नमस्कार मित्रो
आइये फिर जुड़ते हैं अपने पूर्व निर्धारित " विषय वर्तमान साहित्य एवम साहित्यकार " से और मिलते हैं फिर एक साहित्यकार से | मित्रो आपने निरन्तर इस विषय पर मेरा भरपूर साथ दिया है उसके लिए मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं और आशा करता हूं कि आप भविष्य में भी मुझे इसी प्रकार साहस और प्यार देंगे |
मित्रो आइये आज एक वरिष्ठ साहित्यकार से भेंट करते हैं |
( कवि परिचय )
नाम- एस के कपूर हंस
पिता का नाम- स्व० वृजलाल कपूर
जन्म तिथि- 07/06/1950
कार्य- सेवानिवृत प्रबन्धक भारतीय स्टेट बैंक बरेली
वर्तमान निवास- पुष्कर एन्कलेव स्टेडियम रोड बरेली उ०प्र०
विधा- मुक्तक
दूरभाष- 9897071046
मित्रो भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत श्री कपूर जी एक बहुत ही सरल स्वभाव के कवि हैं | कपूर जी के सफल साहित्यकार के साथ-साथ एक बहुत ही श्रेष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं |
मित्रो कपूर जी ने अपना साहित्यिक जीवन सन 1980 से आंग्ल भाषा में प्रारम्भ किया और वे सन 2000 तक लगातार आंग्ल भाषा में अपना गद्य एवम पद्य साहित्य विभिन्न मंचो के माध्यम से प्रस्तुत करते रहे | सन 2000 के उपरान्त उन्होंने हिन्दी भाषा पर कार्य करना प्रारम्भ किया और सन 2007 आते आते वे हिन्दी में भी अपनी रचनाओं का लोहा मनबाने लगे | मुख्य रूप से उन्होंने मुक्तक विधा को चुना परन्तु मुक्तकों के साथ-साथ गीत, नवगीत एवम कुण्डलियों पर भी उन्होंने अपनी कलम चलाई | आज वे अनेकों अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों के मंचों व सामाजिक एवम सॉस्कृतिक मंचो पर अपनी रचनायें प्रस्तुत कर रहे हैं तथा एक सफल साहित्यकार के रूप में जाने जाते हैं | कपूर जी ने 142 लेख लिखे हैं जो दैनिक जागरण के आइनेस्ट में छप चुके हैं ये सभी लेख युवाओं के मानसिक ,शारीरिक एवम बौद्धिक विकास में सहायक सिद्ध हुए हैं | कपूर जी आकाशवाणी रामपुर व बरेली से अनेकों बार काव्य पाठ व वार्ता प्रस्तुत कर चुके हैं | अनेकों साहित्यिक व सामाजिक पत्र पत्रिकाओं में उनकी रचनायें व लेख प्रकाशित हुए हैं | कपूर जी को अनेकों संस्थाओं के द्वारा विभिन्न सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है जिनमें जन चेतना साहित्यिक व सामाजिक समिति वीसलपुर, आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काब्य धारा रामपुर, साहित्य संगम संस्थान दिल्ली प्रमुख हैं |
कपूर जी एक सफल साहित्यकार के साथ-साथ एक बहुत श्रेष्ठ समाज सुधारक भी हैं तथा सभ्य नागरिक हैं |
कपूर जी की उपरोक्त विशेषताओं को मैं प्रणाम करता हूं तथा उनके सफल साहित्यिक जीवन व सुखमय एवम स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं |
कपूर जी की कुछ पंक्तियॉ----------
मान लो तो हार है ठान लो तो जीत है ,
यही है एक मंत्र सफलता का गीत है |
जितनी करोगे कोशिश उतना पार जाओगे,
सदा से चली आ रही यही तो एक रीत है ||
हम आप और सब एक प्राण एक जान हैं ,
एक जैसी प्राणवायु बसते इसी जहान हैं |
क्यों हो गयीं दूरियॉ बढ़ी है कलुश भावना ,
धरती की सब सन्तानें एक जैसे इन्सान हैं ||
( प्रस्तुति )
प्रो० आनन्द मिश्र अधीर
दातागंज बदायूं उ०प्र०
दूरभाष- 9927590320
8077530905
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