Monday, May 21, 2018

मत्ता छंद





शिल्प ~ [(मगण भगण सगण)+गुरु]
प्रति चरण 10 वर्ण चार चरण,
दो-दो चरण समतुकांत।
यति प्रायः 4,6 वर्ण पर।

222    211   112   2

सीता माँ  के,चरण परूँ मैं।
रामा जी का, वरण करूँ मैं।।
ध्याऊँ  गाऊँ, कर कर पूजा।
ऐसा   नाहीं, प्रभुवर दूजा।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725

Sunday, May 20, 2018

अनुकूला छंद


विधान~
[भगण तगण नगण+गुरु गुरु]
( 211 221 111  22
11वर्ण,,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]

राम सिया हैं  कण-कण देखो।
पूजन  कीजे  हर  क्षण देखो।।
द्वार खड़ा हूँ  चरण  पखारूँ।
कष्ट  पड़ा हूँ  सतत पुकारूँ।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725

Monday, May 14, 2018

पतझङ




मौसम आया पतझङ वाला,
         सूखा दिखे बगीचा हैं।
धूप से मैने रोज बचाया,
        पानी से भी सीचा हैं।।
हरा भरा उपवन लगता था,
      अब न दिखता गांव में।
पेङ के नीचे बैठा करते,
      घनी घनी सी छाँव में।।
कितना प्यारा था वो उपवन,
     फूल सदा लहराते थे।
उसी बाग के बीच बैठकर,
    राग मनोहर गाते थे।।
तान लगाता राग यमन की,
   नि,रे,ग,रे,सा,प,म,ग,रे सा।
भारत उसको आज पुकारे।
    पतझङ वाला मौसम जा।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725

Saturday, May 12, 2018

कविता दिवस




खोलेगी हृदय के द्वार कविता।
हलचल करती मन में कविता।।
चंचल,प्रबल,सुकोमल हैं ये।
शब्दावली का शब्द हैं कविता।1।

तीरस तरल पदार्थ हैं कविता।
जीवन का रंग प्रकाश हैं कविता।।
फङकते हुये बाजुओ बल में।
शत्रुओ पर बार हैं कविता।2।

वीरो को तलवार हैं कविता।
केवट की पतवार हैं कविता।।
आँखो में पलती ज्वाला को।
मेरा सारा परिवार हैं कविता।3।


औरत का सिन्दूर हैं कविता।
ओज से भरपूर हैं कविता।।
होठो की मुस्कान से बङी।
सुरो से परिपूर्ण हैं कविता।4।


अखल जगाती धार हैं कविता।
देश भक्ति का प्यार है कविता।।
रचे जो रचना अपने हृदय से।
युद्ध की जीत हार हैं कविता।5।


वकीलो का कोट हैं कविता।
नेताओ की वोट हैं कविता।।
सोच  समझ कर देखोगे तो।
व्यापारी का नोट हैं कविता।6।

वीरो का उत्साह हैं कविता।
मोमिन को अल्लाह हैं कविता।।
कोमी एकता की बात सुनो।
हिंदी में चैत्र माह हैं कविता।7।


रखने को आस हैं कविता।
जीवन में विश्वास हैं कविता।।
सच कहूँगा सदा आपसे में।
प्यासे को प्यास हैं कविता।8।

कवियो का गान हैं कविता।
साहित्य का ज्ञान हैं कविता।।
संस्कृति का भाव देखो तो।
तिरंगे की शान हैं कविता।9।


सारी मेरी आन हैं कविता।
बुजुर्गो का मान है कविता।।
देश विदेशो में मानो तो।
*भारत* की जान हैं कविता।10।


- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725

आशिफा का दर्द




*गीत*

लुटती क्यों हैं लाज बहिन की,कैसा देश महान हैं।
शर्म करो कुछ तो जल्लादो,अपना हिन्दुस्तान हैं।।

1. क्रूर कुकर्मी पाखंडी वो,
करते ऐसा काम हैं।
भाई बहिन और मात पिता की,
बेटी आशिफा नाम हैं।।
करते रक्षा मंदिर की जो,
बना आज सैतान हैं।।
शर्म करो कुछ तो जल्लादो,अपना हिन्दुस्तान हैं।।


2. नाजुक उम्र रही थी उसकी,
जानो ये सच्चाई।
संग में सबके पढ़ने वाली,
देखी न अच्छाई।।
पाठ पढ़ाता धर्म ग्रंथ का,
बना आज हैवान हैं।।
शर्म करो कुछ तो जल्लादो,अपना हिन्दुस्तान हैं।।

3. पता नही क्या होने वाला,
कैसी विपदा होती।
आई विपदा उसके ऊपर,
नींद मौत की सोती।।
बन बैठा इंसान जानवर,
और सदा बेईमान हैं।।
शर्म करो कुछ तो जल्लादो,अपना हिन्दुस्तान हैं।।


4. गर्दन पर बंदूक लगाकर,
दाब वही पर खटका दो।
संविधान की धारा के संग,
सीधे फांसी लटका दो।।
भारत में लागू हो जाये,
बढ़े देश का मान हैं।।
शर्म करो कुछ तो जल्लादो,अपना हिन्दुस्तान हैं।।

लुटती क्यो हैं लाज बहिन की,कैसे देश महान हैं।
शर्म करो कुछ तो जल्लादो,अपना हिन्दुस्तान हैं।।


- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत " 
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725

गज़ल



गज़ल
क़ाफ़िया:- आ
रद़ीफ:- चाहिए।

वज्म:- 212 212 212 212

शब्द बोलो मगर तौलना चाहिए।
तौल करके सदा बोलना चाहिए।।

1. होश आता नहीं शाम होते यहाँ।
जाम पीकर नहीं झूमना चाहिए।।

2. नैन उनके मुझे देखते हैं अभी।
आस करके जिया खोलना चाहिए।।

3. पाक मिट्टी मिली आज हमको यहाँ।
हाथ लेकर इसे चूमना चाहिए।।

4. दोस्ती के सफर में मिली जो दुआ।
साथ उसको लिये पूजना चाहिए।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725

Friday, May 11, 2018

गज़ल





गजल
वज्न:- 122 122 122 122
काफिया:- आ
रदीफ:-नही है

हमारे हृदय का किनारा नही है।
किसी की नजर का इशारा नही है।।

1. दिखी जो जहाँ में,पङा आज पीछे।
जमाना दिखाये नजारा नही है।।

2. करूं बात सारी नदी की लहर सें।
बहाये सभी को गवारा नही है।।

3. भले रूठ जाये हमारी मुहब्बत।
जमी पर मिले वो सितारा नही है।।

4. चले चाल सीधी मिले अजनबी भी।
खुमारी चढ़ी पर पुकारा नही है।।

5. कहो आज मन से जहाँ में जहा पर।
कहूँगा सदा नेक *भारत* नही हैं।।


- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725


Tuesday, May 8, 2018

शहादत








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■ *विधाता छंद* ■
शिल्प:- 1222 1222 1222 1222
16 वर्ण,चार चरण,दो-दो चरण समतुकांत

*शहादत*

कहूँगा  बात में  सारी  यहाँ  के देशभक्तों से।
तिरंगा  भारती   झंडा  लपेटें   सींच रक्तों से।।
पली जो पीर हैं भारी सभी के साथ गाया हैं।
हमारा  देश  हैं प्यारा  सभी  से नेह  पाया हैं।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :-8109643725

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Saturday, May 5, 2018

नयन






नयन दिखाये पापा,तो डर लगता हैं।
नयन दिखाये भाई तो घर लगता हैं।।
नयन दिखाये दीदी तो अङ जाता हूँ।
नयन दिखाये बहिना तो लङ जाता हूँ।।
नयन दिखाये शिक्षक तो पढ़ लेता हूँ।
नयन दिखाये दुश्मन तो जङ देता हूँ।।
नयन दिखाये नेता तो हाँ जी हाँ जी।
नयन दिखाये कोई क्या मुल्ला काजी।।
नयन दिखाये योद्धा  तो बैरी डरता।
नयन दिखाये सैनिक बिन मौत का मरता।।
नयन दिखाये गरीबी तो भूखे मरते।
नयन दिखाये अमीरी तो सब यस करते।।
नयन दिखाये जमाना जो हमे जमा ना।
नयन दिखाये प्रेमी जो हुआ दिवाना।।
 नयन दिखाये सबको जो देश हैं *भारत*।
नयन दिखाये माता आठोयाम पुकारत।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725




Friday, May 4, 2018

गज़ल





बहर:-- 1222 1222 122


निशा जाते सवेरा हो गया हैं।
हृदय में अब सवेरा हो गया हैं।।

भले भटके यहा रहकर सफर में।
यहा मेरा बसेरा हो गया हैं।।

कहा जागा कहा सोया यहा पर।
दुआ हैं प्यार तेरा हो गया हैं।।

करूं फरियाद में रब से अभी में।
गमो का आज घेरा हो गया हैं।।
 
सुनो अब आज में *भारत* लिखूंगा।
बहुत काला घनेरा हो गया हैं।।


- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
  छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725


Thursday, May 3, 2018

महिला सशक्तिकरण





घर में आती लक्ष्मी बनकर,
सारा जीवन तारा हैं।
छल छल बहती निर्मल गंगा,
प्यारी बनकर धारा हैं।।
कन्या रूप में बैष्णो माता,
असुरों का संहार करे।
लक्ष्मी बाई चढ़ घोङे पर,
वीरांगना अवतार धरे।।
इन्द्र गांधी बन प्रधान,
सारा देश चलाया था।
किरण वेदी की देख के किरणे,
राजनेता चकराया था।।
माता,बेटी ,बहु वा बहिने,
ये सब अपनी जन्नत हैं।
इसका आदर सबको करना,
मागों अपनी मन्नत हैं।।
शिवशंकर ने भस्मासुर को,
जब प्यारा वरदान दिया।
तब विष्णु ने नारी रूप सें,
भस्मा का उद्घार किया।।
धर चंण्डी का रूप मनोहर,
दुष्टों को संहारा था।
सबसे पहले भारत माँ ने,
हम पुत्रो को पुकारा था।।
नारी शक्ति का ना कोई,
मोल नही कर सकता हैं।।
नारी सें नर पैदा होते,
तौल नही कर सकता हैं।।
माता कभी ना रूठे हमसें,
कहता अपनी वाणी सें।
भारत बर्ष बना हैं भारत,
बनता सच्चे प्राणी सें।।
महिला का सम्मान जगत में,
यहा सभी के तन मन सें।
*भारत* को यह बात बताना,
अपने जीवन जन जन सें।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725


नर्सिंग वालो का जीवन





नर्सिंग का अभ्यर्थी हू में,
बात कहूंगा तन मन की।
सेवा करता रहता निशदिन             
औकात सहूगा जन जन की।।
सुबह से शाम, शाम सें रात,
रात से सुबह आ जाती हैं।
अन्ना का दाना पेट ना खाऊ,
पेसेंट की चिंता सताती हैं।।
उसकी पीड़ा कैसे देखूँ,
रोता सदा बिलखता हैं।
बिन आगी के जलन जो होती,
धीरे धीरे सुलगता हैं।।
डॉक्टर ने जो कहा हमी सें,
बात वही बतलाता हू।
जो मिल जाती रूखी सूखी,
पेसेंट को रोज खिलाता हू।।
दुआ में करता रहता रब सें,
मेरी जो भी भक्ति हैं।
उसके शरीर की देख कर काया,
भर जाये कुछ शक्ति हैं।।
अब बिगङी हैं दसा स्वास्थ्य की,
अपने इस संसार की।
हालत सुधारे कुछ अपनी कुछ,
*भारत* के परिवार की।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
  छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
  सम्पर्क :- 8109643725

मेरा देश








मेरा देश वीरता की खान हैं।
मेरा देश सच्चा ईमान हैं।।
मेरा देश राष्ट्रीय फरमान हैं।
मेरा देश वास्तव में महान हैं।1।

मेरा देश भक्ति की मिसाल हैं।
मेरा देश जनता से विशाल हैं।।
मेरा देश युवाओ का गान हैं।
मेरा देश शौर्यता की शान हैं।2।

मेरा देश मीराबाई का गान हैं।
मेरा देश तानसेन की तान हैं।
मेरा देश शून्य का अविष्कार हैं।
मेरा देश संवैधानिक हकदार हैं।3।

मेरा देश बागों का माली हैं।
मेरा देश पूजा की थाली हैं।।
मेरा देश स्वच्छता पहचान हैं।
मेरा देश का कवि रसखान हैं।4।

मेरा देश राज्य में बटा हैं।
मेरा देश सरहद पर डटा हैं।।
मेरा देश सूरज सा प्रकाश हैं।
मेरा देश चहुंमुखी विकास हैं।5।

मेरा देश धैर्यपूर्वक भान हैं।
मेरा देश सभी धर्मी मान हैं।।
मेरा देश हल्दीघाटी हैं।
मेरा देश एकता परिपाटी हैं।6।

मेरा देश सदा विवेकशील हैं।
मेरा देश खूबसूरत झील हैं।।
मेरा देश मुस्लिम हिन्दू हैं।
मेरा देश सबसे बङा बिन्दु हैं।7।

मेरा देश क्रोध को पीता हैं।
मेरा देश सच्चाई पर जीता हैं।।
मेरा देश संस्कृति का प्रसार हैं।
मेरा देश स्वाभिमानी प्रचार हैं।8।

मेरा देश नारियों का सम्मान हैं।
मेरा देश नेकता अभिमान हैं।।
मेरा देश आँग पर चलता हैं।
मेरा देश याठो याम जलता हैं।9।

मेरा देश मोम सा पिघलता हैं।
मेरा देश जुगनू सा सुलगता हैं।।
मेरा देश बुनियादी ढांचा हैं।
मेरा देश अद्वितीय सांचा हैं।10।

मेरा देश गुमानी आस हैं।
मेरा देश बहुत ही खास हैं।।
मेरा देश प्रभु की काया हैं।
मेरा देश माँ का साया हैं।11।

मेरा देश ममता की मूरत हैं।
मेरा देश देशो में खूबसूरत हैं।।
मेरा देश हरियाली की बहार हैं।
मेरा देश जीवन का उपहार हैं।12।

मेरा देश कविता की भूमि हैं।।
मेरा देश की माटी हमने चूमी हैं।।
मेरा देश गौरवशाली हार हैं।
मेरा देश सब देशो का सरदार हैं।।13।

मेरा देश नीर का उदगार हैं।
मेरा देश राक्षस का संहार हैं।।
मेरा देश युवक की जान हैं।
मेरा देश पर ना कोई अहसान हैं।14।

मेरा देश कुबेर का संदूक हैं।
मेरा देश शत्रुता पर बंदूक हैं।।
मेरा देश ईश्वर का उपदेश हैं।
मेरा देश सत्कर्म का संदेश हैं।15।

मेरा देश रंगो की फुहार हैं।
मेरा देश चमत्कारी उपसंहार हैं।।
मेरा देश सर्वमान्य अभिलाषा हैं।
मेरा देश आर्यावर्त की परिभाषा हैं।16।

मेरा देश सफल अनुशासन हैं।
मेरा देश वीरता प्रकाशन हैं।।
मेरा देश कुर्बानी आरत हैं।
मेरा देश का नाम *भारत* हैं।17।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :-8109643725

तनया/बेटी








बेटियाँ धरोहर सी,प्यारी हरियाली हैं।
उपवन को सजोती जो,सुता सदा माली हैं।।
लोहा मांगे दुश्मन भी,रणभूमि मैदानो में।
हाथो में कंगन हैं,ना ही भाती लाली हैं।।
देश को बचाने का,जिम्मा सिर पर ले लेती।
कानो से सुने पीङा,काने में न ही वाली हैं।।
दिल ना दुखाया हैं,अपने पिता माता का।
हृदय भरी कोमलता,मन से भोली भाली हैं।।
गुरू ने कहा जो कुछ,करके वो दिखाया हैं।
गुरूवर की बाते कभी,जीवन में न टाली हैं।।
देशद्रोही दुश्मन के,छक्के भी छुङा बैठी।
शक्ति खींचे बैरी की,खींचे जैसे बाली हैं।।
मीरा बिषपान करे,भक्ति में जो रम जाती।
जहर का ही पान किये,ज्यो अमृत की प्याली हैं।।
बेटी रूप लक्ष्मी का,हृदय से सम्मान कंरू।
*भारत* नेक नगरी में,बचाओ अब ताली हैं।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
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प्रीत के गीत







प्रीत के गीतो से बढ़कर और कोई धन नही हैं।
अपनो से जो दूर भागू ऐसा मेरा मन नही हैं।।

नजरो से नजरे मिलता वो नजर ईमान की थी।
रुत जो आई सब लुटाया बात ये सम्मान की थी।।
तानो को सुनकर जो रूठु ऐसा मेरा तन नही हैं।।
अपनो से जो दूर भागू ऐसा मेरा मन नही हैं।1।

उसका मिलना भी क्या मिलना आज मिलके रो रहा हूँ।
जो कभी  रहती जिगर में पास पाकर खो रहा हूँ।।
पहनी थी जो हाथ चूड़ी उसकी भी खन खन नही हैं।
अपनो से जो दूर भागू ऐसा मेरा मन नही हैं।2।



प्रेम का बनकर पुजारी मंदिरो को खोजता हूँ।
ईश को हृदय बसाकर देवता को पूजता हूँ।।
पायलो में बांधे घुँघरू घुँघरू की छन छन नही हैं।
अपनो से जो दूर भागू ऐसा मेरा मन नही हैं।3।


- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
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गीत:- आपका क्या ख्याल हैं।







जिन्दगी का हाल मेरा हाल ये बेहाल हैं।
वो पुराना साल अच्छा आपका क्या ख्याल हैं।।

वो सफर लगता सुहाना साथ में खेला बढ़ा।
पेज कापी के चुराकर रात दिन उसमे पढ़ा।।
दूर उससे हो गया हूँ कैसा ये जंजाल हैं।।
वो पुराना साल अच्छा आपका क्या ख्याल हैं।1।


धन की ना थी भूख हमको प्रेम का भूखा रहा।
उस समन्दर के किनारे बैठकर सूखा रहा।।
इश्क से खाली था हृदय धन से मालामाल हैं।
वो पुराना साल अच्छा आपका क्या ख्याल हैं।2।


आपकी नजरो को पढ़कर प्यार जो हमको मिला था।
जो पङी थी भूमि बंजर उसमे में एक पौधा खिला था।।
चलता भारत नेक पथ पर अपनी ऐसी चाल हैं।
वो पुराना साल अच्छा आपका क्या ख्याल हैं।3।



- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
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   सम्पर्क :- 8109643725

Wednesday, May 2, 2018

संस्कृति पतन




आज संस्कृति का पतन हो रहा है।
हमारा सारा मन वतन रो रहा है।।
समझाना अब कठिन हैं भारत।
ऐसा अब यहाँ यतन हो रहा है।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
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मजदूर

*मजदूर *

सुबह से करे काम,बैठे नही आठोयाम।
मिलते हैं चार दाम,मजदूर नाम हैं।
हाथ कभी रूके नही,सिर कही झुके नही।
घाव सारे दुखे नही,बात यही आम हैं।।
धीरता की करें बात,होनहार वीर जात।
अमीरो को देता मात,यही सुख धाम हैं।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
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Tuesday, May 1, 2018

मजदूर हैं मजबूर



।।मजदूर हैं मजबूर।।

लिखूँ परिश्रम उस प्राणी का,करें सदा शुभ काम हैं।
पहने नही वदन पर कपङे,मजबूरी का नाम हैं।।

एक गरीब का लङका देखो,धूप में निशदिन जलता हैं।
कांटो वाली पगडंडी से,सत्य मार्ग पर चलता है।।
मीठे बोल सभी सें बोले,बोले सुबहो शाम हैं।।
पहने नही वदन पर कपङे,मजबूरी का नाम हैं।।1।।


किस्मत का कुछ दोष नही हैं,आज हमें क्या दिखलाती।
पेट नही हैं अन्न का दाना,हमको चलना सिखलाती।।
महंगाई ने मारा सबको,पाकेट में न दाम हैं।।
पहने नही वदन पर कपङे,मजबूरी का नाम हैं।।2।।


काम काज जो कर लेता हूँ,पेट उसी से पलता हैं।
हूं मजदूर बहुत मजबूरी, आज यही पन खलता हैं।।
बैठ सका न चैन से एक दिन,चलता आठोयाम हैं।।
पहने नही वदन पर कपङे,मजबूरी का नाम हैं।।3।।


मिट्टी से पैदा जिन्दगानी,मिट्टी में ही मिलना हैं।
हो जाऊं मशहूर यहा पर,फूल गुलाब सा खिलना हैं।।
भारत लेख लिखेगा प्यारा,सच्चाई का जाम हैं।।
पहने नही वदन पर कपङे,मजबूरी का नाम हैं।।4।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
   छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
   सम्पर्क :- 8109643725

प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं वार्षिकोत्सव मनाया गया।

दिनांक 30/11/2024 को प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं ...