नमस्कार मित्रो
आइये आज फिर जुड़ते हैं अपने पूर्व निर्धारित विषय " वर्तमान साहित्य एवम साहित्यकार " से और मिलते हैं एक और कवि से |
मित्रो आज जिस साहित्यकार को मैंने इस विषय के लिए चुना है वह जनपद बदायूं का बहुत बड़ा नाम है तथा बदायूं की युवा पीढ़ी का बहुत बड़ा मार्गदर्शक है वो नाम जिसे हम सब वरिष्ठतम कवि श्री शमशेर बहादुर ऑचल कहते हैं |
( कवि परिचय )
नाम- शमशेर बहादुर सक्सेना
साहित्यक नाम- शमशेर बहादुर ऑचल
पिता का नाम- श्री सिया सरन लाल सक्सेना
जन्म तिथि- 09/02/1946
जन्म स्थान - बदायूं (उ०प्र०)
वर्तमान निवास- मो० गड़ैय्या शाहबाजपुर, बदायूं ( उ०प्र०)
मुख्य विधा- हास्य-व्यंग
दूरभाष- 7037133835
मित्रो शमशेर बहादुर ऑचल बदायूं का वो नाम है जिसने साहित्य में बदायूं को बहुत ऊंचाइयॉ प्रदान कीं |
ऑचल जी स्व० बृजेन्द्र अवस्थी की पीढ़ी के कवि हैं तथा बदायूं जनपद के साहित्य के सिरमौर हैं |
ऑचल जी अपनी खुद्दारी के लिए सर्व विदित हैं उन्होंने कभी भी असत्य के समक्ष अपना सिर नहीं झुकाया |
ऑचल जी पिछले 50 वर्षों से साहित्य की सेवा में रत हैं |
तथा निरन्तर हिन्दी साहित्य को नये आयाम दे रहे हैं | ऑचल जी ने सदा मौलिक साहित्य पर बल दिया तथा युवा साहित्यकारों को मौलिक साहित्य लिखने की प्रेरणा दी |
बैसे तो ऑचल जी ने प्रत्येक रस पर सफल रचनायें लिखीं हैं लेकिन उन्हें हास्य और व्यंग का बहुत ही श्रेष्ठ रचनाकार माना जाता है | ऑचल जी ने गीत, गज़ल, घनाक्षरी, मुक्तक, दोहा, सवैया, और रुवाई आदि सभी पर अपनी लेखनी चलाई और सफलता अर्जित की |
देश के सैकड़ों मंचों से उन्होंने अपनी रचनाओं का पाठ किया है तथा अनेकों सम्मान प्राप्त किये हैं वे आकाशवाणी रामपुर से सन 1979 से लगातार काव्य पाठ कर रहे हैं इससे पहले वे आकाशवाणी लखनऊ से भी अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं |
उनका शब्द विन्यास अदभुत है उनकी भाषा सरल एवम समीक्षात्मक है , उनके प्रतीक और अलंकरण बहुत ही श्रेष्ठ हैं | उनकी रचनाओं में शिक्षा तथा सन्देश हैं | उनके अन्दर अपनी बात को बड़े ही सहज भाव से कहने का अन्दाज है |
सन 1972 में ऑचल जी की मेला ककोड़ा दर्शन नाम की पुस्तक प्रकाशित हुई जो बहुत प्रसिद्ध हुई वे प्रति वर्ष उस पुस्तक की सैकड़ों प्रतियॉ मेले में निशुल्क वितरित करते हैं | उनकी दूसरी पुस्तक श्री मद भगवत विनय माला दर्पण है जिसमें उन्होंने सभी देवताओं का वर्णन एवम आराधना की है |
ऑचल जी की रचनायें हिन्दी साहित्य की अनमोल धरोहर हैं तथा वे अमिट हस्ताक्षर हैं जो काल भी मिटाने का दुस्साहस नहीं करेगा |
उनकी रचनाओं के कुछ अंश------
ज़िन्दगी चाहे न बीती धन कुबेरों की तरह |
किन्तु जो बीती वो बीती वन के शेरों की तरह ||
( मुक्तक )
गर नेताजी आप न होते |
तो दुनिया में पाप न होते |
स्वर्ग सरीखी दुनिया होती ,
ये रावण के वाप न होते |
ख्याली महल चुन लेने से आला कौन होता है ?
बने गर ठाल खुद ईश्वर तो भाला कौन होता है ?
बड़ा वो है जिसे दुनिया बड़ा बोले, बडा समझे ,
निराला नाम रखने से निराला कौन होता है ?
सुनायें क्या भला हम आपको रूदाद अप-बीती !
गये सागर में फिर भी अपनी गागर रह गयी रीती !
घुटन,तड़पन,हिकारत, बेबसी,बेचारगी तल्खी !
इन्हीं पुख्ता किराये के घरों में ज़िन्दगी बीती !
मित्रो अन्त में मैं यही कहूंगा कि ऑचल जी एक सम्पूर्ण साहित्यकार हैं तथा युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं मैं अकिंचन भला उनके विषय में क्या लिख सकता हूं | उनका आशीष मुझे मिला है यह मेरा सौभाग्य है | मैं ऑचल जी की लम्बी आयु एवम अनवरत साहित्य रचना की मॉ शारदे से कामना करता हूं ||
( प्रस्तुति )
प्रो० आनन्द मिश्र अधीर
दातागंज बदायूं (उ०प्र०)
कवि, संयोजक, संचालक एवम समीक्षक
दूरभाष- 9927590320
8077530905
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