Tuesday, February 11, 2020

श्रीमन्नारायणाचार्य "विराट" घनाक्षरी

मनहरण घनाक्षरी-

नयनों  में चाह रख , ध्येय में प्रवाह रख
निरत  प्रयास  कर , आप  लक्ष्य पाइए।
          हिय  जागे  विश्वास, पथ में  उगे प्रभास
          स्वयम्   सवित्र  बन , ओझल   हठाइए।
चेतना का वर लेना,शुष्क कंठ स्वर देना
सुप्तता  को  मेटकर,  आग को जगाइए।
          कौन करता विरोध ,कौन लेता प्रतिशोध
          आप शक्तिवान हो के, शत्रु को दिखाइए।।

               श्रीमन्नारायणाचार्य "विराट"

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