Sunday, April 21, 2019

मुक्तक नीतेन्द्र भारत

*मुक्तक*

किये जो कर्म वीरों ने,सदा यशगान लिखता हूँ।
नयन में जो दिखी ज्वाला,वही पहचान लिखता हूँ।।
हकीकत क्या कहूं उनसे,जो खुद घर के लुटेरे हैं।
कलम में भर लहू अपना,मैं हिन्दुस्तान लिखता हूँ।।

- नीतेन्द्र सिंह परमार "भारत"

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