Tuesday, October 16, 2018

गणेश चतुर्थी





गणेश चतुर्थी

गणराज,गणेश,गजानन हो।
तुम गणपति कष्ट निवारक हो।।
हो विश्वमुखी ब्रह्मांड गुरु।
प्रभु तुम महेश के बालक हो।।
तुम पार्वती के पुत्र महा।
है जग जाहिर मेरी महिमा।।
जिसपर कृपा कर देते हो।
फिर ना रहता सहमा सहमा।।
तुम वरदविनायक हो स्वामी।
घट घट वासी अंतर्यामी।।
तुम भाग्य विधाता विश्वराज।
करते हो तुम तो सफल काज।।
हृदय तेरी सुन्दर छवि हैं।
ब्रम्हाण्ड चमकता वो रवि हैं।।
विद्यावारिधि बुद्धि के देव।
स्कन्दपूर्व कार्तिकेय देव।।
मृत्युंजय मौत को हरते हो।
कृपा सब पर ही करते हो।।
करता तेरी हरदम पूजा।
न जगत में तुम सा हैं दूजा।।
तुम सब कवियों के स्वामी हो।
भारत के हिय सुखधामी हो।।

        नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत "
                  प्रदेश अध्यक्ष
जनचेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति मध्यप्रदेश

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