19 संगठन में कार्य कर रहे कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री जी को दिया ज्ञापन

विगत 5 माह से स्वास्थ्य विभाग में पूर्ण  योद्धा के रूप में काम कर रहे कर्मचारियों ने अस्थाई से स्थाई होने की मांग रखी और कर्मचारियों ने बताया अपनी जान जोखिम में डालकर covid-19 काल के स्थान दें एवं पॉजिटिव मरीजों की सीधे संपर्क में रहते हुए इलाज करते हैं और बताया कि प्रायः देखा जा रहा है कि पूरे मध्यप्रदेश में कोरोना के मरीज लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं एवं स्वास्थ्य कर्मचारियों की भारी मात्रा में कमी होने के कारण सही इलाज नहीं हो पा रहा है यदि covid-19 से संबंधित स्वास्थ्य कर्मचारी के रूप में कार्य कर रहे सभी कर्मचारियों का  नियमितीकरण कर दिया जाए तो covid-19 की स्वास्थ्य व्यवस्था अच्छी हो सकती है एवं यह कार्य  डॉ प्रहलाद शिवहरे प्रदेश सचिव जिला अध्यक्ष दीपक तिवारी साथ ही डॉ. पूनम शर्मा,रंजना नायक,राहुल पचौरी,पंचम सिंह ,पूजा सिंह,गौरीबाई अहिरवार,एन.एस.परमार,संध्या कुशवाहा,अभिषेक सोनी,पूजा खरे, प्रदीप कुशवाहा,महेश विश्वकर्मा,प्राची,रीतू, सुधा,बालमुकुंद शुक्ला, सुनीता,पूनम त्रिवेदी आदि लोगों द्वारा ज्ञापन सौंपा गया।

माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं - नीतेंद्र भारत

विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत की ओर से माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

 नीतेंद्र सिंह परमार भारत
प्रदेश अध्यक्ष व मुख्य प्रवक्ता

Sunday, September 13, 2020

हिंदी भाषा के तथ्य - दिनेश श्रीवास्तव

मित्रों! आज १४सितम्बर को हिंदी दिवस है।हिंदी दिवस की शुभकामनाओं के साथ भारत मे हिंदी के विकास के ऐतिहासिक तथ्यों से आपको अवगत कराने का प्रयास कर रहा हूँ--
 
१- गुजरात के महान कवि श्री नर्मद(१८३३-८६) ने सर्वप्रथम हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का विचार रखा।
२- १८७२ में आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद ने संस्कृत की जगह हिंदी में लिखने का विचार किया।
३- १८७३ में महेंद्र भट्टाचार्य द्वारा हिंदी में 'पदार्थ विज्ञान' की रचना की।
४- १८७५ में आर्यसमाज के आधार ग्रंथ'सत्यार्थ प्रकाश' की रचना हिंदी में हुई।
५- १८७७ में श्रद्धाराम फिल्लौरी ने 'भाग्यवती'नामक हिंदी उपन्यास की रचना की।
६- १८९३ में 'काशी नागरी प्रचारिणी सभा 'की स्थापना हुई।
७- १९१८ में आठवां हिंदी सम्मेलन हुआ जिसमें महात्मा गांधी ने हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने का आह्वाहन किया।
८- १९१८ में ही महात्मा गांधी द्वारा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की स्थापना की गई।
९- १९३५ में मद्रास के मुख्यमंत्री सी राजगोपालाचारी ने हिंदी शिक्षा को अनिवार्य कर दिया।
१०- *दिनांक १४ सितम्बर १९४९को संविधान सभा ने हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया।इसी दिन को 'हिंदी दिवस'के रूप में मनाया जाता है*।
११- दिनांक २७-५-९२ को न्यायधीशों की नियुक्तियों में अंग्रेजी के अतिरिक्त हिंदी भाषा व भारतीय अंको के अंतराष्ट्रीय स्वरूप के अतिरिक्त अंको के देवनागरी स्वरूप का प्रयोग शुरू हुआ।
१२- ७-६-५५ को बी जी खेर आयोग का गठन।
१३- दिनांक ३-१२-५५ को संघ के कुछ कार्यों के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिंदी का प्रयोग किये जाने का आदेश।
१४- १९५७ में खेर आयोग की रिपोर्ट पर विचार हेतु तत्कालीन गृह मंत्री गोविंद बल्लभ पंत की अध्यक्षता में संसदीय समिति का गठन।
१५- १९५९ मे संसदीय समिति की रिपोर्ट पर संसद में बहस। जवाहर लाल नेहरू द्वारा अंग्रेजी को सह भाषा के रूप में प्रयोग करने का आश्वासन दिया गया।
१६- १०-५ -६३ को राजभाषा अधिनियम बना।
१७- ५-९-६७ को 'केंद्रीय हिंदी समिति' का गठन।
१८- १८६८ में राजभाषा संकल्प के अनुसार हिंदी में कार्य करने के लिये कार्यक्रम तैयार किया गया।
१९- १९७१ में केंद्रीय अनुबाद ब्यूरो का गठन।
२०- १९७५ में राजभाषा विभाग का गठन।
२१- १९७६ में राज भाषा नियमावली बनी।
२२- १९७६ में ही संसदीय राजभाषा समिति का गठन।
२३- श्री अटल विहारी बाजपेयी द्वारा विदेश मंत्री के रुप मे पहली बार संयुक्त राष्ट्र की आम सभा मे हिंदी में संबोधन किया।
२४- १९८५ में केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान का गठन।
२५- १९८५ में कोठारी शिक्षा आयोग की रिपोर्ट।
२६- १९९९ में संघ की राजभाषा हिंदी की स्वर्ण जयंती मनाई गई।
२७- अप्रैल २०१७ में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने ' संसदीय राजभाषा समिति' की सिफारिश स्वीकार कर ली जिसके अनुसार राष्ट्र्पति तथा मंत्रियों को हिंदी में ही भाषण देने चाहिए।
२८- मई २०१८ में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद ने हिंदी माध्यम से इंजीनियरिंग की शिक्षा की अनुमति दी।
३०- १७ जुलाई २०१९ में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने सभी निर्णयों का हिंदी में अनुवाद प्रदान करना शुरू कर दिया।
          हिंदी की विकास- गाथा क्या संतोष जनक है?एक विचारणीय प्रश्न है ।
              धन्यवाद।
                               दिनेश श्रीवास्तव

Friday, September 11, 2020

चलो दिल्ली चलो - नीतेंद्र सिंह परमार

सभी नर्सिंग स्टाफ व स्टूडेंट्स भूख हड़ताल की तैयारी करें व सभी शेयर करें जिससे देश के हर एक नर्सिंग स्टाफ व स्टूडेंट तक जानकारी पहुंच जाए।
आपका मित्र
नीतेंद्र सिंह परमार
प्रदेश महासचिव
नर्सिंग छात्र संगठन भारत

Saturday, September 5, 2020

गुरु गौरव सम्मान

महामारी के संकट से उबरते हेतु जिस प्रकार हमारा देश संघर्ष कर रहा है, वह काबिले-तारीफ है | वर्तमान समय में अधिकतर सामाजिक संस्थाए आनलाइन माध्यम से कार्य करने को वरीयता दे रही हैं |  बीसलपुर, पीलीभीत स्थित विश्व जनचेतना ट्रस्ट 'भारत' के स्वतंत्रता दिवस पर आनलाइन भव्य कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह के बाद *दिनांक 5 सितम्बर 2020 को दोपहर बाद 3:00 बजे से रात्रि 8:00 बजे तक भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों के 254 सरकारी एवं गैर सरकारी शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं को विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत -3011  की ओर से अध्यापकों के विशेष सराहनीय शैक्षणिक कार्य एवं समाज में उत्कृष्ट योगदान हेतु #"गुरु गौरव सम्मान 2020"# (सम्मान पत्र) से सम्मानित किया गया |*

बीज रूपी बच्चों एवं नव पल्लव रूपी युवाओं को पोषित संरक्षित और बेहतर नागरिक बनाने वाले खनिज रूपी शिक्षकों को सम्मानित करते हुए विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत अत्यधिक गौरवान्वित है|

भव्य आनलाइन कार्यक्रम का संचालन छतरपुर म• प्र• के नीतेन्द्र सिंह परमार भारत जी  ने किया, संस्था के उत्तराखंड ईकाई के अध्यक्ष ओमप्रकाश फुलारा प्रफुल्ल जी द्वारा गुरु गौरव सम्मान पत्र की डिजाईनिंग का उत्कृष्ट कार्य किया गया| विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत के संस्थापक आदरणीय दिलीप कुमार पाठक सरस जी, संरक्षक कौशल कुमार पाण्डेय आस जी, अध्यक्ष सुशीला धस्माना मुस्कान जी, सचिव राजेश मिश्र प्रयास जी, ओमप्रकाश फुलारा प्रफुल्ल जी, शैलेन्द्र खरे सोम गुरुदेव जी, सन्तोष कुमार प्रीत जी, डॉ• राहुल शुक्ल साहिल जी, मनोज कुमार खोलिया जी, दिनेश श्रीवास्तव जी, पं• सुमित शर्मा पीयूष जी, संजय बहिदार जी इत्यादि संस्था के सदस्यगण एवं अन्य साहित्यकार, शिक्षक, शिक्षिकाएं उपस्थित रहे एवं अपनी शुभकामनाओं एवं बधाइयों से सभी का उत्साहवर्धन किया |
 
           कार्यक्रम की शुरुआत ज्योति अग्निहोत्री नित्या जी द्वारा स्वरबद्ध सरस्वती वंदना से हुई, नीतेन्द्र सिंह परमार भारत जी द्वारा स्वागत गीत से सभी का स्वागत अभिनन्दन किया गया, इसी बीच संस्था के बनारस ईकाई के अध्यक्ष सन्तोष कुमार प्रीत जी द्वारा विरचित अद्भुत ई काव्य संग्रह _"रचना खुद रचती है कवि को"_ का विमोचन लोकार्पण संस्था के संरक्षक कौशल कुमार पाण्डेय आस जी द्वारा किया गया| रचनाकार सन्तोष कुमार प्रीत जी को वागीश्वर पुञ्ज सम्मान से सम्मानित करते हुए, 254 शिक्षकों/ शिक्षिकाओं को *"गुरु गौरव सम्मान 2020 (सम्मान पत्र)"* द्वारा सम्मानित किया गया | उपस्थित सभी गुणीजनों ने ई काव्य संग्रह {रचना खुद रचती है कवि को} को खूब सराहा एवं समस्त शिक्षकों को बधाई एवं शुभकामनाएँ दी| विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत की ओर से समस्त गुरुओं को कोटि कोटि नमन |

गुरु महिमा सबसे बड़ी, गुरु जीवन आधार |
सकल जगत में ज्ञान का, गुरु ही है भण्डार ||

शिक्षक दिवस (05 सितम्बर 2020) पर सम्मानित होने वाले समस्त शिक्षकों/ शिक्षिकाओं की सूची 


1. आ. गीतांजली वार्ष्णेय जी
2. आ. मनोज कुमार खोलिया जी
3 आ. दीप चंद्र पाण्डेय जी
4 आ. साधना कृष्ण जी
5 आ. लाल देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव जी
6 आ. डॉ• राजीव जोशी जी
7 आ. संजय बहिदार जी
8 आ. बृजमोहन श्रीवास्तव जी
9 आ. आलोक कुमार यादव जी
10 आ. आशा जोशी जी
11आ. डॉ• प्रभुनाथ गुप्त विवश जी
12 आ. कुमार जितेंद्र जी
13 आ. रवि रश्मि अनुभूति जी
14 आ. डॉ• अनिल शर्मा जी
15 आ. दिनेश अवस्थी जी
16 आ. विश्वेश्वर शास्त्री विशेष जी
17 आ. रामचंद्र प्रधान लोईंग जी
18 आ. सुषमा दीक्षित शुक्ला जी
19 आ. डॉ• राजेश कुमार जैन जी
20 आ. राजेश पाण्डेय वत्स जी
21 आ. रामस्वरूप मयूरेश जी
22 आ. दिलीप कुमार पाठक 'सरस' जी
23 आ. ओम प्रकाश फुलारा 'प्रफुल्ल' जी
24 आ. ब्रजेश त्रिवेदी जी
25 आ. शशि रंजन शर्मा जी
26 आ. गिरीश अधिकारी जी
27 आ. ज्योति अग्निहोत्री नित्या जी
28. आ. रूपेश कुमार जी
29 आ. धर्मराज देशराज जी
30 आ. एस के कपूर श्रीहंस जी
31 आ. मधु सक्सेना जी
32 आ. सुशीला धस्माना जी
33 आ. मोहन चंद्र जोशी जी
34 आ. शंकर लाल टम्टा जी
35 आ. हरीश दफौटी जी
36 आ. गणेश पाण्डे जी
37 आ. विजेन्द्र सिंह जी
38 आ. अनिल कुमार पाण्डे जी
39 आ. देवेन्द्र सिंह मेहता जी
40 आ. दिनेश नेगी जी
41 आ. चंद्रशेखर बड़सीला जी
42 आ. आलोक पांडे जी
43 आ. नंदन सिंह अलमिया जी
44 आ. गोपाल प्रसाद जी
45 आ. प्रेमा भट्ट जी
46 आ. गिरिजा भूषण काण्डपाल जी
47 आ. उमेश जोशी जी
48 आ. सुरेश चंद्र खोलिया जी
49 आ. नवीन मिश्रा जी
50 आ. नीरज पंत जी
51 आ. मनोज कुमार तिवारी मनसिज जी
52 आ. भुवन बिष्ट जी
53 आ. डॉ• रेणु देवी जी
54 आ. संजय सिंह राजपूत जी
55 आ. कान्तिप्रभा शुक्ला जी
56 आ. शैल कुमार पाण्डेय जी
57 आ. विजय कुमार पाण्डेय जी
58 आ. शम्भूनाथ दुबे जी
59 आ. राजेन्द्र कुमार जी
60 आ. सरिता अग्रवाल जी
61 आ. डॉ• सर्वेशानन्द जी
62 आ. रघु सुरेंद्र सिंह जी
63 आ. मोहित कुमार ओझा जी
64 आ. डॉ• नीतू सिंह जी
65 आ. डॉ• अर्पणा सिंह जी
66 आ. डॉ• कृष्ण कुमार सिंह जी
67 आ. डॉ गीता जी
68 आ. मनिन्द्र कुमार श्रीवास्तव जी
69 आ. नीलिमा जी
70 आ. बाबा वैद्यनाथ झा जी
71 आ. कौशल कुमार पाण्डेय आस जी
72 आ. राजेश मिश्र प्रयास जी
73 आ. आदेश शुक्ला जी
74 आ. अजय विक्रम सिंह जी
75 आ. डॉ सवितुर प्रकाश गंगवार जी
76 आ. भद्रपाल गंगवार जी
77 आ. लालाराम कश्यप जी
78 आ. अखिलेश चंद्र पाण्डेय जी
79 आ. हिमांशु दीक्षित जी
80 आ. प्रदीप कुमार राय जी
81 आ. डॉ अवनीश यादव जी
82 आ. राजेश कुमार शर्मा जी
83 आ. डॉ राजेन्द्र सिंह विचित्र जी
84 आ. प्रताप वैरागी जी
85 आ. अमिता शुक्ला जी
86 आ. शुभ्रा माहेश्वरी जी
87 आ. राहुल यदुवंशी जी
88 आ. प्रतिभा तिवारी जी
89 आ. दीनबन्धु त्रिपाठी जी
90 आ. दिनेश चंद्र श्रीवास्तव जी
91 आ. बलवीर सिंह जी
92 आ. शशांक मिश्रा जी
93 आ. आदेश कुमार पंकज जी
94 आ. अरुण दीक्षित जी
95 आ. राजबाला धैर्य जी
96 आ. अनंत प्रकाश जी
97 आ. मोहम्मद अदील मंसूरी जी
98 आ. नरेश चंद्र पाठक जी
99 आ. ओम प्रकाश शर्मा जी
100 आ. अर्चना देवी जी
101 आ. निधि मिश्रा जी
102 आ. हाफिज अहमद जी
103 आ. प्रवीण गुप्ता जी
104 आ. अमित पाठक जी
105 आ. आलोक कुमार जी
106 आ. लोकेश चंद्र शर्मा जी
107 आ. संजय कुमार जायसवाल जी
108 आ. अजय पाल सिंह जी
109 आ. रमाकांत जी
110 आ. राममोहन जी
111 आ. शालिनी जायसवाल जी
112 आ. आकांक्षा राठौर जी
113 आ. संदीप सिंह जी
114 आ. धर्मेन्द्र कुमार द्विवेदी जी
115 आ. नरेन्द्र कुमार जी
116 आ. शैलेन्द्र कुमार जी
117 आ. वीरपाल जी
118 आ. योगेश प्रकाश जी
119 आ. रजत कुमार जायसवाल जी
120 आ. राहुल प्रताप सिंह जी
121 आ. सत्यवीर सिंह जी
122 आ. लोकेश कुमार जी
123 आ. विनय कुमार पाण्डेय जी
124 आ. मनोज कुमार जी
125 आ. संजय सिंह जी
126 आ. अनिल कुमार जी
127 आ. संजय कुमार जी
128 आ. रंजना देवी जी
129 आ. अभिषेक गंगवार जी
130 आ. मुजफर हुसैन जी
131 आ. गोपेश कुमार जी
132 आ. राजेश कुमार जी
133 आ. अनिल शर्मा जी
134 आ. आकांक्षा सक्सेना जी
135 आ. जगत सिंह जी
136 आ. गीतेश चन्द्र द्विवेदी जी
137 आ. कौशल कुमार जी
138 आ. नीरज दीक्षित जी
139 आ. राहुल कुमार शुक्ला जी
140 आ. प्रबल प्रताप सिंह जी
141 आ. अभिषेक दीक्षित जी
142 आ. ब्रह्मानंद त्रिपाठी जी
143 आ. विकास मिश्रा जी 
144 आ. ध्रुव कुमार मिश्रा जी
145 आ. वेदपाल जी
146 आ. आकांक्षा सक्सेना जी
147 आ. मनोज कुमार शर्मा जी
148 आ. इंद्र देव त्रिपाठी जी
149 आ. एम सी मिश्रा जी
150 आ. सुरेश बाबू मिश्रा जी
151 आ. डॉ आर पी त्रिपाठी जी
152 आ. रमेश गौतम जी
153 आ. शालिनी शर्मा जी
154 आ. सुरेश रस्तोगी जी
155 आ. अभिषेक कुमार जी
156 आ. राजेश शुक्ला जी
157 आ. योगेश कुमार श्रीवास्तव जी
158 आ. विपिन कुमार जी
159 आ. अंकित मिश्रा जी
160 आ. राहुल कुमार उपाध्याय जी
161 आ. प्रवीण कुमार जी
162 आ. अरविंद कुमार जी
163 आ. प्रदीप कुमार जी
164 आ. विकास गौतम जी
165 आ. शालिनी शर्मा जी
166 आ. संजीव कुमार जी
167 आ. धर्मपाल वर्मा जी
168 आ. रूप चंद्र गंगवार जी
169 आ. शिवांगी गुप्ता जी
170 आ. राजेश कुमार जी
171 आ. सौरभ कुमार गंगवार जी
172 आ. राधा कृष्ण पांडे जी
173 आ. अनिता जायसवाल जी
174 आ. रश्मि यादव जी
175 आ. मुदित त्रिवेदी जी
176 आ. गौरव शर्मा जी
177 आ. गोपाल जायसवाल जी
178 आ. विवेक कुमार जी
179 आ.  विवेक मिश्रा जी
180 आ. मनीष मिश्रा जी
181 आ. ज्ञान प्रकाश जी
182 आ. आदर्श कुमार गौतम जी
183 आ. ब्रजेश कुमार जी
184 आ. पूनम जी
185 आ. राम निवास जी
186 आ. राम रतन लाल जी
187 आ. चित्रा शुक्ला जी
189 आ. कमलजीत सिंह
190 आ. प्रदीप कुमार गौतम जी
191 आ. ज्योति प्रभा जी
192 आ. प्रताप सिंह जी
193 आ. आकाश गुप्ता जी
194 आ. धीरेंद्र बहादुर सिंह जी
195 आ. अमित कुमार मिश्रा जी
196 आ. मनोज कुमार अवस्थी जी
197 आ. राजवीर सिंह जी
198 आ. विनीत कुमार सिंह जी
199 आ. स्वाति बाजपेयी जी
200 आ. देवेंद्र पाल जी
201 आ. यतीन्द्र कुमार जी
202 आ. नागेंद्र कुमार जी
203 आ. श्वेता गुप्ता जी
204 आ. मधुसूदन मिश्रा जी
205 आ. अवनीश कुमार जी
206 आ. देवेंद्र कुमार गंगवार जी
207 आ. दीपशिखा गंगवार जी
208 आ. विकास शर्मा जी
209 आ. सोमपाल जी
210 आ. वन्दना अग्निहोत्री जी
211 आ. कुलदीप सिंह जी
212 आ. सचिन गुप्ता जी
213 आ. जितेंद्र कुमार जी
214 आ. महेश पाल जी
215 आ. राजेश कुमार जी
216 आ. अखिलेश कुमार त्रिवेदी जी
217 आ. शुभ सक्सेना जी
218 आ. आमोद कुमार मिश्रा जी
219 आ. आनंद कुमार जी
220 आ. आशुतोष शर्मा जी
221 आ. शिवम शुक्ला जी
222 आ. साक्षी गुप्ता जी
223 आ. धीरज कुमार जी
224 आ. सुरेंद्र कुमार जीत जी
225 आ. संजीव कुमार शर्मा जी
226 आ. रामा जी
227 आ. समीर कुमार जी
228 आ. देव माथुर जज
229 आ. आलोक कंसल जी
230 आ. भाष्कर त्रिपाठी जी
231 आ. हरीश चंद्र पाण्डेय जी
232 आ. रामवीर जी
233 आ. राजेन्द्र राव जी
234 आ. ओम प्रकाश गौतम जी
235 आ. संजीव कुमार कुशवाहा जी
236 आ. प्रेमचंद्र जी
237 आ. आलोक शुक्ला जी
238 आ. तुलाराम अनुरागी जी
239 आ. मंशा शुक्ला जी
240 आ. शैलेन्द्र खरे सोम जी
241 आ. शिखा श्रीवास्तव जी
242 आ. नीतेन्द्र सिंह परमार भारत जी
243 आ. गुनगुन गुप्ता जी
244 आ. राजेश सिंह जी
245 आ. राम जी शर्मा जी
246 आ. सूरज गंगवार जी
247 आ. पूरन लाल गंगवार जी
248 आ. उमेश मिश्रा
249 आ. सुमित शर्मा पीयूष जी
250 आ.सरीता रानी जी
251 आ. सरिता गंगवार जी
252 आ. लता सक्सेना जी
253 आ. गीता मिश्रा 'गीत' जी
254 आ. मंजू नौगाईं जी
  
       धन्यवाद !
डॉ• राहुल शुक्ल साहिल 
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत"
   9264988860

Monday, July 13, 2020

गीत

◆गीत◆

[16,14,मात्राएँ,अन्त मगण,
ताटंक छन्द पर आधारित]


धन्य धन्य है भारत माता,
                   नित नित शीश झुकाता हूँ
मेवाड़ी माटी की महिमा,
                       सुनिये आज सुनाता हूँ......
                    1-
महाराणा जी परम सुभट थे,
               तन-मन जोश समाया था।
सुनकर साहस की गाथाएँ, 
               सारा जग चकराया था।।
जनमानस की बात कहूँ क्या,
                       पंछी गाथा गाते हैं।
दुश्मन के वंशज अब तक भी,
                    सुन-सुन के थर्राते हैं।।
गूँजे गली-गली में जो वो,
                           गौरव गाथा गाता हूँ......
                     2-  
छिपे-छिपे रहते सब दुश्मन,
                      ढूँढ़-ढूँढ़ के मारे थे।
रण में कितने ही मुगलों के,
                  धड़ से शीश उतारे थे।।          
लेकर जब भी भाला रण में,
                  राणा जी आ जाते थे।
पर्वत भी थर्रा जाते तब ,
             सब दुश्मन भय खाते थे।।
समझ पड़े तो समझ लीजिये,
                     आज यही समझाता हूँ.....
                    3-
मुगल सल्तनत की दीवारें,
                   हिलतीं थीं हुंकारों से।
अगर बात दुश्मन से होती,
                  तो भाला  के वारों से।।
कुछ ऐसा ही तो जादू है,
                     इस मेवाड़ी पानी में।
आँख उठाकर देख न लेना,
                     कोई भी नादानी में।।
जन्म मिला इस पुण्य धरा पर,
                      "सोम" सदा इतराता हूँ......

                         ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

शीर्षक:- गिरना,उठना,चलना और फिर गिरना - नीतेंद्र भारत

शीर्षक:- गिरना,उठना,चलना और फिर गिरना

क्या कभी सोचा है कि हम क्या कर रहें हैं? नहीं तो सोचों की जो कर रहें है उस काम को हम ईमानदारी के साथ कर रहें है? हमनें कही कोई कमी तो नहीं छोड़ी है कि जिसकी वजह से हम सफलता हासिल ना कर पाएं। यदि "अभी नहीं सोचा तो कभी नहीं सोचा; हमे कुछ चीजें बेहद जानना ज़रूरी है। जीवन में उतार चढ़ाव आते है,आना भी ज़रूरी है। यदि आप प्रतिदिन एक ही क्रिया करते रहें। तो फिर कुछ नया पाने की भी मत सोच लेना।
            गिरना,उठना,चलना,और फिर गिरना यह क्रिया निरंतर हर व्यक्ति के साथ चलती रहती है। कोई कहता है हमारा नसीब ख़राब है, सायद हमें इस जीवन में सुख ही नसीब ना हो? आधुनिक युग का प्राणी मात्र झूठी प्रसंशा सुनना चाहता है,अपने सामने दूसरों के मुख से वह इसी में प्रसन्न रहता है। वह सच्चाई तक जाना ही नहीं चाहता है, झूठ इतना बढ़ गया है कि सच्चाई दिखती नहीं है।
   आप सबके हृदय को ठेस पहुंचाने का हमारा कोई उद्देश्य नहीं है अपितु एक सही लक्ष्य का चयन करें। और उसे प्राप्त करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दो,दिनरात मेहनत करके हासिल करो,फिर रुकना नहीं है। लक्ष्य  प्राप्ति के बाद चुप मत बैठे,दूसरा लक्ष्य तैयार करें, और हमेशा सीखते रहें, और तजुर्बा लेकार सिखाते रहो।
   "जीवन है एक जंग,जीतो भारत संग"
बस आपकी जिदंगी आसान होती जाएंगी। और यहीं कहना है कि
      "हँसते रहो मुस्कुराते रहें,गीत नये रोज आप गाते रहो"

लेखक
नीतेंद्र सिंह परमार "भारत"
छतरपुर मध्यप्रदेश
दिनांक:-14/07/2020
समय:- रात्रि 01:51 मिनट्स

Monday, May 25, 2020

गीत

◆गीत◆

[16,14,मात्राएँ,अन्त मगण,
ताटंक छन्द पर आधारित]


धन्य धन्य है भारत माता,
                   नित नित शीश झुकाता हूँ
मेवाड़ी माटी की महिमा,
                       सुनिये आज सुनाता हूँ......
                    1-
महाराणा जी परम सुभट थे,
               तन-मन जोश समाया था।
सुनकर साहस की गाथाएँ, 
               सारा जग चकराया था।।
जनमानस की बात कहूँ क्या,
                       पंछी गाथा गाते हैं।
दुश्मन के वंशज अब तक भी,
                    सुन-सुन के थर्राते हैं।।
गूँजे गली-गली में जो वो,
                           गौरव गाथा गाता हूँ......
                     2-  
छिपे-छिपे रहते सब दुश्मन,
                      ढूँढ़-ढूँढ़ के मारे थे।
रण में कितने ही मुगलों के,
                  धड़ से शीश उतारे थे।।          
लेकर जब भी भाला रण में,
                  राणा जी आ जाते थे।
पर्वत भी थर्रा जाते तब ,
             सब दुश्मन भय खाते थे।।
समझ पड़े तो समझ लीजिये,
                     आज यही समझाता हूँ.....
                    3-
मुगल सल्तनत की दीवारें,
                   हिलतीं थीं हुंकारों से।
अगर बात दुश्मन से होती,
                  तो भाला  के वारों से।।
कुछ ऐसा ही तो जादू है,
                     इस मेवाड़ी पानी में।
आँख उठाकर देख न लेना,
                     कोई भी नादानी में।।
जन्म मिला इस पुण्य धरा पर,
                      "सोम" सदा इतराता हूँ......

                         ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

Friday, May 22, 2020

अनुस्वार और अनुनासिका में अंतर

*अनुस्वार और अनुनासिका में अंतर* -----

1- अनुनासिका स्वर है जबकि अनुस्वार मूलत: व्यंजन।
2- अनुनासिका (चंद्रबिंदु) को परिवर्तित नहीं किया जा सकता, जबकि अनुस्वार को वर्ण में बदला जा सकता है।.
3- अनुनासिका का प्रयोग केवल उन शब्दों में ही किया जा सकता है जिनकी मात्राएँ शिरोरेखा से ऊपर न लगीं हों। जैसे अ , आ , उ ऊ ,
उदाहरण के रूप में --- हँस , चाँद , पूँछ

4. शिरोरेखा से ऊपर लगी मात्राओं वाले शब्दों में अनुनासिका के स्थान पर अनुस्वार अर्थात बिंदु का प्रयोग ही होता है. जैसे ---- गोंद , कोंपल, जबकि अनुस्वार हर तरह की मात्राओं वाले शब्दों पर लगाया जा सकता है.

जब अनुस्वार को व्यंजन मानते हैं तो इसे वर्ण में किन नियमों के अंतर्गत परिवर्तित किया जाता है....इसके लिए सबसे पहले हमें सभी व्यंजनों को वर्गानुसार जानना होगा.......।

(क वर्ग ) क , ख ,ग ,घ ,ड.
(च वर्ग ) च , छ, ज ,झ , ञ
(ट वर्ग ) ट , ठ , ड ,ढ ण
(त वर्ग) त ,थ ,द , ध ,न
(प वर्ग ) प , फ ,ब , भ म
य , र .ल .व
श , ष , स ,ह

यहाँ अनुस्वार को वर्ण में बदलने का नियम है कि जिस अक्षर के ऊपर अनुस्वार लगा है उससे अगला अक्षर देखें ....जैसे गंगा ...इसमें अनुस्वार से अगला अक्षर गा है...ये ग वर्ण क वर्ग में आता है इसलिए यहाँ अनुस्वार क वर्ग के पंचमाक्षर अर्थात  *ङ*  में बदला  जायेगा.. ये उदाहरण हिंदी टाइपिंग में प्रायः नहीं आ रहा है...दूसरा शब्द लेते हैं. जैसे कंबल –
यहाँ अनुस्वार के बाद ब अक्षर है जो प वर्ग का है ..ब वर्ग का पंचमाक्षर म है इसलिए ये अनुस्वार म वर्ण में बदला जाता है
कंबल..... कम्बल
झंडा ..---- झण्डा
मंजूषा --- मञ्जूषा
धंधा --- धन्धा
छंद -----छन्द
बंद----बन्द         
मंद-----मन्द

Thursday, May 21, 2020

मात्रा ज्ञान

सभी मित्र, जिन्हें मात्राओं का ज्ञान प्राप्त करना हो, यह जानने के लिये यह लेख पढ़ सकते हैं, कोई शंका होने पर प्रश्न पूछ सकते हैं। 

मात्राभार की गणना

छन्दबद्ध रचना के लिये मात्राभार की गणना का ज्ञान आवश्यक है। मात्राभार दो प्रकार का होता है – वर्णिक भार और वाचिक भार। वर्णिक भार में प्रत्येक वर्ण का भार अलग-अलग यथावत लिया जाता है जैसे – विकल का वर्णिक भार = 111 या ललल जबकि वाचिक भार में उच्चारण के अनुरूप वर्णों को मिलाकर भार की गणना की जाती है जैसे विकल का उच्चारण वि कल है, विक ल नहीं, इसलिए विकल का वाचिक भार है – 12 या लगा। वर्णिक भार की गणना करने के लिए कुछ निश्चित नियम हैं। 

वर्णिक भार की गणना 

(1) ह्रस्व स्वरों की मात्रा 1 होती है जिसे लघु कहते हैं, जैसे - अ, इ, उ, ऋ की मात्रा 1 है। लघु को 1 या । या ल से भी व्यक्त किया जाता है। 

(2) दीर्घ स्वरों की मात्रा 2 होती है जिसे गुरु कहते हैं,जैसे - आ, ई, ऊ, ए,ऐ,ओ,औ की मात्रा 2 है। गुरु को 2 या S या गा से भी व्यक्त किया जाता है। 

(3) व्यंजनों की मात्रा 1/ल होती है , जैसे - क,ख,ग,घ / च,छ,ज,झ / ट,ठ,ड,ढ,ण / त,थ,द,ध,न / प,फ,ब,भ,म / य,र,ल,व,श,ष,स,ह। 
वास्तव में व्यंजन का उच्चारण स्वर के साथ ही संभव है, इसलिए उसी रूप में यहाँ लिखा गया है। अन्यथा क्, ख्, ग् … आदि को व्यंजन कहते हैं, इनमें अकार मिलाने से क, ख, ग ... आदि बनते हैं जो उच्चारण योग्य होते हैं। 

(4) व्यंजन में ह्रस्व इ, उ, ऋ की मात्रा लगने पर उसका मात्राभार 1/ल ही रहता है। 

(5) व्यंजन में दीर्घ स्वर आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ की मात्रा लगने पर उसका मात्राभार 2/गा हो जाता है। 

(6) किसी भी वर्ण में अनुनासिक लगने से मात्राभार में कोई अन्तर नहीं पडता है, जैसे – रँग = 11, चाँद = 21, माँ = 2, आँगन = 211, गाँव = 21

(7) लघु वर्ण के ऊपर अनुस्वार लगने से उसका मात्राभार 2 हो जाता है, जैसे – रंग = 21, अंक = 21, कंचन = 211, घंटा = 22, पतंगा = 122 

(8) गुरु वर्ण पर अनुस्वार लगने से उसके मात्राभार में कोई अन्तर नहीं पडता है, जैसे – नहीं = 12, भींच = 21, छींक = 21,
कुछ विद्वान इसे अनुनासिक मानते हैं लेकिन मात्राभार यही मानते हैं। 

(9) संयुक्ताक्षर का मात्राभार 1 (लघु) होता है, जैसे – स्वर = 11, प्रभा = 12, श्रम = 11, च्यवन = 111

(10) संयुक्ताक्षर में ह्रस्व मात्रा लगने से उसका मात्राभार 1 (लघु) ही रहता है, जैसे – प्रिया = 12, क्रिया = 12, द्रुम = 11, च्युत = 11, श्रुति = 11 

(11) संयुक्ताक्षर में दीर्घ मात्रा लगने से उसका मात्राभार 2 (गुरु) हो जाता है, जैसे – भ्राता = 22, श्याम = 21, स्नेह = 21, स्त्री = 2, स्थान = 21

(12) संयुक्ताक्षर से पहले वाले लघु वर्ण का मात्राभार 2 (गुरु) हो जाता है, जैसे – नम्र = 21, सत्य = 21, विख्यात = 221 

(13) संयुक्ताक्षर के पहले वाले गुरु वर्ण के मात्राभार में कोई अन्तर नहीं पडता है, जैसे – हास्य = 21, आत्मा = 22, सौम्या = 22, शाश्वत = 211, भास्कर = 211 

(14) संयुक्ताक्षर सम्बन्धी नियम (12) के कुछ अपवाद भी हैं, जिसका आधार पारंपरिक उच्चारण है, अशुद्ध उच्चारण नहीं। 

जैसे – तुम्हें = 12, तुम्हारा/तुम्हारी/तुम्हारे = 122, जिन्हें = 12, जिन्होंने = 122, कुम्हार = 121, कन्हैया = 122, मल्हार = 121, कुल्हाड़ी = 122 
व्याख्या – इन अपवादों में संयुक्ताक्षर का पूर्ववर्ती अक्षर सदैव ऐसा व्यंजन होता है जिसका ‘ह’ के साथ योग करके कोई नया अक्षर हिन्दी वर्ण माला में नहीं बनाया गया है, इसलिए जब इस पूर्ववर्ती व्यंजन का ‘ह’ के साथ योग कर कोई संयुक्ताक्षर बनता हैं तो उसका व्यवहार संयुक्ताक्षर जैसा न होकर एक नए वर्ण जैसा हो जाता है और इसीलिए उसपर संयुक्ताक्षर के नियम लागू नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए न् म् ल् का ‘ह’ के साथ योग करने से बनने वाले संयुक्ताक्षर म्ह न्ह ल्ह ‘एक वर्ण’ जैसा व्यवहार करते है जिससे उनके पहले आने वाले लघु का भार 2 नहीं होता अपितु 1 ही रहता है। यहाँ पर यह भी उल्लेखनीय है कि हिन्दी वर्णमाला के कवर्ग, चवर्ग, टवर्ग, तवर्ग और पवर्ग में पहले व्यंजन में ‘ह’ का योग करने से दूसरा व्यंजन तथा तीसरे व्यंजन में ‘ह’ का योग करने से चौथा व्यंजन बनता है। उदाहरणार्थ - 
क् + ह = ख , ग् + ह = घ 
च् + ह = छ , ज् + ह = झ 
ट् + ह = ठ , ड् + ह = ढ 
त् + ह = थ , द् + ह = ध 
प् + ह = फ , ब् + ह = भ किन्तु - 
न् + ह = न्ह , म् + ह = म्ह , ल् + ह = ल्ह (कोई नया वर्ण नहीं, तथापि व्यवहार नए वर्ण जैसा) 

कुछ उदाहरण ऐसे भी हैं जिनपर उपर्युक्त व्याख्या लागू नहीं होती है, जैसे नन्हा = 22, कुल्हड़ = 211, अल्हड़ = 211 आदि।

Saturday, May 16, 2020

गीत :- सोम

*गीत*

सीमा से एक सैनिक की पाती

शिल्प- 16,14 मात्राएँ प्रति पंक्ति।


दशा देखकर भारत माँ की,
                        उर अंतर में आग जले
प्रिये तुम्हारी खातिर कैसे,
                      इस दिल में अनुराग पले....

मात-तात को शत-शत वंदन, 
                  सुत को आशीर्वाद प्रिये।
तुमको बस जय हिंद लिखूँ मैं, 
                 हरदम रखना याद प्रिये।।
लिखूँ प्यार की बातें क्या जब,
                 माँ पर पड़ी मुशीबत हो।
हो सकता है प्रिये तुम्हारे, 
             नाम  यही  अंतिम ख़त हो।।
रिपु शोणित से हम सब सैनिक,
                        आज खेलने फाग चले....
           
लिपटा हुआ तिरंगे में शव,
                      गर मेरा पा जाओगी।
तुम्हें कसम है भारत माँ की,
                    आँसू नहीं बहाओगी।।
अपना पुत्र बड़ा जब हो तो,
                     फौजी उसे बना देना।
इस मिट्टी का तिलक लगाकर, 
                      वर्दी भी पहना देना।।
सैनिक की वर्दी पर केवल,
                        लगें लहू के दाग भले....

जाति धर्म पे धरती बाँटी,
                  कुछ अपने ही बन्दों ने।
गहरे घाव दिये सीने में,
              मिलकर इन जयचन्दों ने।।
जीते जी हम धरती माँ को,
                      कष्ट नहीं सहने देंगे।
किसी दुष्ट पापी को जिंदा,
                   "सोम" नहीं रहने देंगे।।
परवाने हम जियें मरेंगे,
                     अपने इसी चिराग तले...

                           ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

Saturday, May 2, 2020

लोगो प्रतियोगिता:- जनचेतना

विशेष सूचना
🌷लोगो प्रतियोगिता🌷 ~
चित्रशाला समूह हेतु एक आकर्षक लोगो का निर्माण कर अब 30 मई 2020 तक भेज सकते हैं |

श्रेष्ठ लोगो निर्माण हेतु 101 ₹ की धनराशि के साथ सम्मान पत्र प्रदान किया जायेगा |

अन्य सभी प्रतिभागी साथियों को *प्रतिभाग अलंकरण पत्र* देकर सम्मानित किया जायेगा |

*लोगो !आकर्षक ,मौलिक व नवीन हो|*

लोगो बनाकर चित्रशाला में ही पोस्ट किया जाएगा |

अधिक जानकारी के लिए निःसंकोच सम्पर्क करें ~

प्रतियोगिता प्रमुख~
पं. सुमित शर्मा पीयूष 
अध्यक्ष -विहार
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत

गीतिका :- डॉ शेषपालसिंह 'शेष'

🍏🌷   हिंदुस्तान में   🌷🍏
            **********

                         [ गीतिका ]

निरत  ही  रहना  निरंतर,  नवल  अनुसंधान   में।
सँभलकर  चलना, खड़े  हैं, युद्ध  के   मैदान  में।

कौन हारा,कौन विजयी,विगत में क्या-क्या हुआ?
पंथ  अनुपम  ग्रहण करना,व्यस्त हैं अभियान में।

कोश बुद्धि-विवेक  विस्तृत, बहुत  अपने  पास है,
मात खाता  विषभरा  जो, डूबकर  अभिमान  में।

विघ्न - बाधाएँ   नहीं   हैं,  फैसले   लेकर   चलें,
जिंदगी   हीरे   भरी  है,  स्वर्णपथ   आसान   में।

लोभ-लालच   घट  हमेशा, फोड़   देना   चाहिए,
मधुर फल श्रम से मिलेगा, क्यों पड़ें व्यवधान में।

सूक्ष्मतम  पर  दृष्टि  डालें, चक्षुओं  में  शक्ति  है,
फूँककर हर कदम रखना, तोड़  भ्रम  संज्ञान में।

विश्व  में  संघर्ष  अगणित, शांति  से  हैं  दूरियाँ,
पा  लिया  सर्वस्व  हमने, जन्म   हिंदुस्तान  में।

                       ●●>><<●●

 ● डॉ शेषपालसिंह 'शेष'
      'वाग्धाम'-11डी/ई-36डी,
      बालाजीनगर कालोनी,
      टुण्डला रोड,आगरा-282006
      मोबाइल नं0 -- 9411839862

🍏🌷🍀🌹🌲🌹🍀🌷🍏

कुंडलिया छंद:- डॉ शेषपालसिंह 'शेष'

🍎🌳   कुंडलिया छंद  🌳🍎
            ************

  दौड़ - लेखनी  तीव्र  है, लिखे  सार - भंडार।
  शिक्षित-जन रखते कलम,लिखने को तैयार।
  लिखने को  तैयार, मनीषी  झट लिख लेता।
  करता   नूतन  खोज, आदमी  ग्रंथ  सृजेता।
  हो जाती लिपिबद्ध, यथावत् करनी-कथनी।
  अंकित होते तथ्य,अजब  है  दौड़ - लेखनी।

●●●~~~~●●~~~~●●~~~~●●●

  स्याही, कलम, दवात  ने, रचकर  वेद-पुराण।
  ज्ञान-सिंधु,विज्ञान लिख,किया विश्वकल्याण।
  किया विश्व कल्याण, दिमागी  शक्ति बढ़ायी।
  लिखा चिकित्साशास्त्र,राह आरोग्य दिखायी।
  ऋषि - विज्ञों  के  शोध, हमें  करते  उत्साही।
  सदा लेखनी सफल, काम  आयी  है  स्याही।

●●●~~~~●●~~~~●●~~~~●●●

  कूची,कागज, लेखनी, शिक्षा का आधार।
  तख्ती, खड़िया, रंग से, भरा  रहा  संसार।
  भरा रहा संसार, पठन  कीमती  कला  है।
  संविधान-विज्ञान,कलम से  न्याय चला है।
  कलमकार हैं धन्य, ज्ञान  की बनती सूची।
  अत्यावश्क साध्य, लेखनी, कागज,कूची।

                      ●●>><<●●

    ● डॉ शेषपालसिंह 'शेष'
      'वाग्धाम'- 11डी/ई-36डी,
      बालाजीनगर कालोनी, 
      टुण्डला रोड,आगरा-282006
      मोबाइल नं0 -- 9411839862

🍎🌳🌺🌿❤🌿🌺🌳🍎

Monday, April 27, 2020

ऑनलाइन कवि सम्मेलन 26 अप्रैल 2020*

*विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत के तत्वावधान में अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन 26 अप्रैल 2020*

🎤🌟🎤🌟🎤🌹🌟🎤🎤🌟🎤
   _सायंकाल 7: 00 बजे से समाप्ति तक_

*कार्यक्रम संचालक~*

*आ० नीतेन्द्र सिंह परमार _"भारत"_ जी*

🎤🌟🎤🌟🎤🌟🎤🌟🌟🎤🌟
 
 *अनुशासन प्रमुख ~ आ०  कौशल कुमार पांडेय "आस" जी* 

 *कार्यक्रम संरक्षक ~ आ० शैलेंद्र खरे "सोम"  जी* 

 *कार्यक्रम अध्यक्ष ~ आ० डॉ० राहुल शुक्ल "साहिल" जी* 

 *कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ~ आ० संतोष कुमार "प्रीत" जी* 

 *कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि ~ आ० सुशीला धस्माना "मुस्कान" जी*
*आ० हरीश बिष्ट जी* 

🌹🙏🏻🌹☘🍃🙏🙏🙏☘🍃🙏

*6:50 पर ~ संचालक एवं अन्य प्रतिभागियों की उपस्थिति*
*7:00 बजे से 7:10 तक ~* सरस्वती चित्र पटलार्पित प्रेषण ~ 

*सरस्वती वंदना ~ आ० इन्दु शर्मा 'शचि' जी  जी*  
*स्वागत गीत ~ आ० ज्योति अग्निहोत्री 'नित्या' जी* 

🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁

*_🌟अक्षय तृतीया पर्व पर आयोजित कवि सम्मेलन_🌟*

_प्रतिभागियों का समयानुसार कार्यक्रम~_

*विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत*

_प्रतिभागियों के नाम ~_

7:12 पर~
अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन- 

1. आ. मीना भट्ट जी
2. आ. राशि श्रीवास्तव जी
3. आ. गौरव सिंह घाणेराव जी
4. आ. डॉ. प्रभा जैन "श्री" जी
5. आ. वीरेंद्र दसौंधी "वीर" जी
6. आ. बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी" जी
7. आ. इन्दु शर्मा "शचि" जी
8. आ. मंशा शुक्ला जी
9. आ. डॉ अनिल शर्मा "अनिल" जी
10. आ. सुशीला जोशी जी
11. आ. गीतांजली वार्ष्णेय जी
12. आ. मुनीशा यादव जी
13. आ. हितेन प्रताप सिंह जी
14. आ. लाडो कटारिया जी
15. आ. संदीप वैष्णव जी
16. आ. राजेश मिश्र "प्रयास" जी
17. आ. सुरेश वी देसाई जी
18. आ. रुपेंद्र गौर जी
19. आ. दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" जी
20. आ. रूपेश कुमार जी
21. आ. आरीनिता पांचाल जी
22. आ. सुषमा दीक्षित शुक्ला जी
23. आ. बाबा वैद्यनाथ झा जी
24. आ. रामस्वरूप मयूरेश जी
25. आ. डॉ. नसीमा निशा जी
26. आ. ज्योति अग्निहोत्री "नित्या" जी
27. आ. मदन मोहन शर्मा "सजल" जी
28. आ. अभिज्ञान शाकुन्तलम जी
29. आ. मनोज तिवारी "मनसिज" जी
30. आ. साधना कृष्ण जी
31. आ. मनोज कुमार खोलिया जी
32. आ. अमित राजपूत जी
33. आ. नारायण पोद्दार जी
34. आ. एस.के. कपूर "श्रीहंस" जी
35. आ. संजय बहिदार जी
36. आ. निक्की शर्मा जी
37. आ. लाल देवेन्द्र श्रीवास्तव जी
38. आ. डोमन निषाद "डेविल" जी
39. आ. कृष्ण कुमार कश्यप "सारथी" जी
40. आ. राजेश कुमार तिवारी "रामू" जी
41. आ. कुमार जितेंद्र "जीत" जी
42. आ. ब्रजेश त्रिवेदी जी
43. आ. सुंदर लाल डडसेना "मधुर" जी
44. आ. राघवेंद्र नारायण सिंह राघव जी
45. आ. विनोद हँसोडा जी
46. आ. रश्मि वर्मा "रश" जी
47. आ. रवि रश्मि "अनुभूति" जी
48. आ.रामचंद्र प्रधान "लोइंग" जी
49. आ. दिलीप कुमार पाठक "सरस" जी
50. आ. सुशीला धस्माना "मुस्कान" जी
51. आ. नीतेन्द्र सिंह परमार "भारत" जी
52. आ. राज पेन्टर "बुंदेलखंडी" जी
53. आ. अनिता मंदिलवार  "सपना" जी
54. आ. संतोष तिवारी "सागर" जी
55. आ. दिनेश श्रीवास्तव जी
56. आ. विश्वेश्वर शास्त्री विशेष जी
57. आ. शकुंतला शेंडे "शकुन" जी
58. आ. लियाकत अली "जलज" जी
59. आ. कमल किशोर ताम्रकार जी
60. आ. राहुल शुक्ल "साहिल" जी
61. आ. कौशल कुमार पाण्डेय "आस" जी
62. आ. हरीश बिष्ट जी
63. आ. शैलेन्द्र खरे "सोम" जी
64. आ. आकाश स्वरूप खरे "आकाश" जी

*कार्यक्रम समीक्षक ~  आ० बाबा वैद्यनाथ झा जी* *आ० दिनेश श्रीवास्तव जी*
[समीक्षक अपना उद्बोधन कार्यक्रमोपरान्त (लिखित अथवा ऑडियो में) अवश्य प्रस्तुत करें।]


_आयोजक ~ विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत_

निवेदक :- विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड एवं बिहार इकाई।

नोट :- समयानुसार उपस्थिति एवं शुभकामनाएँ सुनिश्चित करें।
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁

Sunday, April 26, 2020

मुख्य प्रवक्ता - नीतेंद्र भारत

दिनांक 26 अप्रैल 2020 को सबकी सहमति से विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत संस्था का मुझें  *मुख्य प्रवक्ता* नियुक्ति किया गया। मैं संस्था का आभारी हूँ जो मुझें यह दायित्व प्रदान किया तथा मैं यह प्रण लेता हूँ कि संस्था को उचाईयों तक ले जाने का हर सम्भव प्रयास करूँगा और अपने दायित्व का निर्वहन *ईमानदारी तथा पूरी निष्ठा* के साथ करूंगा। 
संस्था के संस्थापक आ० दिलीप कुमार पाठक "सरस" जी राष्ट्रीय अध्यक्ष आ० सुशीला धस्माना "मुस्कान", राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ० राहुल शुक्ल "साहिल",संरक्षक आ० कौशल कुमार पाण्डेय "आस",शैलेन्द्र खरे "सोम",सचिव आ० राजेश मिश्र प्रयास,अलंकरण प्रमुख/बिहार इकाई के अध्यक्ष आ० सुमित शर्मा "पीयूष", उत्तराखंड इकाई अध्यक्ष आ० ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल",सचिव आ० हरीश बिष्ट तथा वनारस जिला  इकाई के अध्यक्ष आ० लियाकत अली "जलज",सचिव आ० संतोष कुमार "प्रीत" तथा समस्त पदाधिकारियों का आभार व्यक्त करता हूँ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
साभार
नीतेंद्र सिंह परमार "भारत"
प्रदेश अध्यक्ष एवं मुख्य प्रवक्ता
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत

Thursday, April 23, 2020

◆ मणिमाल छंद




◆ मणिमाल छंद ◆

विधान~
[सगण जगण जगण भगण रगण सगण+लघु]
(112   121  121   211  212 112  1)
19 वर्ण ,10,9 वर्णों पर यति ,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत।

गुरुदेव  आज  अनाथ  को,  बस चाहिए पदधूल।
सब दूर दोष-विकार हों, प्रभु  आप जो अनुकूल।।
कुछ और इच्छित हैं नहीं,लख लीजिये बस आप।
उर "सोम" है यह कामना,  सब नष्ट हों भव-ताप।।

                                        ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

Wednesday, April 22, 2020

रूपमाला/मदन छंद [सम मात्रिक]

*◆रूपमाला/मदन छंद [सम मात्रिक]◆*

विधान–[24 मात्रा,/14,10 पर यति,
आदि-अंत में वाचिक भार 21,चरण 4,
क्रमागत दो-दो चरण तुकान्त]

रामदूत हे पवनतनय ,
                       मतिधीर बजरंग।
बास करत हैं हिरदे में,
                       प्रभु जानकी संग।।
अंजनेय जू बल सागर,
                       चतुर   विद्यावान।
"सोम" मनावत सिर नावत,
                       कपीश्वर  हनुमान।।

                    *~शैलेन्द्र खरे"सोम"*

Saturday, April 18, 2020

कार्यक्रम का नाम ~साहित्यिक नामकरण अलंकरण समारोह

🏆💓🙏जय-जय🙏💓🏆

*🙏निवेदन विशेष सूचना सह आमन्त्रण पत्र*🙏
सहर्ष सूचित किया जाता है कि कार्यक्रम विशेष में आपका हार्दिक स्वागत है |

कार्यक्रम का नाम ~*साहित्यिक नामकरण अलंकरण समारोह*

दिनांक ~19/04/2020
उपस्थिति समय~प्रातः ~ 10:00 बजे से समापन तक 
स्थान ~जय जय काव्य चित्रशाला
 
सरस्वती वंदना ~आ. दिलीप कुमार पाठक सरस जी 
स्वागत गीत~आ.हरीश विष्ट जी 

संचालक~आ. नीतेन्द्र सिंह परमार भारत जी 

कार्यक्रम अध्यक्ष ~ आ. डॉ. राहुल शुक्ल साहिल जी 

नामकरण समारोह में सम्मिलित सम्मानित साहित्यकार ~

1- आ. ज्योति अग्निहोत्री जी 
2- आ. ओमप्रकाश फुलारा जी
3- आ. कृष्ण कुमार कश्यप जी
4- आ. संजय सिंह राजपूत जी
5- आ. पंकज कुमार शुक्ला जी 

नामकरण पत्र प्रदाता~
1- आ. शैलेन्द्र खरे "सोम" जी
2- पं. सुमित शर्मा "पीयूष" जी 
3- आ. सुशीला धस्माना "मुस्कान" जी 
4- आ. कौशल कुमार पाण्डेय "आस" जी 
5- आ. राजेश मिश्र "प्रयास" जी 

कार्यक्रम विशेष में आपकी उपस्थिति सादर अनिवार्य है, उपस्थित होकर इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बनकर कार्यक्रम को गौरवान्वित कीजिए |

कार्यक्रम आयोजक 
प्रशासक मंडल 
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत 


Friday, April 17, 2020

घनाक्षरी छंद

घनाक्षरी छंद का नामकरण 'घन' शब्द पर है जिसके हिन्दी में चार अर्थ होते हैं
1- मेघ/बादल,
2- सघन/गहन,
3-बड़ा हथौड़ा,
4-किसी संख्या का उसी में 3 बार गुणा भी होता है।
इस छंद में चारों अर्थ प्रासंगिक हैं घनाक्षरी में शब्द प्रवाह इस तरह होता है मेघ गर्जन की तरह निरंतरता की प्रतीति हो। घनाक्षरी में शब्दों की बुनावट सघन होती है जैसे एक को ठेलकर दूसरा शब्द आने की जल्दी में हो घनाक्षरी पाठक या श्रोता के मन पर प्रहर सा कर पूर्व के मनोभावों को हटाकर अपना प्रभाव स्थापित कर अपने अनुकूल बना लेनेवाला छंद है।

मनहरण घनाक्षरी में 8 वर्णों की 3 बार आवृत्ति है।8,8,8,7 की बंदिश कई बार शब्द संयोजन को कठिन बना देती है। किसी भाव विशेष को अभिव्यक्त करने में कठिनाई होने पर कवि 16,15 की बंदिश अपनाये तो अपना सकता है।चरण चार या चार के अनुपात में रखे जाते हैं।

1. मनहरण घनाक्षरी (31वर्ण) -8, 8, 8, 7 या 16,15 या 17,14 पर यति अंत में लघु,गुरु वर्ण होता है।

2. रूप घनाक्षरी (32 वर्ण) -8, 8, 8, 8 अंत में गुरु-लघु होता है।

3. जलहरण घनाक्षरी (32 वर्ण) -8, 8, 8, 8 अंत में लघु-लघु होता है।

4. जनहरण घनाक्षरी (31 वर्ण) - पहले 30 वर्ण लघु और अंत में गुरु होता है।

5.  डमरू घनाक्षरी (32 वर्ण) - सभी 32 वर्ण बिना मात्रा के लघु वर्ण होते है।

6. विजया घनाक्षरी (32 वर्ण) -8, 8, 8, 8 अंत में लघु-गुरु होता है।

7. कृपाण घनाक्षरी (32 वर्ण) -8, 8, 8, 8 अंत में गुरु-लघु होता है।

8. हरिहरण घनाक्षरी (32 वर्ण) -8, 8, 8, 8 अंत में लघु-लघु होता है। अंत के ये दोनों लघु वर्ण, प्रत्येक चरण में नियत रहते हैं।

9.  सूर घनाक्षरी (30 वर्ण) -8, 8, 8, 6 अंत में गुरु या लघु कुछ भी ही सकता है।
*****

Thursday, April 16, 2020

kavi ramkishor sharma

*कवि:- रामकिशोर शर्मा "गुरुजी"*
          कलारा,भोपाल मध्यप्रदेश

लिंक:-https://youtu.be/tUk-VV-ZuEc
     
*_रचना क्रमांक:- 40_*

*_विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत_*

*विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत* के तत्वावधान में आप सभी के लिए लेकर आये है। एक *सुनहरा अवसर* जो आपको साहित्य के क्षेत्र में एक नयी पहचान देगा।
               *BHARAT  & BHARAT* चैनल पर हम आपके द्वारा रचित सभी विधाओ को जैसे:- गीत,ग़ज़ल,मुक्तक,छंद,कविताऐ और कहानियों को  प्रसारित करेंगे। आप अपनी रचनाओं का आनंद ले सकते है। अपने You Tube चैनल BHARAT & BHARAT पर।

BHARAT & BHARAT  चैनल को *सब्सक्राइब* करना न भूलें।

नोट:- 
● संक्षेप परिचय।
● एक फोटो।
● रचना:- ऑडियो/विडियो।

धन्यवाद 

निवेदक/एडिटर:- 
नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
प्रदेश अध्यक्ष 
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत 
छतरपुर मध्यप्रदेश इकाई 
व्हाट्स ऐप नं.8109643725
Email:- neetendrasinghparmar15@gmail.com

Monday, April 13, 2020

लॉक डाउन में मदद - नीतेंद्र भारत

लॉकडाउन

हम बात कर रहें आज के परिवेश की,समाज में रहें लोगों की। स्वार्थी जीवन हम हमेशा जीते रहेंगे। इसे कोई नहीं मिटा सकता है। दरअसल बात यह हैं कि पूरा देश जहाँ महामारी से जूझ रहा है। और लॉकडाउन लगा हुआ है। कोरोना बीमारी जिससे सभी लोग परेशान है।वही दूसरी और पुलिसकर्मी,बैंककर्मी,मीडियाकर्मी व सफाईकर्मी तथा अपने प्राणों की परवाह ना करते हुए डॉक्टर व नर्स अपनी हिम्मत से कोरोना को हराने के लिए अद्भुत क्षमता से कार्य कर रही है।
             आपको बताना चाहता हूँ। मेरी मामा जी की बहू का ऑपरेशन हुआ है वो अस्पताल में भर्ती थी। मुझे कहना देने जाना था।परंतु चारो तरफ पुलिस लगी हुई थी।और गाड़ी वाहन से जाना साफ मना है। अस्पताल बहुत दूर था पैदल जा नहीं सकता था। मैं मोटरसाइकिल ली और कोई रास्ता नहीं था।मैं आधे दूर तक मोटरसाइकिल से गया। आपने मित्र के घर के बाहर रख दी। फिर पैदल गया। अस्पताल तक खाना देकर आया।
       जब मैं वहाँ घर के लौट रहा था। तो एक औरत छोटी सी बच्ची को लिए साथ में उसकी सास थी। दोनों सरकारी अस्पताल से आ रही थी। लॉकडाउन की वज़ह से ऑटो रिक्शा आदि सभी बंद थे। काफ़ी लोगों को रोका कोई नहीं रुका,मुझे भी रोका मैं आगे तक निकल गया था। वापिस आया मैं पूछने ही वाला था । कि उसकी सास बोल पड़ी बेटा मेरी ये नातिन हुईं थी।और अस्पताल आज छुट्टी हो गयी गई है। कोई वाहन नहीं मिला। हम दोनों यहाँ तक तो पैदल आ गए लेकिन घर दूर है। अब और नहीं चल सकते है। यदि आप मुझे घर तक छोड़ दे तो मेहरवानी होगी। मैंने कहा ऐसी बात नहीं है। चलो लेकिन आगे पुलिस हैं। क्या करें मैं बहुत असमंजस में था।आगे पुलिस है। यदि छोड़ने नहीं जाता तो ये लोग कैसे जायेंगे। मैंने कहा दोनों नियम का पालन करना मुश्किल है।मैंने कहा दादी सीधे मैन रोड से ना जाकर कॉलोनी के अंदर से चलता हूँ। बोली ठीक है मुझे आप छोड़ दे घर तक। वहाँ से चला और घर के पास तक आया बोली यही छोड़ दो मैंने कहा चलो घर तक ही कर देते है। छोटी बच्ची भी है धूप भी ज़्यादा हो गयी है। घर तक गया। उनको वहां तक  छोड़ा हम जाने ही वाले थे। दादी ने आवाज़ लगाई बेटा पानी पी लो फिर चले जाना। पानी पिया खाना खाने को कहा मैंने कहा नहीं अभी खा कर आया था। मैं चलता हूँ वो पेसे देने लगी मैंने कहा कैसे पैसे,बोली मुझे यहां तक लाने के हमने कहा दादी में आप पैसे रखो। मुझे नहीं चाहिए है। यदि कुछ काम हो तो बताना मेरे लायक कभी भी।
इसके बाद मैंने उस बच्ची के कुछ पैसे देकर पैर छुए।फिर वहां से वापिस अपने घर आ गया। यही कहना है करते रहो सभी की सेवा,ईस्वर देंगा सबको मेवा।

नीतेंद्र सिंह परमार "भारत"
छतरपुर मध्यप्रदेश

Sunday, April 12, 2020

गीत-कोरोना पर - नीतेंद्र भारत

गीत

कोरोना से सारी दुनिया हारी है।
कोरोना से जंग हमारी जारी है।।

मुखिया का संदेश सभी ने,जाना और पहचाना है।
रहो सुरक्षित घर के अंदर,हिन्द देश ने ठाना है।।
जान प्यारी है गर तुमको,छोड़ो दुनियादारी है।
कोरोना से जंग हमारी जारी है,कोरोना से.......1

साफ स्वच्छ हमको तो रखना,घर का कोना कोना है।
मास्क लगाना,दूरी बनाना, हाथ सभी को धोना है।।
यह उपचार बचाये सबको,करना यह तैयारी है।
कोरोना से जंग हमारी जारी है,कोरोना से.........2


पुलिस,सफाईकर्मी संग में डॉक्टर नर्स महान है।
भारत देश इन्ही से जिंदा,श्रम के देव किसान हैं।।
इकोनॉमी की चिंता छोड़ो,कहता भगवा धारी है।।
कोरोना से जंग हमारी जारी है,कोरोना से..........3


नीतेंद्र सिंह परमार "भारत"
छतरपुर मध्यप्रदेश
दिनांक:- 11/04/2020
समय:- रात्रि 10:20 पर।

छतरपुर मे शुरू हुआ "ऑपरेशन पहचान"

छतरपुर मे शुरू हुआ "ऑपरेशन पहचान"
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छतरपुर जिले की राजस्व सीमाओं के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र मे जितने भी खांसी, सर्दी/ जुकाम एवं बुखार के मरीज़ हैं उनकी पहचान करने और उनकी कोरोना संबंधी जाँच हेतु जिला छतरपुर में "ऑपरेशन पहचान" शुरू किया जा रहा है। कोरोना वायरस महामारी नियम-2020 में प्रदत्त अधिकारों के तहत छतरपुर कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह द्वारा आदेशित किया गया है कि "ऑपरेशन पहचान" को सफल बनाने एवं छतरपुर जिले को कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण से रोकने हेतु छतरपुर जिले की राजस्व सीमा के अन्तर्गत आने वाले/ कार्य करने वाले/ व्यवसाय करने वाले व्यक्ति/ दुकानदार एवं सभी डॉक्टर्स (प्रायवेट एवं प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे शासकीय डॉक्टर) जैसे ही कोई खांसी, सर्दी/जुकाम या बुखार की दवा लेने आये या इनका इलाज कराने आये ऐसे व्यक्तियों की सूची नाम, पता, मोबाइल नम्बर सहित बनाकर प्रतिदिन अपने सम्बंधित क्षेत्र के एस डी.एम. 
 या बी.एम.ओ. या सिविल सर्जन छतरपुर को जानकारी भेजेंगे। कलेक्टर द्वारा आम नागरिकों को भी आदेशित किया गया है कि यदि उनमें से किसी भी व्यक्ति को सर्दी, जुकाम या बुखार के लक्षण है तो वे इसकी जानकारी तत्काल अपने क्षेत्र के सी.एम.ओ नगर पालिका या सचिव ग्राम पंचायत को दें। सी.एम.ओ.नगर पालिका/सचिव ग्राम पंचायत नागरिकों द्वारा मिली बीमार व्यक्ति की सूचना देने पर बीमार व्यक्ति का इलाज कराने हेतु अस्पताल तक भेजने हेतु जिम्मेदार रहेंगे।

कलेक्टर श्री सिंह द्वारा निर्देशित किया गया है की अगर कोई मेडीकल स्टोर संचालक, डॉक्टर (प्रायवेट या प्रायवेट प्रेक्टिस करने वाले अन्य डॉक्टर) या क्लीनिक संचालक उक्तानुसार जानकारी प्रतिदिन उपलब्ध नहीं करायेगा तो उसके विरुद्ध मप्र कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी नियम 2020 के प्रावधानों के तहत वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।इसी के साथ सभी एस.डी.एम., सिविल सर्जन एवं बी.एम.ओ.उक्तानुसार प्राप्त सूचियों को संकलित कर बीमार व्यक्तियों की कोरोना संबंधी गहन जाँच प्रतिदिन करायेंगे/करेंगे एवं जानकारी अपर कलेक्टर छतरपुर को भेजेंगे।

"ऑपरेशन पहचान" का उद्देश्य छतरपुर जिले को कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण से बचाना एवं यदि कोई कोरोना वायरस (कोविड-19) वाहक (कैरियर) है तो उसकी समय पर पहचान कर उसका इलाज करना है।

एक कदम और- श्री हरीश विष्ट जी

🌹जय-जय माँ शारदे 🌹
🌹🙏🌹🙏🌹🙏
         विश्व जनचेतना ट्रस्ट " भारत" के सभी विद्वत जनों को मेरा सादर नमन 🌹🙏🌹
      विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" व इससे जुड़े सभी सुधिजनों को शानदार ईपत्रिका के भव्य विमोचन हेतु मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बहुत-२ बधाई 🌹🌹🌹🌹
🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
       आज एक बार फिर विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत"  ने हिन्दी साहित्य के इतिहास में  "एक कदम और" ईपत्रिका के तृतीय संस्करण का भव्य एंव शानदार विमोचन कर हिंदी साहित्य प्रेमियों के लिए हिन्दी साहित्य को एक शानदार उत्कृष्ट उपहार स्वरूप में सभी के लिए एक सुन्दर अतुलनीय , कनुकरणीय , तथा प्रशंसनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है , जो भविष्य में हिंदी साहित्य के इतिहास में विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के ओर से एक  मील के पत्थर साबित 
होगी । 
             प्रकृति एवं वसंत का द्योतक आकर्षक एवं मंत्रमुग्ध करने वाले मुख्य पृष्ट के साथ इस ई पत्रिका की लाजबाब तथा उम्दा शुरूवात की गयी है । इस ई पत्रिका को मूर्तरूप प्रदान कर हम सभी के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए संस्था के मुख्य संस्थापक तथा इस ई पत्रिका के मुख्य संपादक आदरणीय दिलीप कुमार पाठक "सरस" जी , आदरणीय ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल" जी जो वर्तमान में जन चेतना मंच पर बहुत सक्रिय भूमिका निभाकर मंच को ऊर्जा प्रदान करने का कार्य कर सभी को जागरुक करने वाले साथ ही इस ई पत्रिका के साथ-२ कई अन्य महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अत्यन्त कर्मठ और साहित्य के प्रति समर्पित और इस पत्रिका का संपादन कर संपादक के रूप भी आदरणीय भाई ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल" जी ने भी एक भी बहुत महत्वपूर्ण अतुलनीय तथा प्रशंसनीय भूमिका का निर्वाहन किया है , साथ ही इस पत्रिका को उसके स्वच्छ एंव सार्थक रूप प्रदान करने में मुख्य समीक्षक की मुख्य भूमिका निभाकर आदरणीय दादाश्री डॉ. राहुल शुक्ल "साहिल" तथा तथा मुख्य संरक्षक के रूप में आदरणीय कौशल कुमार पाण्डेय "आस" दादा जी का भी एक अहम , बहुत महत्वपूर्ण योगदान है , यह ई पत्रिका किसी एक की मेहनत का नही अपितु इससे जुड़े मुख्य संपादक से लेकर , इसमें सम्मिलित रचनाकार और इस ई पत्रिका का भव्य विमोचन करने में मंच संचालक की मुख्य भूमिका निभाने तथा इसको पढ़कर आपस में एक-दूसरे का उत्साह बढ़ाने में अपना-२ योगदान प्रदान करने वाले सभी सुधिजनों की रुचि , मेहनत एंव समर्पण का परिणाम है । 
     ई पत्रिका की शुरुवात शानदार अनुक्रमणिका के द्वारा सभी सम्मिलित रचनकारों को उनकी रचनाओं के साथ क्रमानुसार सुन्दर तरीके से सूचिबद्ध किया गया है ।
        इसके साथ ही पत्रिका की शुरुवात विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के संस्थापक एंव इस ई पत्रिका के प्रधान संपादक आदरणीय "दिलीप कुमार पाठक "सरस" जी , ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्षा आदरणीया "सुशीला धस्माना" जी, छंद सम्राट आदरणीय दादाश्री शैलेन्द्र खरे "सोम" जी, वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय दादाश्री मुकेश शर्मा "ओम" जी , इस संस्था के संरक्षक एवं वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय दादाश्री  कौशल कुमार पाण्डेय "आस" जी , मध्य प्रदेश इकाई के प्रदेशाध्यक्ष सबके चहेते मंच संचालन के कुशल महारथी प्रिय अनुज नितेन्द्र सिंह परमार "भारत" , पीलीभीत उत्तर प्रदेश से विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बहुमुखी प्रतिभा एंव कुशल व्यक्तित्व के धनी आदरणीय दादाश्री डॉ. राहुल शुक्ल "साहिल" तथा हिंदी साहित्य एंव विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के उभरते हुए बहुमुखी प्रतिभा के धनी तथा उत्तराखण्ड ईकाई के प्रदेशाध्यक्ष आदरणीय भाई ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल" जी आप सभी के द्वारा  सुन्दर , सार्थक , प्रेरणादायी शिक्षाप्रद सन्देश के साथ की गयी है , जो की अपने आप में बहुत उत्साहवर्धक एवं प्रशंसनीय है जो इस ई पत्रिका को एक संबल प्रदान करती है , वैसे भी वरिष्ठ साहित्यकार के रूप में ये सभी विभिन्न भूमिकाओं के तहत विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" के आधार स्तम्भ हैं , जो कई प्रकार से विभिन्न रूपों में इस "साहित्य रूपी परिवार" को अपना-२ सहयोगरूपी महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर विश्व हिन्दी साहित्य के मंच अर्थात शिखर पर स्थापित करने हेतु पूर्ण रूप से समर्पित हैं , आप सभी हमारे ही नहीं अपितु सम्पूर्ण हिंदी साहित्य परिवार के भी मार्गदर्शक है एवं आदर्श के रूप में हैं , आप सभी की कर्मठता , साहित्य के प्रति समर्पण भावना , नि:स्वार्थ सेवा कर हिंदी के विकास में अभूतपूर्व योगदान हेतु मैं आप सभी का सादर आभार प्रकट करते हुए आप सभी के श्रीचरणों में शीश नवाते हुए कोटि-कोटि सादर नमन करता हुँ । 
       इसके पश्चात एक से बढ़कर एक सार्थक , प्रेरक , शिक्षाप्रद रचनाओं की शुरुवात विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" की राष्ट्रीय अध्यक्षा आदरणीया सुशीला धस्माना "मुस्कान" जी की "माँ शारदे" की स्तुति करती हुई बहुत खूबसूरत वंदना के साथ हुई है , मानव मन की आँखे खोलती हुई , शानदार रचना , जय-जय माँ शारदे 🌹🙏🌹 
आदरणीया "मुस्कान" जी के बाद उत्तराखण्ड ईकाई के प्रदेशाध्यक्ष आदरणीय ओमप्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल" जी की ईश्वर की अनुनय-विनय करती हुई शानदार रचना में ईश्वर की महिमा का शानदार बखान किया गया है , बहुत खूब आदरणीय 🌹🙏🌹
  आदरणीय प्रफुल्ल जी के पश्चात राष्ट्रप्रेम से ओत-प्रोत अगली रचना विश्व जनचेतना ट्रस्ट " भारत" के संस्थापक आदरणीय दादाश्री दिलीप कुमार पाठक " सरस" जी की रचना ई पत्रिका में सम्मिलित की गयी है , जो की देश के प्रति देश-प्रेम जागृत करती हुई , राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्यों का  कर्तव्य कराती हुई शानदार रचना , बहुत सुन्दर आदरणीय 🌹🙏🌹
              सभी रचनाकारों की एक से बढ़कर एक रचनाएं इस ई पत्रिका में सम्मिलित होकर इस ई पत्रिका की शोभा मानो ऐसे बढ़ा रही हैं जैसे किसी राजा के सिर पर ताज और ताज पर जड़ा हुआ हीरा जो अपने साथ-२ उस राजमुकुट की शोभा अर्थात शान में चार चाँद लगा देता है जिससे उसकी आभा सारे संसार में देखने योग्य हो जाती है और दूर-२ के लोग भी उसकी एक झलक पाने को लालायित रहते हैं , आशा करता हुँ और ईश्वर तथा माँ शारदे से कर बद्ध होकर प्रार्थना करता हुँ की ठीक उसी प्रकार यह ई पत्रिका भी विश्व हिंदी साहित्य पटल पर उसी ताज की तरह अपनी छटा बिखेरने में कामयाब हो तथा नयी-२ बुलंदियों का स्पर्श कर आप सभी का मान बढ़ाये ।
         इस ई पत्रिका में एक से बढ़कर एक सिद्धहस्त विद्वान साहित्यकारों की रचनाएं सम्मिलित हैं , और इस ई पत्रिका की भव्यता का अनुमान इसमें सम्मिलित पचासे अधिक रचनाओं से लगाया जा सकता है , और उन सभी रचनाओं की एक साथ समीक्षा नामुमकिन तो नहीं मगर हम जैसे नवांकुरों के लिए असंभव अवश्य है , इस हेतु मैं आप सभी करबद्ध होकर प्रार्थना अर्थात क्षमा याचना करता हुँ कि मैं आप सब की सभी सुन्दर से सुन्दर रचनाओं की पूर्ण रूप से समीक्षा नहीं कर पाया हुँ , परंतु आप सभी को इस शानदार , अभूतपूर्व पत्रिका का हिस्सा बनकर इसकी शोभा बढ़ाने हेतु विश्व जनचेतना ट्रस्ट "भारत" तथा अपनी और से तहेदिल से हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बहुत-२ बधाई प्रदान करता हुँ , और आप सबकी कुशलता की मंगल कामना करते हुए ईश्वर तथा माँ शारदे से प्रार्थना की वो आपको सकुशल रखते हुए आपकी लेखनी को सदैव ऐसे ही बल प्रदान कर एक नयी धार प्रदान करते रहें जिससे आप सभी साहित्य की सेवा कर रोज रचनारूपी पुष्प माँ शारदे के चरणों में अर्पित करते हुए साहित्य के साथ-२ अपनी अनुपम छटा पूरे साहित्य जगत में बिखेरते रहें , इसी शुभ कामना के साथ एक बार पुन: आप सभी को हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बहुत-२ बधाई प्रदान करता हुँ । धन्यवाद .🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🌹 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹जय माँ शारदे🌹🌹🌹🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏


       हरीश बिष्ट
रानीखेत ।। उत्तराखण्ड ।।

Wednesday, April 8, 2020

दोहा विजेता 8/04/2020/समीक्षा

🏆🙏🏆जय-जय हिन्दी ~🏆🙏🏆

🏆लेखनी-पुंज सम्मान हेतु🏆

🏆दिनांक-८ अप्रैल,२०२०

🏆दिन-बुधवार

🏆विषय~दोहा-छन्द

🏆दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार का नाम~श्री रामस्वरूप *मयूरेश*


श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में लेखनी पुंज सम्मान से आपको को अलंकृत करते हुए संस्था परिवार के साथ समीक्षक रूप में मैं गौरवान्वित हूँ, मुझे विश्वास है कि निरन्तर जय जय हिन्दी परिवार को सानुशासन सक्रिय सहयोग,रचनाधर्मिता के साथ प्राप्त होता रहेगा |आपके यशस्वी जीवन की मंगल कामना करता हूँ |

लेखनी पुंज सम्मान की आ. रामस्वरूप मयूरेश जी को हार्दिक ब?धाई एवं शुभकामनाएँ |
🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆🏆


बाबा वैद्यनाथ झा 
दिवस समीक्षक 
जय जय हिन्दी 
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत

दोहा लेखन विधान

*दोहा लेखन विधान*

१. दोहा द्विपदिक छंद है। दोहा में दो पंक्तियाँ (पद) होती हैं। हर पद में दो चरण होते हैं। 
२. दोहा मुक्तक छंद है। कथ्य (जो बात कहना चाहें वह) एक दोहे में पूर्ण हो जाना चाहिए। सामान्यत: प्रथम चरण में उद्भव, द्वितीय-तृतीय चरण में विस्तार तथा चतुर्थ चरण में चरम या समाहार होता है
३. विषम (पहला, तीसरा) चरण में १३-१३ तथा सम (दूसरा, चौथा) चरण में ११-११ मात्राएँ होती हैं।
४. तेरह मात्रिक पहले तथा तीसरे चरण के आरंभ में एक शब्द में जगण (लघु गुरु लघु) वर्जित होता है।
५. विषम चरणान्त में 'सरन' तथा सम चरणान्त में 'जात' का विधान है।
६. विषम कला से आरंभ दोहे के विषम चरण में में कल-बाँट ३ ३ २ ३ २ तथा सम कला से आरम्भ दोहे के विषम चरण में में कल बाँट ४ ४ ३ २ हो। सम चरणों की कल-बाँट  ४ ४३ या ३३ २ ३ हो।
७. हिंदी दोहाकार हिंदी के व्याकरण तथा मात्रा गणना नियमों का पालन करें। दोहा में वर्णिक छंद की तरह लघु को गुरु या गुरु को लघु पढ़ने की छूट नहीं होती।
८. हिंदी में खाय, मुस्काय, आत, भात, आब, जाब, डारि, मुस्कानि, हओ, भओ जैसे देशज / आंचलिक शब्द-रूपों का उपयोग न करें। बोलियों में दोहा रचना करते समय उस बोली का यथासंभव शुद्ध रूप व्यवहार में लाएँ।
९. श्रेष्ठ दोहे में लाक्षणिकता, संक्षिप्तता, मार्मिकता (मर्मबेधकता), आलंकारिकता, स्पष्टता, पूर्णता, सरलता तथा सरसता होना चाहिए।
१०. दोहे में संयोजक शब्दों और, तथा, एवं आदि का प्रयोग यथासंभव न करें। औ' वर्जित 'अरु' स्वीकार्य। 'न' सही, 'ना' गलत। 'इक' गलत।
११. दोहे में कोई भी शब्द अनावश्यक न हो। शब्द-चयन ऐसा हो जिसके निकालने या बदलने पर दोहा अधूरा सा लगे।
१२. दोहा में विराम चिन्हों का प्रयोग यथास्थान अवश्य करें।
१३. दोहे में कारक (ने, को, से, के लिए, का, के, की, में, पर आदि) का प्रयोग कम से कम हो।
१४. दोहा सम तुकांती छंद है। सम चरण के अंत में समान तुक आवश्यक है।
१५. दोहा में लय का महत्वपूर्ण स्थान है। लय के बिना दोहा नहीं कहा जा सकता।
*
मात्रा गणना नियम
१. किसी ध्वनि-खंड को बोलने में लगनेवाले समय के आधार पर मात्रा गिनी जाती है।
२. कम समय में बोले जानेवाले वर्ण या अक्षर की एक तथा अधिक समय में बोले जानेवाले वर्ण या अक्षर की दो मात्राएँ गिनी जाती हैंं। तीन मात्रा के शब्द ॐ, ग्वं आदि संस्कृत में हैं, हिंदी में नहीं।
३. अ, इ, उ, ऋ तथा इन मात्राओं से युक्त वर्ण की एक मात्रा गिनें। उदाहरण- अब = ११ = २, इस = ११ = २, उधर = १११ = ३, ऋषि = ११= २, उऋण १११ = ३ आदि।
४. शेष वर्णों की दो-दो मात्रा गिनें। जैसे- आम = २१ = ३, काकी = २२ = ४, फूले २२ = ४, कैकेई = २२२ = ६, कोकिला २१२ = ५, और २१ = ३आदि।
५. शब्द के आरंभ में आधा या संयुक्त अक्षर हो तो उसका कोई प्रभाव नहीं होगा। जैसे गृह = ११ = २, प्रिया = १२ =३ आदि।
६. शब्द के मध्य में आधा अक्षर हो तो उसे पहले के अक्षर के साथ गिनें। जैसे- क्षमा १+२, वक्ष २+१, विप्र २+१, उक्त २+१, प्रयुक्त = १२१ = ४ आदि।
७. रेफ को आधे अक्षर की तरह गिनें। बर्रैया २+२+२आदि।
८. अपवाद स्वरूप कुछ शब्दों के मध्य में आनेवाला आधा अक्षर बादवाले अक्षर के साथ गिना जाता है। जैसे- कन्हैया = क+न्है+या = १२२ = ५आदि।
९. अनुस्वर (आधे म या आधे न के उच्चारण वाले शब्द) के पहले लघु वर्ण हो तो गुरु हो जाता है, पहले गुरु होता तो कोई अंतर नहीं होता। यथा- अंश = अन्श = अं+श = २१ = ३. कुंभ = कुम्भ = २१ = ३, झंडा = झन्डा = झण्डा = २२ = ४आदि।
१०. अनुनासिक (चंद्र बिंदी) से मात्रा में कोई अंतर नहीं होता। धँस = ११ = २आदि। हँस = ११ =२, हंस = २१ = ३ आदि।
मात्रा गणना करते समय शब्द का उच्चारण करने से लघु-गुरु निर्धारण में सुविधा होती है। (साभार) 
                     उदाहरण
*श्री गुरुचरण सरोज रज,निज मन मुकुरसुधारि।*
*बरनउँ रघुबर विमल यश, जो दायक फल घारि।।*
(तुलसीदास) 
--(साभार)

Tuesday, April 7, 2020

पुस्तक विमोचन कोरोना बचाव एक अभियान

🌹विशेष सूचना🌹

जय जय हिंदी के सभी सम्मानित रचनाकारों को अवगत कराते हुए अपार हर्ष हो रहा है कि विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत ने कोरोना से बचाव के लिए जन जागरूकता अभियान के तहत कोरोना- बचाव एक अभियान ई विशेषांक प्रकाशित करने का निर्णय लिया है।जो बनकर तैयार हो गयी है |

विमोचन कार्यक्रम ~
ई विशेषांक ~कोरोना बचाव एक अभियान 
सम्पादक~आ. ओमप्रकाश प्रफुल्ल जी 
विमोचनकर्ता~आ. दिलीप  कुमार पाठक "सरस" जी
दिनांक~7/4/2020
समय~सायं~ 8:00 बजे
आप सभी से  इस ई विशेषांक के विमोचन पर आप अपनी प्रतिक्रिया भागीदारी सुनिश्चित करने की कृपा कीजिए।आप सादर आमन्त्रित हैं |

ओम प्रकाश फुलारा "प्रफुल्ल"
सम्पादक 
ई विशेषांक
अध्यक्ष
प्रदेश इकाई उत्तराखंड
विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत

Saturday, April 4, 2020

राम

🏹रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य🏹

1:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे।
2:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं।
3:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है।
4:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है।
5:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है।
6:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है।
7:~मानस में छन्द संख्या = 86 है।

8:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का।
9:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में।
10:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी।
11:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी।
12:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला।
13:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला।
14:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ।

15:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं।
16:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं।

17:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए।
18:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में।
19:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।

श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?
नहीं तो जानिये-
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने..।

यह जानकारी  महीनों के परिश्रम केबाद आपके सम्मुख प्रस्तुत है । 
तीन को भेज कर धर्म लाभ कमाये ।।

हकीक़त

वास्तव में वह सत्य जो मैंने लॉकडाऊन के दौरान सीखा।

1. आज अमेरिका अग्रणी देश नहीं है।
2. चीन कभी विश्व कल्याण की नही सोच सकता।
3. यूरोपीय उतने शिक्षित नहीं जितना उन्हें समझा जाता था।
4. हम अपनी छुट्टियॉ बिना यूरोप या अमेरिका गये भी आनन्द के साथ बिता सकते हैं।
5. भारतीयों की  रोग प्रतिरोधक क्षमता विश्व के लोगों से बहुत ज्याद है।
6. कोई पादरी, पुजारी, ग्रन्थी,मौलवी या ज्योतिषी एक भी रोगी को नहीं बचा सका।
7. स्वास्थ्य कर्मी,पुलिस कर्मी, प्रशासन कर्मी ही असली हीरो हैं ना कि क्रिकेटर ,फिल्मी सितारे व फुटबाल प्लेयर ।
8. बिना उपभोग के विश्व में सोना चॉदी व तेल का कोई महत्व नहीं।
9. पहली बार पशु व परिन्दों को लगा कि यह संसार उनका भी है।
10. तारे वास्तव में टिमटिमाते हैं यह विश्वास महानगरों  के बच्चों को पहली बार हुआ।
11. विश्व के अधिकतर लोग अपना कार्य घर से भी कर सकते हैं।
12. हम और हमारी सन्तान बिना 'जंक फूड' के भी जिन्दा रह सकते है।
13. एक साफ सुथरा व सवचछ जीवन जीना कोई कठिन कार्य नहीं है। 
14. भोजन पकाना केवल स्त्रियां ही नहीं जानती।
15. मीडिया वास्तविकता से हट कर टीआरपी  बढ़ाने में ज्यादा विश्वास रखता है।
16. अभिनेता केवल मनोरंजनकर्ता हैं जीवन में वास्तविक नायक नहीं।
17.भारतीय नारी कि वजह से ही घर मंदिर बनता है।
18. पैसे की कोई वैल्यू नही है क्योंकि आज दाल रोटी के अलावा क्या कर सकते हैं।
19. भारतीय अमीरों मे मानवता कुट-कुट कर भरीं हुईं है एक दो को छोड़कर। 
20. विकट समय को सही तरीक़े से भारतीय ही संभाल सकता है।

Friday, April 3, 2020

रवि रश्मि अनुभूति जी

9920796787**** रवि रश्मि 'अनुभूति '

🙏🙏

लेख ---
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 *जागरुकता* 
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*कोरोना  :   बचाव ही सुरक्षा* 
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*आप सभी से गुज़ारिश है*
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*कोरोना वायरस के बारे में*
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 *जानना आवश्यक* -----
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       शीर्षक कोरोना : बचाव और सुरक्षा ,  एक बहुत बड़ा और गंभीर और विचारणीय मुद्दा है । जब हम कोरोना के बारे में जानेंगे तो उसके बचाव के बारे में जान पायेंगे , तभी हम कह सकेंगे कि इससे बचाव में ही सुरक्षा छिपी है । मैं  इसे जागरुकता का नाम दे सकती हूँ । 
          कोरोना महामारी के वायरस का माहौल अब तक दुनिया भर में  बन चुका है और हज़ारों की संख्या में मरीज़ों की मौत हो चुकी है व हो रही है । भारत में भी इस महामारी का प्रकोप अपने पाँव जमा चुका है , और 271 मरीज़ काल का ग्रास बन चुके हैं , और यह सब विदेशों से लौटे यात्रियों के कारण ही फैला है । कर्नाटक में दुबई से महामारीग्रस्त लौटे एक 76 वर्षीय बुज़ुर्ग व दिल्ली में भी विदेश से संक्रमित बीमारी लेकर लौटे बेटे के संक्रमण के कारण उसकी 68 वर्षीय माँ की मृत्यु हो गयी व दिल्ली में लगभग दस तथा महाराष्ट्र में लगभग बीस से अधिक संकमण के मामले सामने आये हैं । दुनिया भर में एक लाख पचास हज़ार से अधिक लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है ।
चीन व इटली में  भी मरने वाले मरीज़ों में बढ़ोतरी हुई है ।  महाराष्ट्र में मरने वालों की संख्या 271 हो चुकी है । लोग ख़ौफ़ के साये में जी रहे हैं । माॅल , स्कूल व काॅलेज तक 22 मार्च तक बंद कर दिये गये हैं , ताकि लोग इस महामारी की चपेट में न आ सकें । कहा गया है कि कोरोना वायरस हमारे बाल से नौ सौ गुना छोटा है , जो महामारी का रूप ले चुका है । कोरोना पर क़ाबू पाना एक चुनौती बन चुकी है । डब्ल्यू एच ओ की ओर से एक एडवाइज़री भी जारी की गयी है , जिसमें रोग को पहचानने व उसके रोकथाम की जानकारी दी गयी है ।
*लक्षण*
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        कोरोना महामारी के लक्षण सामान्य सर्दी , जुकाम व साँस लेने में  तकलीफ़ जैसे ही हैं , पर यह जानलेवा ही है । यह संक्रमित रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेज़ी से फैलता है । 
*कोरोना से बचने के उपाय*
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         कोरोना से बचने के ऐसे कई उपाय बताये जा रहे हैं , जिनको अपना कर हम कोरोना ही नहीं , किसी भी प्रकार के संक्रमण से बच सकते हैं । सर्वप्रथम तो हमें तुलसी के काढ़े व तुलसी की पत्तियों का सेवन करना चाहिए व चाय बनाकर पीनी चाहिए । तुलसी हर प्रकार के रोग की कारगर औषधि है । 
           वास्तव में इस जानलेवा महारोग कोरोना को पास न आने देने का पहला सबसे शानदार तरीका यह भी है कि यूँ ही बिना काम बाहर और भीड़ में न जायें । कभी बाहर जाने की ज़रूरत पड़ती भी है तो बड़ी सावधानी रखें । किसी को छुएँ नहीं  , दूर से ही बात करें , किसी के गले न मिलें व हाथ न मिलायें । चेहरे पर मास्क लगायें । बाहर से आने के पश्चात् हाथों को अच्छी तरह मलकर कम से कम बीस सेकेंड तक धोना अति आवश्यक है । 
       हाथों को नाक , कान व चेहरे पर लगाने से पहले सैनीटाइज़र व डिटाॅल से अच्छी तरह रगड़ कर धोयें । घर में भी डिटाॅल से पोछा लगायें । ज़रूरत का सामान पहले ही इकट्ठा करके घर में रखें । न जाने कौन कोरोना से ग्रस्त हो । कोई बतायेगा थोड़ी ही । किसी के मन में महारोग फैलाने की दुर्भावना भी तो आ सकती है । बीमारी मोल क्यों लेनी ? सावधानी बहुत अच्छी व आवश्यक है । अपने साथ सेनीटाइज़र रखें । दरवाज़े ,  खिड़कियों , अलमारी व ड्राॅअर खोलने के बाद हाथों को सेनीटाइज़ कर लें । 
      दफ़्तर में पहुँचने के बाद हमें अपनी सीट , जगह , कंप्यूटर , लैपटाॅप , फोन , मेज़ आदि तथा दरवाज़ों के नाॅब , चिटकनियों आदि की सफ़ाई डिटाॅल से कर व करवा लेनी चाहिए ।  एक बार की सफ़ाई के बाद बार - बार हाथ धोने नहीं पड़ेंगे । घर व दफ़तर में पूर्ण स्वच्छता बनाये रखने के लिए डिटाॅल , सैनेटाइज़र व कपूर का प्रयोग करें , जिससे पवित्रता व शुद्धता बनी रहे । अपने शरीर की शुद्धता का भी हमें पूरा ध्यान रखना चाहिए । स्वस्थ शरीर ही इस सृष्टि का निर्माण व अवलोकन कर पायेगा व संसार को आगे ले जायेगा । 
        किसी को भी खाँसी व जुकाम के समय उसे जाँच करवाने को कहें व उनसे बचें , क्योंकि यह मानव से मानव तक एक - दूसरे की वस्तुओं के आदान - प्रदान करने से होता है । यह एक - दूसरे के स्पर्श से महामारी के वायरस के फैलने से होता है । अपने शरीर की साफ- सफ़ाई का पूरा ध्यान रखें । बाहर का फ़ास्ट फूड खाना बंद कर दें । मास्क खरीदते समय ध्यान रखें कि वह बिल्कुल नया हो , किसी का प्रयोग करके दोबारा बेचा न जा रहा हो ।
      कोरोना से बचने के लिए मटन व सी - फ़ूड पर भी प्रतिबंध लगाना ज़रूरी है । मटन- बाज़ार में भी नहीं जाना चाहिए । घर का ही बना खाना , वह भी संतुलित व शाकाहारी खाना ही खायें । ठंडा पानी व पेय पदार्थ न पियें । यात्रा पर हों तो भी मटन आदि खाने से बचना चाहिए व कच्चा या अधपका मीट तो खाना ही नहीं चाहिए । 
      इसके अलावा जनता को टीवी , मोबाइल पर बताये गये नियमों का पालन सख़्ती से भी करना चाहिए । नित योगा करें । भारतीय पद्धति नमस्ते की प्रक्रिया अपनायें । भीड़ में  न जायें । भ्रामक प्रचार में फँस कर किसी भी तरह की गलतफ़हमियों का शिकार न बनें । स्वयं पर भी भरोसा रखें । आत्मबल व आत्मविश्वास भी बहुत बड़ी बात होती है । यदि रोग के लक्षण दिखायी पड़ें तो तुरंत जाँच करवा लेनी चाहिए । अभी तक कोरोना वायरस को मारने के लिए कोई दवा व इंजेक्शन की खोज नहीं हुई है । यह मलेरिया , हैजा , मोतीझरा , टीबी ( यक्ष्मा या तपेदिक ) , पोलियो , कैंसर आदि जैसी बीमारी नहीं है , जिनका इलाज जल्दी संभव व सुलभ हो गया था । सबसे महत्वपूर्ण तो इससे बचाव में  ही सुरक्षा निहित है । 
        कोरोना वायरस के लक्षण जितने सहज सरल लग रहे हैं , उतने सहज न समझे जायें , ये ही तो जानलेवा हैं । कहा गया है कि मधुमेह व दिल के मरीज़ों को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए । अत: सभी बुज़ुर्गों व किसी भी उम्र के मधुमेहग्रस्त लोगों को ख़ास ध्यान रखना है । ' किसी भी उम्र के ' इसलिए लिखा है कि कुछ समय पहले से व आजकल भी यह बीमारी बच्चों में भी पायी जाने लगी है । बुज़ुर्गो व बच्चों को विशेष रूप से बचकर रहने की हिदायत है , क्योंकि इनकी अवरोधक शक्ति कम हो जाती है और ये किसी भी बीमारी का जल्दी सामना नहीं कर पाते हैं । 
         प्रधानमंत्री मोदी ने बचाव में ही सुरक्षा के लिए जनता कर्फ़्यू - सुबह सात बजे से रात नौ बजे तक का बहुत बढ़िया व शानदार तरीका जनता को बताया है । जनता जब एक - दूसरे के संपर्क में आयेगी ही नहीं तो इस महामारी के वायरस को कहीं स्पर्श व छुपने की जगह नहीं मिलेगी तो इन चौदह घंटों में वायरस अपने आप ही मर जाएँगे । देश में जागरुकता लाने की अत्यंत आवश्यकता है । इन बचावों को जनता जब जान जायेगी तो जागरूक हो जायेगी । सभी को एकता से पालन करने में सहयोग देकर इस जागरुकता को सफल बनाना चाहिए । 
        इस महामारी कोरोना से बचने के लिए ---
*कपाल - भाती , प्राणायाम व उज्जायी प्राणायाम करो न ,*
*अनुलोम - विलोम व भ्रामरी प्राणायाम भी तो करो न ,*
*कुंजल क्रिया , जल नेति , सूत्र नेति* *आदि भी लाभदायक है* ,  
*किसी को कठिन लगें , पर सरल उपाय हैं ,* 
*आज़मा कर देखो तो , पास फटके न कोरोना ।*
*जय योग , भगाये रोग*।
*सावधान !* 
*संसार से उठ जाना नहीं ।*
*सब कुछ सबके भले के लिए ही ।* कुछ और भी लाभदायक व कारगर उपाय बताये गये हैं , जिनका पालन हमें करना चाहिए । सर्दी , जुकाम , पक्षाघात , सिर दर्द , साइनस रोग व अनिद्रा से बचने के लिए सोते समय देशी गाय के घी या बादाम रोगन की 3 - 4 बूँदें नाक में डाल लेनी चाहिए । लहसुन की चार - पाँच कलियों को उबाल कर उसका पानी गरम - गरम चाय की तरह पीकर चुस्त - दुरुस्त रहें  । 
          रोग के बारे में पता लगने पर गायिका कुनिका कपूर की तरह ज़रा - सी भी असावधानी न बरतें और न ही पार्टियों में जायें । एकदम अलग- थलग रहें । किसी के संपर्क में बिल्कुल न आयें ।
         अब आप समझ गये होंगे कि कोरोना से बचाव में ही सबकी सुरक्षा निहित है । 🙏🙏
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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
13.3.2020 , 1:43 पीएम पर लिखित ।
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21.3.2020.
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प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं वार्षिकोत्सव मनाया गया।

दिनांक 30/11/2024 को प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं ...