जीवन का मर्म
कभी -कभी जिंदगी में ऐसा होता है, कभी-कभी क्या अक्सर ऐसा होता है कि हम जमाने से कुछ कहना चाहते हैं, लोगों से कुछ कहना चाहते हैं, परंतु दिल की बात दिल में दबी ही रह जाती हैं, दिल की बात कहीं ना कहीं आत्मा में कसक पैदा करती है, बहुत कुछ ऐसा होता है जो आदमी अभिव्यक्त करना चाहता है, जीवन में बदलाव चाहता है परंतु कह नहीं पाता है।
अपनी रोजी-रोटी एवं जीवन कर्तव्य को निभाने के साथ - साथ हमारा मनुष्य होने के नाते, प्रकृति एवं उस सर्वशक्तिमान ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कुछ कर्म होते हैं जो हमें सेवा भाव से परहित के परोपकार हेतु करने पड़ते हैं। मतलब जीवन में सार्थकता सकारात्मकता एवं सहिष्णुता का सामंजस्य अति आवश्यक है कर्म करते रहना और फल की इच्छा ना करना अकर्मक होकर सकर्मक बने रहना यही गीता का उपदेश भी है।
हमारे कर्मो से जीवन की सार्थकता सकारात्मकता सहजता सहृदयता सरलता एवं सेवा भाव प्रस्तुत हो, कभी ऐसा ना लगे कि हम अपने कर्मों से जी चुराते हैं या अपने कर्मों में केवल स्वार्थ स्वरूप ही जुड़े हुए हैं कभी ऐसा ना लगे कि हम अन्य प्राणियों से अलग नहीं है यदि खाना-पीना और परिवार बढ़ाना ही मानव जीवन का उद्देश्य होता तो अन्य प्राणियों और मानव में कोई अंतर समझ में नहीं आता| इसलिए मेरे प्यारे मित्रों जीवन की सार्थकता कर्मों के महत्त्व, सेवा भाव एवं जन हितार्थ कार्यों पर ही निर्भर है।
जीवन में सक्रियता बनी रहे और मन कभी हतोत्साहित ना हो कभी छोटे से बच्चे को देखकर उसकी ऊर्जा और कार्य करने की लगन को देखकर कुछ पाने की लालसा को देखकर हमें कुछ सीख लेना चाहिए। कभी उस 80 वर्ष के वृद्ध को देख कर हमें कुछ सीख लेना चाहिए जोकि उम्र के आखिरी पड़ाव में भी कुछ सीखने के लिए लालायित रहता है कभी उस बगीचे के माली से भी हमें कुछ सीख लेना चाहिए जो बीज को माटी में अंकुरित करके और पेड़ बनने से लेकर फल देने तक पौधे का पालन- पोषण करता है और नियमित रूप से कर्म करता रहता है।मेरी आप सभी साथियों से गुजारिश है कि जीवन को निरर्थक ना बनाएं जीवन को सार्थक एवं उच्च कोटि का बनाएं जो कि आपके सकारात्मक एवं उच्चतम कर्मों से ही संभव है। जनहितार्थ प्रकृति हितार्थ कार्यों से जीवन की सहजता जीवन की उच्चता एवं सार्थकता को बनाए रखें ऐसी ही कामना के साथ बहुत-बहुत सेहतमंद, आनन्दमय और शानदार जीवन की कामना करता हूँ।
नीतेंद्र सिंह परमार 'भारत'
छतरपुर, मध्यप्रदेश
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