Monday, January 20, 2020

नर्स के लिए समाज का दृष्टिकोण

समाज की दृष्टि और सोच नर्स के लिए क्या है ?

हम सभी आधुनिक युग में जीवन यापन कर रहे हैं।सभी लोग सोचने,रहने,खाने,पहनने और सभी प्रकार की सुविधाओं के लिए स्वतंत्र है। हम दरअसल आपको बताने जा रहे है। एक ऐसे सोच वाले समाज की जो लोग केवल गंदी सोच रखते है उनके प्रति पर कभी अपने आप को वहा रखकर नहीं देखेंगे। हम उन लोगो से कोई शिकायत नहीं परंतु जब कुछ लोग उसे अपनी बेटी के रूप में देखना चाहते है।परंतु बहू के रूप में नहीं।
    आप सभी को मालूम है। जीवन में स्वस्थ्य का कितना महत्व है। थोड़ा सा मौसम में बदलाव क्या आता है। सभी लोग बीमार होने लगते है। वे ही लोग ज्यादा गर्मी,सर्दी और बरसात सहन नहीं कर पाते हैं। परंतु जब बीमार होते है। तो तुरंत डॉक्टर के पास आते है।फिर डॉक्टर उन्हे भर्ती करता है। और एक बड़ा सा पर्चा बनाकर नर्स से बोल देता है।इसकी इतने समय पर ये ये दवाई आपको खिलानी है। नर्स खुशी खुशी उसे हॉस्पिटल के वार्ड में भर्ती करती है। और उसका इलाज करती है। एक माँ के रूप में,बहिन के रूप में,एक सच्ची सेविका के रूप में,परिचारिका के रूप में।लेकिन कभी ये नहीं ध्यान देते है लोग की पूरा ज़िन्दगी हँसी हँसी में आप सबके लिए निकाल देती है। कई लोगो का कहना होगा कि उन्हे उस काम का हर्जाना (भत्ता/वेतन) दिया जाता है।यकीनन मिलता है,परंतु कभी आप भी एक दिन हमारी तरह जीवन जी कर तो देखो।आप जीवन जीना ही भूल जायेगे।
       रात में किसी मरीज को कोई तकलीफ हो तो दौड़कर जाती है। तथा उसका इलाज करती है।कभी भी यह नहीं सोंचते कि वह किस जाति,साम्प्रदाय का है।अध जले शरीर से आप लोग दूर भागते है। लेकिन हम उनका इलाज दिन रात करते है।रात दिन जागती है। किसलिए केवल आपकी सेवा के लिए। इसके बाद उसे घर जाकर अपने परिवार वालो के लिए खाना बनाना,बच्चे को स्कूल भेजना,मकान की साफ सफाई करना तथा सास ससुर माता पिता की सेवा आदि करना पड़ती है। वह आराम कब करती है। कभी नहीं सोचा होगा आपने आपको तो केवल मुँह चलाने से बस मतलब है कि वह अपने स्वाभाव से बेकार है।और जितनी आपकी सोच गिरी हुई हम उतना हम लिखते नहीं सकते है। केवल आप समझते जाये। थोड़ी अपनी सोच बदलो,बेटी को यदि आप नर्स के रूप में देखना पसंद करते है। तो आपको अपनी बहू के रूप में भी स्वीकारना पडे़गा।
यदि किसी भी सज्जन को कोई बात लगत लगी हो तो हम क्षमाप्रार्थी हैं। परंतु ऐसे सोच वाले लोगो को सबक सिखाना ही होगा।

लेखन:-
नीतेन्द्र सिंह परमार "भारत"
छतरपुर मध्यप्रदेश

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