Tuesday, February 14, 2023

"विशिष्ट अतिथि - डॉ०संतोष कुमार सिंह "सजल"


"विशिष्ट अतिथि -डॉ० संतोष कुमार सिंह 'सजल" के कलम से  - संस्था के द्वारा इस अनुपम,अनूठे प्रयोग को सादर नमन करता हूँ ।संस्था  समय समय पर ऐसी प्रस्तुति एवं कार्यक्रम करके निश्चित रूप से संस्था के पदाधिकारियों को अन्य संस्था के पदाधिकारियों से विशेष बनाती है । इस अनूठे प्रयोग की प्रेरणा आदरणीया धस्माना दीदी जी ,इस बीज को रोपित करने वाले आदरणीय सरस जी एवं अपने असाध्य परिश्रम से पुष्पित एवं पल्लवित करने वाले संस्था के हनुमान जी आदरणीय  फुल्लरा जी ,संस्था के समस्त कार्यक्रम में जान फूकने के क्षमता के धनी सादर प्रिय अनुज भारत जी के साथ साथ इस कार्यक्रम में चार चाँद लगाने वाले अद्भुत विलक्षण सितारे जो समय समय पर भिन्न-भिन्न दायित्त्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर सामान्य को विशिष्ट बनाने की महारथ हासिल कर्ता सर्व श्री  आदरणीया नीलम गर्ग जी, आदरणीय सन्तोष कुमार प्रीत जी, आदरणीय डॉ.श्याम गंगवार जी ,डॉ शरद श्रीवास्तव  जी, आदरणीय डॉ राहुल शुक्ला साहिल जी, सादर प्रिय अनुज पंडित सुमित शर्मा पीयूष जी,आदरणीय,मनोज खोलिया जी,आदरणीय राजेश मिश्र प्रयास जी, आदरणीय डॉक्टर विमलेश कुमार हमदम जी, आदरणीय इंजीनियर हेमंत कुमार सिंघई जी।सरस्वती वंदना प्रस्तुत करता आदरणीया डॉ आराधना उपाध्याय जी ,स्वागत गीत प्रस्तुत करता आदरणीया सुनंदा झा जी को विशेष साधुवाद देता हूँ । ऐसे कार्यक्रम का मैं भी साक्षी बना इसके लिए गौरव की अनुभूति हो रही है इसके लिए संस्था का आभारी हूँ ।
"ईश्वर संस्था को उत्तरोत्तर वायु वेग से गतिमान करें । संस्था समाज और हिंदी जगत के लिए  प्राणवायु बने" ऐसी कामना के साथ अपने कलम को विराम देता हूँ। 

जय जय
डॉ०संतोष कुमार सिंह 'सजल

अध्यक्षीय उद्बोधन - आ० सुशीला धस्माना 'मुस्कान'


अध्यक्षीय उद्बोधन 
       
     पटलश्री पर उपस्थित सभी विद्वद् जन, आदरणीय भ्राताश्री कौशल कुमार पांडेय आस जी, संस्था के संस्थापक आदरणीय दिलीप कुमार पाठक सरस जी, मुख्य अतिथि आदरणीय  श्याम  गंगवार जी, विशिष्ट अतिथि आदरणीय डाक्टर संतोष कुमार सिंह जी,   आदरणीया  नीलम गर्ग जी,  आज के संरक्षक आदरणीय संतोष कुमार प्रीत जी,  ई एल्बम  निर्माता आदरणीय ओमप्रकाश प्रकाश प्रफुल्ल जी, संचालक आदरणीय नीतेंद्र सिंह परमार भारत जी , विशेष उद्बोधन कर्ता आदरणीय डाक्टर शरद श्रीवास्तव शरद जी, आदरणीय इंजीनियर संतोष कुमार सिंह जी, आदरणीय शरद श्रीवास्तव शरद जी एवं  विमलेश कुमार हमदम जी ,  , अनुज राजेश मिश्र प्रयास जी, अनुज विमलेश कुमार श्रीवास्तव हमदम जी,  आ० आराधना उपाध्याय जी, आदरणीय  विजय पाण्डेय विप्र जी व  सुनंदा  झा जी सहित सभी उपस्थित बंधुगणों  का पुनः   हार्दिक स्वागत  है!

      अभी  आप   सबने  एक भव्य व दिव्य  विमोचन समारोह  का आनंद  लिया ! आप सभी ने  अवश्य  ही  इस अद्भुत व अनुपम  ई ऐल्बम  का अवलोकन  कर लिया होगा ! यह बहुत ही आकर्षक व मनोहारी बना है। आदरणीया नीलम गर्ग  जी के जीवन वृत्त , कृतित्व व व्यक्तित्व पर यह  प्रकाश डालता प्रतीत होता है  और  हो भी क्यों  न ? अंततः  इसका संकलन आदरणीय ओमप्रकाश फुलारा प्रफुल्ल जी  ने बहुत मान सम्मान  व मनोयोग  से किया है। उनका कार्य  तो सदा ही वंदनीय व अभिनंदनीय होता ही है। 

       इस  बहुप्रतीक्षित  ई ऐल्बम   से निश्चय ही सभी को प्रेरणा मिलती रहेगी ।  आ० नीलम गर्ग जी का सामाजिक प्रकोष्ठ  की पहली सदस्या के रूप में हार्दिक स्वागत व अभिनंदन  है  साथ ही उनकी  ई ऐल्बम  प्रकाशित होने पर उनको   बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ!  

   आज का  विमोचन  कार्यक्रम सदा की भाँति  बहुत ही सुंदर व गरिमामय था। अनुज नीतेंद्र सिंह परमार भारत  जी का संचालन  शानदार  व  जानदार था!
      आप सभी कार्यक्रम  में पधारे हुए गुणीजन  का पुनः स्वागत व अभिनंदन  करते हुए  गौरवान्वित हूँ!
 आप सभी की  गरिमामय उपस्थिति ने इस भव्य विमोचन समारोह  के कार्यक्रम की  शोभा को  द्विगुणित बढ़ा दिया  है। आप सभी ने कार्यक्रम के लिए अपना अमूल्य समय प्रदान किया इसके लिए हमारी संस्था  विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत आपकी बहुत-बहुत आभारी  है तथा   धन्यवाद ज्ञापित करती है।


धन्यवाद!


सुशीला धस्माना 'मुस्कान'
अध्यक्ष 
विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत

'विशेष उद्बोधन' - डॉ० शरद श्रीवास्तव 'शरद'


'विशेष उद्बोधन'

'विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत' के मनोहारी पटल 'जय-जय काव्य चित्रशाला' पर आदरणीया नीलम गर्ग जी के 'ई एल्बम' के विमोचन के शुभ अवसर पर उपस्थित कार्यक्रम के संरक्षक,साहित्य-पथ के समादृत व्यक्तित्व एवम् संस्था के राष्ट्रीय सलाहकार आदरणीय सन्तोष कुमार प्रीत जी!महनीय अध्यक्षा आदरणीया सुशीला धस्माना मुस्कान जी! मुख्य अतिथि एवम विमोचनकर्ता आदरणीय डॉ.श्याम गंगवार जी!विशिष्ट अतिथि एवम संस्था के राष्ट्रीय समन्वयक आदरणीय डॉ. संतोष कुमार सिंह सजल जी! सम्पादक एवम् संस्था के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एवम उत्तराखंड इकाई के अध्यक्ष आदरणीय ओमप्रकाश फुलारा प्रफुल्ल जी! संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आदरणीय डॉ राहुल शुक्ला साहिल जी! संस्था के अलंकरण प्रमुख प्रिय अनुज पंडित सुमित शर्मा पीयूष जी!अनुशासन प्रमुख भाई मनोज खोलिया जी! राष्ट्रीय सचिव भाई राजेश मिश्र प्रयास जी!अंतर्राष्ट्रीय समन्वयक आदरणीय डॉक्टर विमलेश कुमार हमदम जी! राष्ट्रीय कार्यक्रमाधिकारी आदरणीय इंजीनियर हेमंत कुमार सिंघई जी! माँ वाणी के वरद पुत्र, ऊर्जावान साथी एवं संस्था के राष्ट्रीय कार्यक्रम संचालक प्रिय अनुज नितेंद्र सिंह परमार भारत जी! एवम वागीश्वरी के विग्रह स्वरूप सम्मानित कलमकारों!

आप सबका आज के अवसर विशेष पर हार्दिक स्वागत,वंदन एवं अभिनंदन

भारतवर्ष की एक ऐसी साहित्यिक संस्था जिसने संपूर्ण विश्व में हिंदी के माध्यम से निज राष्ट्र की सभ्यता एवं संस्कृति के निमित्त जन चेतना पैदा करने का बीड़ा उठाया हो,  का नाम *विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत* है। यह संस्था एक ऐसा विशाल मंच है जो केवल भारत वर्ष ही नहीं अपितु देश-दुनिया को अपने भीतर समावेशित कर अद्यतन साहित्य एवं संस्कृति का एक विस्तारित क्षेत्र बन चुका है।आदरणीय दिलीप कुमार पाठक 'सरस' जी,जो संस्था के संस्थापक हैं,के भगीरथ प्रयत्न से उद्भूत हमारी ज्ञान गंगा हिंदी भाषियों, हिंदी प्रेमियों या यूँ कहूँ कि साहित्यानुरागियों को जीवित मोक्ष प्रदान करने का वरेण्य साधन हो चुकी है। विद्वतजन! हमारी आस्था की प्रतीक माँ गंगा तो गोमुख से नि:सृत होकर बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती हैं लेकिन हमारी संस्था रूपी ज्ञान गंगा ने अपने विस्तृत वितान के माध्यम से संपूर्ण विश्व को आच्छादित कर लिया है। संस्था द्वारा हिंदी के मानवर्धन के लिए किए जा रहे प्रयास सर्वथा श्लाघनीय हैं।हमारी संस्था निरपेक्ष रूप से साहित्येतिहास में अपने अवदानों एवं प्रतिदानों के लिए स्वर्णाक्षरों में अंकित की जाएगी, इस पर मत वैभिन्य की संभावना दूर-दूर तक नहीं हो सकती। जय-जय हिंदी के समृद्ध साहित्यिक पटल के माध्यम से संपूर्ण साहित्य जगत को एकीकृत कर साहित्य के जिस सांगठनिक ढांचे को सुदृढ़ कर रही है, निश्चित रूप से इस प्रयास के लिए संस्था का प्रशासक मंडल, समस्त पदाधिकारीगण, साहित्य सेवी, कलमकार साथी, विशेषत: कर्मठ एवं जुझारू संस्थापक आदरणीय दिलीप कुमार पाठक *सरस* जी सतत बधाई के पात्र हैं। सम्मानित पटल पर देश दुनिया के कलमकार जुड़कर न केवल अपनी रचनाधर्मिता को प्रमाणित करते हैं, अपितु पटल के माध्यम से ज्ञानियों एवम मनीषियों का सानिध्य और सामीप्य प्राप्त कर धन्यता के शिखर की अनुभूति भी करते हैं। संस्था के पटल पर उपलब्ध विद्वतपरिषद ज्ञान गंगा एवम संस्कार की एक ऐसी प्रवहमान जलधारा है,जिसमें अवगाहन कर न जाने कितने कलमकार अपने प्रारब्ध के पुण्य को फलित होते हुए देखते हैं। हमारी संस्था *विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत*  एक सामान्यीकृत धारणा के अंतर्गत ऐसा प्रतीत होता है कि अपनी सुगंध से साहित्य के धरातल पर  निज राष्ट्र की सीमाओं से बाहर निकलकर संपूर्ण वसुधा को सुवासित कर रही है। यहाँ यह तथ्य भी समान रूप से उल्लेखनीय है कि हमारी मातृभाषा हिंदी का प्रभाव सात समंदर पार तक अनुभूत होने लगा है। साहित्य के इस महायज्ञ की पताका अपने कर कमलों में लिए भारतवर्षोन्नति में हिंदी के अवदान को चिन्हित करते हुए हमारे साहित्यकार साथी उत्कर्ष की ओर अग्रसर हैं। यहाँ यह कहना अतिशयोक्ति पूर्ण नहीं होगा कि साहित्येतिहास में हिंदी को सक्षम,सबल, समर्थ एवम सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए संस्था के अथक प्रयासों को सदैव याद ही नहीं अपितु साहित्य के स्वस्थ आंदोलन में अपनी आहुतियों के माध्यम से हम रचनाकार आंदोलन की धारा को सुदृढ़ करने का जो सद्प्रयास कर रहे हैं, वह भी कालांतर में हमारे गौरवपूर्ण अनुभूति का नियामक होगा।

एक बार पुनः सम्मानित संस्था, यशस्वी संस्थापक, जागरूक संरक्षक मंडल,समर्पित अध्यक्षा,सचेत सलाहकार एवम परामर्शदात्री समिति,दक्ष प्रशासक मंडल, योग्य पदाधिकारी गण एवम समस्त गुणी रचनाकारों के अथक प्रयास एवम समर्पण के प्रांजल भाव हमारी संस्था के दीर्घकालिक गौरवगान  की समवेत स्वर में कामना करते हैं और आदरणीया नीलम जी को एल्बम की बारंबार बधाई एवम शुभकामनाएँ संप्रेषित करते हैं....
   सादर एवम साभार....
डॉ. शरद श्रीवास्तव 'शरद'
सदस्य, प्रशासक मण्डल
            एवम
     'राष्ट्रीय प्रवक्ता'
'विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत'

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