Sunday, August 4, 2019

आ० संजय उमंग जी सवैया

1🌹किरीट सवैया 🌹
(वियोग श्रृंगार)
पंथ निहारत हार गई सखि, आय नही सजना घर आँगन।।
आग वियोग लगी उर में अति, कष्ट बढाय रहो नित सावन।।
नाहि उमंग बची मन में अब, कंज कली मुरझाय गयो तन।।
काटत हो दुख में बस जीवन, नीर प्रवाह निरंतर आँखन ।।

2🌹किरीट सवैया🌹
(संयोग श्रृंगार)
आय गए सजना सुन आलिन , स्वर्ग समान लगें घर आँगन।।
प्रीति पुनीत पगे प्रति प्रीतम, अंग उमंग असीम जगी मन।।
हाथन कंगन बोल खनाखन, पायल पाउन बाजि झनाझन।।
बाँह हिँडोलन झूलत हो अब ,बारिश नेह निरंतर सावन।।

💐🌹संजय "उमंग" 💐🌹

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