Sunday, April 17, 2022

निर्मम हत्या - नीतेंद्र भारत

#निर्मम #हत्या/मानव आज दानव

किसको क्या समझाएं भारत,मौन हुआ बस मौन हुआ।
हत्या का आरोपी आखिर,कौन हुआ अब कौन हुआ।।

क्या निर्मम हत्या करने में,शर्म नहीं तुमको आती।
उन संतों खाल सभी से,चीख़ चीख़ कर चिल्लाती।।

बिन मतलब के मार रहें क्यों,कारण मेरा बतलाओ।
मेरी बाते सुनलो मानव,रुक जाओ तुम रुक जाओ।।

डण्डे मत मारो हे मुझकों,सहने लायक पीठ नहीं।
जर्जर मेरी हुई अवस्था,नए महलो की ईंट नहीं।।

राम नाम गुन गाने वाले,हम केवल संन्यासी है।
हे दानव मत मार मुझे तू,हम भी भारतवासी है।।

पहला डंडा सिर में मारा,हम थोड़े सकुचाए थे।
मुझे नहीं मालूम हुआ सच,साथ सभी वो आये थे।।

लाल रक्त की धार जो निकली,याद किया कैलाशी को।
कोरोना के डर से भांगे,याद किया फिर खाँसी को।।

मैंने सीताराम पुकारा,नहीं रुके वो हत्यारे।
मैंने अल्लाह गॉड पुकारा,नहीं रुके फिर भी मारे।।

मैंने सोचा किसी धर्म के,अनुयायी तो होंगे ही।
जातिवाद अगर है जिंदा,जाति वाले होंगे ही।।

धरती माँ की गोद में लेटा,चीखा भी चिल्लाया था।
खड़ा सामने सैनिक देखो,नहीं बचा फिर पाया था।।

मानवता गिरवी रक्खी है,यह मुझकों आभास हुआ।
पहले दानव राक्षस कुल में,अब मानव में बास हुआ।।

हमने किसका बुरा किया था,जो ऐसा दिन आया है।
आज यहाँ भगवाधारी को,बिन कारण मरवाया है।।

गर कुछ लोग बचा लेते तो,माथ कलंक नहीं चढ़ता।
एक को गोली मारी होती,दूजा पैर नहीं बढ़ता।।

एक बहत्तर एक पैतालीस,अपनो से हम हार गये।
क्रुर कुरर्मी मानव दानव,हमको जिंदा मार गये।।

ओम शांति,ओम शांति

नीतेंद्र सिंह परमार "भारत"
छतरपुर मध्यप्रदेश

Thursday, April 14, 2022

सच को सच ही कहेंगे डरेंगे नहीं। - नीतेंद्र भारत

मुक्तक 

सच को सच ही कहेंगे डरेंगे नहीं।
भाव दूषित भी मन में भरेंगे नहीं।।
अब बहुत हो चुका ध्यान देकर सुनों।
मारे बिन शत्रु को हम मरेंगे नहीं।।

नीतेंद्र भारत
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Saturday, April 9, 2022

राष्ट्रीय सचिव बनाया गया - नीतेंद्र परमार



आदरणीय राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय गोपाल सर जी आपके द्वारा और सभी पदाधिकारियों के द्वारा नर्सिंग के क्षेत्र में जो अद्भुत अद्वितीय और अनुकरणीय कार्य नर्सिंग छात्र संगठन कर रहा है वास्तव में वह सराहनीय है अनुकरणीय है देश में प्रदेश में ऐसा कोई संगठन नहीं है जो नर्सिंग की इस अव्यवस्थाओं को सही करवा सकें यदि किसी संगठन का नाम आता है तो वह नर्सिंग छात्र संगठन है जिसमें सभी हमारे सदस्यगण और पर अधिकारी बंधु तन मन धन से निस्वार्थ भाव से सहयोग करते हैं और नर्सिंग के क्षेत्र को बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं इसी तारतम्य में मैं पहले जिला अध्यक्ष रहा फिर आपने मुझे प्रदेश महासचिव का कार्यभार दिया तदोपरांत अब आप मुझे राष्ट्रीय सचिव का कार्यभार सौंप रहे हैं जिसे मैं सहर्ष स्वीकार करता हूं और मेरे द्वारा जितना मुझसे बन सकेगा मैं संगठन के लिए इमानदारी पूर्वक सभी कार्य संपादन करूंगा तथा विस्तार पर भी आपके सहयोग से चर्चा करूंगा और बेहतर से बेहतर करने का प्रयास करूंगा हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। नीतेंद्र

Thursday, April 7, 2022

राम जी का चाहा काम- नीतेंद्र भारत

जय श्रीराम

मनहरण घनाक्षरी छंद

राम जी का चाहा काम,होता पल भर में ही।
विधि का विधान कोई,कैसे मेट पायेगा।।
राम को पठा के वन, दुखी दशरथ  मन।
नीति औ अनिति का भी,भेद कौन गायेगा।।
हृदय उठी जो पीर,धरता न मन धीर।
बिलख -बिलख तन,किसको सुनायेगा।।
भाग्य में लिखी जो बात,टलती ना टाले कभी।
कर्म की गति से प्रभु ,नाम ही बचायेगा।।

नीतेंद्र सिंह परमार 'भारत'
छतरपुर,मध्यप्रदेश

Saturday, April 2, 2022

श्री राम वनगमन काव्ययात्रा छतरपुर में।

आज दिनांक 1 अप्रैल2022 को श्री राम वनगमन काव्ययात्रा श्रीलंका से अयोध्या की बढ़ रही है इसी तारतम्य में अपने नगर छतरपुर में यह यात्रा बड़ी ही हर्ष उल्लास के साथ निकाली गई जिसमें बाबा सत्यनारायण मौर्य जी आ० जगदीश मित्तल बाबू जी व दिनेश शर्मा जी व श्री हनुमान टौरिया रावतन ट्रस्ट के समस्त कार्यकर्ता व पदाधिकारी बंधु उपस्थित रहे। और काव्य पाठ का आयोजन हुआ। जिसमें नगर के युवा रचनाकारों ने अपने काव्य सुमन श्रीराम जी के चरणों में समर्पित किये। आप सभी का बहुत बहुत आभार।

Friday, March 18, 2022

होली चौकड़िया :- नीतेंद्र भारत

चौकड़िया होली

राधा सांवरिया से बोली,मिलजुल खेले होली।
लाल गुलाल लगा गालन पे,सूरत लगवे भोली।।
मुरलीधर के संग में निकली,ग्वाल बाल की टोली।।
भारत ने घनश्याम लला पे,डाली रंग की झोली।।

नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर  ( मध्यप्रदेश ) 

Sunday, February 27, 2022

धूल - आ० शंकर केहरी जी



कविता - धूल

   !!धूल!!

धूल को धूल समझना भूल है
धूल अतीत और भविष्य का मूल है
जब आंधी आती है
पैरों तले  पड़ी धूल
घुस जाती है आंखों में
चिपक जाती कपड़े से
ढक लेती अपने आकाश को
झकझोर देती उस विश्वास को
जो तुक्ष, व्यर्थ ,बोझ समझता
धूमिल धूसरित रौंदी जाती धूल को
भूलना मत
धूल में शामिल है
धूल में मिल चुके
पहाड़ कि विशालता
नदी का प्रवाह
समंदर की गर्जना
वृक्ष की मजबूती
भुपतियों का राजमुकूट
प्रतिमान पुस्तकों के पन्ने

धूल को धूल समझना भूल है
धूल अतीत और भविष्य का मूल है।।
धूल का परवाह करो 
धूल से डरो
धूल बनने से पहले
धूल की समझ होने पर
धूल का साथ और सहयोग होने पर
दुनिया सिमट कर 
आंगन में समा जाएगी
एकाकार हो जाएगा
अंदर बाहर का अंतर्द्वंद
फिर मुट्ठी में बंद कर लोगे आकाश
खिड़की पर बादल का पर्दा होगा
दीवार में बन जाएंगे जरूरी दरवाजे
धूल का अस्तित्व शाश्वत है
धूल में विभेद मत करो
गमले में गुलाब उगाओ गेहूं नहीं 
धूल चाहे तो 
गेहूं कल गुलाब बन सकता है
नागफनी भी कांटेदार गुलाब बन सकता है

धूल को धूल समझना भूल है
धूल अतीत और भविष्य का मूल है ।।

शंकर केहारी
लिंकः- https://youtu.be/pB9nl2y0tWo

विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत मध्यप्रदेश इकाई द्वारा बुंदेली काव्य गोष्ठी का किया गया आयोजन। नीतेंद्र सिंह परमार भारत छतरपुर मध्यप्रदेश

विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत मध्यप्रदेश इकाई द्वारा बुंदेली काव्य गोष्ठी का किया गया आयोजन। आज दिनांक 6 जुलाई 2025 दिन रविवार को गायत्री शक्तिप...