*◆रूपमाला/मदन छंद [सम मात्रिक]◆*
विधान–[24 मात्रा,/14,10 पर यति,
आदि-अंत में वाचिक भार 21,चरण 4,
क्रमागत दो-दो चरण तुकान्त]
रामदूत हे पवनतनय ,
मतिधीर बजरंग।
बास करत हैं हिरदे में,
प्रभु जानकी संग।।
अंजनेय जू बल सागर,
चतुर विद्यावान।
"सोम" मनावत सिर नावत,
कपीश्वर हनुमान।।
*~शैलेन्द्र खरे"सोम"*
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