आँखो को नम करके माता,
स्वामी से यह बोली हैं।
सोना चांदी पास नही हैं,
ना ही चावल रोली हैं।।
घर में नही हैं रूपया पैसा,
हाल बहुत बेहाल हैं।
पीले हाथ बेटी के कैसे,
करूं यह बङा सवाल हैं।।
मार नही सकता बेटी को,
कैसे पीले हाथ करूं।
लङके वाले मांग जो करते,
कैसे उनके हाथ फरूं।।
मुह खोले वो इतना जितना,
खाने में ना वाते हैं।
कुछ हजार की बात नही हैं,
लाखो की बात सुनाते हैं।।
धर धर कांपे मेरा तन मन,
चिंता बहुत सताती हैं।
रिश्ता कोई मिले ना हमको,
हृदय मध्य चुभाती हैं।।
लाखो रिश्ते टूटकर ऐसे,
कांच की तरह बिखरते हैं।
पुलिस भी छोङ देती हैं उनको,
बिन साबुन के निखरते हैं।।
युवा देश के जन जन तक तो,
बात यही पहुंचाना हैं।
दहेज प्रथा को बंद करो सब,
गान यही दोहराना हैं।।
हैं दुनिया की अजब कहानी,
कोई नही सुनाता हैं।
चुपके से दहेज ले लेते,
भारत यही सुनाता हैं।।
सुधरे कैसे देश हमारा,
कौन करे परहेज हैं।
*भारत* में हैं बिकट समस्या,
लेते सभी दहेज हैं।।
- नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
सम्पर्क :- 8109643725
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