Thursday, April 23, 2020

◆ मणिमाल छंद




◆ मणिमाल छंद ◆

विधान~
[सगण जगण जगण भगण रगण सगण+लघु]
(112   121  121   211  212 112  1)
19 वर्ण ,10,9 वर्णों पर यति ,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत।

गुरुदेव  आज  अनाथ  को,  बस चाहिए पदधूल।
सब दूर दोष-विकार हों, प्रभु  आप जो अनुकूल।।
कुछ और इच्छित हैं नहीं,लख लीजिये बस आप।
उर "सोम" है यह कामना,  सब नष्ट हों भव-ताप।।

                                        ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

No comments:

Post a Comment

रेडियो प्रेमचंद पर काव्य सम्मेलन का प्रसारण

मुंशी प्रेमचंद मार्गदर्शन केंद्र ट्रस्ट लमही वाराणसी उ.प्र. द्वारा संचालित *रेडियों प्रेमचंद एप* जिसके स्रोता देश ही नही विदेशों तक है। उसी ...