*मुक्तक*
किये जो कर्म वीरों ने,सदा यशगान लिखता हूँ।
नयन में जो दिखी ज्वाला,वही पहचान लिखता हूँ।।
हकीकत क्या कहूं उनसे,जो खुद घर के लुटेरे हैं।
कलम में भर लहू अपना,मैं हिन्दुस्तान लिखता हूँ।।
- नीतेन्द्र सिंह परमार "भारत"
आप सभी के लिए एक नये रूप में। साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक जानकारी। प्रदेश अध्यक्ष नीतेन्द्र सिंह परमार " भारत " विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत छतरपुर ( मध्यप्रदेश )
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