Sunday, February 27, 2022

धूल - आ० शंकर केहरी जी



कविता - धूल

   !!धूल!!

धूल को धूल समझना भूल है
धूल अतीत और भविष्य का मूल है
जब आंधी आती है
पैरों तले  पड़ी धूल
घुस जाती है आंखों में
चिपक जाती कपड़े से
ढक लेती अपने आकाश को
झकझोर देती उस विश्वास को
जो तुक्ष, व्यर्थ ,बोझ समझता
धूमिल धूसरित रौंदी जाती धूल को
भूलना मत
धूल में शामिल है
धूल में मिल चुके
पहाड़ कि विशालता
नदी का प्रवाह
समंदर की गर्जना
वृक्ष की मजबूती
भुपतियों का राजमुकूट
प्रतिमान पुस्तकों के पन्ने

धूल को धूल समझना भूल है
धूल अतीत और भविष्य का मूल है।।
धूल का परवाह करो 
धूल से डरो
धूल बनने से पहले
धूल की समझ होने पर
धूल का साथ और सहयोग होने पर
दुनिया सिमट कर 
आंगन में समा जाएगी
एकाकार हो जाएगा
अंदर बाहर का अंतर्द्वंद
फिर मुट्ठी में बंद कर लोगे आकाश
खिड़की पर बादल का पर्दा होगा
दीवार में बन जाएंगे जरूरी दरवाजे
धूल का अस्तित्व शाश्वत है
धूल में विभेद मत करो
गमले में गुलाब उगाओ गेहूं नहीं 
धूल चाहे तो 
गेहूं कल गुलाब बन सकता है
नागफनी भी कांटेदार गुलाब बन सकता है

धूल को धूल समझना भूल है
धूल अतीत और भविष्य का मूल है ।।

शंकर केहारी
लिंकः- https://youtu.be/pB9nl2y0tWo

Friday, February 25, 2022

जीवन का मर्म -नीतेंद्र परमार भारत


जीवन का मर्म

कभी -कभी जिंदगी में ऐसा होता है, कभी-कभी क्या अक्सर ऐसा होता है कि हम जमाने से कुछ कहना चाहते हैं, लोगों से कुछ कहना चाहते हैं, परंतु दिल की बात दिल में दबी ही रह जाती हैं, दिल की बात कहीं ना कहीं आत्मा में कसक पैदा करती है, बहुत कुछ ऐसा होता है जो आदमी अभिव्यक्त करना चाहता है, जीवन में बदलाव चाहता है परंतु कह नहीं पाता है।
 अपनी रोजी-रोटी एवं जीवन कर्तव्य को निभाने के साथ - साथ हमारा मनुष्य होने के नाते, प्रकृति एवं उस सर्वशक्तिमान ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए  कुछ कर्म होते हैं जो हमें सेवा भाव से परहित के परोपकार हेतु करने पड़ते हैं। मतलब जीवन में सार्थकता सकारात्मकता एवं सहिष्णुता का सामंजस्य अति आवश्यक है कर्म करते रहना और फल की इच्छा ना करना अकर्मक होकर सकर्मक बने रहना यही गीता का उपदेश भी है।

हमारे कर्मो से जीवन की सार्थकता सकारात्मकता सहजता सहृदयता सरलता एवं सेवा भाव प्रस्तुत हो, कभी ऐसा ना लगे कि हम अपने कर्मों से जी चुराते हैं या अपने कर्मों में केवल स्वार्थ स्वरूप ही जुड़े हुए हैं कभी ऐसा ना लगे कि हम अन्य प्राणियों से अलग नहीं है यदि खाना-पीना और परिवार बढ़ाना ही मानव जीवन का उद्देश्य होता तो अन्य प्राणियों और मानव में कोई अंतर समझ में नहीं आता| इसलिए मेरे प्यारे मित्रों जीवन की सार्थकता कर्मों के महत्त्व, सेवा भाव एवं जन हितार्थ कार्यों पर ही निर्भर है।
 जीवन में सक्रियता बनी रहे और मन कभी हतोत्साहित ना हो कभी छोटे से बच्चे को देखकर उसकी ऊर्जा और कार्य करने की लगन को देखकर कुछ पाने की लालसा को देखकर हमें कुछ सीख लेना चाहिए। कभी उस 80 वर्ष के वृद्ध को देख कर हमें कुछ सीख लेना चाहिए जोकि उम्र के आखिरी पड़ाव में भी कुछ सीखने के लिए लालायित रहता है कभी उस बगीचे के माली से भी हमें कुछ सीख लेना चाहिए जो बीज को माटी में अंकुरित करके और पेड़ बनने से लेकर फल देने तक पौधे का पालन- पोषण करता है और नियमित रूप से कर्म करता रहता है।मेरी आप सभी साथियों से गुजारिश है कि जीवन को निरर्थक ना बनाएं जीवन को सार्थक एवं उच्च कोटि का बनाएं जो कि आपके सकारात्मक एवं उच्चतम कर्मों से ही संभव है। जनहितार्थ प्रकृति हितार्थ कार्यों से जीवन की सहजता जीवन की उच्चता एवं सार्थकता को बनाए रखें ऐसी ही कामना के साथ बहुत-बहुत सेहतमंद, आनन्दमय और शानदार जीवन की कामना करता हूँ।

नीतेंद्र सिंह परमार 'भारत'
छतरपुर, मध्यप्रदेश

राजा ललितादित्य


राजा ललितादित्य का साम्राज्य मुग़लो से भी बड़ा था,
जिसे इतिहासकार भारत का सिकंदर के नाम से बुलाते हों !

राजा ललितादित्य से मुगलों और सिकंदर की तुलना न करें । तुलना करने वालों का ज्ञान वर्धन की आवश्यकता है ।
पिछले ढाई हजार वर्षों में धरती पर सबसे बड़े भूभाग पर राज्य हुआ करता था राजा ललितादित्य का । चीन का करीब आधा, रूस का दक्षिणी हिस्सा, ईरान तुर्की और मिस्र तक फैला हुआ था उनका साम्राज्य ।।

जिनका साम्राज्य असाम बांग्लादेश से लेकर पूरा तिब्बत , पूर्वी ईरान अफ़ग़ानिस्तान उत्तरी पाकिस्तान का हिस्सा , मध्य चीन , मध्य एशिया के उज़्बेकिस्तान , ताजीकिस्तान , दक्षिण कयरञ्ज़स्तान , दक्षिण पश्चिमी कजाखस्तान और तुर्केस्तान को भी जित लिया था ! जिनका साम्राज्य मध्य भारत तक फैला हुआ था !

जिस राजा ने मोहम्मद बिन कासिम के पंजाब और जम्मू कश्मीर को जितने के सपने को मिट्टी में मिलाया ,

जिसने उसे मार मार कर भागने पर मजबूर कर दिया उसे आज कोई नही जानता !
पुरे भारत के लिए ये लानत की बात है की जी वीर योद्धा ने अरबो को कश्मीर और पंजाब से मार्कर खदेड़ा , जिसके कारन इस्लामिक आक्रांता कश्मीर और पंजाब में 250 + वर्ष तक आने की दोबारा हिम्मत तक न कर सके उसे कोई नही जानता !

ये भारत का ऐसा सुरमा वीर योद्धा है जिसने उज़्बेकिस्तान को चार बार जीता , उज़्बेकिस्तान के सुल्तान ने चार बार बगावत की और राजा ललितादित्य ने चारो बार उसकी बगावत को कुचल डाला और सुल्तान को चारो बार भारी कर देना पड़ा ,

ये वही उज़्बेकिस्तान है जहाँ से मुग़ल और तैमूर मुस्लिम आक्रांता आये थे ! 
ऐसे वीर राजपूत को भारतीय इतिहास की किताबो में कोई जगह नही मिली ! डूब मरना चाहिए जिसने स्कूल और कॉलेज की किताबे लिखी है...

Wednesday, February 9, 2022

परिचय- अरविंद सोनी सार्थक जी

साहित्यकार परिचय- प्रथम

नाम- अरविंद सोनी सार्थक
आत्मज: श्री लक्ष्मीनारायण अयोध्या सोनी
मूलतः रामपुरा जिला मंदसौर- नीमच मध्यप्रदेश।

वर्तमान निवास एवम् कर्म क्षेत्र:
 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 496001

पद:- प्रदेश अध्यक्ष विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत
छतीसगढ़ इकाई

ब्लॉग: अरविंद की अभिव्यक्ति
वेब साइट:
www.arvindkiabhivyakti.blogspot.com

यू ट्यूब चैनल : 

https://youtu.be/DurEmhvr4mM

मोबाइल नंबर - 6366399931

नौकरी : विद्युत उत्पादन संस्थान, रायगढ़ छ ग
(इलेक्ट्रिकल विभागाध्यक्ष)
शिक्षा : बी टेक (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग), 
बी. ओ. ई. एवम् एम. बी. ए.

लेखन विषय:-
अध्यात्म दर्शन,देश वंदना ,देव वंदना , प्रकृति प्रेम वंदना और समसामयिक घटना।
विधा: हिन्दी गीत, छंद, मुक्तक, आलेख, लघुकथा, कहानी, संस्मरण आदि।

प्रकाशन:- मन के आखर स्थाई स्तम्भ इंदौर से प्रकाशित  हिन्दी समाचार पत्र दैनिक राघवकीर्ति में  प्रतिदिन प्रकाशन (विधा : मनहरण घनाक्षरी छंद)

प्रकाशित साझा संकलन: 
मेरी कलम
त्रिमासिक पत्रिका: 
एक कदम और

संग्रहकर्ता :- नीतेंद्र सिंह परमार 'भारत' 
मो. नंबर - 8109643725

प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं वार्षिकोत्सव मनाया गया।

दिनांक 30/11/2024 को प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं ...