Monday, July 29, 2019

सावन लोकगीत :- सोम जी

* सावन-लोकगीत *

घन घुमड़त चहुँ ओर,
              भलो सावन को महीना रे
झूमत   पवन  झकोर,
              भलो सावन को महीना रे......
1-रिमझिम  बरसत मेघ फुहारी।
   बिजुरी चमकत गगन मझारी।।
करवे काम किलोर,
               भलो सावन को महीना रे....
2-पीहू   पीहू   करत    पपीहरा।
   गिरत बूँद जर उठत है जियरा।।
मोर मचावत शोर,
             भलो  सावन को महीना रे....
3-नव तरू पल्लव डाली-डाली।
   झूला  डार   झूलवत  आली।।
हरियाली चहुँ ओर,
               भलो सावन को महीना रे...
4-वापी  कूप  व  सर  सरितायें।
   अरुणारी   हो   गईं   दिशायें।।
शैलेन्द्र सब सराबोर,
               भलो सावन को महीना रे....

                         ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

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