*◆लयग्राही छंद◆*
विधान-
तगण तगण तगण गुरु गुरु
(221 221 221 2 2)
4चरण,दो-दो चरण समतुकांत।
हे रामराजा मुझे तार दीजै।
मैं दास हूँ नाथ स्वीकार कीजै।।
सत्कार सेवा नहीं जानता हूँ।
सर्वस्य आपै सदा मानता हूँ।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
आप सभी के लिए एक नये रूप में। साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक जानकारी। प्रदेश अध्यक्ष नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत " विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
'कात्यायनी' काव्य संग्रह का हुआ विमोचन। छतरपुर, मध्यप्रदेश, दिनांक 14-4-2024 को दिन रविवार कान्हा रेस्टोरेंट में श्रीम...
No comments:
Post a Comment