नमस्कार मित्रो
आज हमारे विषय "वर्तमान साहित्य एवम साहित्यकार" का 17 वॉ दिन है | आज फिर हम उपस्थित हैं एक साहित्यकार के साथ |
मित्रो आज जिस साहित्यकार का चयन मैंने किया है वह अपने पूरे जीवन भर स्व आनन्द के लिए साहित्य सृजन करता रहा है या फिर यूं कहें यह साहित्यकार मंचों की चमक दमक से दूर हटकर अपनी साहित्य साधना में रत था | आइये मिलते हैं उस साहित्यकार से |
( कवि परिचय )
नाम-: अनंगपाल तोमर
जन्म तिथि-: 14/07/1949
जन्म स्थान-: ग्राम- क्यारा, जनपद- बरेली( उ०प्र०)
वर्तमान निवास-: मो० पटेल नगर, सिविल लाइन्स, बदायूं (उ०प्र०)
दूरभाष-: 9319906232
कार्य-: शिक्षक (सेवानिवृत)
मित्रो बरेली जनपद में जन्में श्री अनंगपाल तोमर हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि हैं | अपने युवाकाल से ही प्रतिभावान रहे श्री तोमर जी साहित्यिक धरा के अमिट हस्ताक्षर हैं | उन्होंने जीवन में बहुत संघर्ष किया परन्तु कभी हार नहीं मानीं और अन्तत: सफल हुए | उन्हें जनपद बदायूं में शिक्षक के पद पर नियक्ति मिली और वे बदायूं में ही निवास बनाकर रहने लगे उन्होंने अपना साहित्यिक जीवन सन 1973 से आरम्भ कर था दिया | प्रारम्भ में उन्होंने छोटी छोटी कवितायें व पैरोडी लिखीं और बाद में वे दोहा, सोरठा, सवैया, मुकरियॉ, कण्डलियॉ और घनाक्षरी लिखने लगे और उनमें सुन्दर हास्य व्यंग परोसने लगे |
उनका एक बहुत प्रसिद्ध सवैया मुझे याद आता है------
-- जो पशु होंऊं तौ बुलडाग बनौ ,
बैठौं काहू कार मैं पूंछ निकारे |
उन्होंने हास्य और व्यंग के माध्यम से समाज में ब्याप्त भ्रष्टाचार, अत्याचार और अनाचार पर कड़ा प्रहार किया | तोमर जी की कुण्डलियॉ और सवैया भाषा और व्याकरण की दृष्टि से श्रेष्ठ हैं | सम सामायिक विषयों पर उनके सवैया और कुण्डलियॉ श्रोताओं को बहुत पसन्द आती हैं |
उन्होंने विलुप्त होती जा रही विधा " मुकरी " पर विशेष ध्यान दिया है जो एक सराहनीय कार्य है |
तोमर जी से मेरी भेंट बहुत समय पहले से थी परन्तु मैं सन 2007 में उन्हें मंचों पर लाने में सफल हुआ | जब श्रोताओं ने उन्हें सुना तो उन्हें असीम आनन्द की अनुभूति हुई |
एक सफल रचनाकार के साथ साथ वे एक सभ्य एवम शालीन व्यक्तित्व के धनी हैं |
मैं श्री अनंगपाल तोमर जी के अविरल साहित्यिक जीवन व लम्बी आयु की कामना करता हूं |
( प्रस्तुति )
प्रो० आनन्द मिश्र अधीर
कवि ,संयोजक, संचालक
एवम समीक्षक
स्वर दूत -: 9927590320
8077530905
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