Friday, January 6, 2023

गीत- पूरा जीवन रहे भटकते.. अजय मोहन तिवारी


             गीत

पूरा  जीवन  रहे  भटकते,
अपने मन को भरमाने में।
उम्र गवाँ दी हमने आखिर,
केवल मरघट तक आने में।।

बस  आँसू  ही  जोड़े  हमनें,
सुख पाने की अभिलाषा में।
पूर्ण हुआ अनुबंध साँस का
जीवन  खोया  प्रत्याशा  में।।

मौन सिसकती रही वेदना,
अभिनय जैसा मुस्काने में।।.......

रहे पिछड़ते हम जीवन से,
मन के पीछे इतना भागे।
दिवस बिताया स्वप्न देखते,
विषयी बन रातों में जागे।।

ठगे गए हम सदा स्वयं ही,
जगत पहेली सुलझाने में।।........

हमें पता था मृत्यु अटल है,
जीवन का भी नहीं ठिकाना।
जन्म लिया जिसने भी जग में,
उसको इक दिन है मर जाना।।

व्यर्थ लगाया गुणा भाग सब,
अंतिम सच को झुठलाने में।।......

            - अजय मोहन तिवारी


यूट्यूब लिंक:- https://youtu.be/du3HK3Vetjw
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