Friday, October 11, 2019

महिया विधान

आ०ममता जी पुनः महिया का विधान:-

*माहिया छन्द विधान*

*माहिया*: पंजाब का लोकगीत है।
माहिया में तीन मिसरे होते हैं, बह्र निम्न प्रकार है
मफ़ऊलु मफ़ाईलुन
221 1222
फ़ैलु मफ़ाईलुन
21 1222
मफ़ऊलु मफ़ाईलुन
221 1222

इस छन्द में पहली और तीसरी पंक्ति  में 12 -12 मात्राएँ तथा दूसरी पंक्ति में 10 मात्राएँ होती हैं  पहली और तीसरी पंक्ति  तुकान्त होती है । गेयता के लिए ज़रूरी है कि  ये मात्राएँ  द्विकल के रूप में हों । केवल मात्राओं की गिनती से ही लय  नहीं बन  पाती है ।
द्विकल से तात्पर्य है -मात्राओं में  12 या 21 का क्रम न हो । यानी एक मात्रा के वर्ण के साथ फिर एक मात्रा का ही वर्ण आए, जैसे-

ये भोर सुहानी है ( 2 21 122  2=12)
चिड़ियाँ मन्त्र पढ़ें (112 21 12 =10)
सूरज सैलानी है ( 211 2222=12)
ऊपर भोर 21 के बाद सुहानी -122 आया है , यानी  एक-एक मात्रा वाले दो वर्ण हैं। अन्य पंक्तियों मे भी ऐसे ही देखा जा सकता है । इससे माहिया की लय बनी रहेगी।
--साभार प्राप्त

No comments:

Post a Comment

प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं वार्षिकोत्सव मनाया गया।

दिनांक 30/11/2024 को प्रयागराज संगम की पावन नगरी में साहित्यिक क्षेत्र में सुप्रसिद्ध संगठन "विश्व जनचेतना ट्रस्ट भारत" का छठवाॅं ...