Wednesday, July 20, 2022

संस्मरण - झलक ~ दिलीप कुमार पाठक 'सरस'

विधा-संस्मरण 

"झलक"

उत्तर प्रदेश के दो जनपद, शाहजहाँपुर तथा पीलीभीत को मिलाने वाली कटना नदी के किनारे बसा एक सुन्दर गाँव जिन्दपुरा है | पीलीभीत की दृष्टि से देखें तो नदी के इस ओर बसे गाँव पीलीभीत के हैं और उस ओर बसे गाँव शाहजहाँपुर के हैं | नदी के इस ओर गाँव खनंका और नदी पार करो तो जिंदपुरा | स्टेशन जिन्दपुरा में है और बस- अड्डा खनंका नदी पुल है | पुल पार करते ही बालासिद्धन (बारह सिद्धियों का) एक रमणीक प्राकृतिक तपोवन है जो सदैव श्रधालुओं व दर्शनार्थियों को बुलाता रहता है |
       भगवान भोलेनाथ का प्रताप कहाँ नहीं है | प्रभु का "इटौरनाथ" शिव धाम जिंदपुरा का शक्ति-धाम है | विशेष बात यह है कि यहाँ भी भगवान शिवजी कटना नदी के किनारे ही विराजमान हैं | इसी गाँव में एक ऐसा भी स्थान है जो समन्वय का पावन स्थान है| जिसके सिर पर वट-वृक्ष की छाँव है | जहाँ मंजार और मंदिर प्राचीन समय से अपनी पहचान बनाए हुए हैं | विशेष बात यह है कि इस पवित्र स्थान पर हर वृहस्पतिवार को मेला लगता है | दूर-दूर से लोग आज भी इस स्थान पर आते हैं |इस स्थान की कुछ तो विशेष बात होगी | इस स्थान से हिंदू व मुसलमान दोनों का विश्वास जुड़ा हुआ है |समान रूप से दोनों, दोनों स्थानों पर प्रसाद चढ़ाते हैं| दोनों स्थानों पर श्रद्धा से शीश झुकाते हैं |इसीलिए यहाँ की गई प्रार्थना मनोकामना के रूप में पूरी होती है |
       इसी गाँव के एक जमीनदार कश्यप गोत्रीय ब्राह्मण परिवार में परम श्रद्धेय स्व. श्री मथुरा प्रसाद पाठक जी के हृदयांश परम पूजनीय  स्व. श्री पोथीराम पाठक जी के स्नेहिल मझले सुपुत्र परम वंदनीय स्व. श्री बनवारी लाल पाठक जी ने वंश को समृद्ध करने वाले अपने श्रेष्ठ भाइयों के बड़े छोटे के बीच को भरने वाले मझले बेटे के रूप में जिसे पाया, उन्हीं वंदनीय श्री जगदीश सरन पाठक जी का पुत्र बनने का मुझे 5 जुलाई सन् 1983 को सौभाग्य मिला | ममतामयी  श्रीमती मैनादेवी मइया की गोद में मैं रोता हुआ आया था ,उस दिन आज तक  उनका दुलार पाकर हँस रहा हूँ, प्रसन्न हूँ| निश्चित रूप से माँ की देन है | 
     मेरी जन्मभूमि जिंदपुरा जैसा सुरम्य गाँव बिरला ही कोई होगा |जिसके पूर्व में स्टेशन व रेल पटरी को काटती हुई नहर, पश्चिम में शिवधाम इटौरनाथ, उत्तर में पुल व बालासिद्धन, दक्षिण में विशाल वट वृक्ष की शीतल छाया में देवस्थान व मजार चारों ओर से आपको आमंत्रित कर रहे हैं | 
       अपनी जन्मभूमि पर मुझे गर्व है | खनंका में मौसी ,जिंदपुरा में माँ , बीच में नदी | जिंदपुरा से जितनी दूर व्लॉक निगोही, उतनी ही दूर खनंका की तहसील बीसलपुर | शाहजहाँपुर बचपन का क्रीड़ांगण और जनपद पीलीभीत कब कर्मक्षेत्र बन गया? पता ही नहीं चला |

~ दिलीप कुमार पाठक 'सरस'
    20 जुलाई 2022

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