Sunday, November 3, 2019

आलेख - नीतेन्द्र भारत

*आलेख*

शीर्षक:- टिकट लेने में परेशानी

बात पूरी यह है कि एक महामना ट्रेन प्रतिदिन खजुराहो से भोपाल जाती है। वह महाराजा छत्रसाल स्टेशन छतरपुर में सायंकाल चार बजकर पैंतालीस मिनिट पर आती है। सभी पैसेंजर स्टेशन पर आते है और टिकट के काउंटर पर खड़े होते है टिकट लेने के लिए यह हाल चार बजे से शुरू हो जाता है। लोग आते रहते है। लाईन बढ़ाती रहती है। और बढ़ते बढ़ते वह लाईन महिला तथा पुरूष की चालीस फिट तक लम्बी हो जाती है। और टिकट का केवल एक काउंटर होने के कारण यह सभी पैसेंजर को भोगना पड़ता है। बीच में कई  ऐसे महान लोग आते है।जो लाईन में लगना पसंद नहीं करते है। वह आगे काउंटर पर धसने लगते है। और लाईन वाले व्यक्ति अपनी लाईन के अनुसार धीरे धीरे बढ़ते है। एक महिला और तीन पुरुष को टिकट देते जाते है।
        अब समय धीरे धीरे चार पैंतालीस हो जाते है। और आधे से ज्यादा लोग बिना टिकट के लोग फिर ट्रेन में बैठ जाते है। यहां भीड़ बहुत रहती है तो कोई जनरल में,रिजर्वेशन में तथा विकलांग आदि में बैठ जाते है। फिर वह डरे हुये पैसेंजर सफर करते है तथा अचानक जैसे ही टीटी आता है। वह टिकट मांगता है। तो वह लोग परेशान होने लगते है। हम उनके पास टिकट माँगने आता है। तो फिर टीटी उसका पाँच सो रुपये का चालान काटता है वह बोलता है कि सर वहां पर बहुत भीड़ थी। इसलिए टिकट लेने मे असमर्थ रहा। लेकिन वह नहीं सुनता किसी की और कार्यवाही करता है।
      दृश्य दोनो सामने है यदि  स्टेशन पर पर्याप्त काउंटर हो जाये तो दोनो समस्या हल हो जायेगी। हमारा मानना है कि यही ठीक रहेगा।

नीतेन्द्र सिंह परमार "भारत"
दिनांक:- 31/10/2019

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