Thursday, December 21, 2023

हमारा मान, हमारी पाग (साफा) - कुँवर अजय सिंह परिहार

हमारा मान, हमारी पाग (साफा)

    ऐसी मान्यता है कि कपड़े व्यक्ति की शान बढ़ाते हैं, व्यक्ति कपड़ों की। साफा य पाग भी एक ऐसा पहनावा है जो व्यक्ति को मान प्रदान करता है। साफा कई तरीक़े से बांधा जाता है, सब जगह अलग-अलग नामों से संबोधन होता है। जैसे :-
मारवाड़ - साफा
मेवाड़ - पाग
जैसलमेर - फेंटा
गुजरात - पागड़ी/पागड़ा
अपने यहां - मुड़इंठा (मूड़ + ऐंठा)
सब के अपने बांधने (कसने) के तरीके। एक कहावत है :-

" गान, रसोई, पाग।
  कभी-कभी बन जात।।"

साफा बंधन से चेहरे की भव्यता बढ़ जाती है. मान बढ़ जाता है, सर बड़ा लगने लगता है।

सिर बड़ा सरदार का
पैर  बड़ा  गमार  का।

  साफा के विभिन्न प्रकार बाजार में उपलब्ध हैं - चुनरी, लहरिया, मूठड़ा, इकरंगा, तिरंगा, पंचरंगी, गोटेदार आदि आदि.....।

साफा बांधने के कई फायदे हैं/थे।
1- सोलह हाथ लंबा होने के कारण ओढ़ना-बिछाना भी हो जाता।
2 - घुड़सवारी मे हेलमेट का काम।
3 - कुंएं आदि से पानी खींचने का काम
4 - चेहरे की भव्यता और पहचान प्रदान करना।

  नियमतः अपना साफा किसी को नहीं देना चाहिए, ना ही दूसरे का साफा अपने कसना चाहिए। पिता का साफा पुत्र को कदापि नहीं बांधना चाहिए। फटे साफा से परहेज किया जाता था। साफा हमारी शान है, इज्जत बचाने के लिए (समर्पण भाव) अपनी पगड़ी, साफा दूसरे के चरणों में रख दिया जाता था। किसी के बेइज्जती के लिए मुहावरा बना है 'पगड़ी उछालना'। अयोध्या के आसपास के क्षत्रियों ने राममंदिर न बनने तक नंगा सर रहने का संकल्प लिया था जो अब पूरा होने जा रहा है। पुराने जमाने में तो साफा पगड़ी गिरवी रखने तक के उदाहरण मिलते हैं। 

   वर्तमान में सारे निषेध ध्वस्त हैं, अब साफा व्यवसाय से जुड़ गया है। हर सुअवसर पर किराए से उपलब्ध हैं, कौन/ किसका/ कैसा/ नया/पुराने/फटा साफा से कोई मतलब नहीं। भरे सुअवसर पर व्यवसायी आपका साफा उतरवा लेते हैं। अब तो महिलाएं भी साफा पहनने लगीं हैं जो उचित नहीं, महिलाएं घूंघट मे मर्यादित-सम्मानित लगती हैं। कोई प्रहसन अभिनय हो तो बात अलग। वर्तमान में साफा बांधकर सड़कों मे महिला-पुरुष भौंड़े नृत्य करते हैं। जबकि साफा की अपनी गरिमा है।

उपरोक्त बातें अपनी समझ के अनुसार वर्णित किया है मेरा उद्देश्य किसी को दुखी करने का ना है। क्षमा के साथ



अजय सिंह परिहार

Monday, December 18, 2023

मत्ता छंद - शैलेंद्र खरे 'सोम'


◆मत्ता छंद◆

विधान   ~  मगण भगण सगण)+गुरु
गण सूत्र ~  222    211    112  2
प्रतिचरण 10 वर्ण, यति प्रायः 4, 6 वर्ण पर।
चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत।

उदाहरण

चापौं भोले, चरण  तिहारे।
दीजे  मोहे , शरण  सहारे।।
गंगा   धारी, सुमिरत  जाऊँ।
दाता   संभू, निशदिन गाऊँ।।    

    शैलेन्द्र खरे "सोम"


Saturday, December 2, 2023

छतरपुर नगर के युवा कवि नीतेंद्र सिंह परमार "भारत" को जनचेतना साहित्य प्रेरणा सम्मान से सम्मानित किया गया।

छतरपुर नगर के युवा कवि नीतेंद्र सिंह परमार "भारत" को जनचेतना साहित्य प्रेरणा सम्मान से सम्मानित किया गया।

लखनऊ, विश्व विद्यालय द्वितीय परिसर के ज्यूरियस हॉल, प्रशासनिक भवन में  विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत का पाँचवाँ वार्षिकोत्सव एवं सम्मान समारोह विगत 30 नवम्बर को प्रातः 11:00 बजे से आ. सुशीला धस्माना 'मुस्कान की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। जिसमें विभिन्न प्रांतों से आए 28 कवियों, कवियित्री को शाल , शील्ड, आमंत्रण-पत्र, सम्मान-पत्र, देकर 
 सम्मानित किया गया। समारोह में आ. राहुल शुक्ल साहिल', राजेश मिश्र 'प्रयास' डॉ. शरद श्रीवास्तव 'शरद', आ. गीतांजलि वार्ष्णेय 'सूर्यांजलि' इंजी.हेमन्त कुमार 'सिंघई', आ. शैलबाला कुमारी के प्रतिनिधि जे. आर. सैनी को स्मृति सम्मान-2023 से सम्मानित किया गया। वहीं आ. नीतेन्द्र कुमार सिंह परमार 'भारत', पं. सुमित शर्मा ' पीयूष' आ. ओम प्रकाश फुलारा 'प्रफुल्ल' को साहित्य प्रेरणा सम्मान- 2023 से गौरवान्वित किया गया। आ. शरद कुमार श्रीवास्तव 'शरद' जी को राष्ट्रीय प्रवक्ता, आ. सुशीला धस्माना 'मुस्कान' राष्ट्रीय अध्यक्ष संरक्षक मण्डल, आ. संतोष कुमार 'प्रीत' को राष्ट्रीय अध्यक्ष, आ. नीतेंद्र सिंह परमार 'भारत' को राष्ट्रीय कार्यक्रम संचालक नियुक्त करते हुए सभी को नियुक्ति-पत्र प्रदान किए गए। आ. दिनेश अवस्थी जी को शब्द रत्न पुरस्कार -2023 से सम्मानित किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि आ. बंशीधर सिंह विभागाध्यक्ष विधि संकाय लखनऊ विश्व विद्यालय , विशिष्ट अतिथि आ. अमृत बिसारिया(दुबई), संचालन डॉ. शरद कुमार श्रीवास्तव जी ने किया।
द्वितीय सत्र भोजनावकाश के बाद में प्रारम्भ हुआ जिसमें पं. सुमित शर्मा 'पीयूष'ने "सच बात मेरे मन की सुनाता हूँ लाड़ली, बताता हूँ लाड़ली ", संतोष कुमार 'प्रीत' ने "अक्षरों का ले सहारा, हृदय का उदगार लिखना ", गीता गंगवार ने "हार हो सामने वीर हटते नहीं, दूर हो लक्ष्य कर्मठ थकते नहीं ", सुशीला धस्माना 'मुस्कान' ने "धरा राम की है उन्ही की रहेगी, ध्वजा राम की देखो छूती शिखर है ", नीतेंद्र परमार भारत ने द्वितीय सत्र का संचालन करते हुए "बढ़ रहीं कुछ खास नस्लें, अब हमारे देश में ", राजेश मिश्र प्रयास ने "अटल विश्वास सा सहचर कोई अभिराम आ जाता ", तीर्थ देव शर्मा 'सरल'ने "श्रीराम प्रभु की महिमा, सब जानते हैं जानेगें, सीता माँ की त्याग लीला, को कैसे पहचानेंगे ",
ओम प्रकाश फुलारा 'प्रफुल्ल' ने "मुर्दो को पदवी मिलती है", ब्रजमोहन श्रीवास्तव 'साक्षी' ने " प्रेम ही प्यार का एक सन्देश है, प्रेम ही धर्म ग्रंथो का उपदेश है ", अमृत बिसारिया जी ने"स्वाद को स्वाद आए थोड़ा नजाकत से ", डॉ. शरद कुमार श्रीवास्तव ने "जिंदगी तो मुस्कराना चाहती है ", प्रसन्नबदन चतुर्वेदी ने "पत्थर हुआ इंसान, अब इंसानियत दिखती नहीं "अरविन्द कुमार मिश्रा ने निर्वस्त्र बनाकर नारी को, खुले गीधजन घुमा रहे हैं " राहुल शुक्ल 'साहिल' ने "दिल भी खुशनुमा रात रंगीन है "डॉ. आलोक कुमार यादव ने "चलो फिर गैर से रिश्ता निभाकर देख लेते हैं ", कंचन सिंह परिहार ने "हरि बिनु कौन यहाँ प्रभु तेरा "निशा श्रीवास्तव ने "प्रेम नहीं आसां होता है, पूछे कोई मीरा से "रोहित मिश्रा ने "हिन्दोस्ता हमारा, हिन्दोस्ता हमारा "अभिलेखा श्रीवास्तव ने "दीवारों से मिलकर रोना अच्छा लगता है ",आयोजक मण्डल के डॉ. आलोक कुमार यादव, गीता गंगवार, एडवोकेट संजय सिन्हा, बशीधर सिंह विभागध्यक्ष विधि संकाय को नीतेन्द्र सिंह परमार 'भारत' ने मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर के प्रतीक देकर सम्मानित करने का काम किया।
इस अवसर पर लखनऊ व बाहर से आए काफ़ी संख्या में काव्यानुरागिओं ने सम्मिलित होकर काव्य रस का आनंद लिया।


प्रदेश अध्यक्ष
नीतेंद्र सिंह परमार 'भारत'
छतरपुर, मध्यप्रदेश
मो.नं. 8109643725

Saturday, September 16, 2023

विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत - 3011 मध्यप्रदेश इकाई के तत्वावधान में कविवर सुरेंद्र शर्मा "शिरीष" प्रथम स्मृति संध्या समारोह - 2023



विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत - 3011 मध्यप्रदेश इकाई के तत्वावधान में कविवर सुरेंद्र शर्मा "शिरीष" प्रथम स्मृति संध्या समारोह - 2023


छतरपुर,( जनचेतना समाचार )
प्रदेश अध्यक्ष नीतेन्द्र सिंह परमार "भारत" के संयोजन व निवेदक श्री आनंद शर्मा तथा श्री प्रमोद सारस्वत जी के संचालन में हिंदी दिवस पर सुविख्यात गीतकार स्व. सुरेंद्र शर्मा "शिरीष" जी की प्रथम स्मृति के रूप में कविवर "शिरीष" स्मृति संध्या समारोह - 2023 दिन गुरुवार को सायंकाल 4 बजे से देर रात्रि तक बुन्देलखण्ड केसरी छत्रसाल स्मारक सभागार चौक बाजार छतरपुर में संपन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री शिव भूषण सिंह गौतम 'भूषण',मुख्य अतिथि श्री संतोष कुमार सोनकिया 'नवरस' जी व विशिष्ट अतिथि श्री गोकुल प्रसाद गुप्ता जी रहे। कविवर सुरेंद्र शर्मा "शिरीष" स्मृति-सम्मान- 2023 श्री शिवभूषण सिंह गौतम जी को देकर सम्मानित किया गया। ट्रस्ट की ओर से हार्दिक बधाई। कार्यक्रम में आ० विनीत गुप्ता जी ने माँ वीणापाणि की वंदना प्रस्तुत की तथा समस्त साहित्यकार बंधुओं के द्वारा कविवर शिरीष जी के चित्र पर श्रद्धांजलि स्वरूप पुष्प अर्पित किये। कार्यक्रम संयोजक नीतेन्द्र भारत व निवेदक श्री आनंद शर्मा जी ने अध्यक्ष महोदय तथा मुख्य अतिथि,विशिष्ट अतिथियों का शॉल श्रीफल व फूलमाला आदि से सम्मानित किया। तथा सभी साहित्यकार बंधुओ का फूल माला पहनाकर स्वागत वंदन किया।
           छतरपुर नगर तथा बाहर से पधारे सभी  साहित्यकारों ने अपनी कविताओं के मध्यम से श्रद्धांजलि स्वरूप श्री शिरीष जी  को शब्द सुमन अर्पित किये जिसमें डॉ० राघवेंद्र उदैनिया स्नेही,श्री सुरेन्द्र शर्मा सुमन,अब्दुल अज़ीज़ रावी,गायत्री खरे 'केशव',सीता राम साहू,रामकृपाल शुक्ला, हरिशंकर जोशी, डॉ.आर.बी.अनजान,नम्रता शुक्ला,रामलला शर्मा रमन,लखन लाल सोनी,अजय मोहन त्रिपाठी,जीतेन्द्र जीत,अभिषेक अरजरिया,शबीह हाशमी तथा युवा रचनाकारों में सूरज पंडित,अंकित अग्रवाल,अनंतराम बुनकर,जयकांत पाठक,नरेंद्र अनुरागी व अकिंचन तथा कु.नीलम प्यासी आदि ने भी सहभागिता की। 
         कार्यक्रम के समापन की वेला में अध्यक्ष उद्बोधन व काव्य पाठ आ० भूषण जी ने किया। तथा सभी महानुभाव का आभार व्यक्त किया नीतेन्द्र सिंह परमार "भारत" व श्री आनंद शर्मा जी ने तथा सफलता पूर्वक कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
                                                 धन्यवाद
दिनांक- 14-09-2023                  
                                                   
       प्रदेश अध्यक्ष 
 नीतेन्द्र सिंह परमार "भारत"
 विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत
  मध्यप्रदेश इकाई छतरपुर

Friday, April 7, 2023

भगवान श्री महावीर स्वामी जी की 2622 वीं जन्म जयंती के पावन अवसर पर दिनांक 3 अप्रैल 2023 को पलेरा जिला टीकमगढ़ में कवि सम्मेलन का आयोजन


भगवान श्री महावीर स्वामी जी की 2622 वीं जन्म जयंती के पावन अवसर पर दिनांक 3 अप्रैल 2023 को पलेरा जिला टीकमगढ़ में कवि सम्मेलन का आयोजन धर्म प्रभावना समिति के  द्वारा हुआ। व आ० राजेन्द्र जैन जी का विशेष सहयोग,प्रेम रहा। कार्यक्रम का संयोजन आ० संजय जैन जी भाई साहब के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का श्रेष्ठ संचालक आ० देवेंद्र चतुर्वेदी भाई साहब जी के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में बड़े भाई प्रदीप दिहुलिया जी के द्वारा देर रात्रि तक श्रोताओं को हँसाया गुदगुदाया गया। तो वहीं अपने क्रम में आ० जीतेंद्र यादव जीत जी ने लोगों को खड़े होकर तालियां बजाने को मजबूर कर दिया अपनी ओज पूर्ण रचनाओं को सुना कर। आ० रजनी श्रीवास्तव जी ने अद्भुत गीत पढ़े समस्त श्रोतागण मनमुग्ध होते नज़र आये। तो वही समाज में फैली कुप्रथा व विसंगतियों पर व्यंग्य करते हुए संजय जैन जी ने रचनाएं पढ़ी। साथ ही मुझें भी यानी नीतेंद्र भारत को  पलेरा वासियों ने अनुपम स्नेह दिया और मेरे छन्दों और गीतों को सुना। 
पुनः मैं आभार व्यक्त करता हूँ । आप सभी अपना स्नेह बनाये रखें। 

नीतेंद्र सिंह परमार 'भारत'

Tuesday, February 14, 2023

"विशिष्ट अतिथि - डॉ०संतोष कुमार सिंह "सजल"


"विशिष्ट अतिथि -डॉ० संतोष कुमार सिंह 'सजल" के कलम से  - संस्था के द्वारा इस अनुपम,अनूठे प्रयोग को सादर नमन करता हूँ ।संस्था  समय समय पर ऐसी प्रस्तुति एवं कार्यक्रम करके निश्चित रूप से संस्था के पदाधिकारियों को अन्य संस्था के पदाधिकारियों से विशेष बनाती है । इस अनूठे प्रयोग की प्रेरणा आदरणीया धस्माना दीदी जी ,इस बीज को रोपित करने वाले आदरणीय सरस जी एवं अपने असाध्य परिश्रम से पुष्पित एवं पल्लवित करने वाले संस्था के हनुमान जी आदरणीय  फुल्लरा जी ,संस्था के समस्त कार्यक्रम में जान फूकने के क्षमता के धनी सादर प्रिय अनुज भारत जी के साथ साथ इस कार्यक्रम में चार चाँद लगाने वाले अद्भुत विलक्षण सितारे जो समय समय पर भिन्न-भिन्न दायित्त्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर सामान्य को विशिष्ट बनाने की महारथ हासिल कर्ता सर्व श्री  आदरणीया नीलम गर्ग जी, आदरणीय सन्तोष कुमार प्रीत जी, आदरणीय डॉ.श्याम गंगवार जी ,डॉ शरद श्रीवास्तव  जी, आदरणीय डॉ राहुल शुक्ला साहिल जी, सादर प्रिय अनुज पंडित सुमित शर्मा पीयूष जी,आदरणीय,मनोज खोलिया जी,आदरणीय राजेश मिश्र प्रयास जी, आदरणीय डॉक्टर विमलेश कुमार हमदम जी, आदरणीय इंजीनियर हेमंत कुमार सिंघई जी।सरस्वती वंदना प्रस्तुत करता आदरणीया डॉ आराधना उपाध्याय जी ,स्वागत गीत प्रस्तुत करता आदरणीया सुनंदा झा जी को विशेष साधुवाद देता हूँ । ऐसे कार्यक्रम का मैं भी साक्षी बना इसके लिए गौरव की अनुभूति हो रही है इसके लिए संस्था का आभारी हूँ ।
"ईश्वर संस्था को उत्तरोत्तर वायु वेग से गतिमान करें । संस्था समाज और हिंदी जगत के लिए  प्राणवायु बने" ऐसी कामना के साथ अपने कलम को विराम देता हूँ। 

जय जय
डॉ०संतोष कुमार सिंह 'सजल

अध्यक्षीय उद्बोधन - आ० सुशीला धस्माना 'मुस्कान'


अध्यक्षीय उद्बोधन 
       
     पटलश्री पर उपस्थित सभी विद्वद् जन, आदरणीय भ्राताश्री कौशल कुमार पांडेय आस जी, संस्था के संस्थापक आदरणीय दिलीप कुमार पाठक सरस जी, मुख्य अतिथि आदरणीय  श्याम  गंगवार जी, विशिष्ट अतिथि आदरणीय डाक्टर संतोष कुमार सिंह जी,   आदरणीया  नीलम गर्ग जी,  आज के संरक्षक आदरणीय संतोष कुमार प्रीत जी,  ई एल्बम  निर्माता आदरणीय ओमप्रकाश प्रकाश प्रफुल्ल जी, संचालक आदरणीय नीतेंद्र सिंह परमार भारत जी , विशेष उद्बोधन कर्ता आदरणीय डाक्टर शरद श्रीवास्तव शरद जी, आदरणीय इंजीनियर संतोष कुमार सिंह जी, आदरणीय शरद श्रीवास्तव शरद जी एवं  विमलेश कुमार हमदम जी ,  , अनुज राजेश मिश्र प्रयास जी, अनुज विमलेश कुमार श्रीवास्तव हमदम जी,  आ० आराधना उपाध्याय जी, आदरणीय  विजय पाण्डेय विप्र जी व  सुनंदा  झा जी सहित सभी उपस्थित बंधुगणों  का पुनः   हार्दिक स्वागत  है!

      अभी  आप   सबने  एक भव्य व दिव्य  विमोचन समारोह  का आनंद  लिया ! आप सभी ने  अवश्य  ही  इस अद्भुत व अनुपम  ई ऐल्बम  का अवलोकन  कर लिया होगा ! यह बहुत ही आकर्षक व मनोहारी बना है। आदरणीया नीलम गर्ग  जी के जीवन वृत्त , कृतित्व व व्यक्तित्व पर यह  प्रकाश डालता प्रतीत होता है  और  हो भी क्यों  न ? अंततः  इसका संकलन आदरणीय ओमप्रकाश फुलारा प्रफुल्ल जी  ने बहुत मान सम्मान  व मनोयोग  से किया है। उनका कार्य  तो सदा ही वंदनीय व अभिनंदनीय होता ही है। 

       इस  बहुप्रतीक्षित  ई ऐल्बम   से निश्चय ही सभी को प्रेरणा मिलती रहेगी ।  आ० नीलम गर्ग जी का सामाजिक प्रकोष्ठ  की पहली सदस्या के रूप में हार्दिक स्वागत व अभिनंदन  है  साथ ही उनकी  ई ऐल्बम  प्रकाशित होने पर उनको   बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ!  

   आज का  विमोचन  कार्यक्रम सदा की भाँति  बहुत ही सुंदर व गरिमामय था। अनुज नीतेंद्र सिंह परमार भारत  जी का संचालन  शानदार  व  जानदार था!
      आप सभी कार्यक्रम  में पधारे हुए गुणीजन  का पुनः स्वागत व अभिनंदन  करते हुए  गौरवान्वित हूँ!
 आप सभी की  गरिमामय उपस्थिति ने इस भव्य विमोचन समारोह  के कार्यक्रम की  शोभा को  द्विगुणित बढ़ा दिया  है। आप सभी ने कार्यक्रम के लिए अपना अमूल्य समय प्रदान किया इसके लिए हमारी संस्था  विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत आपकी बहुत-बहुत आभारी  है तथा   धन्यवाद ज्ञापित करती है।


धन्यवाद!


सुशीला धस्माना 'मुस्कान'
अध्यक्ष 
विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत

'विशेष उद्बोधन' - डॉ० शरद श्रीवास्तव 'शरद'


'विशेष उद्बोधन'

'विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत' के मनोहारी पटल 'जय-जय काव्य चित्रशाला' पर आदरणीया नीलम गर्ग जी के 'ई एल्बम' के विमोचन के शुभ अवसर पर उपस्थित कार्यक्रम के संरक्षक,साहित्य-पथ के समादृत व्यक्तित्व एवम् संस्था के राष्ट्रीय सलाहकार आदरणीय सन्तोष कुमार प्रीत जी!महनीय अध्यक्षा आदरणीया सुशीला धस्माना मुस्कान जी! मुख्य अतिथि एवम विमोचनकर्ता आदरणीय डॉ.श्याम गंगवार जी!विशिष्ट अतिथि एवम संस्था के राष्ट्रीय समन्वयक आदरणीय डॉ. संतोष कुमार सिंह सजल जी! सम्पादक एवम् संस्था के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एवम उत्तराखंड इकाई के अध्यक्ष आदरणीय ओमप्रकाश फुलारा प्रफुल्ल जी! संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आदरणीय डॉ राहुल शुक्ला साहिल जी! संस्था के अलंकरण प्रमुख प्रिय अनुज पंडित सुमित शर्मा पीयूष जी!अनुशासन प्रमुख भाई मनोज खोलिया जी! राष्ट्रीय सचिव भाई राजेश मिश्र प्रयास जी!अंतर्राष्ट्रीय समन्वयक आदरणीय डॉक्टर विमलेश कुमार हमदम जी! राष्ट्रीय कार्यक्रमाधिकारी आदरणीय इंजीनियर हेमंत कुमार सिंघई जी! माँ वाणी के वरद पुत्र, ऊर्जावान साथी एवं संस्था के राष्ट्रीय कार्यक्रम संचालक प्रिय अनुज नितेंद्र सिंह परमार भारत जी! एवम वागीश्वरी के विग्रह स्वरूप सम्मानित कलमकारों!

आप सबका आज के अवसर विशेष पर हार्दिक स्वागत,वंदन एवं अभिनंदन

भारतवर्ष की एक ऐसी साहित्यिक संस्था जिसने संपूर्ण विश्व में हिंदी के माध्यम से निज राष्ट्र की सभ्यता एवं संस्कृति के निमित्त जन चेतना पैदा करने का बीड़ा उठाया हो,  का नाम *विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत* है। यह संस्था एक ऐसा विशाल मंच है जो केवल भारत वर्ष ही नहीं अपितु देश-दुनिया को अपने भीतर समावेशित कर अद्यतन साहित्य एवं संस्कृति का एक विस्तारित क्षेत्र बन चुका है।आदरणीय दिलीप कुमार पाठक 'सरस' जी,जो संस्था के संस्थापक हैं,के भगीरथ प्रयत्न से उद्भूत हमारी ज्ञान गंगा हिंदी भाषियों, हिंदी प्रेमियों या यूँ कहूँ कि साहित्यानुरागियों को जीवित मोक्ष प्रदान करने का वरेण्य साधन हो चुकी है। विद्वतजन! हमारी आस्था की प्रतीक माँ गंगा तो गोमुख से नि:सृत होकर बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती हैं लेकिन हमारी संस्था रूपी ज्ञान गंगा ने अपने विस्तृत वितान के माध्यम से संपूर्ण विश्व को आच्छादित कर लिया है। संस्था द्वारा हिंदी के मानवर्धन के लिए किए जा रहे प्रयास सर्वथा श्लाघनीय हैं।हमारी संस्था निरपेक्ष रूप से साहित्येतिहास में अपने अवदानों एवं प्रतिदानों के लिए स्वर्णाक्षरों में अंकित की जाएगी, इस पर मत वैभिन्य की संभावना दूर-दूर तक नहीं हो सकती। जय-जय हिंदी के समृद्ध साहित्यिक पटल के माध्यम से संपूर्ण साहित्य जगत को एकीकृत कर साहित्य के जिस सांगठनिक ढांचे को सुदृढ़ कर रही है, निश्चित रूप से इस प्रयास के लिए संस्था का प्रशासक मंडल, समस्त पदाधिकारीगण, साहित्य सेवी, कलमकार साथी, विशेषत: कर्मठ एवं जुझारू संस्थापक आदरणीय दिलीप कुमार पाठक *सरस* जी सतत बधाई के पात्र हैं। सम्मानित पटल पर देश दुनिया के कलमकार जुड़कर न केवल अपनी रचनाधर्मिता को प्रमाणित करते हैं, अपितु पटल के माध्यम से ज्ञानियों एवम मनीषियों का सानिध्य और सामीप्य प्राप्त कर धन्यता के शिखर की अनुभूति भी करते हैं। संस्था के पटल पर उपलब्ध विद्वतपरिषद ज्ञान गंगा एवम संस्कार की एक ऐसी प्रवहमान जलधारा है,जिसमें अवगाहन कर न जाने कितने कलमकार अपने प्रारब्ध के पुण्य को फलित होते हुए देखते हैं। हमारी संस्था *विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत*  एक सामान्यीकृत धारणा के अंतर्गत ऐसा प्रतीत होता है कि अपनी सुगंध से साहित्य के धरातल पर  निज राष्ट्र की सीमाओं से बाहर निकलकर संपूर्ण वसुधा को सुवासित कर रही है। यहाँ यह तथ्य भी समान रूप से उल्लेखनीय है कि हमारी मातृभाषा हिंदी का प्रभाव सात समंदर पार तक अनुभूत होने लगा है। साहित्य के इस महायज्ञ की पताका अपने कर कमलों में लिए भारतवर्षोन्नति में हिंदी के अवदान को चिन्हित करते हुए हमारे साहित्यकार साथी उत्कर्ष की ओर अग्रसर हैं। यहाँ यह कहना अतिशयोक्ति पूर्ण नहीं होगा कि साहित्येतिहास में हिंदी को सक्षम,सबल, समर्थ एवम सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए संस्था के अथक प्रयासों को सदैव याद ही नहीं अपितु साहित्य के स्वस्थ आंदोलन में अपनी आहुतियों के माध्यम से हम रचनाकार आंदोलन की धारा को सुदृढ़ करने का जो सद्प्रयास कर रहे हैं, वह भी कालांतर में हमारे गौरवपूर्ण अनुभूति का नियामक होगा।

एक बार पुनः सम्मानित संस्था, यशस्वी संस्थापक, जागरूक संरक्षक मंडल,समर्पित अध्यक्षा,सचेत सलाहकार एवम परामर्शदात्री समिति,दक्ष प्रशासक मंडल, योग्य पदाधिकारी गण एवम समस्त गुणी रचनाकारों के अथक प्रयास एवम समर्पण के प्रांजल भाव हमारी संस्था के दीर्घकालिक गौरवगान  की समवेत स्वर में कामना करते हैं और आदरणीया नीलम जी को एल्बम की बारंबार बधाई एवम शुभकामनाएँ संप्रेषित करते हैं....
   सादर एवम साभार....
डॉ. शरद श्रीवास्तव 'शरद'
सदस्य, प्रशासक मण्डल
            एवम
     'राष्ट्रीय प्रवक्ता'
'विश्व जन चेतना ट्रस्ट भारत'

Thursday, January 12, 2023

स्वामी विवेकानंद जी की जयंती पर हुई काव्य गोष्ठी - चित्रगुप्त मंदिर छतरपुर मध्यप्रदेश


कल चित्रगुप्त मंदिर छतरपुर के सभागार में स्वामी विवेकानंद जी की जयंती ( युवा दिवस ) पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।संचालन आ० प्रमोद सारस्वत जी व संयोजन आ० अंशुमान जी के किया। नगर के सभी वरिष्ठ व नवोदित रचनाकार मौजूद रहे। सभी ने स्वामी जी को समर्पित काव्य पाठ किया। 
हार्दिक आभार।

स्वामी विवेकानंद जयंती ( युवा दिवस ) की हार्दिक शुभकामनाएं।

मुक्तक

सरलता व सहजता में नहीं छल छंद होते हैं।
दिवाकर से चमकते जो नहीं मतिमंद होते हैं।।
हमारे देश भारत का नहीं सानी कोई जग में,
युवाओं के दिलों में बस विवेकानंद होते हैं।।

नीतेंद्र सिंह परमार 'भारत'
छतरपुर,मध्यप्रदेश

Friday, January 6, 2023

गीत- पूरा जीवन रहे भटकते.. अजय मोहन तिवारी


             गीत

पूरा  जीवन  रहे  भटकते,
अपने मन को भरमाने में।
उम्र गवाँ दी हमने आखिर,
केवल मरघट तक आने में।।

बस  आँसू  ही  जोड़े  हमनें,
सुख पाने की अभिलाषा में।
पूर्ण हुआ अनुबंध साँस का
जीवन  खोया  प्रत्याशा  में।।

मौन सिसकती रही वेदना,
अभिनय जैसा मुस्काने में।।.......

रहे पिछड़ते हम जीवन से,
मन के पीछे इतना भागे।
दिवस बिताया स्वप्न देखते,
विषयी बन रातों में जागे।।

ठगे गए हम सदा स्वयं ही,
जगत पहेली सुलझाने में।।........

हमें पता था मृत्यु अटल है,
जीवन का भी नहीं ठिकाना।
जन्म लिया जिसने भी जग में,
उसको इक दिन है मर जाना।।

व्यर्थ लगाया गुणा भाग सब,
अंतिम सच को झुठलाने में।।......

            - अजय मोहन तिवारी


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Monday, January 2, 2023

प्रथम सारस्वत साधना "था भरोसा फिर मिलोगे" का हुआ गरिमामय लोकार्पण। - वनारस उत्तर प्रदेश


एडिटर- नीतेंद्र सिंह परमार 'भारत', वनारस ( उ. प्र.) प्रथम सारस्वत साधना "था भरोसा फिर मिलोगे" का हुआ गरिमामय लोकार्पण।

आपके सतत स्नेह के सुखद प्रतिफल के रूप में आपके साथी की प्रथम काव्य साधना "था भरोसा फिर मिलोगे (गीत शतक)" का लोकार्पण नववर्ष के आलोक में दिनांक 01/01/2023 को राजकीय जिला पुस्तकालय,वाराणसी में जिला पुस्तकालयाध्यक्ष एवम वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय के.एस. परिहार जी के संयोजन एवम साहित्य पथ के भ्राता द्वय आदरणीय प्रसन्न बदन चतुर्वेदी अनघ जी एवम आदरणीय सन्तोष कुमार प्रीत जी के संयुक्त संचालन में साहित्याकाश के मनीषियों यथा- सोच विचार के यशस्वी सम्पादक, साहित्य भूषण डॉ.जितेन्द्र नाथ मिश्र जी (अध्यक्ष), मैंने अनुभव से सीखा है के चर्चित रचनाकार एवम अपर आयुक्त,वाराणसी आदरणीय विष्णु भूषण मिश्र जी(मुख्य अतिथि), शैल शिखर की छाँव में एवम धरा का रंग धानी के चर्चित लेखक एवम सम्प्रति संयुक्त शिक्षा निदेशक, वाराणसी मण्डल वाराणसी आदरणीय डॉ.प्रदीप कुमार जी (सारस्वत अतिथि), कविताम्बरा एवं नई सदी के स्वर के यशस्वी सम्पादक श्रद्धेय हीरालाल मिश्र मधुकर जी (विशिष्ट अतिथि), आचार्य रामचन्द्र शुक्ल साहित्य शोध संस्थान की अध्यक्षा एवम श्रेष्ठ साहित्यकार आदरणीया डॉ. मुक्ता जी (विशिष्ट अतिथि), पुनश्च साहित्य जगत के अन्यान्य वरेण्य एवम ख्यातिलब्ध साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थिति में सोल्लास हुआ...


डॉ.शरद श्रीवास्तव 'शरद' गीतकार
वनारस उत्तर प्रदेश

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'कात्यायनी' काव्य संग्रह का हुआ विमोचन।  छतरपुर, मध्यप्रदेश, दिनांक 14-4-2024 को दिन रविवार  कान्हा रेस्टोरेंट में श्रीम...