गोवर्धन पूजा की सभी को हार्दिक बधाई🌹🍁🌷🌺🙏🙏🙏🙏🙏
* गीत *
*गिरि का मनोरथ,गिरिधर की कृपा*
(गोवर्धन की पूर्व कथा )
दोहे-
सेतु बनाया जा रहा, हरषें श्री रघुवीर।
शैल शिखर अन्यत्र से, लाते बानर वीर।।
पूर्ण हुआ है सेतु जब, किया गया ऐलान।
जित जो हो सो तुरत ही,वापस हो बलवान।।
यक पर्वत रोने लगा, सुनिये दयानिधान।
प्रभु सेवा से मैं रहूँ, वंचित क्यों भगवान।।
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[ तर्ज- सपनों में आऊंगा ,अपना.... ]
टेo- वापस न जाऊँगा, दर्शन मैं पाऊँगा।
रघुवर की सेवा में,ये तन लगाऊँगा।।
हे राघव सरकार,
अब मेरा क्या होगा...
1-भाव प्रभु ने जान लिया,
उर-अंतर पहचान लिया।
बोले प्रभु हे गोवर्धन,
सेवक तुमको मान लिया।।
मगर अभी तुम जाओ,
तनिक नहीं पछताओ,
द्वापर में आऊँगा, वादा निभाऊँगा।
जनहित पर सेवा में,तुमको उठाऊँगा।।
ये है वचन हमार,
जो मिथ्या न होगा.....
2-जब द्वापर युग आया है,
प्रभु ने वचन निभाया है।
जनहित में श्री केशव ने,
गोवर्धन को उठाया है।।
पूर्ण मनोरथ कीन्हा,
निज सेवक को चीन्हा,
शैलेन्द्र गुण गायेंगे, मोदक मनायेंगे।
गिरिधर गोपाला को ,गा-गा रिझायेंगे।।
सबका पालनहार,
इक दिन मेरा होगा....
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
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