Wednesday, August 31, 2022

ग़ज़ल - वो कहीं मुझकों यूं आती जाती मिले - जुबैर ,अल्तमश, छतरपुर मध्यप्रदेश


एक ग़ज़ल कहने की कोशिश की है,

वो कही मुझको यूं आती जाती मिले 
मेरी नजरो से नज़रे चुराती मिले 

ये तो मुमकिन नहीं, पर तमन्ना है ये
अपनी नजरो से मुझको बुलाती मिले

लिख दिया मैने जो हालेदिल वर्क पर
वो उसे यूं ही बस गुनगुनाती मिले

वो कही मंदिरों में मेरे नाम का
दीप ऐसे यूं ही फिर जलती मिले

मुख्तलिफ रास्ते हो गए है मगर
मेरे सुर से वो सुर को मिलती मिले
          
खैरियत पूंछ ले,उससे मेरी कोई
वो मेरे नाम पे फिर लजाती मिले

,अल्तमश, तेरे दिल से ये आती  सदा 
वो किसी मोड़ पर मुस्कुराती मिले

जुबैर ,अल्तमश,
छतरपुर मध्यप्रदेश

रत्ती - एक अनमोल पौधा


रत्ती
"""""
यह शब्द लगभग हर जगह सुनने को मिलता है। जैसे - 'रत्ती भर भी परवाह नहीं, रत्ती भर भी शर्म नहीं', रत्ती भर भी अक्ल नहीं... आपने भी इस शब्द को बोला होगा, बहुत लोगों से सुना भी होगा। आज जानते हैं 'रत्ती' की वास्तविकता, यह आम बोलचाल में आया कैसे.

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रत्ती एक प्रकार का पौधा होता है, जो प्रायः पहाड़ों पर पाया जाता है। इसके मटर जैसी फली में लाल-काले रंग के दाने (बीज) होते हैं, जिन्हें रत्ती कहा जाता है।
प्राचीन काल में जब मापने का कोई सही पैमाना नहीं था तब सोना, जेवरात का वजन मापने के लिए इसी रत्ती के दाने का इस्तेमाल किया जाता था.

सबसे हैरानी की बात तो यह है कि इस फली की आयु कितनी भी क्यों न हो, लेकिन इसके अंदर स्थापित बीजों का वजन एक समान ही 121.5 मिलीग्राम (एक ग्राम का लगभग 8वां भाग) होता है।

तात्पर्य यह कि वजन में जरा सा एवं एक समान होने के विशिष्ट गुण की वजह से... कुछ मापने के लिए जैसे रत्ती प्रयोग में लाते हैं। उसी तरह किसी के जरा सा गुण, स्वभाव, कर्म मापने का एक स्थापित पैमाना बन गया यह "रत्ती" शब्द।

साभार

Sunday, August 21, 2022

"नैनी प्रयागराज के आधारशिला वृद्धाश्रम में मनाया गया अंदाज पोएट्री वर्ल्ड का चतुर्थ स्थापना दिवस [अंदाज महोत्सव 2022]" - डॉ० साहिल

"नैनी प्रयागराज के आधारशिला वृद्धाश्रम में मनाया गया अंदाज पोएट्री वर्ल्ड का चतुर्थ स्थापना दिवस [अंदाज महोत्सव 2022]"

आज (21/08/2022) रविवार को दोपहर  1:30 से 06:00 बजे तक आधारशिला वृद्धाश्रम (ई 5/12 चक दौंदी, अरैल मोड़, नैनी, प्रयागराज) में, *"अंदाज़ पोएट्री & क्रिएटिव संगम इवेंट्स {अंदाज़ पोएट्री वर्ल्ड}* का चतुर्थ स्थापना दिवस बहुत ही रंगारंग और बेहतरीन सांस्कृतिक कार्यक्रम के बीच मनाया गया | विशिष्ट अतिथि- प्रसिद्ध गायक मिश्र बंधु, पूर्व एसडीएम जे•पी• मिश्र जी, मुख्य अतिथि प्रभाकर तिवारी जी, आरव फाउन्डेशन के संस्थापक विवेक गुप्ता जी इत्यादि अतिथिगण, नवोदित एवं वरिष्ठ साहित्यकार, गायक,अन्य कलाकार एवं आश्रम की माताएं एवं बुजुर्ग वृद्धजन 150 से अधिक संख्या में उपस्थित रहे| 

      कार्यक्रम में काव्यपाठ करने का अवसर प्राप्त हुआ, अंदाज पोएट्री वर्ल्ड के संस्थापक प्रिय भाई बिजेन्द्र पाठक एवं शुभम दुबे के द्वारा स्मृति चिन्ह एवं प्रयाग अंदाज गौरव 2022 सम्मान पत्र प्राप्त हुआ | द्वय अनुजों एवं पूरे अंदाज पोएट्री परिवार का कोटि कोटि धन्यवाद व आभार|  इस प्रकार के कार्यक्रम इंसान को ऊर्जावान और ओजस्वी बनाते हैं| नवोदित कलमकारों, कलाकारों एवं बच्चों को मंच और बैनर प्रदान करने का कार्य काबिले-तारीफ है; कमुदितों को पल्लवित और पुष्पित करने का कार्य अंदाज पोएट्री वर्ल्ड बखूबी निभा रही है | संस्था यूँ ही निरन्तर प्रगति करती रहे| आधारशिला वृद्धाश्रम के मैनेजर सुशील श्रीवास्तव जी एवं आश्रम के अन्य कर्मचारियों के सहयोग के लिए कोटि कोटि आभार|

धन्यवाद!

   ©️ डॉ• राहुल शुक्ल साहिल
            प्रयागराज उ• प्र•

Monday, August 15, 2022

केशव कल्चर की अनुपम कृति प्रसादम का प्रकाशन - मृदुल

जय मां शारदा जय श्री कृष्णा

केशव कल्चर की अनुपम  कृति प्रसादम का  प्रकाशन

आप सभी को सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि दिल्ली में आ० दीप्ति शुक्ला जी के द्वारा चलाई जा रही एक संस्था जोकि केशव कल्चर के नाम से संचालित है। अपने अथक परिश्रम एवं कर्त्तव्यनिष्ठा से यह संस्था अनंत ऊंचाइयो को प्राप्त कर रही है ।

इसमें 56 कवियों की रचना है इसका मुख्य कारण यह है कि भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाए जाते हैं। इसीलिए संस्था द्वारा किताब में 56 साहित्यकारों के सृजन को संग्रहित करने का संकल्प लिया गया था ।  इस पावन पुस्तक में बेहद सुन्दर चित्रांकन मुकेश अनुरागी (भारत ) और तेजश्री वर्धावे जी (यू. एस. ए.) ने किया है l 

आपको बता दें कि संस्था ने जमीनी स्तर से काम करते हुए आज देश विदेश तक बड़े स्तर पर पहचान बना ली है। इसकी  डिज़ाइनिंग, पब्लिकेशन और प्रिंटिंग केशव कल्चर के तत्वाधान में ही हुई   है और  यह पावन पुस्तक रंगीन प्रष्टो की एक अनुपम कृति है l पुस्तक केशव कल्चर की वेबसाइट पर ईबुक एवं हार्डकॉपी (कलर्ड एवं ब्लैक एन्ड वाइट) में उपलब्ध होंगी 

आचार्य बृजपाल शुक्ला जी के आशीर्वाद से इस प्रसादम  का सम्पादन कार्य सफल हुआ l संपादकीय मण्डल में आ० दीप्ति शुक्ला जी , आ० विनीता लवानियाँ जी, आ०  प्रतिभा शर्मा जी,आ० के.एल. सोनी जी कि अहम् भूमिका रही l 

आ० प्रभा शुक्ला,आ० डॉ. निराला पाठक जी,आ० ज्ञानेश्वरी सिंह "सखी" जी,आ०  सीमा रहस्यमयी जी एवं आ० नीतेंद्र सिंह परमार भारत एवं  केशव कल्चर के कार्यकारिणी सदस्य प्रशांत द्विवेदी जी , पूजा चौधरी जी के निरंतर सहयोग से पुस्तक का कार्य पूरा हुआ । भगवान श्री कृष्ण और माँ शारदा से यही कामना है कि यह संस्था दिन प्रति दिन इसी तरह से ऊंचाइयों को प्राप्त करती रहे। इसी तरह सभी गुरुजनों और देवताओं का आशीष हम पर बना रहे ।

संस्था के महासचिव प्रशांत द्विवेदी जी ने बताया कि यह हमारा परम सौभाग्य है कि हमें इस पुस्तक पर कार्य करने का सुअवसर मिला 56 कवियों की रचनाओं का महाभोग की थाली सज चुकी है l आप सभी से अनुरोध है, कार्यक्रम में आकर इस अनुष्ठान को सफल बनायें l आइये हम सब मिलकर 
भगवान श्री कृष्ण को अपनी भाव भरी कृतियों का छप्पन भोग लगाये l

प्रेषक 
महासचिव
प्रशांत द्विवेदी मृदुल

प्रसादम - आचार्य ब्रजपाल शुक्ल वृंदावनधाम।

प्रसादम
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यह संसार विविधताओं से भरा हुआ है। जिसको,जितना,जब भी लोककल्याणकारी कुछ भी समझ में आता है,वह अवश्य ही प्रयत्नशील होता है।

इस संसार में परोपकार वृत्ति के स्त्री पुरुषों की संख्या बहुत ही कम होती है।

संसार में ऐसे स्त्री पुरुष भी हैं कि परोपकार का स्वभाव न होने पर,धन होते हुए भी उनके द्वार से भूखे प्यासे को एक रोटी और एक गिलास पानी नहीं मिलता है।

इसी प्रकार, ऐसे उच्च शिक्षा प्राप्त स्त्री पुरुष भी हैं कि अपनी विद्या का उपयोग, करके पर्याप्त धन कमाकर शान्ति से अपने घर में ही बैठे रहते हैं। किसी को भी एक अक्षर का ज्ञान नहीं देते हैं।

इन दोनों प्रकार के स्त्री पुरुषों का धन व्यर्थ ही है।
विद्याधन प्राप्त करके जिनने ज्ञान नहीं दिया है,उनका विद्याधन व्यर्थ ही समाप्त हो जाता है।

इसी प्रकार धन,वैभव होते हुए भी जिनका रुपया पैसा किसी भी दीनहीन के काम नहीं आता है,वह धन भी व्यर्थ ही होता है।

जिस धन से यश प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं किया जाए,वह धन और वह विद्या दोनों ही निरर्थक ही हैं।

धनवान व्यक्ति के धन को उसके परिवार के सदस्य ही उपयोग और उपभोग करके उसको समाप्त कर देते हैं। अन्त में उसका नाम लेनेवाला भी कोई नहीं रहता है।

विद्या धन भी तभी श्रेष्ठ माना जाता है,जब वह विद्या समाज के हृदय में उतर जाती है। 

कवियों ने,निबन्ध लेखकों ने समाज में पर्याप्त परिवर्तन किया है। 

दीप्ति शुक्ला जी ने अपने गृहकार्यों को तथा आजीविका प्रदान करनेवाले कार्यों को करते हुए भी अथक परिश्रम करके इस "प्रसादम"पत्रिका का संपादन,प्रकाशन तथा संयोजन करके अनेक कवियों तथा लेखकों को प्रकाशित करके सर्वग्राही बना दिया है।

सभी लेखकों को तथा कवियों को भी दीप्ति शुक्ला जी का यथाशक्ति यथासंभव सहयोग करके उनके मनोबल की वृद्धि करते हुए आगामी पत्रिका प्रकाशन में पूर्ण सहयोग करना चाहिए। तथा वर्तमान पत्रिका का प्रचार प्रसार भी करना चाहिए।

इस पत्रिका का जितना अधिक प्रचार प्रसार होगा,उतना ही अधिक महत्त्व, कवियों और लेखकों का भी बढ़ेगा।

केशव कल्चर के नाम को सार्थक करने के लिए भगवान केशव ही दीप्ति जी को भरपूर सहयोग करेंगे।

आचार्य ब्रजपाल शुक्ल वृंदावनधाम। 11-8 -2022

'कात्यायनी' काव्य संग्रह का हुआ विमोचन। - छतरपुर, मध्यप्रदेश

'कात्यायनी' काव्य संग्रह का हुआ विमोचन।  छतरपुर, मध्यप्रदेश, दिनांक 14-4-2024 को दिन रविवार  कान्हा रेस्टोरेंट में श्रीम...