Thursday, January 31, 2019

ग़ज़ल :- आ० हीरालाल जी

2122 1122 22

इश्क   का  रोग़   लगाना  क्यों  है।
चैन  ख़ुद  अपना  गँवाना  क्यों  है।

उस पे ज़ाहिर है हाले दिल सबका
कुछ भी उस रब से छुपाना क्यों है।

अपनी महनत  की  रहे खा जग में
सर  किसी  दर  पे झुकाना क्यों है।

अपना  ही  ग़म  है बहुत दुनिया में
ग़म  ज़माने   का  उठाना   क्यों  है।

बेवफ़ा  हो   गये   हैं  जब   सपने
उनको  पलकों  पे सजाना क्यों हैं।

खूब   वाकिफ़   जहां  से  हैं *हीरा*
झूठी   उम्मीद   लगाना   क्यों   है।

                  हीरालाल

आ० मनोज जैन " मधुर " जी

★परिचय★
नाम- मनोज जैन 'मधुर'
जन्म- 25 दिसम्बर 1975
ग्राम- बामौरकलां, शिवपुरी (म.प्र.)
पिता- स्व. श्री मिन्टूलाल जैन
माता- स्व. श्रीमती गजरा बाई जैन
शिक्षा - अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर
सम्प्रति - सीगल लैब इंडिया (प्रा.) लि. में एरिया सेल्स मैनेजर

प्रकाशित कृति- एक बूँद हम (गीत संग्रह)
साझा संग्रह- काव्य अमृत (काव्य संग्रह)

अन्य प्रकाशन - साक्षात्कार, वर्तमान साहित्य, प्रेस मैन, वर्तिका,  उत्तरायण, नए पाठक, साहित्य समीर, हरिगंधा, साहित्य सागर, संकल्प रथ, सार्थक,  अक्षरा,  अक्षर शिल्पी, समय के साखी, मसि कागद,  अछूते संदर्भ, अर्बाबे- क़लम, समावर्तन, नई ग़ज़ल,  वीणा, शिवम् पूर्णा एवं अन्य प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का नियमित प्रकाशन । दूरदर्शन एवं आकाशवाणी से रचनाएँ प्रसारित ।

संकलित-
"धार पर हम-2" (सम्पादक- वीरेन्द्र'आस्तिक' )  ●नवगीत नई दस्तकें'
(सम्पादक- निर्मल शुक्ल)
●नवगीत के नए प्रतिमान
शोध सन्दर्भ ग्रन्थ
सम्पादक डॉ राधेश्याम बंधु
●गीत सिंदूरी गन्ध कपूरी--देश के 48 नवगीत कवियों पर एकाग्र
सम्पादक-डॉ योगेन्द्र दत्त शर्मा
●"सहयात्री समय के"
सम्पादक रणजीत पटेल
शोध-सन्दर्भ ग्रन्थों
●"सप्तराग"
भोपाल के सात प्रतिनिधि कवि
सम्पादक
शिवकुमार अर्चन

●"गीत वसुधा"
शोध सन्दर्भ ग्रन्थ
सम्पादक नचिकेता

आदि सन्दर्भ ग्रन्थों में गीत संग्रहित
---
प्रकाशनाधीन- दो गीत संग्रह तथा पुष्पगिरि खण्डकाव्य  व बालकविताओं का संग्रह ।
एक दोहा संग्रह
सम्मान- (1) मध्य प्रदेश के महामहीम राज्यपाल द्वारा सार्वजनिक नागरिक सम्मान (2009)
(2) शिरढोणकर स्मृति सम्मान (2009)
(3) म. प्र.  लेखक संघ का रामपूजन मलिक नवोदित गीतकार-प्रथम पुरस्कार (2010)
(4) अ.भा. भाषा साहित्य सम्मेलन का साहित्यसेवी सम्मान (2010)
(5) साहित्य सागर का राष्ट्रीय नटवर गीतकार सम्मान (2011)
(6) ₹ 10000/-  का राष्ट्रधर्म गौरव सम्मान (2013)
(7) श्री रामकिशन सिंहल फ़ाउण्डेशन की ओर से गिरिजाशंकर नवगीत सम्मान (2014)
(8) भोपाल में आयोजित राजेश रसगुल्ला स्मृति सम्मान (2015)
(9) निर्दलीय प्रकाशन का राष्ट्रीय छंद विधा अलंकरण (2015)
(10)काव्यालोक का कीर्तिशेष ख्यात नवगीतकार दिनेश सिंह जी की स्मृति में स्थापित दिनेश सिंह सम्मान(2016)
प्रतिमा सम्मान समिति, करनाल द्वारा "ग्लोबल डायमंड अवार्ड"

अभिनव कला परिषद भोपाल द्वारा 'अभिनव शब्द शिल्पी सम्मान' 2017

कविता कोश में कविताएँ सम्मलित

सम्पर्क - सी. एम.- 13, इन्दिरा कॉलोनी, बाग़ उमराव दूल्हा, भोपाल- 462010 (म. प्र. )
मोबाइल- 09301337806, 09685563682
ईमेल- manojjainmadhur25@gmail.com

Wednesday, January 30, 2019

आ० हीरालाल जी

ग़ज़ल

1212 1122 1212 22

किसी के प्यार के सपने सजा रहा हूँ मैं।
कठिन है राह, मगर  आज़मा रहा  हूँ  मैं।

सफर  कटेगा   वहाँ   कैसे  ये  ख़ुदा  जाने
हरेक  मोड़  जहाँ  मात  खा  रहा  हूँ  मैं।

ख़ुशी से  कह दो कभी और वो यहाँ आये
अभी तो दर्द से रिश्ता नि�भा  रहा  हूँ  मैं।

ख़तायें  भूल  मेरी  पास  फिर  चले आओ
दुखों में जीस्त ये तुम बिन बिता रहा हूँ मैं।

बचाना  लाज  मेरी  तू  ख़ुदा  ज़माने  में
तेरे यकीन पे  फिर  घर  बना  रहा  हूँ  मैं।

दिया  है  साथ  मेरा कब भला मुकद्दर ने
फिजूल आस का दीपक जला रहा हूँ मैं।

               हीरालाल

Sunday, January 27, 2019

सूर घनाक्षरी छंद

     ♤ सूर घनाक्षरी ♤
शिल्प~(8,8,8,6 वर्ण चरणान्त में लघु या गुरु दोनों मान्य)

केशरी के नंदन जू,
    हे जगत वंदन जू,
       दानव  निकंदन जू ,अंजनी लाल जू।
बल बुद्धि के निधान,
   सकल गुणोंकी खान,
       महावीर बलवान,कालोंके काल जू।।
बीर बली रामदूत,
   हनुमान वायुपूत,
     अंजनेय विपदा को,नाशौ तत्काल जू।
आपके सेवों चरण,
    संकट करो हरण,
      पड़ा है सोम शरण,कीजे निहाल जू।।

                         ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

Saturday, January 26, 2019

B.sc.nursing 4th year Question Paper- 2016


Midwifery And obstetrical Nursing
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community Health Nursing - 2nd







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Nursing Research and statistics.






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Management of Nursing service and Education.





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NEETENDRA SINGH PARMAR
FROM CHHATARPUR M.P.
CONTACT ME:- 8109643725



26 जनवरी गणतंत्र दिवस 2019











आज तारीख 26 जनवरी को स्वामी विवेकानंद कॉलेज ऑफ नर्सिंग छतरपुर में 70 वें गणतंत्र दिवस पर भव्य कार्यक्रम हुये। मुझे कार्यक्रम संचालन का एक बार फिर से अवसर प्राप्त हुआ।साथ ही आदरणीय महेन्द्र तिवारी जी के कर कमलों से मुझे पुरस्कार प्राप्त हुआ। पुन: सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें हृदय से बधाई देता हूँ।



नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )

Thursday, January 24, 2019

साहित्यिक कार्यक्रम

🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
       🙏 *साहित्यिक आमंत्रण* 🙏

आदरणीय कवि बंधुओं एवं प्रबुद्धजनों को अवगत कराते हुए हर्ष हो रहा है कि विश्व जनचेतना ट्रस्ट छतरपुर मध्यप्रदेश द्वारा *दिनांक 03 फरवरी को शाम 04 बजे* काव्य संकलन *_मुहब्बत (ग़ज़ल संग्रह)_* का विमोचन, सम्मान समारोह एवं काव्यपाठ का आयोजन सम्पन्न होगा|

स्थान:- बुन्देलखण्ड केशरी छत्रसाल स्मारक न्याय (ट्रस्ट) चौक बाजार छतरपुर मध्यप्रदेश

*कृपया आने वाले सभी साहित्यकारों के नाम इस प्रकार हैं:-*

नोट:-  विश्राम एवं जलपान की समुचित व्यवस्था हैं।

कार्यक्रम संबंधी एवं आवागमन हेतु जानकारी के लिए कृपया 
  नीतेन्द्र सिंह परमार 'भारत' से मो० नं०
~ ```8109643725``` ~
पर सम्पर्क करें ~~

^
1:- आ० विकास भारद्वाज जी। 
        बदायूँ (उ०प्र०)

2.  आ० दिलीप कुमार पाठक जी
पीलीभीत (उ०प्र०)

3.  आ० राजेश मिश्र " प्रयास "जी
पीलीभीत उ.प्र.

4.  आ० बृजमोहन श्रीवास्तव साथी डबरा जी
ग्वालियर (म०प्र०)

5. आ० डा० सर्वेशानन्द "सर्वेश" जी
जौनपुर (उ०प्र०)

6. आ० नेहा चाचरा बहल 'चाहत' जी
झाँसी (उ०प्र०)

7. आ० सन्तोष कुमार 'प्रीत' जी
    वाराणसी (उ०प्र०)

8. आ० सुशीला धस्माना ' मुस्कान' जी
     बरेली ( उ०  प्र०)

9. आ० विश्वेश्वर शास्त्री 'विशेष' जी
        राठ हमीरपुर (उ. प्र.)

10. आ० भगत सहिष्णु जी
         जयपुर ( राज૦)

11. आ० शैलेन्द्र खरे "सोम" जी
       नौगाँव छतरपुर ( म.प्र. )

12. आ० डॉ.लियाकत अली " जलज " जी
      वनारस  (  उ.प्र.)

13. आ० डॉ० ब्रजेन्द्र नरायन द्विवेदी जी
         'शैलेश' (उ०प्र०)

14- आ० राजेन्द्र प्रसाद गुप्त
        'बावरा' जी (उ०प्र०)

15. आ० पं० श्री  सुमित शर्मा
         'पीयूष' जी (बिहार)
      
16. आ० तुलाराम अनुरागी "व्योम" जी
हरपालपुर जिला-छतरपुर (म.प्र.)

17 आ० डॉ० राहुल शुक्ल " साहिल " जी
इलाहाबाद ( उ.प्र.)

18.आ० नित्यानंद पाण्डेय " मधुर" जी
अहमदाबाद  ( गुजरात )

निवेदक :- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
               छतरपुर  ( मध्यप्रदेश )
               सम्पर्क सूत्र:- 8109643725

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कुण्डलिया :- दिव्या जी

*कुंडलिया*

(1)
आया जग में मीत जो,जायेगा सब छोड़||
तुच्छ सोच से दूर रह, सद्कर्मो को जोड़|
सद्कर्मो को जोड़,मोड़ जीवन  की  धारा|
सबसे रख  अपनत्व, रहेगा  नैनन  तारा||
कहे दिव्य समझाय,अहं में क्यों भरमाया|
मोती चुग ले  हंस, इसी  कारण तू आया||

(2)
आया  लिपट  तिरंग  में ,सीमा  से  जब वीर|
धरती   अम्बर   चांद  भी, रोये  खोकर धीर||
रोये   खोकर   धीर, पीर   ये  किसने  जानी|
कुर्सी   पा   मद  चूर,  करें   कैसे  अगवानी||
कहें दिव्य कर जोड़,लाल जिस माँ ने ज्याया|
रखी  दूध  की  लाज, नाम रौशन कर आया

(3)
आया फोन प्रभात में, माँ से कीन्ही बात|
आऊँगा  मैं  एक दिन,लेकर नव सौगात||
लेकर नव सौगात,हुई खुश तब महतारी|
देख रहे सब वाट, ईश की महिमा न्यारी||
कहे दिव्य भर नैन, अँधेरा  घर में छाया|
लिपट तिरंगा संग, वीर सीमा  से आया||

(4)
जो आया सो लिख दिया, ले गुरुवर का नाम|
चरण धूल माया  बड़ी, करता  कोटि  प्रणाम||
करता  कोटि  प्रणाम,हाथ सिर पर रख दीजे|
मैं   बालक   अज्ञान, उजाला  गुरुवर  कीजे||
करें  दिव्य  अरदास, दास  पर करना छाया|
कीन्हीं  नैया   पार, आपके  दर  जो  आया||

(5)
आया क्या  बदलाव है, पूछ  रहा यह देश|
स्वारथ  में  अंधे  हुए, बिगड़ रहा परिवेश||
बिगड़ रहा  परिवेश, सैन्य  पर पत्थर मारें|
कोई  दे   बतलाय  ,धैर्य   हम  कैसे  धारें||
होगा अब तो न्याय,यही भाषण सुन पाया|
मरते नित निर्दोष, कंठ फिर से भर  आया||

(6)
आया  खत  ले डाकिया, सैनिक  मन  हर्षाय|
प्राण प्रिये ने क्या लिखा,पत को खोलत जाय||
पत को  खोलत जाय ,नाथ  कब घर आओगे|
तरस   रहे   है  नैन  ,प्रेम   कब   बरसाओगे||
कहे  दिव्य सर्वस्य, देश  पर  जाय  लुटाया|
कर उसका सम्मान, लौटकर जो नहिं आया||

(7)
आया  हूँ  मैं  सीखने, कर  लेना  स्वीकार|
चाहत हिय में पल रही,पाऊँ सबका प्यार||
पाऊँ  सबका  प्यार, विनय मेरी सुन लेना|
हो जाए कुछ भूल, क्षमा  मुझको कर देना||
कहे दिव्य कर जोड़,आस का दीप जलाया|
लेकर बहु उम्मीद,आपके  दर  पर आया||

(8)
आया  पावन  पर्व  है, होली  का त्यौहार|
भूल आपसी बैर को,कर  लो सबसे प्यार||
कर लो सबसे  प्यार,रंग जीवन में भर के|
हो जाये सब  एक, नेक  काम को कर के||
कहे दिव्य  हरषाय,दूर  हो गम का साया|
यही सिखाने मीत, पर्व  होली  का आया||

(9)
आया  कहते  हैं  उसे, करती  घर जो काज|
सोचा इसको बहुत मैं,समझ सका तब राज||
समझ सका तब राज,धाय पन्ना  सी  होती|
चंदन का कर त्याग,राष्ट्र हित  सपने  बोती||
कहे दिव्य कर जोड़, खूब  कर्तव्य  निभाया|
जय हो  भारत देश, जहाँ पर  ऐसी  आया||

(10)
आया  मिलने  मीत  वह, छोड़ पुरानी बात|
पत्थर दिखता मोम अब,मिले भ्रात से भ्रात||
मिले  भ्रात  से  भ्रात,  प्रेम  गंगा  बह  आई|
किया  शत्रु पर  बार, सुरक्षित  राणा  जाई||
कहे दिव्य हरषाय ,ईश  कौतुक दिखलाया|
बदल गया इतिहास,भ्रात जब मिलने आया||

(11)
आया  कैसा   दौर  है  ,हुए   स्वयं  से दूर|
कपड़े  तन  से  हट  गये, आग दिखे भरपूर||
आग  दिखे  भरपूर,  सभ्यता   अपनी खोई|
रहे  पाप  नित  ढोय ,फसल ये किसने बोई|
कहे दिव्य दुखियाय,नंगपन  चहुँदिश छाया|
कीजे  तनिक  विचार, दौर ये  कैसा आया||

(12)
आया संकट यदि कही,दोषी हम अरु आप|
आने  वाली  पीढ़ियाँ,देगी  पल  पल  श्राप||
देगी पल पल श्राप,पाप का  घट  जो छोड़ा|
बदल मीत परिवेश, जतन कर थोड़ा थोड़ा||
कहे दिव्य समझाय,वासना क्यों अपनाया|
सब  हो गंगा  पुत्र, दोष  मन  कैसे  आया||

(13)
आया मौसम प्यार का,गांठ हृदय की खोल|
सबसे हिलमिल मीत चल,अमृत सा दे घोल||
अमृत सा दे घोल,त्याग की लिख परिभाषा|
तेरे  कारज  सिद्ध, पूर्ण  हो  हर  अभिलाषा|
कहे दिव्य कर जोड़,बनो तरुवर सी छाया|
लिखो प्रेम के गीत,मिलन का मौसम आया||

(14)
आया   तेरे   द्वार  मैं,  मैया   लेकर  आस|
भाव  लेखनी में  भरो,  मुझे  बना  लो दास||
मुझे बना  लो  दास ,प्यास  माँ  तुम हो मेरी|
रखो पुत्र की  लाज, करो  मत  पल की देरी||
दिव्य विनय कर जोड़,दूर कर दो सब माया|
मिले चरण की धूल,लाल अब दर पर आया||

(15)
आया नर तू किस  लिए,कर  ले तनिक विचार|
मन की तृष्णा छोड़कर,समझ  जगत का सार||
समझ जगत का सार, व्यर्थ क्यों जीवन खोये|
पाल   रहा   जंजाल, रात  दिन  यों  ही  रोये||
कहे दिव्य कर जोड़,सत्य  को समझ न पाया|
जाये   खाली   हाथ,  यहाँ  पर  जैसे  आया||

(16)
आया कपटी भेष धरि,रावण सिय के पास|
भिक्षा मैया दे  मुझे, करन  लगा  अरदास||
करन लगा अरदास, प्रभू  की  लीला न्यारी|
होंनी   है  बलवान,   रहेगी   होकर  सारी||
लीला   अपरंपार,  टाल  को  उसको  पाया|
लंका  डूबी गर्त,  काल  जब  नियरे आया||

17-

आया न निमंत्रण प्रिये, जाना फिर क्या ठीक|
पति का हो अपमान जहँ, नहीं जगह वह नींक||
नहीं जगह वह नींक, छोड़ हट अब तो प्यारी|
सबको लिया बुलाय,तोरि बाबुल  मत मारी||
रहे शंभु समझाय, समझ कछु भेद न पाया|
पहुँची वह हठ ठान, भस्म का  नम्बर आया||

~जितेन्द्र चौहान "दिव्य"

वरूथिनी छंद :- नीतेन्द्र भारत

https://youtu.be/x3PY-HDlKUM

प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं वार्षिकोत्सव मनाया गया।

दिनांक 30/11/2024 को प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं ...