Saturday, July 20, 2019

डमरू घनाक्षरी छंद

डमरू घनाक्षरी

उमड़ उमड़ कर
लहकत जलधर
टहलत नभचर,उड़ उड़ नभ पर।

सन सनन सनन
अब चलत पवन
महकत उपवन,झर-झर तन पर।

बरस बरस घन
घनन घनन घन
उड़त सकल मन, सरबस तब तर।

स्वच्छ रख तन मन
कर सहज मनन
गरल-धर नमन, भज अब हर हर।।
            रजनी रामदेव
               न्यू दिल्ली

डमरू घनाक्षरी छंद

8 8 8 8  --32 मात्रा (बिना मात्रा के)

मन यह नटखट, छण छण छटपट,
मनहर नटवर, कर रख सर पर।

कल न पड़त पल, तन-मन हलचल,
लगत सकल जग, अब बस जर-जर।

चरणन रस चख, दरश-तड़प रख,
तकत डगर हर, नयनन जल भर।

मन अब तरसत, अवयव मचलत,
नटवर रख पत, जनम सफल कर।।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया

🌷🌷डमरू घनाक्षरी🌷🌷

मतकर अनबन
   कर अब एक मन
      चल मत वन वन
          कह सच जन जन।

लखत सजल घन
   महकत उपवन
      मकरत बगरत
         चहकत तनमन।

कर मत बक बक
    बढ़कर लभ हक
         कर अब तर अब
              मत भर उलझन।

पग पग चल अब
     इत मत ढल अब
         रहमत रब कर
            तज सब फरकन।

   के आर कुशवाह " हंस"

*डमरू घनाक्षरी*

अगन बढ़त जब
         कल न पढ़त तब
जलचर तड़पत
           तन मन झुलसत।।

नटखट नटवर
        अब हठ मत कर
घनन घनन घन
          छम छम बरसत।।

चल चल चल चल
           चल अब घर चल
जल जल बस जल
           जन जन डरपत।।

नयनन जल भर
      चरण नमन कर
जनम सफल कर
       हर जन हरषत।।

बीना शर्मा"झंकार"

20/07/19

बम बम बम बम
डम डम डम डम
हर हर हर हर
जय जय जय जय

कल कल कल कल
बहत रहत जल
  लहर लहर भर
उछल उछल कर

पवन सनन सन
चलत घनन घन
मचल रहत मन
अचर उड़त फर

अनहद भगवन
वन वन उपवन
मन धवल कर
  पल पल भज कर

🙏माया की नमस्कार
२०--७--२०१९

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