◆डमरू घनाक्षरी◆
(वर्षा वर्णन)
शिल्प~32 वर्ण बिना मात्रा,8,8,8,8
वर्णों पर यति, चार चरण समतुकांत।
बरसत जब जल,
बहत धरन तल,
कलरव कल-कल,घनन-घनन घन।
मकर उरग गन,
हरषत मन-मन,
बन मन उड़गन, बगरत वन-वन।।
सकल धरन तर,
सरस बहत झर,
जल थल नभचर,लगत मगन मन।
दलदल मग-मग,
सरकत पग-पग,
मदन बदन लग,जगत अगन तन।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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